शुक्रवार, 31 मई 2019

हिस्ट्रीशीटर बना मंत्री, मोदी है तो मुमकिन है



सवाल यह उठता है कि नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री ने जानबूझकर हिस्ट्रीशीटर  कैलाश चौधरी को मंत्री बनाया या अनजाने में, अगर जानबूझकर बनाया तो क्या वह कैलाश चौधरी के अपराधी होने की प्रतिभा का  इस्तेमाल करना चाहते है, और अगर अनजाने में किया तो क्या कैलाश चौधरी का मंत्री पद वापस छीन कर जेल की सलाखों के पीछे डालेंगे। 

​जयपुर।केेन्द्रीय चुनाव निर्वाचन विभाग के दावे खोखले । राज्य निर्वाचन विभाग के लापरवाही का मिला नमूना । निर्वाचन विभाग ने दावा किया था कि किसी प्रकार के विचाराधीन अपराधी चुनाव नहीं लड सकेंगे, किन्तु ऐसा नहीं हुआ। भारतीय जनता पार्टी के बाडमेर लोकसभा सीट से जीते प्रत्याशी कैलाश चौधरी की आपराधिक छवि की जानकारी होते हुए भी विभाग ने आखिर इसे उजागर क्यों नहीं किया।



 राजस्थान पुलिस विभाग ने भी अपने कार्य के प्रति जागरूकता क्यों नहीं दिखाई और निर्वाचन विभाग को जानकारी क्यों नहीं दी, जबकि राजस्थान पुलिस विभाग की आफिशियल वेबसाइट बता रही है कि  बाड़मेर जिले के  हिस्ट्रीशीटर की सूचि में कैलाश चौधरी का भी नाम अंकित है। तो आखिर सवाल यह उठता है कि राजस्थान पुलिस विभाग ने राज्य निर्वाचन विभाग से सत्य क्यों छुपाया, सच छुपाने के पीछे रहस्य क्या है, राज्य पुलिस विभाग पर क्या राज्य निर्वाचन विभाग कार्यवाही करेगा, या दोनो विभाग की मिलीभगत है।

 हिस्ट्रीशीटर संसद आखिर पहुंचा कैसे, इसके पीछे क्या रहस्य छिपा हुआ है वह भी पाकिस्तान की सीमा से सटा बाडमेर का हिस्ट्रीशीटर भारत के संसद में प्रवेश कर जाता है और हमारे लोक सेवक आसानी से उनके चालचरित्र को स्वच्छ छवि बताकर जनता के प्रतिनिधि बना देते है, जनता की आंखों में धूल झोंक देते है। 

नरेन्द्र मोदी को क्या महारत्नों में हिस्ट्रीशीटर ही मिला कि कैलाश चौधरी को कृषि और किसान कल्याण राज्यमंत्री बना दिया जो कि बाड़मेर जिले की हिस्ट्रीशीटर लिस्ट के क्रम संख्या 196 पर कैलाश चौधरी पुत्र श्री तगाराम उम्र 38 साल, निवासी समदड़ी रोड़ बालोतरा, जिला बाड़मेर का नाम दर्ज है जो कि बालोतरा थाने के हिस्ट्रीशीटर हैं। 
सवाल यह उठता है कि नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री ने जानबूझकर कैलाश चौधरी को मंत्री बनाया या अनजाने में, अगर जानबूझकर बनाया तो क्या वह कैलाश चौधरी के अपराधी होने की प्रतिभा का  इस्तेमाल करना चाहते है, और अगर अनजाने में किया तो क्या कैलाश चौधरी का मंत्री पद वापस छीन कर जेल की सलाखों के पीछे डालेंगे। 

मोदी सरकार के दूसरी बार सत्ता संभालते ही अमेरिका ने भारत को दी धमकी

भारत को अमेरिका की चेतावनी - रूस से एस-400 प्रणाली खरीदी तो रक्षा संबंधों पर होगा गंभीर असर
अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी है कि भारत ने यदि रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के अपने फैसले की दिशा में कदम आगे बढ़ाया तो भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों पर इसका गंभीर असर पड़ेगा।

‘एस-400' सतह से हवा में लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम रूस की अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली है। रूस से इसकी खरीद के लिए 2014 में सबसे पहले चीन ने समझौता किया था। भारत और रूस के बीच इस प्रणाली की खरीद के लिए पिछले साल अक्तूबर में पांच अरब डॉलर का समझौता हुआ था। यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच व्यापक चर्चा के बाद हुआ था। विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को संवाददाताओं को बताया कि रूस से एस-400 हवाई रक्षा प्रणाली खरीदने का निर्णय अहम है। उन्होंने इस विचार से असहमति जतायी कि यह कोई बड़ी बात नहीं है। अधिकारी ने इस नजरिये से असहमति जतायी कि रूस से एस-400 प्रणाली खरीदने के भारत के फैसले का तब तक कोई असर नहीं पड़ेगा जब तक वह अमेरिका से अपनी सैन्य खरीद बढ़ाता रहेगा। उन्होंने कहा, मैं असहमत हूं।

‘काटसा' प्रतिबंधों के कारण एस-400 महत्वपूर्ण है। यह इसलिए भी अहम है क्योंकि भविष्य के उच्च प्रौद्योगिकीय सहयोग के मामले में यह कुछ चीजों को रोकता है। एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली करार के कारण प्रतिबंध के जरिये अमेरिका के विरोधियों से मुकाबले का कानून (काटसा) के तहत पाबंदियां लगायी जा सकती है। अमेरिकी कांग्रेस ने यह कानून रूस से हथियारों की खरीद को रोकने के लिए बनाया था। उन्होंने कहा कि यदि भारत एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के फैसले पर आगे बढ़ता है तो उससे द्विपक्षीय रक्षा संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा। अधिकारी ने कहा कि ट्रंप प्रशासन का स्पष्ट मानना है कि रूस की उन्नत प्रौद्योगिकी खरीदने से ऐसे समय में रूस को गलत संदेश जायेगा जब वह आक्रामक रवैया अपनाये हुए है।

सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में स्थानान्तरण

जयपुर। आदर्श आचार संहिता हटने के साथ ही राज्य सरकारें जनहित कार्यो के लिये कमर कसी। राजस्थान सरकार जनहित कार्यो की योजनाएं आमजन तक पहुंचाने में सहायक बने सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में तुरंत प्रभाव से स्थानान्तरण किया। 
प्रेमप्रकाश त्रिपाठी संयुक्त निदेशक को पंजीयन एवं राजस्थान आवासन मंडल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा। श्रीमती अलका सक्सेना संयुक्त निदेशक को सूजस एवं प्रेमप्रकाश त्रिपाठी के स्थान पर, शिवचंद मीना उपनिदेशक को विज्ञापन क्षेत्र प्रचार एवं प्रबंधक राजस्थान संवाद। सुश्री नर्बदा इंदौरिया उपनिदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग। मनमोहन हर्ष उपनिदेशक जनसम्पर्क कार्यालय जयपुर । रजनीश शर्मा सहायक निदेशक विन विभाग। आशीष खंडेलवाल सहायक निदेशक सूचना जनसम्पर्क ​विभाग सवाई माधोपुर। हेतप्रकाश व्यास सहायक जनसम्पर्क अधिकारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग। रामसिंह मीना सहायक जनसम्पर्क अधिकारी नगरनिगम जयपुर। गजाधर भरत सहायक जनसम्पर्क अधिकारी समाचार शाखा एवं सोशल ​मीडिया मुख्यालय जयपुर ।
वहीं अरूण जोशी संयुक्त निदेशक समाचार अपने वर्तमान पद के साथ सोशल मीडिया एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया का कार्य भी संभालेंगे।

नई सरकार; चुनौतियां भरमार

आज नई सरकार के सामने सबसे अहम चुनौति देश को आर्थिक विषमता के समुद्र से उबारने की है, देश में मंदी जहां सबसे ऊँचाई पर है, वहीं देश की राष्ट्रीयकृत बैंकों की हालत अत्यंत गंभीर हो गई क्योंकि बैंकों का लाखों करोड़ रूपया या तो उद्योगपति बटौर कर विदेश भाग गया कर्जा न किसान ने चुकाया न सरकार ने, भारतीय मुद्रा का अब मूल्यन अलग इस सरकार के सामने चुनौती बना हुआ है। इसके साथ आए दिन घटती-बढ़ती जीडीपी दरें सरकार का सबसे बड़ा ‘सिरदर्द’ है। फिर निर्यात क्षेत्र की मंदी पर भी ध्यान देना जरूरी हो गया है।
आज देश में कितनी विसंगतिपूर्ण स्थिति है, एक सत्तारूढ़ पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष अपना पद छोड़कर मंत्री बना है तो दूसरी राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष अपने पद पर बने रहने को तैयार नहीं? भारतीय राजनीति का यही मौजूदा आईना है, देश में मोदी जी की सरकार पुनः स्थापित होने से जहां राजनीति का एक वर्ग हर्षोल्लास में डूबा है तो राजनीति का दूसरा वर्ग चुनाव में हारने का ‘सूतक’ पाल रहा है। इस तरह कुल मिलाकर इन दिनों देश का राजनीतिक माहौल एक अजीब स्थिति में पहुंच गया है, आज एक ओर जहां शपथ-ग्रहण जैसे संवैधानिक कार्य में भी राजनीति का प्रवेश कराया जा चुका है तो दूसरी ओर प्रतिपक्ष सभी राजनीतिक मान-मर्यादाओं को खंूटी पर टांग कर अपने मूल दायित्व से विमुख होता जा रहा है।

खैर, यह तो देश के राजनीतिक माहौल का जिक्र हुआ, अब यदि देश में फिर से सत्तारूढ़ हुई मोदी सरकार की बात करें तो अब उसके सामने चुनाव से भी बड़ी चुनौतियां मुंह बाये खड़ी है, इसमें कोई दो राय नहीं कि विश्व के इस सबसे बड़े प्रजातांत्रिक देश में यहां के वोटरों ने एक अजीब उदाहरण पेश किया, न तो भारतीय जनता पार्टी की इस सरकार ने अपने पांच वर्षीय शासनकाल में अपने चुनावी वादे पूरे किए और अपने घोषणा-पत्र की पूर्ति पर ही विशेष ध्यान दिया, उल्टे नोटबंदी व जीएसटी जैसे पीड़ा दायक कदम उठाए, और जब चुनाव आया तो राष्ट्रवाद और सैना के शौर्य के बलबूते पर वोट बटौरने की कौशिश की।

 यह बिल्कुल भी संभव नहीं था यदि मोदी जैसे निष्कपट, ईमानदार व नेक प्रधानमंत्री नहीं होते, कुल मिलाकर यदि यह कहा जाए कि देश में भारतीय जनता पार्टी नहीं, बल्कि मोदी जीते है तो कतई गलत नहीं होगा, फिर मोदी जी के भाग्य को पर उस समय भी लग गए जब सामने प्रतिपक्ष जैसी कोई मजबूत दीवार भी नहीं रही, कांग्रेस बचकाने हाथों में खेलती रही और शेष प्रतिपक्षी दल अपनी क्षैत्रीय सीमा तक सीमित रहे, अब ऐसे विकल्प के अभाव में देश का आम वोटर करता भी क्या? जो विकल्प सामने था, उसका ही वरण कर लिया और पांच साल के लिए अपना भाग्य भी सौंप दिया।

अब यह मोदी जी के सामने है कि वे देश को किस डगर पर ले जाए। खैर, जो भी हो, देश में फिर से मोदी जी की सरकार बन ही बई, पांच साल पहले जब पहली बार मोदी जी प्रधानमंत्री बने थे तब उनके सामने दस वर्षीय कांग्रेसी शासन के कथित कचरे को साफ करने की चुनौति थी, इस दौरान मोदी जी ने चाहे डेढ़ सौ से अधिक देशों की यात्राएँ कर देश के विश्व के अन्य देशों से सम्बंध ठीक करने का अभियान चलाया हो, किंतु देश वही खड़े रहने को मजबूर रहा, जहां वो पांच साल पहले खड़ा था, अर्थात समस्याएँ व चुनौतियां यथावत रही, और अब इस बार मोदी जी को अपने ही पांच साला कार्यकाल की समीक्षा करनी है और यहां व्याप्त गंभीर चुनौतियों से रूबरू होना है।

आज देश में चारों ओर चुनौतियाँ नजर आ रही है, फिर वह चाहे बेरोजगारी की चुनौति हो या किसानों की, या कि महंगाई की, ये चुनौतियां कोई आज की नई नहीं है, ये पहले भी थी, जिन पर पिछले पांच सालों में ध्यान नहीं दिया गया। पिछले अर्थात 2014 के चुनाव के समय प्रतिवर्ष दो करोड़ अर्थात् पांच साल में दस करोड़ युवाओं को नौकरी देने का वादा किया गया था, किंतु यह वादा कुछ लाख तक सिमट कर रह गया। यही स्थिति किसान की है, पिछले पांच सालों में पांच लाख से अधिक किसानों ने कर्जा नहीं चुका पाने के कारण आत्म हत्याएं की, इनके कर्जे माफ करने की भी कई बार घोषणाऐं की गई, किंतु यह आत्म हत्याओं का सिलसिला आज भी जारी है।

आज नई सरकार के सामने सबसे अहम चुनौति देश को आर्थिक विषमता के समुद्र से उबारने की है, देश में मंदी जहां सबसे ऊँचाई पर है, वहीं देश की राष्ट्रीयकृत बैंकों की हालत अत्यंत गंभीर हो गई क्योंकि बैंकों का लाखों करोड़ रूपया या तो उद्योगपति बटौर कर विदेश भाग गया कर्जा न किसान ने चुकाया न सरकार ने, भारतीय मुद्रा का अब मूल्यन अलग इस सरकार के सामने चुनौती बना हुआ है। इसके साथ आए दिन घटती-बढ़ती जीडीपी दरें सरकार का सबसे बड़ा ‘सिरदर्द’ है। फिर निर्यात क्षेत्र की मंदी पर भी ध्यान देना जरूरी हो गया है।

जब तक इन प्रमुख मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जाता तब तक आर्थिक वृद्धि दर में सुधार की कल्पना भी नही की जा सकती। इस प्रकार कुल मिलाकर यदि यह कहा जाए कि देश के हर क्षेत्र में सरकार के सामने चुनौतियों का अम्बार है, तो कतई गलत नहीं होगा विशेषकर यदि सरकार प्राथमिकता के आधार पर आर्थिक, बेरोजगारी और किसानों से जुड़ी चुनौतियों पर ही कुछ सार्थक कदम उठाकर इनसे निपटना शुरू करें तो देश की ही नहीं इस सरकार की भी इसमें भलाई है।

शेखावत के लिये बना मंत्रालय से मंत्रालय ‘जल शक्ति’ मंत्रालय

गजेंद्र सिंह शेखावत के लिये मोदी ने बनाया मंत्रालय से मंत्रालय ‘जल शक्ति’ मंत्रालय
जल संसाधन और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालयों को मिलाकर बनाये गये नये ‘जल शक्ति’ मंत्रालय का कार्यभार गजेंद्र सिंह शेखावत को सौंपा गया है। शेखावत ने शुक्रवार को मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया। उन्होंने कल मंत्री पद की शपथ ली थी। चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने जल संबंधी मुद्दों से निपटने के लिये एकीकृत मंत्रालय के गठन का वादा किया था।

प्रभार संभालने के बाद शेखावत ने कहा, ‘‘जल संबंधी सभी कार्य एक ही मंत्रालय में निहित होंगे।’’ मंत्रालय का दायरा बढ़ाते हुए इसमें अंतरराष्ट्रीय से लेकर अंतरराज्यीय जल विवाद, पेयजल उपलब्ध कराने, बेहद जटिल नमामी गंगे परियोजना, गंगा नदी और उसकी सहायक एवं उप सहायक नदियों को स्वच्छ करने की महत्वाकांक्षी पहल को शामिल किया जायेगा।

मोदी सरकार ने पहली बार गंगा को स्वच्छ बनाने की परियोजना शुरू की थी जिसका जिम्मा पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से जल संसाधन मंत्रालय को सौंपा गया था और भारी भरकम आवंटन के साथ नमामी गंगे परियोजना शुरू की गयी। मंत्री ने कहा कि पार्टी के घोषणापत्र में किये गये वादे के तहत हर किसी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता होगी। रतन लाल कटारिया को नवगठित मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है।

नरेन्द्र दामोदर दास मोदी की फौज तैयार

नरेंद्र मोदी कैबिनेट की घोषणा कर दी गयी है,भाजपा के कद्दावर नेता अमित शाह देश के नये गृह मंत्री होंगे। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नयी राजग सरकार में शुक्रवार को राजनाथ को रक्षा मंत्रालय, निर्मला सीतारमण को वित्त और पूर्व नौकरशाह एस जयशंकर को विदेश मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया। राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता ने इस आशय की जानकारी दी। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली पहली सरकार में राजनाथ सिंह गृह मंत्री थे जबकि निर्मला सीतारमण रक्षा मंत्री थीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, परमाणु ऊर्जा एवं महत्वपूर्ण नीति से जुड़े मुद्दों वाले तथा बिना आवंटित विभाग रहेंगे। राष्ट्रपति भवन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पूर्व विदेश सचिव रहे एस जयशंकर भारत के नये विदेश मंत्री बनाये गये हैं। अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी को महिला एवं बाल विकास तथा कपड़ा मंत्रालय मिला। पीयूष गोयल फिर से रेल मंत्री बनाये गए हैं। निर्मला सीतारमण को वित्त मंत्रालय का प्रभार दिया गया है जबकि प्रकाश जावड़ेकर को सूचना एवं प्रसारण तथा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय दिया गया है। नितिन गडकरी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री बने रहेंगे और इसी प्रकार धर्मेन्द्र प्रधान के पास पेट्रोलियम एवं इस्पात मंत्रालय बना रहेगा. गजेन्द्र सिंह शेखावत को नये जल शक्ति मंत्रालय का प्रभार दिया गया है।



राम विलास पासवान उपभोक्ता मामलों के मंत्री बने रहेंगे। नरेंद्र सिंह तोमर नये कृषि मंत्री होंगे, उनके पास ग्रामीण विकास मंत्रालय भी रहेगा। डॉ हर्षवर्द्धन को स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय दिया गया है।रविशंकर प्रसाद दूरसंचार के अलावा विधि एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री होंगे जबकि रमेश पोखरियाल निशंक नये मानव संसाधन विकास मंत्री बनाये गए हैं। डी वी सदानंद गौड़ा रसायन एवं उर्वरक मंत्री तथा अर्जुन मुंडा आदिवासी मामलों के मंत्री बनाये गए हैं। हरसिमरत कौर बादल खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बनी रहेंगी। थावर चंद गहलोत को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री बनाया गया है।प्रह्लाद जोशी संसदीय मामलों के मंत्री होंगे तथा कोयला एवं खनन मंत्रालय भी संभालेंगे। महेंद्र नाथ पांडे को कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय तथा गिरिराज सिंह को पशुपालन, डेयरी तथा मत्स्य मंत्रालय दिया गया है। मुख्तार अब्बास नकवी को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। संतोष कुमार गंगवार श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार, राव इंद्रजीत सिंह सांख्यिकी एवं कार्यक्रम अनुपालन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार, श्रीपद यशो नाइक को आयुर्वेद, योग एवं रक्षा राज्य मंत्री स्वतत्र प्रभार, जितेन्द्र सिंह को प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार, किरण रिजिजू को युवा एवं खेल मामलों के मंत्री का स्वतंत्र प्रभार, प्रह्लाद पटेल को संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार, आर के सिंह ऊर्जा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार, हरदीप सिंह पुरी को आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार तथा मनसुख मंडाविया को पोत परिवहन तथा रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है।


गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। उनके साथ 24 कैबिनेट मंत्रियों, नौ राज्य मंत्रियों (स्वतंत्र प्रभार) और 24 अन्य ने राज्य मंत्रियों के रूप में शपथ ली थी। नयी मोदी सरकार में फग्गन सिंह कुलस्ते को इस्पात राज्य मंत्री, अश्विनी कुमार चौबे को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री, अर्जुन राम मेघवाल को संसदीय कार्य एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री बनाया गया है।

जनरल वी के सिंह (सेवानिवृत) को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री, किशन पाल को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री, राव साहब दानवे को उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री, जी किशन रेड्डी को गृह राज्य मंत्री, पुरूषोत्तम रूपाला को कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, रामदास आठवले को सामाजिक न्याय एवं अधिकारित राज्य मंत्री बनाया गया है। निरंजन ज्योति को ग्रामीण विकास राज्य मंत्री, बाबुल सुप्रियो को पर्यावरण, वन जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री, संजीव कुमार बालियान को पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य राज्य मंत्री, संजय धोत्रे को मानव संसाधन विकास एवं संचार राज्य मंत्री बनाया गया है। अनुराग सिंह ठाकुर को वित्त एवं कंपनी मामलों के राज्य मंत्री, सुरेश अंगडी को रेल राज्य मंत्री, नित्यानंद राय को गृह राज्य मंत्री, रतन लाल कटारिया को जल शक्ति राज्य मंत्री, रेणुका सिंह सरूता को आदिवासी मामलों की राज्य मंत्री तथा वी मुरलीधरन को विदेश राज्य मंत्री बनाया गया है। सोम प्रकाश को वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री, रामेशवर तेली को खाद्य एवं प्रसंस्करण राज्य मंत्री, प्रताप चंद्र सारंगी को लघु, मध्यम एवं सूक्ष्म उद्यम राज्य मंत्री, कैलाश चौधरी को कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री तथा देबश्री चौधरी को महिला एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री बनाया गया है।

देश में पहली बार सहकारिता क्षेत्र में पेपरलैस ऋण वितरण की व्यवस्था

जयपुर। प्रदेश के सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना ने कहा कि राजस्थान पहला राज्य है जो सहकारी बैंकों के माध्यम से किसानों को फसली ऋण वितरण की प्रक्रिया को पेपरलैस कर सहकारी फसली ऋण पोर्टल से ऋण वितरण की शुरूआत करने जा रहा है। इस पहल के साथ राज्य का सहकारी क्षेत्र अब डिजीटल क्रांति की ओर अग्रसर हो रहा है। सहकारी फसली ऋण ऑनलाइन पंजीयन एवं वितरण योजना 3 जून से प्रारंभ होगी।

​आंजना ने बताया कि योजना के अनुसार सहकारी समिति के सदस्य किसानों को ग्राम सेवा सहकारी समितियों एवं बहुउद्देशीय कृषि ऋणदात्री सहकारी समितियों के माध्यम से फसली ऋण का वितरण ऑनलाइन किया जाएगा। इस योजना का क्रियान्वयन पैक्स/लेम्प्स एवं सहकारी बैंक की शाखाओं के स्तर से किया जा रहा है।

​उन्होंने कहा कि फसली ऋण वितरण की नई योजना के अनुसार फसली ऋण वितरण कार्यक्रम में स्थानीय विवेकाधीनता को समाप्त कर एकरूपी, पारदर्शी एवं सुव्यवस्थित बनाया गया है। इसके अनुसार किसान को समिति या ई-मित्र केन्द्र पर जाकर ऑनलाइन पंजीयन कराना होगा। पंजीयन बायोमैट्रिक सत्यापन के आधार पर किया जाएगा।

​सहकारिता मंत्री ने कहा कि सदस्य किसान को फसली ऋण बायोमैट्रिक सत्यापन के पश्चात् डिजीटल मेम्बर रजिस्टर (डीएमआर) के माध्यम से वितरित किया जाएगा। विभाग ने सहकारी फसली ऋण प्रक्रिया में किसान से आवेदन प्राप्त करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया को ऑनलाइन किया है।

सहकारी फसली ऋण पार्टल पर होगा पंजीयन
आंजना ने कहा कि योजना के प्रथम चरण में नियमित फसली ऋण चुकाने वाले 25 लाख सदस्य किसानों को ग्राम सेवा सहकारी समिति से निर्धारित आवेदन पत्र निःशुल्क प्राप्त होगा। जिसमें किसान आवश्यक सूचनाएं भर कर किसी भी समिति या ई-मित्र केन्द्र से सहकारी फसली ऋण पोर्टल पर पंजीयन कराएगा। पंजीयन के समय किसान को आधार नम्बर देना होगा।
​सहकारिता मंत्री ने कहा कि पंजीयन के दौरान किसान द्वारा बायोमैट्रिक सत्यापन के पश्चात् ऋण माफी योजना 2018 एवं 2019 के लाभान्वित किसान के ऋण माफी का पोर्टल पर उपलब्ध रिकार्ड का परीक्षण होगा। यदि किसान अवधिपार ऋणी सदस्य है या नया सदस्य बना है तो उसका दूसरे चरण में पंजीयन होगा। किसान का पंजीयन होने पर उसके अधिकृत मोबाइल पर मैसेज से सूचित किया जाएगा तथा रसीद दी जाएगी, जिस पर यूनिक आवेदन पत्र क्रमांक अंकित होगा। इस क्रमांक का उपयोग किसान द्वारा भविष्य में समिति, बैंक से व्यवहार या सेवा के लिए कर सकते है। 

सदस्य की अधिकतम साख सीमा ऑनलाइन होगी स्वीकृत


​प्रमुख शासन सचिव सहकारिता अभय कुमार ने कहा कि किसान को अल्पकालीन फसली ऋण की अधिकतम साख सीमा एवं ब्याज दर सरकार एवं शीर्ष सहकारी बैंक की तय नीति के अनुसार होगी।
​ कुमार ने कहा कि पंजीकृत किसान की अधितम साख सीमा जिला स्तरीय तकनीकी समिति द्वारा फसलवार निर्धारित मापदण्ड, आवेदक की भूमि आकार एवं आवेदक द्वारा बोई जाने वाली फसलों के आधार पर खरीफ तथा रबी फसल हेतु पृथक-पृथक सहकारी फसली ऋण पोर्टल पर स्वतः स्वीकृत होगी। स्वीकृत अधिकतम साख सीमा 5 वर्ष के लिए मान्य होगी।

ग्रीवेन्स रिड्रेसल अथोरिटी (जीआरए) करेगी परीक्षण
अभय कुमार ने कहा कि पंजीकृत किसान की अधिकतम साख सीमा की स्वीकृति या अस्वीकृति की समस्त कार्यवाही समिति को 10 दिवस में पूरी करनी होगी। दस दिन में कार्यवाही नहीं होने पर समस्त पंजीकृत आवेदकों की एम सी एल स्वीकृत मानकर बैंक शाखा आगे की कार्यवाही करेगी।
​प्रमुख शासन सचिव सहकारिता ने कहा कि समिति द्वारा जिन पंजीकृत किसान आवेदकों की अधिकतम साख सीमा बन्ध में असहमति प्राप्त होगी, ऐसे आवेदकों के परीक्षण के लिये रजिस्ट्रार सहकारी समितियां, जयपुर के निर्देशानुसार प्रत्येक शाखा स्तर पर जी. आर. ए. की नियुक्ति की जाएगी। जी. आर. ए. प्रकरणों का परीक्षणकर समिति को युक्तियुक्त अभिशंषा करेगी।

फसली ऋण वितरण के लिये तीन माध्यम

उन्होंने कहा कि नई फसली ऋण व्यवस्था में किसान बैंक की शाखा से फसली ऋण नकद रूप में प्राप्त करने के अलावा रूपे किसान डेबिट कार्ड के माध्यम से एटीएम से प्राप्त कर सकेगा। इसके अलावा किसान को सहूलियत देने के लिये समिति में एफआइजी (फिनेन्सियल इंक्लूजन गेटवे) के माध्यम से ऋण प्राप्त करने की व्यवस्था की गई है। किसान रूपे डेबिट कार्ड के माध्यम से ऋण वितरण किये जाने से डिजिटल एवं कैशलेस व्यवस्था को बल मिलेगा।

फसली ऋण पंजीयन के लिये जरूरी हैं ये दस्तावेज व जानकारी

सहकारिता रजिस्ट्रार डॉ. नीरज के. पवन ने कहा कि अल्पकालीन फसली ऋण हेतु आवेदन करने से पूर्व किसान को समिति का सदस्य होना जरूरी है तथा पंजीयन के लिये किसान का आधार नम्बर, जिस सहकारी बैंक में किसान का बचत खाता है उसका खाता संख्या व बैंक शाखा का आईएफएससी नम्बर की आवश्‍यकता होगी। इसके अतिरिक्त आवेदन पत्र में किसान के नाम पर जमाबन्दी के आधार पर राजस्व रिकार्ड में दर्ज भूमि का विवरण, रबी एवं खरीफ सीजन में बोई जाने वाली फसल का विवरण के साथ-साथ समिति तथा अन्य बैंक व संस्थाओं से लिये गये या स्वीकृत हुये ऋण की जानकारी दर्ज कराई जायेगी।
​डॉ. नीरज के. पवन ने कहा कि ने कहा कि को अधिकतम साख सीमा के अन्तर्गत फसली ऋण का वितरण किये जाने से पूर्व आवश्‍यक प्रपत्रों का दस्तावेजीकरण किया जायेगा। इसके लिये किसान वचन पत्र, ऋण पत्र (बॉण्ड पत्र) एवं प्रतिभूति पत्र हस्ताक्षरित कर समिति जमा कराया जायेगा।

किसान के हित होंगे सुरक्षित, स्थापित होगी वित्तीय पारदर्शिता

डॉ. पवन ने कहा कि किसानों के हितों को सुरक्षित करने तथा समिति में वित्तीय पारदर्शिता स्थापित करने के लिये किसान द्वारा संबंधित बैंक शाखा में या समिति में एफआईजी के माध्यम से अपनी ऋण राशि जमा कराने पर कम्प्यूटर जनित रसीद जारी की जायेगी।

किसानों को मिलेगा 16 हजार करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त फसली ऋण


रजिस्ट्रार ने कहा कि प्रदेश के 25 लाख से अधिक किसानों को वर्ष 2019-20 में 16 हजार करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त अल्पकालीन फसली ऋण का वितरण किया जायेगा। सदस्य किसानों को 10 हजार करोड़ रुपये खरीफ सीजन में तथा 6 हजार करोड़ रुपये रबी सीजन में वितरित किया जायेगा। केन्द्रीय सहकारी बैंकों द्वारा वितरित होने वाला अल्पकालीन फसली ऋण खरीफ सीजन में 1 अप्रेल से 31 अगस्त तक तथा रबी सीजन में 1 सितम्बर से 31 मार्च तक किसानों को वितरित किया जाता है।

इन जिलों में वितरित होंगे 16 हजार करोड़

अपेक्स बैंक के प्रबंध निदेशक इन्दर सिंह ने कहा कि खरीफ सीजन में बाडमेर जिले के किसानों में सर्वाधिक 1000 करोड़ रुपये का ऋण वितरित होगा जबकि जयपुर में 950 करोड़ रुपये, पाली में 860 करोड़ रुपये, चित्तोड़गढ व प्रतापगढ़ में 800 करोड़ रूपये, सीकर एवं श्रीगंगानगर में 800-800 करोड़ रुपये, जोधपुर व हनुमानगढ़ में 760-760 करोड़ रुपये, भीलवाड़ा में 740 करोड़ रुपये, जालोर में 700 करोड़ रुपये, झालावाड़ में 660 करोड़ रुपये, नागौर में 640 करोड़ रुपये, कोटा में 600 करोड़ रुपये, अलवर एवं झुन्झुनूं में 550-550 करोड़ रुपये, सवाईमाधोपुर व करौली में 470 करोड़ रूपये, अजमेर में 450 करोड़ रूपये, भरतपुर व धौलपुर में 450 करोड़ रुपये तथा उदयपुर व राजसमंद में 420 करोड़ रुपये का अल्पकालीन ऋण वितरण सदस्य कृषकों को होगा।

​ इन्दर सिंह ने कहा कि इसी प्रकार से बूंदी जिलें में में 370 करोड़ रुपये, चुरू एवं दौसा में 360-360 करोड़ रुपये, बारां में 340 करोड़ रुपये, बीकानेर में 330 करोड़ रूपये, सिरोही में 320 करोड़ रुपये, जैसलमेर में 290 करोड़ रुपये, टोंक में 280 करोड़ रुपये, बांसवाड़ा में 240 करोड़ रुपये, डूंगरपुर में 150 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त फसली सहकारी ऋण वितरित किया जाएगा।

दस लाख नये किसानों को मिलेगा फसली ऋण

प्रदेश में 10 लाख नये किसानों को सहकारी बैंकों के माध्यम से आगामी फसली चक्र में फसली ऋण मुहैया कराया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा ज्यादा से ज्यादा किसानों को सहकारी फसली ऋण ढांचे के तहत आवश्यकतानुसार ऋण उपलब्ध कराकर राहत देने के दिये गये निर्देशों की पालना में यह निर्णय किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे इस निर्णय से किसान को दोहरा लाभ होगा। किसान को उसकी आवश्यकता के अनुसार जमीन को रहन रखे बिना ही फसली ऋण मिल सकेगा और साथ ही सहकारिता से जुड़ने के दूसरे सभी लाभ भी प्राप्त होंगे।

​हम सहकारी ऋण ढांचे को मजबूती प्रदान करना चाहते हैं। इसलिये हम ज्यादा से ज्यादा किसानों को इससे जोड़ना चाहते है और हम इसके लिये आगामी फसली चक्र से नये 10 लाख किसानों को फसली ऋण वितरित करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे सामने हाल ही में कई ऐसे प्रकरण सामने आये हैं इसके मद्देनजर यह निर्णय किया गया है कि किसी भी किसान का ऋण प्राप्त करने का हक न छिने इसके लिये हमने बायोमैट्रिक सत्यापन को ऋण वितरण प्रक्रिया में लागू किया है। इससे वास्तविक किसान को सहूलियत होगी और सहकारी संस्थाओं के साथ-साथ किसान की साख में भी बढ़ोतरी होगी।

अपेक्स बैंक के प्रबंध निदेशक ने कहा कि ऋण माफी के दौरान हमारी जानकारी में आया कि ग्राम सेवा सहकारी समितियों में कई ऐसे सदस्य हैं, जो कई वर्ष पूर्व समिति के सदस्य बन गये थे लेकिन उन्हे अभी तक सहकारी साख व्यवस्था के तहत फसली ऋण नहीं मिल पाया है। सरकार ने ऐसे किसान सदस्यों को फसली ऋण मुहैया कराने का निर्णय किया है।


द्वितीय चरण में नए किसानों का पंजीयन

​नए सदस्य किसानों का सहकारी फसली ऋण पोर्टल पर पंजीयन नियमित चुकारा करने वाले सदस्य किसानों के पंजीयन के बाद द्वितीय चरण में किया जाएगा। द्वितीय चरण में नए सदस्य किसानों के साथ अवधिपार सदस्य किसानों का भी पंजीयन किया जाएगा। पंजीकरण के उपरांत ऐसे किसानों को भी फसली ऋण मुहैया कराया जाएगा।

गुरुवार, 30 मई 2019

नरेंद्र मोदी और अमित शाह को तथ्यों के आधार पर क्लीनचिट दी गई: मुख्य चुनाव आयुक्त

लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष के भाषणों से जुड़ीं शिकायतों पर चुनाव आयोग द्वारा उन्हें दी गई सिलसिलेवार क्लीनचिट पर चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने असहमति जताई थी।


 मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुनील अरोड़ा ने चुनाव आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ी शिकायतों पर नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पक्षपात करते हुए क्लीनचिट दिए जाने के आरोपों को खारिज किया और कहा कि इस बारे में फैसला गुण-दोष और तथ्यों के आधार पर लिया गया।

दरअसल, लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मोदी और शाह के भाषणों से जुड़ी शिकायतों पर उन्हें दी गई चुनाव आयोग की सिलसिलेवार क्लीनचिट पर चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने असहमति जताई थी। वहीं, विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर पक्षपात के साथ फैसला करने का आरोप लगाया था।

सीईसी अरोड़ा ने चुनाव आयोग के आचार संहिता आदेशों में कोई असहमति दर्ज कराने की चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की मांग से जुड़े विवाद पर कहा कि किसी भी चीज पर बोलने और उस पर चुप रहने का एक समय होता है।

अरोड़ा ने चुनाव आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को दी गई क्लीनचिट का भी बचाव करते हुए कहा कि फैसले गुण-दोष और तथ्यों के आधार पर लिए जाते हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि मैं किसी की भी नैतिकता पर कैसे फैसला दे सकता हूं। लवासा तो वैसे भी वरिष्ठ सहयोगी हैं।

अरोड़ा ने कहा, ‘भले ही उनके कुछ शक-शुबहा या भावनाएं रही हों, आखिरकार हममें से कोई भी खुद को झूठ नहीं बोल सकता। चुनाव आयोग के सभी सदस्य हूबहू एक जैसे नहीं हो सकते।’

यह पूछे जाने पर कि क्या लवासा की असहमति से जुड़े विवाद को चुनाव के दौरान टाला जा सकता था? इस पर अरोड़ा ने कहा, ‘मैंने विवाद शुरू नहीं किया। मैंने कहा था कि चुप रहना हमेशा मुश्किल होता है, लेकिन गलत समय पर विवाद पैदा करने की बजाय चुनाव प्रक्रिया पर नजर रखना कहीं अधिक जरूरी था। मैंने यही कहा था और मैं इस पर कायम हूं।’

उन्होंने कहा कि वह यह भी कहते आ रहे हैं कि चुनाव आयोग के तीनों सदस्य एक दूसरे की तरह नहीं हो सकते। चाहे यह मौजूदा चुनाव आयोग हो या पहले का, लोग एक दूसरे की फोटोकॉपी नहीं हैं।

चुनाव आयोग को अपने कानूनी सलाहकार एसके मेंदीरत्ता से मिली कानूनी राय का जिक्र करते हुए अरोड़ा ने कहा कि आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतें अर्द्ध न्यायिक मामलों की श्रेणी में नहीं आती हैं।

उन्होंने कहा, ‘यह देश का कानून है। पार्टियों के चुनाव चिह्न से जुड़े मामले और राष्ट्रपति एवं राज्यपाल से मिले संदर्भ अर्द्ध न्यायिक होते हैं, जहां दोनों पक्षों का प्रतिनिधित्व वकीलों द्वारा किया जाता है। तीनों लोगों- सीईसी और दो चुनाव आयुक्तों की राय हमेशा ही फाइलों में दर्ज की जाती है।’

उन्होंने कहा, ‘जब हम फैसले को औपचारिक तौर पर बताते हैं, चाहे यह 2:1 से बहुमत का फैसला हो या सर्वसम्मति से, हम उस (आदेश) पर नहीं लिखते हैं। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) भी बहुसदस्यीय संस्था है। जब यूपीएससी किसी उम्मीदवार को पास या फेल करती है, तो वह सिर्फ नतीजे के बारे में सूचना देती है लेकिन इसका उल्लेख कभी नहीं करती कि किस सदस्य ने क्या लिखा है।’

अरोड़ा ने मोदी और शाह से जुड़े मामलों में पूर्वाग्रह के साथ उनके पक्ष में फैसले देने के विपक्षी दलों सहित कुछ हलकों के आरोपों पर कहा, ‘यदि क्लीनचिट दी गई, तो यह गुण दोष और तथ्यों के आधार पर दी गई। मुझे इस पर और कुछ नहीं कहना।’

चुनाव आयोग के आदेशों में अपनी असहमति दर्ज कराने की लवासा की मांग नहीं माने जाने पर उन्होंने (लवासा) चुनाव आचार संहिता उल्लंघन से जुड़े मामलों से खुद को अलग कर लिया था।

ऐसा समझा जाता है कि लवासा ने चार मई को अरोड़ा को लिखे पत्र में कहा था कि उन्हें पूर्ण आयोग की बैठकों से दूर रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है क्योंकि अल्पमत के फैसले को दर्ज नहीं किया जा रहा।

मानसिक विमंदित बच्चों की सेवा करना-महान कार्य: मास्टर भंवरलाल मेघवाल

जयपुर। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने गुरूवार को जामडोली स्थित मानसिक विमंदित बाल कल्याण गृह में रोटरी क्लब, जयपुर द्वारा विमंदित बालक-बालिकाओं की सुविधाओं के लिए वॉटर कूलर एवं कपडे वितरण करते हुए कहा कि मानसिक विमंदित एवं बेसहारा बच्चों की सेवा करना एक महान कार्य है।

उन्होंने कहा कि विमंदित बच्चों की की सुविधाओं के लिए रोटरी क्लब, जयपुर एक महावीर विकलांग समिति द्वारा दिए जा रहे असीम सहयोग के लिए धन्यवाद के पात्र हैं। मेघवाल ने विमंदित बच्चों को टॉफिया, हाथ की इलैक्ट्रोनिक घडियॉ, पहनाकर उनका उत्साह बढ़ाया। उन्होंने बच्चों द्वारा की जा रही शैक्षणिक गतिविधियों को भी नजदीक से देखा और कहा कि इनके मानसिक विकास के साथ इनकी प्रतिभाओं को संभालने की जरूरत है। उन्होंने इस अवसर पर रोटरी क्लब द्वारा लगाए गए वॉटर कूलर एवं आरओ का उद्घाटन करने के साथ 200 बच्चों को कपडें, मिठाई एवं फल आदि वितरीत किए। उन्होंने बच्चों के लिए संचालित विषेष विद्यालय का भी निरीक्षण किया। 

उन्होंने मानसिक विमंदित गृह के बच्चों को चिकित्सक द्वारा दी जा रही फिजियो थैरेपी की जानकारी लेते हुए बच्चों के स्वास्थ्य, खाने-पीने, रहने, शिक्षा एवं अन्य गतिविधियों की भी जानकारी ली। उन्होंने सभी व्यवस्थाओं पर संतोष जताते हुए कहा कि और व्यवस्थाओं के लिए भामाशाह दानदाताओं एवं स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जाएगा। 

केयर टेकरो का बढाया उत्साह

मेघवाल ने मानसिक विमंदित गृह में कार्यरत 80 से ज्यादा महिला-पुरूष केयर टेकरो की सेवाओं को सराहनीय बताते हुए कहा कि इस तरह के बच्चों की सेवा करना अपने आप में भगवान की सेवा करने के समान है। उन्होंने इस अवसर पर भामाशाह रिम्मू खण्डेवाल द्वारा दिए गए टी-शर्ट एवं पेंट को सभी केयर टेकरो एवं साफ-सफाई कर्मचारियों को वितरीत किया तथा खिलौंने एवं शैक्षणिक सामग्री का बच्चों को वितरण किया। 

उन्होंने बचों के खाने-पीने की व्यवस्थाओं का जायता लेते हुए रसोईघर पहुंचे, जहां बच्चों के लिए भोजन तैयार किया जा रहा था। उन्होंने बच्चों के लिए बनाई गई दाल, चावल एवं चपाती की गुणवत्ता जांचने के साथ स्टोर में रखी खाद्य सामग्री को भी देखा। 

इस अवसर पर आदर्श नगर विधायक रफीक खान, रोटरी क्लब, जयपुर के अध्यक्ष जे.डी. माथुर, सचिव मनोज वैद, बाल कल्याण समिति, जयपुर के अध्यक्ष नरेंद्र सिखवाल, निदेशक विशेष योग्यजन निदेशालय वीरेंद्र बांकावत, अतिरिक्त निदेशक अमिताभ कौशिक उपस्थित थे।

 देवनारायण छात्रावास का किया अवलोकन

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने गुरूवार को मानसिक विमंदित गृह के निरीक्षण उपरांत देवनारायण व अन्य वर्गो के लिए सचांलित छात्रावासों का भी अवलोकन किया। 

उन्होंने छात्रावास अधीक्षक रेणु मीना से छात्रावास की व्यवस्थाओं की जानकारी लेते हुए बालिकाओं को दिए जा रहे खानपान की भी जानकारी ली। उन्हांने छात्रावास की बाहरी दीवार नहीं होने को गंभीरता से लेते हुए शीघ्र दीवार बनाने का एस्टीमेट बनाकर विभाग को भिजवाने के निर्देश दिए। इस अवसर पर छात्रावास नवस्थापित पुस्तकालय का भी फीता काटकर उद्घाटन किया। उन्होंने स्वयं सिद्धा परिसर में पुलिस चौकी भवन के संचालन हेतु थानाधिकारी, कानोता को आदेशित किया। 

शिक्षा मंत्री ने स्टेट ओपन स्कूल की कक्षा 12 का परिणाम किया जारी

जयपुर। प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने गुरूवार को शिक्षा संकुल स्थित सभागार में राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल की मार्च-मई 2019 की कक्षा 12वीं का परीक्षा परिणाम जारी किया। उन्होंने बताया कि परीक्षा पणिाम 34.82 प्रतिशत रहा। उन्होंने परीक्षा परिणमा जारी करने के साथ ही प्रदेशभर में इस परीक्षा में पुरूष वर्ग में 87.20 प्रतिशत अंक प्राप्त कर सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले जयपुर के प्राक्रम सिंह शेखावत को तथा महिला वर्ग में राज्य भर में 81.80 प्रतिशत अंक प्राप्त कर सर्वोच्च रहने वाली श्रीगंगानगर की विनस विश्नोई को व्यक्तिगत मोबाईल पर बधाई भी दी। इन दोनों को उन्होंने राज्य सरकार द्वारा 21-21 हजार रूपये एवं प्रशस्ती पत्र प्रदान कर एकलव्य एवं मीरा पुरस्कार से सम्मानित करने की भी घोषणा की।

परीक्षा परिणाम जारी करने के बाद डोटासरा ने बताया कि ओपन स्कूल की मार्च-मई 2019 की कक्षा 12वीं में कुल 61 हजार 181 परीक्षार्थी पंजीकृत हुए थे, इनमें से 60 हजार 709 ने परीक्षा दी। परीक्षा में 21 हजार 138 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए। इनमें 11 हजार 810 महिलाएं तथा 9 हजार 328 पुरूष परीक्षार्थी रहे हैं। महिला अभ्यर्थियों का परीक्षा परिणाम इस बार पुरूषों की तुलना में 9.45 प्रतिशत अधिक रहा है।

शिक्षा मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि राज्य सरकार ने स्टेट ओपन स्कूल परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाली महिला एवं पुरूष अभ्यर्थियों को दिए जाने वाले मीरा एवं एकलव्य सम्मान की राशि इस बार बढ़ाकर प्रदान की जा रही है। उन्होंन कहा कि ऐसे परीक्षार्थी जो औपचारिक पढ़ाई किसी कारण से जारी नहीं रख सकते हैं, उनके लिए ओपन स्कूल सतत पढ़ाई जारी रखने का बेहतरीन माध्यम है।

डोटासरा ने परीक्षा में सफल रहने वाले परीक्षार्थियों को बधाई देने के साथ ही जिनके कम अंक आए हैं उन्हें और अधिक अंक लाने के लिए अधिक मेहनत करने और एकाग्रचित्त होकर नए सिरे से परीक्षाओं में सफल होने के लिए प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के जिला प्रशिक्षण संस्थानों ‘डाईट्स’ को सुदृढ़ कर रही है। कभी प्रशिक्षण का मूल केन्द्र रही इन संस्थाओं को प्रशिक्षण के उत्कृष्ट केन्द्र बनाया जाएगा।

डोटासरा ने कहा कि गुणात्मक शिक्षा राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। अल्प समय में ही राज्य सरकार ने शिक्षा की बेहतरी के लिए जो कदम उठाए हैं, उसी से ओपन स्कूल सहित बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम भी गत वर्षों की तुलना में बेहतर रहे हैं। उन्होंने कहा कि माध्यमिक षिक्षा बोर्ड के परीक्षा परिणाम भी गत वर्षों की तुलना में समय से पहले जारी किए गए हैं।

बालसभाओं के जरिए भामाशाहों ने प्रदान की 9 करोड़ की राशि 


शिक्षा मंत्री ने कहा कि 9 मई को प्रदेशभर में सार्वजनिक स्थानों पर बालसभाओं के आयोजन के बेहतरीन परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि बालसभाओं से आम जन का षिक्षा से सीधे जुड़ाव सुनिश्चित हुआ है। भामाशाहों ने बालसभाओं के जरिए मौके पर ही 9 करोड़ रूपये राशि का आर्थिक सहयोग विद्यालयों के विकास के लिए दिया है। यह अपने आप में एक रिकाॅर्ड है। उन्होंने कहा कि बालसभाओं के जरिए प्रदेश में शिक्षा को सभी के लिए चिन्ता का विषय बनाने के प्रयास निरंतर जारे रखे जाएंगे।

एक जुलाई से पहले पहले विद्यालयों को मिलेंगे 54 हजार शिक्षक


डोटासरा ने कहा कि राज्य सरकार का यह प्रयास है कि एक जुलाई से पहले पहले 54 हजार शिक्षकों को विद्यालयों में लगा दिया जाएगा। उन्होंने टीम एजूकेशन के तहत सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को भी बधाई दी कि उनके प्रयासों से शिक्षा क्षेत्र में निरंतर विकास के कार्य हो रहे है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह प्रयाास है राजस्थान शिक्षा क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बने। इस अवसर पर प्रमुख शासन सचिव डाॅ. आर.वेंकटेश्वरन, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् के आयुक्त प्रदीप बोरड़, राज्य परियोजना निदेशक डाॅ. एन.के. गुप्ता शिक्षा निदेशक ओ.पी.कसेरा और नथमल डीडेल सहित बड़ी संख्या में अधिकारी उपस्थित थे।

बुधवार, 29 मई 2019

सीएम के निर्देश, एसपी ऑफिस में दर्ज करें एफआईआर

जयपुर। प्रदेश के नागरिक थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ.आई.आर.) दर्ज नहीं किए जाने पर अब जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में एफ.आई.आर दर्ज करा सकेंगे। एक जून से यह सुविधा प्रदेश के सभी जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में उपलब्ध होगी।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में एक उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि एसपी ऑफिस में एफआईआर दर्ज करने की व्यवस्था एक जून से प्रारम्भ की जाए।मुख्यमंत्री ने कहा कि थाने द्वारा प्रकरण पंजीबद्ध नहीं करने के प्रत्येक मामले की जांच की जाए। अगर मामला सही पाया जाता है तो संबंधित पुलिस कार्मिक पर विभागीय कार्रवाई की जाए। उन्होंने अधिकारियों को कहा कि इस निर्णय की प्रदेशभर में सख्ती से पालना की जाए।
उल्लेखनीय है कि विगत कुछ समय में संज्ञेय अपराधों का थाने में पंजीकरण नहीं किए जाने की जानकारी प्राप्त होने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सख्त कदम उठाते हुए नागरिकों की सुविधा के लिए यह निर्णय लिया था। 

बैठक में पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग ने बताया कि थाने पर प्रकरण दर्ज नहीं किए जाने की स्थिति में परिवादी जिला पुलिस अधीक्षक के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकेगा। जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय परिवादी से थाने में प्रकरण दर्ज नहीं करने के तथ्य की पुष्टि करेगा। इसके बाद प्रकरण के संबंध में जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में सीसीटीएनएस के माध्यम से ऑनलाइन एफ.आई.आर. दर्ज की जाएगी।

सीसीटीएनएस पर दर्ज एफ.आई.आर. की सूचना दूरभाष या ई-मेल के माध्यम से संबंधित थानाधिकारी को देकर तत्काल प्रकरण पंजीकृत करने के निर्देश दिए जाएंगे। थानाधिकारी तत्काल अनुसंधान अधिकारी की नियुक्ति करेगा। साथ ही प्रकरण पंजीबद्ध करने की सूचना एवं एफ.आई.आर. संख्या 3 घंटे के भीतर दूरभाष तथा ई-मेल से जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय को भेजेगा। 
बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह,राजीव स्वरूप सहित अन्य उच्च अधिकारी उपस्थित थे।

सभी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सासायटियों की जांच करवाई जाएगी

जयपुर। प्रदेश के रजिस्ट्रार सहकारिता डॉ. नीरज के. पवन ने कहा है कि राज्य में सभी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सासायटियों की जांच करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में संचालित, असंचालित तथा गड़बड़ी करने वाली क्रेडिट एवं थ्रिफ्ट सोसायटियों की जानकारी प्राप्त की जाएगी तथा जिनमें अनियमितताएं पाई जाएगी उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
​डॉ. पवन बुधवार को शासन सचिवालय में वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से राज्य के सभी खण्डीय रजिस्ट्रारों, उप रजिस्ट्रारों, अरबन एवं क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों के प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सभी सभी खण्डीय रजिस्ट्रारों को निर्देश दिये की अरबन एवं क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों से संबंधित सभी मामलों पर बारीकी से नजर रखें।

​रजिस्ट्रार ने कहा कि ऐसी सोसायटियों को जनता के पैसे का सही हिसाब-किताब रखना होगा तथा जिस उद्धेश्य को लेकर इनका गठन हुआ है उस पर ईमानदारी से कार्य कर जनता को लाभ प्रदान करे। उन्होंने सोसायटियों के प्रतिनिधियों को सख्त निर्देश दिये कि गड़बड़ी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

​डॉ. पवन ने जिला उप रजिस्ट्रारों को निर्देश दिये कि जिले में कार्यरत अरबन एवं क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों की सूची बनायी जाए एवं इनका निरीक्षण किया जाए तथा सहकारिता अधिनियम के तहत कार्यवाही करे। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रकरणों की लगातार मोनेटरिंग करे एवं कानूनी कार्यवाही करने में हिचके नहीं। उन्होंने निर्देश दिये कि सभी प्रकरणों की विस्तृत रिपोर्ट विभाग को शीघ्र भेजे।

​रजिस्ट्रार ने कहा कि आमजन को भी इस बारे में जागरूक किया जाए कि अरबन एवं क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों द्वारा संचालित की जा रही योजनाएं सहकारिता विभाग द्वारा अनुमोदित नहीं है तथा लोग सोच-समझकर स्वयं के जोखिम पर ऐसी संस्थाओं में निवेश करे। वीडियो कान्फ्रेसिंग के दौरान विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

आर्थिक चुनौतियां जो दरपेश हैं

अब तैयारी नरेंद्र मोदी सरकार के दोबारा सत्तारोहण की है। पिछले बार की तरह इस बार भी सबसे ज्यादा निगाहें इस पर टिकी होंगी कि मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था को कैसे संभालती है। फिक्की और सीआईआई ने इस क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों से उसे आगाह कर दिया है। इसके मुताबिक फिलहाल आर्थिक मोर्चे पर कई चुनौतियां हैं। गौरतलब है कि पिछले साल की तीसरी तिमाही (अक्तूबर से दिसंबर) में विकास दर बीती पांच तिमाहियों में सबसे कम रही। इस दौरान जीडीपी वृद्धि दर घटकर 6.6 पर आ पहुंची। अब चिंता जताई जा रही है कि जब आगामी 31 मई को चौथी तिमाही के आंकड़े जारी किए जाएंगे, तो इसमें और गिरावट संभव है। अनुमान है कि इस दौरान वृद्धि दर घटकर 6.4 फीसदी के स्तर तक जा सकती है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए वृद्धि दर के अनुमान को पहले ही 7.2 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया है। दूसरी ओर देश का औद्योगिक उत्पादन भी लगातार घटता नजर आ रहा है। बीते मार्च में ये 0.1 फीसदी और सिकुड़ गया। यहां सबसे ज्यादा चिंताजनक विनिर्माण उद्योग में घटता उत्पादन है। इस दौरान इस क्षेत्र में 0.4 फीसदी की कमी दर्ज की गई, जो फरवरी महीने में 0.3 फीसदी रही थी। इसके अलावा खपत में भारी कमी और औद्योगिक क्षेत्र की कमाई में गिरावट के संकेत पहले ही जनवरी से मार्च की तिमाही के दौरान सामने आ चुके हैं। आईएमएफ भी बीते महीने वैश्विक विकास दर में कमी की बात कह चुका है।

आईएमएफ ने साल 2019 के लिए वैश्विक विकास दर का अनुमान 3.3 फीसदी कर दिया है, जबकि बीते साल ये 3.6 फीसदी रही थी। इन सबका सीधा मतलब है कि अगर घरेलू अर्थव्यवस्था को पटरी पर रखना है तो बजट में राजस्व प्रोत्साहन की जरूरत होगी। फिक्की ने कहा है कि वृद्धि दर में कमी की वजह सिर्फ निवेश में कमी या कम निर्यात नहीं है। इसकी एक वजह घरेलू खपत में कमी भी है। फिक्की के मुताबिक सरकार आगामी बजट में इस बढ़ाने के प्रावधान करने होंगे। फिक्की के मुताबिक ये बहुत चिंताजनक मामला है, अगर जल्द ही इससे निजात के उपाय नहीं किए गए तो ये लंबा खिंच सकता है। औद्योगिक आंकड़े भी चिंता बढ़ाने वाले हैं। हाल में दो पp[;,p[;हिया और चार पहिया वाहनों की बिक्री में लगातार कमी नजर आई है। अब सवाल है कि क्या नए कार्यकाल में इन हालात में सुधार के लिए मोदी सरकार के पास कोई तरकीब है? 

दूसरे कार्यकाल के लिए मोदी लेंगे प्रधानमंत्री पद की शपथ, 65 बन सकते हैं मंत्री, 8000 मेहमानों को न्योता

 लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरे कार्यकाल के लिए गुरुवार को नये कैबिनेट के साथ शपथ लेंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 68 वर्षीय मोदी व उनके कैबिनेट सहयोगियों को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में शाम सात बजे शपथ दिलायेंगे। यह समारोह रात साढ़े आठ बजे तक चलेगा. चर्चा है कि 65 लोग मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. राष्ट्रपति भवन के फोरकोर्ट में होने वाले इस  भव्य समारोह में देश-विदेश के करीब आठ हजार मेहमान शिरकत करेंगे।

खास बात यह है कि पश्चिम बंगाल में मारे गये 54 भाजपा  कार्यकर्ताओं के परिजन भी इस समारोह के गवाह बनेंगे। इस माैके पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित शीर्ष विपक्षी नेता, उद्योग जगत के दिग्गज, फिल्मी सितारे, राज्यों के मुख्यमंत्री और बिम्सटेक सदस्य देशों के नेता भी मौजूद रहेंगे। 

बिम्सटेक में बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड,  नेपाल और भूटान शामिल हैं. इस बार पाक को  न्योता नहीं भेजा गया है। इस बीच रहस्य कायम है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मंत्री बनेंगे या नहीं। पीएम मोदी और शाह ने लगातार दूसरे दिन बुधवार को लंबी बैठक की. इस दौरान नये कैबिनेट की व्यापक रूपरेखा तय की गयी।गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पीएम से मुलाकात की. 

शाम 07 बजे से समारोह
8000 मेहमान बनेंगे गवाह
सोनिया-राहुल भी रहेंगे मौजूद 

अनुभव व युवा शक्ति का होगा मेल अमित शाह पर रहस्य कायम
मोदी का नया कैबिनेट अनुभव के साथ ही युवा, क्षेत्रीय संतुलन, महिला, जातिगत संतुलन और विशेषज्ञों का मिला-जुला रूप होगा। चर्चा है कि भाजपा अध्यक्ष शाह को कैबिनेट में महत्वपूर्ण विभाग मिल सकता है। दूसरी चर्चा यह भी है  कि कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर  शाह अध्यक्ष पद पर ही रहेंगे। अहम सवाल है कि गृह, वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालय किसे मिलेगा. राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी, रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान व प्रकाश जावड़ेकर को फिर से कैबिनेट में जगह मिलने की उम्मीद है।

स्वास्थ्य कारणों से मंत्री नहीं बनना चाहते जेटली, पीएम उनके घर पहुंचे
पीएम मोदी ने बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली से उनके सरकारी निवास पर जाकर मुलाकात की. पहली बार है पीएम मोदी बिना किसी निर्धारित कार्यक्रम के वित्त  मंत्री के आवास पर पहुंचे. करीब 25 मिनट उनके पास रहे। उन्होंने जेटली के  स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।  इससे पहले जेटली ने अपने स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का हवाला देते हुए पीएम को पत्र लिखकर नयी सरकार में कोई दायित्व नहीं देने का अनुरोध किया था।

मारे गये भाजपा कार्यकर्ताओं के परिजन भी  रहेंगे माैजूद
वीआइपी चेहरों के बीच समारोह के गवाह ऐसे चेहरे भी बनेंगे, जिनके परिजनों  ने भाजपा को आगे बढ़ाने में अपनी जान की कुर्बानी दे दी। पार्टी ने पश्चिम  बंगाल में राजनीतिक हिंसा में मारे गये कार्यकर्ताओं के परिवारवालों को शपथ  ग्रहण में शामिल होने का न्योता दिया है. पार्टी ने उनके दिल्ली में रहने  और ठहरने की भी व्यवस्था की है। 

राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में समारोह
समारोह राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में होगा. चौथी बार किसी पीएम का शपथ ग्रहण दरबार हॉल की जगह यहां पर होगा। 2014 में मोदी ने यहीं पर शपथ ली थी। इससे पहले 1990 में चंद्रशेखर और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रांगण में शपथ ली थी। 

दीदी का यू टर्न-पहले हां, फिर  बोलीं मोदी जी सॉरी, नहीं आऊंगी
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने समारोह में शामिल होने से मना कर दिया है, एक दिन पहले ही हामी भरी थी. ममता ने पीएम को लिखी चिट्ठी में कहा fक भाजपा ने अपने दिवंगत 54 कार्यकर्ताओं के परिजनों को भी समारोह में बुलाया है. आरोप लगाया है कि इन सबकी बंगाल में राजनीतिक हत्या हुई थी. मेरा मानना है कि यह सच नहीं है, राज्य में कोई राजनीतिक हत्या नहीं हुई. ये हत्याएं आपसी रंजिश से हुई थीं. सॉरी, मोदी जी, यह लोकतंत्र के जश्न का था, न कि किसी एक दल को नीचा दिखाने का।

अब ‘टाइम’ ने माना लोहा, कहा मोदी भारत को एक सूत्र में पिरोने वाले प्रधानमंत्री
पिछले  दिनों अपने अंतरराष्ट्रीय संस्करण के आवरण पृष्ठ पर नरेंद्र मोदी की  तस्वीर लगाकर उन्हें ‘डिवाइडर इन चीफ'  करार देने के बाद मशहूर पत्रिका  ‘टाइम' ने अब मोदी को भारत को एक सूत्र में पिरोने वाला प्रधानमंत्री करार  दिया है.  ‘टाइम' के नये अंक में लंदन स्थित मीडिया संगठन इंडिया इंक ग्रुप  के संस्थापक व  मुख्य कार्यकारी मनोज लडवा ने ‘मोदी हैज यूनाइटेड इंडिया  लाइक नो प्राइम मिनिस्टर इन डिकेड्स' शीर्षक से एक आलेख लिखा है. इसमें कहा  है कि मोदी ने भारत को इस तरह एक सूत्र में पिरोया है जितना दशकों में  किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया।  

डेढ़ घंटे के समारोह में होगा खास खान-पान 
8000 मेहमानों को न्योता, जिसमें कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी  
राष्ट्रपति  भवन में अब तक के सबसे बड़े समारोह में से एक  
48 घंटे में पकने वाला ‘दाल रायसीना' भी व्यंजन में शामिल

शिक्षकों को ग्रीष्मावकाश में प्रशिक्षण नहीं करवाया जाएगा: शिक्षा राज्य मंत्री

जयपुर। शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा है कि शिक्षकों को अब ग्रीष्मावकाश में प्रशिक्षण नहीं करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के प्रशिक्षण भी अब गैर आवासीय होंगे। प्रशिक्षण चालू शिक्षा सत्र में ही करवाए जांएगे। इसके लिए गाईड लाईन तैयार करने के लिए शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।

डोटासरा ने बुधवार को शिक्षा विभाग की विशेष समीक्षा बैठक के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का प्रशिक्षण शिक्षकों की शिक्षण आवश्यकताओं, बच्चों के सीखने के स्तर में वृद्धि और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सभी स्तरों पर सुनिश्चित कराने को ध्यान में रखते हुए करवाए जाएंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्रशिक्षण केवल खानापूर्ति के लिए नहीं होंगे, विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में वृद्धि के हिसाब से इन्हें करवाया जाएगा ताकि प्रशिक्षण का लाभ समुचित रूप में विभाग को मिल सके। 

शिक्षा राज्य मंत्री ने प्रदेश के जिला शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान ‘डाईट्स’ संस्थाओं को सुदृढ़ किए जाने के लिए भी अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्हाेंने कहा कि पिछली सरकार में डाईट्स पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। अधिकांश डाईट्स बंद पड़ी रही, उनके संसाधन भी अनुपयोगी हो गए थे। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने यह तय किया है कि प्रदेश के जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थानों की समीक्षा की जाए। उन्हें मजबूत किया जाएगा और उन्हें शिक्षक प्रशिक्षण के उत्कृष्ट केन्द्रों के रूप में विकसित किया जाएगा। इनमें शिक्षकों को भी जल्द लगाया जाएगा ताकि वे अपने मूल कार्य शिक्षक प्रशिक्षण के प्रभावी केन्द्र फिर से बन सके।

डोटासरा ने कहा कि स्टाफिंग पैटर्न की पिछले चार साल में कोई समीक्षा नहीं की गयी। इससे शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात में गत सरकार में भारी गड़बड़ियां रहीं। राज्य सरकार ने स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा की पहल की है। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि प्रदेश के विद्यालयों में छात्र संख्या की अनुपात में शिक्षकों के स्थानान्तरण और पदस्थापन हों।

शिक्षा राज्य मंत्री ने बैठक में जन-घोषणा पत्र के अंतर्गत शिक्षा क्षेत्र के लिए की गयी घोषणाओं की पालना की भी समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जन अपेक्षाआें और विभागीय जरूरतों के हिसाब से जन घोषणा पत्र के बिन्दुओं की त्वरित पालना की जाए। उन्होंने विद्यालय क्रमोन्नयन, आवश्यकतानुसार पंचायत समितियाें में नए विद्यालय खोले जाने और वहां पर शिक्षकों के पद भरने संबधित प्रस्ताव भी तैयार कर उन पर कार्यवाही किए जाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए।

डोटासरा ने विद्यालयाें में कम्प्यूटर शिक्षा की स्थिति की भी बैठक में समीक्षा की। उन्होंने कहा कि जिन विद्यालयो में आईसीटी लैब स्थापित हैं, उन्हें सुचारू किया जाएगा। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक विद्यालय में समय और विद्यार्थियों की अध्ययन आवश्यकताओं के अनुसार कम्प्यूटर शिक्षण की प्रभावी व्यवस्था हो। उन्होंने अधिकारियाें को निर्देश दिए कि कम्प्यूटर शिक्षक सभी विद्यालयों में हो, इसकी समूचित व्यवस्था की योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन किया जाए।

शिक्षा राज्य मंत्री ने विद्यालयों में नामांकन वृद्धि, विद्यालयों में शिक्षा के स्तर मे वृद्धि के लिए भी विशेष प्रयास किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में मांग के अनुसार विद्यार्थियों के लिए विषय संकाय हो, इसे भी सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि जहां विज्ञान संकाय स्वीकृत है वहां पर कृषि विषय के अध्ययन की भी व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने शिक्षकों के सम्मान का दायरा बढ़ाए जाने, उन्हें प्रोत्साहित किए जाने आदि के संबंध में भी पूर्व में लिए गए निर्णयों की पूर्ण पालना किए जाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए।

डोटासरा ने कहा कि राज्य के विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सरकार की प्राथमिकता है। प्रदेश के विद्यालय शिक्षा के उत्कृष्ट केन्द्र बनें, इसके लिए अधिकारी सभी स्तरों पर प्रयास करें। उन्होंने विभागीय योजनाओं के भी प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दिए।

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष ने समितियों का गठन किया

जयपुर । राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियमों के अंतर्गत वर्ष 2019-20 के लिए विधानसभा की 4 वित्तीय एवं 16 अन्य समितियों का गठन किया है । 

डा. जोशी ने जन लेखा समिति में गुलाब चन्द् कटारिया को सभापति मनोनीत किया है जबकि सर्वश्री परसराम मोरदिया , दयाराम परमार, विनोद कुमार, गुरमीत सिंह कुन्निर, मेवाराम जैन, मुरारीलाल, कालीचरण सराफ , वासुदेव देवनानी, मदन दिलावर, निर्मल कुमावत, संयम लोढा, महादेव सिंह तथा श्रीमती जाहिदा खान को सदस्य बनाया गया है ।

प्राक्कालन समिति (क) में राजेन्द्र पारीक को सभापति एवं भरोसी लाल, बिधुरी राजेन्द्र सिंह, हरीश चन्द्र मीना, पानाचन्दे मेघवाल, जोहरी लाल मीना, जोगेश्वलर गर्ग, सुरेन्द्र् सिंह राठौड, अभिनेश महर्षि, चंद्रभान सिंह आक्याा , राजेन्द्र सिंह गुढा, राजकुमार गौड, रामकेश एवं चन्द्र्कान्ता मेघवाल को सदस्यच मनोनीत किया गया है । 

प्राक्कालन समिति (ख) में भरत सिंह कुन्दानपुर को सभापति एवं गजेन्द्र सिंह शक्ता्वत, गोविंद राम, पदमाराम, बाबूलाल (कठूमर) , नरपत सिंह राजवी, ज्ञानचन्द पारख, पुष्पेवन्द्रम सिंह प्रताप सिंह, सतीश पूनिया, लाखन सिंह, खुशवीर सिंह, बलजीत यादव एवं सफिया जुबेर को सदस्यबनाया गया है। 

राजकीय उपक्रम समिति में हेमाराम चौधरी को सभापति एवं मदन प्रजापत, जगदीश चन्द्र , रूपाराम (जैसलमेर) , वीरेंदर सिंह, राजेन्द्र राठौड, रामलाल शर्मा, विट्ठल शंकर अवस्थी, राम प्रताप कासनिया, कान्ति प्रसाद, लक्ष्मसण मीणा एवं निर्मला सहरिया तथा किरण माहेश्वरी को सदस्यय मनोनीत किया गया है । 

नियम समिति में कैलाश चन्द्र मेघवाल, परसराम मोरदिया, दयाराम परमार, गोपाल लाल मीना, राकेश पारीक, अमीनुद्दीन कागजी, गोतम लाल, मंजीत धर्मपाल चौधरी, संयम लोढा एवं वसुन्धरा राजे को सदस्य, मनोनीत किया गया है । विधानसभा अध्य क्ष इस समिति के पदेन सभापति होंगे ।

सदाचार समिति में दीपेन्द्र सिंह को सभापति एवं मेवाराम जैन, हरीश चन्द्र मीना , रोहित बोहरा, संदीप शर्मा एवं वसुन्धरा राजे, कृष्णा पूनियॉं एवं सूर्यकांता व्यास को सदस्य मनोनीत किया गया है ।

स्थादनीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं संबंधी समिति में डा. राजकुमार शर्मा को सभापति एवं अमित चाचाण, महेन्द्र विश्नोंई, रफीक खान, रामलाल मीणा, पृथ्वीराज, दानिश अबरार, नारायण सिंह देवल, हरेन्द्र निनामा, सुभाष पूनिया, बिहारीलाल, बलवान पूनिया, सुरेश टाक एवं श्रीमती मनीषा पंवार को सदस्य, मनोनीत किया गया है । 

विशेषाधिकार समिति में शकुन्तला रावत को सभापति एवं जे.पी. चन्दे लिया, प्रशान्त
बैरवा, विजयपाल मिर्धा, वेद प्रकाश सोलंकी, बिहारीलाल, सुमित गोदारा, रामस्वररूप लाम्बा , संदीप कुमार, आलोक बेनीवाल एवंकृष्णा् पूनिया को सदस्य मनोनीत किया गया है । 

गृह समिति में रामलाल जाट को सभापति एवं सर्वश्री कैलाश चन्द्र त्रिवेदी, खिलाडी लाल बैरवा, गोपाल लाल मीना, रफीक खान, रामप्रताप कासनिया, अशोक लाहोटी, लाखन सिंह एवं बलवान पूनिया को सदस्यत मनोनीत किया गया है ।

अधीनस्थक विधान संबं‍धी समिति में नरेन्द्र बुडानिया को सभापति एवं सर्वश्री वेद प्रकाश सोलंकी, किसना राम विश्नोधई, जगदीश चन्द्र , गोपी चन्दक मीणा (जहाजपुर) , अविनाश, ललित कुमार ओस्तकवाल, राजेन्द्री सिंह गुढा एवं बाबूलाल नागर को सदस्य मनोनीत किया गया है । 

याचिका समिति में अनिता भदेल को सभापति एवं गिरिराज सिंह, कैलाश चंद्र त्रिवेदी, गजराज खटाना, मुकेश कुमार भाकर, नरेंद्र नागर, अशोक डोगरा, रामप्रसाद, दीपचंद एवं ओम प्रकाश हुडला को सदस्य मनोनीत किया गया है।

सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति में भंवर लाल शर्मा को सभापति एवं सुरेश मोदी, मुरारीलाल, इंद्रराज सिंह गुर्जर, संदीप शर्मा, गोपाल लाल शर्मा, छगन सिंह, पुखराज, बाबूलाल नागर, आलोक बेनीवाल एवं सुश्री दिव्या मदेरणा को सदस्य बनाया गया है।

प्रश्न एवं संदर्भ समिति में बृजेंद्र सिंह ओला को सभापति एवं खिलाड़ी लाल बैरवा, गिर्राज सिं,ह गजेंद्र सिंह शक्तावत, इंद्राज सिंह गुर्जर ,पूराराम चौधरी, अमृत लाल मीणा, अशोक लाहोटी एवं सुश्री दिव्या मदेरणा को सदस्य मनोनीत किया गया है।

पर्यावरण संबंधी समिति में अर्जुन लाल जीनगर को सभापति एवं कृष्णा राम विश्नोई, महेंद्र विश्नोई, राकेश पारीक, गणेश घोघरा, हाकम अली खाँ बाबूलाल (झाडोल), हमीर सिंह भायल, प्रताप लाल भील (गमेती) एवं खुशवीर सिंह को सदस्य मनोनीत किया गया है।

पुस्तकालय समिति में राम नारायण मीणा को सभापति एवं रामनिवास गावड़िया, सुदर्शन सिंह रावत, रोहित बोहरा, संजय शर्मा, गोविंद प्रसाद, जोराराम कुमावत एवं धर्म नारायण जोशी को सदस्य मनोनीत किया गया है।

महिलाओं एवं बालकों के कल्याण संबंधी समिति में मंजू देवी को सभापति एवं गंगा देवी, निर्मला सहरिया, मीना कंवर, मनीषा पंवार, सफिया जुबेर, सूर्यकांता व्यास, सिद्धी कुमारी, शोभा रानी कुशवाहा, कल्पना देवी एवं रमीला खड़िया को सदस्य बनाया गया है ।

पिछड़े वर्ग के कल्याण संबंधी समिति में जितेंद्र सिंह को सभापति एवं गजराज खटाना, चेतन सिंह चौध,री रामनिवास गावड़िया, सुदर्शन सिंह रावत, शंकर सिंह रावत, सुरेश सिंह रावत , कन्हैयालाल, मोहन राम चौधरी, जबर सिंह सांखला, जोगिंदर सिंह अवाना एवं गिरधारी लाल को सदस्यय मनोनीत किया गया है। 

अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति में महेन्द्र सिंह मालवीया को सभापति एवं जौहरीलाल मीना, गणेश घोघरा, रामलाल मीणा, फूल सिंह मीणा, समाराम गरासिया, गौतम लाल, कैलाश चन्द्रि मीणा, गोपीचन्दस मीणा (आसपुर), राजकुमार रोत, श्रीमती इंद्रा एवं श्रीमती रमिला घडिया को सदस्यर मनोनीत किया गया है । 

अनुसूचित जाति कल्याण समिति में अशोक खंडार को सभापति एवं री पदमाराम, पानाचंद मेघवाल, अमर सिंह, हीराराम, जगसी राम, बलवीर सिंह लूथरा, कालूराम, गंगा देवी, शोभा चौहान, संतोष एवं ती इंदिरा देवी को सदस्य मनोनीत किया गया है 

अल्पसंख्यकों के कल्याण संबंधी समिति में अमीन खान को सभापति एवं दानिश अबरार, हाकम अली खाँ, अमीनुद्दीन कागजी, पब्बाराम, गुरदीप सिंह, धर्मेंद्र कुमार, रुपाराम एवं वाजिद अली को सदस्य मनोनीत किया गया है ।

राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाए रखने को लेकर प्रस्ताव पास, हार को लेकर भी हुआ मंथन

जयपुर। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की शर्मनाक हार के बाद राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की बैठक में हार को लेकर मंथन किया गया। इस बैठक में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए रखने को लेकर प्रस्ताव भी पास किया गया। बैठक में सभी नेताओं ने प्रस्ताव को पास करते हुए कहा कि राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने रहेंगे। 

बैठक में सर्वप्रथम अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं राजस्थान प्रभारी अविनाश पाण्डे ने केन्द्रीय कार्यसमिति में पारित प्रस्ताव के अनुमोदन का प्रस्ताव रखा जिसका प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने समर्थन किया और प्रदेश कार्यकारिणी ने सर्वसम्मिति से प्रस्ताव को पारित किया। पारित प्रस्ताव की प्रतिलिपि संलग्र है।

पायलट ने बैठक को सम्बोधित करते हुये कहा कि आज चुनौतियों का दौर है जिनका सामना हम सबको मिलजुलकर करना है, प्रदेश के कांग्रेसजनों ने पूरी मेहनत की, परन्तु हमें सफलता नहीं मिल पाई जिसे लेकर हम सम्भागवार समीक्षा करेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने जनादेश को स्वीकार किया है और केन्द्र के स्तर पर सशक्त विपक्ष की भूमिका हम निभाकर जनता का विश्वास जीतेंगे। उन्होंने कहा कि आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, डीएमके अध्यक्ष स्टॉलिन सहित अन्य पार्टियों के नेताओं ने श्री राहुल गॉंधी से कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद पर बने रहकर कांग्रेस पार्टी को नेतृत्व प्रदान करने हेतु अपनी भावना व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ही एक मात्र राष्ट्रीय पार्टी है जो राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को चुनौती दे सकती है। हमें वर्तमान विपरीत परिस्थितियों में मनोबल को बनाये रखना है और अपने परिश्रम को जारी रखना है। लोकतंत्र में हार-जीत के दौर आते-जाते रहते हैं, इनसे विचलित हुए बिना सभी चुनौतियों का पूरी मजबूती के साथ सामना करना है। उन्होंने कहा कि आगामी नगर निकाय एवं पंचायत राज संस्थाओं के चुनावों के लिये अभी से तैयारियों में जुट जाना है और जनता के बीच पहुॅंचकर प्रदेश सरकार के समस्त कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देनी है। 


इस अवसर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने बड़े-बड़े उतार-चढ़ाव देखे हैं, परन्तु आज का दौर विचित्र है, जहॉं भाजपा ने मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिये धार्मिक व जातिवादी भावनाओं को भडक़ाया और सेना के शौर्य व पराक्रम को चुनावी मुद्दा बनाकर जनता को भ्रमित किया। उन्होंने कहा कि पूरा देश सेना के पराक्रम का सम्मान करता है और सेना की वीर गाथा इतिहास में दर्ज है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने राहुल गॉंधी के नेतृत्व में संसद के अन्दर और बाहर आम जनता के बीच पहुॅंचकर भाजपा की जनविरोधी नीतियों का मुकाबला किया है जो ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा कि हमारी हार हुई है लेकिन हमें एकजुट होकर राहुल गॉंधी के नेतृत्व में जनहित में सक्रिय भूमिका निभानी है। आज देश में लोकतंत्र खतरे में है, इसलिये संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण के लिये काम करना है, हमारी लड़ाई किसी भी पार्टी से व्यक्तिगत नहीं है, वरन् यह विचारधारा और नीतियों की लड़ाई है।

लोकसभा में कांग्रेस का नेता कौन होगा?

यह लाख टके का सवाल है कि क्या राहुल गांधी लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता बनेंगे? अभी पार्टी ने इस बारे में कुछ तय नहीं किया है। पिछली लोकसभा में कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे को नेता बनाया था और कैप्टेन अमरिंदर सिंह लोकसभा में उपनेता था। सोनिया गांधी यूपीए की अध्यक्ष थीं। इस बार फिर पिछली बार की ही तरह कांग्रेस को दस फीसदी सीटें नहीं मिली हैं और इसलिए उसे आधिकारिक रूप से मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा नहीं मिलेगा। सो, जो भी नेता होगा, वह नेता विपक्ष नहीं माना जाएगा। तभी सवाल है कि क्या राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष भी रहेंगे और लोकसभा में कांग्रेस के नेता भी रहेंगे?

मुश्किल यह है कि कांग्रेस के पास इस बार ज्यादा नेता भी नहीं हैं। पिछली लोकसभा में खड़गे, कमलनाथ, अमरिंदर सिंह, वीरप्पा मोईली, अशोक चव्हाण जैसे कई बड़े नेता था। इस बार ज्यादातर बड़े नेता हार गए हैं। चव्हाण, खड़गे और मोईली भी चुनाव हार गए हैं। अमरिंदर सिंह और कमलनाथ अपने अपने राज्य में मुख्यमंत्री हो गए हैं। इसलिए कांग्रेस के पास विकल्प भी बहुत कम है। ले देकर एक दो नेता केरल से हैं, जो अनुभवी हैं या फिर सोनिया और राहुल गांधी हैं। नए नेताओं में से भी जो उभरते हुए नेता थे, जैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया या दीपेंद्र हुड्ड तो ये दोनों भी चुनाव हार गए हैं और कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने चुनाव ही नहीं लड़ा था। सो, कांग्रेस के लिए लोकसभा में नेता चुनना भी एक बड़ी चुनौती है। 

पासवान की नजर रविशंकर की सीट पर

लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान को असम से राज्यसभा की सीट नहीं मिली। लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में जब सीटों का बंटवारा हुआ तो पासवान की पार्टी को पिछली बार की सात के मुकाबले इस बार छह सीटें मिलीं और कहा गया कि वे पार्टी उनको एक राज्यसभा की सीट देगी। तब बताया गया था कि उनको असम से राज्यसभा में भेजा जाएगा। ध्यान रहे असम में राज्यसभा की दो सीटें खाली हुई हैं। पर अब भाजपा और उसकी सहयोगी असम गण परिषद ने इन सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने अगप को एक राज्यसभा सीट देने का वादा किया था, जो कि उसने निभा दिया है। 

सो, अब पासवान की नजर पटना साहिब से लोकसभा का चुनाव जीते रविशंकर प्रसाद की खाली होने वाली राज्यसभा सीट पर है। इसका कार्यकाल 2024 तक है। अगर भाजपा ने सद्भाव दिखाया तो यह सीट पासवान को मिल सकती है। हालांकि इस सीट पर प्रदेश भाजपा के कई नेताओं की नजर है। ध्यान रहे पासवान इस बार चुनाव नहीं लड़े हैं और उनकी पारंपरिक सीट से उनके भाई पशुपति कुमार पारस चुनाव लड़े हैं। पारस बिहार विधान परिषद के सदस्य भी हैं और राज्य सरकार में मंत्री भी हैं। बहरहाल, पासवान की पार्टी के नेता मान रहे हैं कि उनके लिए सांसद बनना जरूरी है क्योंकि हो सकता है कि भाजपा उनके बेटे चिराग पासवान को कैबिनेट मंत्री नहीं बनाए। उनको ज्यादा से ज्यादा स्वतंत्र प्रभारी के राज्यमंत्री का दर्जा मिल सकता है। 

जॉनसन एंड जॉनसन बेबी शैम्पू घातक

राजस्थान की एक सरकारी प्रयोगशाला में जांच के दौरान ‘जॉनसन एंड जॉनसन’ कंपनी के शैम्पू में हानिकारक रसायन पाए गए थे, जिसके बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बेबी शैम्पू और पाउडर के सैंपलों का परीक्षण करने को कहा था।


 राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी ‘जॉनसन एंड जॉनसन’ को निर्देश दिया है कि वह कथित घातक रसायन वाले अपने बेबी शैम्पू की खेप को तत्काल वापस ले। हालांकि कंपनी ने दावा किया है कि उनके उत्पाद सुरक्षित हैं।

‘जॉनसन एंड जॉनसन’ का कहना है कि उसके शैम्पू में कोई घातक तत्व नहीं है। यह पूरी तरह से सुरक्षित है और इनसे बच्चे की सेहत पर किसी तरह का नुकसान नहीं होगा।

कंपनी का कहना है कि हाल ही में राजस्थान की एक सरकारी प्रयोगशाला में गलती से यह निष्कर्ष निकला था कि शैम्पू में हानिकारक रसायन हैं जबकि उसके उत्पादों में ऐसा कोई घातक तत्व मौजूद नहीं है। इस निष्कर्ष के संबंध में एनसीपीसीआर में शिकायत दर्ज की गई थी।

इस शिकायत पर संज्ञान लेते हुए एनसीपीसीआर ने अप्रैल में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जॉनसन एंड जॉनसन बेबी शैम्पू और पाउडर के सैंपलों का परीक्षण करने को कहा था। अब आयोग ने कंपनी को मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं मिले शैम्पू की खेप को फौरन वापस लेने के निर्देश दिए हैं।

आयोग ने पिछले गुरुवार को जारी किए एक पत्र में कहा था कि इस बैच के उत्पाद बाजार में मौजूद होने की वजह से हो सकता है ग्राहकों ने इसका इस्तेमाल कर लिया हो, इसलिए अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों में एक एडवाइजरी जारी की जानी चाहिए।

एनसीपीसीआर ने लोगों से जॉनसन एंड जॉनसन की इस विशेष बैच के सभी उत्पादों से परहेज करने की सलाह दी है।

आयोग ने कंपनी से इस निर्देश पर कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट 29 मई तक पेश करने को कहा है, ऐसा न होने पर कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई शुरू की जाएगी।’

वहीं, जॉनसन एंड जॉनसन ने जवाब में कहा कि उसके उत्पाद सुरक्षित हैं और इसके शैम्पू में ऐसा कोई घातक तत्व नहीं है, जैसा कि राजस्थान सरकार की एक प्रयोगशाला में परीक्षण में गलती से निष्कर्ष निकला है।

गौरतलब है कि जॉनसन एंड जॉनसन के बेबी शैम्पू में रासायनिक तत्व फार्मेल्डिहाइड मिलने के बाद आठ मई को उत्तर प्रदेश में इसकी बिक्री पर रोक लगा दी गई थी। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) के असिस्टेंट कमिश्नर (ड्रग) रमाशंकर की अगुवाई में  लखनऊ में जॉनसन एंड जॉनसन के डिपो में छापेमारी की गई थी, जिसमें शैम्पू, बेबी ऑयल, मसाज ऑयल समेत सात उत्पादों के सैंपल इकट्ठा किए गए थे।

वहीं, पिछले साल अमेरिका में जॉनसन एंड जॉनसन पर 32,000 करोड़ रुपये (4.7 बिलियन डॉलर) का भारी-भरकम जुर्माना लगाया गया था। कंपनी के ख़िलाफ़ अमेरिका के मिसौरी राज्य में कई महिलाओं ने मामला दर्ज कराया था। जुर्माने का कारण कंपनी के पाउडर संबंधित उत्पादों के कारण गर्भाशय का कैंसर होना पाया गया है।

इंटरनेशनल बिजनेस टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 22 महिलाओं द्वारा दायर किए गए एक मामले में ज्यूरी ने सर्वसम्मति के बाद यह फैसला दिया था। महिलाओं का आरोप था कि कंपनी के पाउडर आधारित उत्पादों के चलते उनमें गर्भाशय का कैंसर विकसित हुआ है।

शिकायतकर्ताओं के अनुसार, टैलकम पाउडर आधारिक उत्पादों में मौजूद एसबेस्टस ने उनमें गर्भाशय के कैंसर का कारक बना।

सोमवार, 27 मई 2019

लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद झारखंड के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अजय कुमार का इस्तीफा!

झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों ने यह खबर दी है। खबर है कि डॉ कुमार ने 23 मई की देर रात को अंतिम परिणाम जारी होने के बाद 24 मई को अपना इस्तीफा पार्टी सुप्रीमो को भेज दिया। डॉ कुमार ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा दिया है।

बताया जाता है कि लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद डॉ कुमार ने अपना इस्तीफा पार्टी आलाकमान को सौंप दिया। हालांकि, इस बार कांग्रेस का प्रदर्शन वर्ष 2014 के आम चुनावों की तुलना में थोड़ा बेहतर रहा। सिंहभूम सीट से कांग्रेस उम्मीदवार गीता कोड़ा ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा को बड़े अंतर से पराजित किया।



वहीं, खूंटी लोकसभा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार कालीचरण मुंडा ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को कड़ी टक्कर दी। लोकसभा के उपाध्यक्ष रहे कड़िया मुंडा के गढ़ में भाजपा के दिग्गज नेता अर्जुन मुंडा महज 1400 वोटों से जीत दर्ज कर सके। कई राउंड में अर्जुन मुंडा कांग्रेस के कालीचरण मुंडा से पीछे रहे।


ज्ञात हो कि झारखंड में भारतीय जनता पार्टी को धूल चटाने के लिए डॉ अजय कुमार ने शिबू सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा, बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा, लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था। हालांकि, राजद के साथ गठबंधन पूरी तरह सफल नहीं हो सका और लोकसभा चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन वैसा नहीं रहा, जिसकी उन्हें उम्मीद थी।

महागठबंधन के तहत कांग्रेस झारखंड में सात सीटों पर चुनाव लड़ी। उनमें से मात्र एक सीट सिंहभूम पर पार्टी को जीत हासिल हुई। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, कीर्ति आजाद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत जैसे दिग्गज चुनाव हार गये। पार्टी की इस हार के लिए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू ने डॉ अजय कुमार को जिम्मेदार ठहराया है।

रविवार, 26 मई 2019

प्रचंड बहुमत के बाद नरेंद्र मोदी 30 मई को लेंगे प्रधानमंत्री पद की शपथ

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 30 मई को राष्ट्रपति भवन में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायेंगे। उनके बाद मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी जायेगी। राष्ट्रपति भवन ने रविवार को यह जानकारी दी। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, ‘राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 30 मई को शाम 7 बजे राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री एवं मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायेंगे।

गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने शनिवार को भाजपा और राजग संसदीय दल नेता नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री नामित करते हुए केंद्र में नयी सरकार बनाने का न्यौता दिया था। कोविंद ने उनसे मंत्रिपरिषद और शपथग्रहण की तिथि पर निर्णय करने के लिए भी कहा।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और इसकी अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से मोदी को सर्वसम्मति से नेता चुने जाने के बाद वह (मोदी) सरकार बनाने का दावा पेश करने शनिवार रात राष्ट्रपति भवन गये थे। 

इससे पहले दिन में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति से मुलाकात की थी। इस प्रतिनिधिमंडल में प्रकाश सिंह बादल, राजनाथ सिंह, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, सुषमा स्वराज, उद्धव ठाकरे, नितिन गडकरी, के पलानीसामी, कोनराड संगमा और नेफियू रियो शामिल थे।

शिष्टमंडल ने एक पत्र राष्ट्रपति को सौंपा गया जिसमें कहा गया है कि नरेंद्र मोदी को भाजपा संसदीय दल का नेता चुन लिया गया है। राजग के घटक दलों के समर्थन वाले पत्र भी राष्ट्रपति को सौंपे गये थे। गौरतलब है कि निवर्तमान मंत्रिपरिषद के मंत्रियों ने शुक्रवार रात कोविंद को अपना इस्तीफा सौंप दिया था ।

आदर्श आचार संहिता हटी

जयपुर ।लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद  केंद्रीय चुनाव आयोग ने एक आदेश जारी करते लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर लगी आदर्श आचार संहिता को हटा लिया है। अब राज्य सरकार और प्रशासनिक अधिकारी जनता के जुड़े कार्य हो सकेंगे।  10 मार्च को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता लागू हुई थी। 

आयोग के सचिव अजॉय कुमार ने केबिनेट सचिव, सभी राज्यों के मुख्य सचिव और मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इस बारे में आयोग के निर्देश की जानकारी दी है।

आपराधिक मामलों वाले सांसदों की संख्या में बढ़ोतरी

 चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी शोध संस्था एडीआर के अनुसार, 17वीं लोकसभा के लिए चुनकर आए 43 फीसदी सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिसमें सबसे अधिक सांंसद भाजपा के हैं। 


पिछले तीन लोकसभा चुनाव में निर्वाचित होकर आने वाले सांसदों में करोड़पति और आपराधिक मामलों में घिरे सदस्यों की संख्या का लगातार इजाफा हो रहा है।

चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी शोध संस्था ‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म’ (एडीआर) द्वारा लोकसभा चुनाव परिणाम की शनिवार को जारी अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, आपराधिक मामलों में फंसे सांसदों की संख्या दस साल में 44 प्रतिशत बढ़ी है। करोड़पति सांसदों की संख्या 2009 में 58 प्रतिशत थी जो 2019 में 88 प्रतिशत हो गई।

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, सत्रहवीं लोकसभा के लिए चुन कर आए 542 सांसदों में 233 (43 प्रतिशत) सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे लंबित है। इनमें से 159 (29 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं।

इतना ही नहीं राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय 25 राजनीतिक दलों में छह दलों (लगभग एक चौथाई) के शत प्रतिशत सदस्यों ने उनके खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी दी है।

दोबारा सत्तारूढ़ होने जा रहे राजग के घटक लोजपा के निर्वाचित सभी छह सदस्यों ने अपने हलफनामे में उनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित होने की जानकारी दी है। इसके अलावा एआईएमआईएम के दोनों सदस्यों तथा एक एक सांसद वाले दल आईयूडीएफ, एआईएसयूपी, आरएसपी और वीसीआर के सांसद आपराधिक मामलों में घिरे हैं।

रिपोर्ट में नवनिर्वाचित सांसदों के आपराधिक रिकॉर्ड के राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि आपराधिक मामलों में फंसे सर्वाधिक सांसद केरल और बिहार से चुन कर आए हैं। केरल से निर्वाचित 90 फीसदी और बिहार के 82 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं।

इस मामले में पश्चिम बंगाल से 55 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश से 56 और महाराष्ट्र से 58 प्रतिशत नवनिर्वाचित सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित है। वहीं सबसे कम नौ प्रतिशत सांसद छत्तीसगढ़ के और 15 प्रतिशत गुजरात के हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, पिछली तीन लोकसभा में आपराधिक मुकदमों से घिरे सांसदों की संख्या में 44 प्रतिशत इजाफा दर्ज किया गया है. इसके मुताबिक 2009 के लोकसभा चुनाव में आपराधिक मुकदमे वाले 162 सांसद (30 प्रतिशत) चुनकर आए थे, जबकि 2014 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 185 (34 प्रतिशत) थी।

एडीआर ने नवनिर्वाचित 542 सांसदों में 539 सांसदों के हलफनामों के विश्लेषण के आधार पर बताया कि इनमें से 159 सांसदों (29 प्रतिशत) के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं।

पिछली लोकसभा में गंभीर आपराधिक मामलों के मुकदमों में घिरे सदस्यों की संख्या 112 (21 प्रतिशत) थी, वहीं 2009 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 76 (14 प्रतिशत) थी। स्पष्ट है कि पिछले तीन चुनाव में गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सांसदों की संख्या में 109 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

नए सांसदों में कांग्रेस के डीन कुरियाकोस सबसे ज्यादा लंबित आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। केरल के इडुक्की लोकसभा क्षेत्र से चुनकर आए एडवोकेट कुरियाकोस ने अपने हलफलनामे में बताया है कि उनके खिलाफ 204 आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें गैर इरादतन हत्या, लूट, किसी घर में जबरन घुसना और अपराध के लिए किसी को उकसाने जैसे मामले शामिल हैं।

आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सर्वाधिक सांसद भाजपा के टिकट पर चुन कर आए।रिपोर्ट में भाजपा के 303 में से 301 सांसदों के हलफनामे के विश्लेषण में पाया गया कि साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित 116 सांसदों (39 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के 52 में से 29 सांसद (57 प्रतिशत) आपराधिक मामलों में घिरे हैं।

इनके अलावा बसपा के आधे (10 में से पांच), जदयू के 16 में से 13 (81 प्रतिशत) , तृणमूल कांग्रेस के 22 में से नौ (41 प्रतिशत) और माकपा के तीन में से दो सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. इस मामले में बीजद के 12 निर्वाचित सांसदों में सिर्फ एक सदस्य ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले की हलफनामे में घोषणा की है।

इसी प्रकार 17वीं लोकसभा के 88 प्रतिशत सदस्य करोड़पति हैं. भाजपा के 88 प्रतिशत, कांग्रेस के 84 प्रतिशत, द्रमुक के 96 प्रतिशत और तृणमूल कांग्रेस के 91 प्रतिशत करोड़पति उम्मीदवार सांसद बनने में कामयाब रहे।

इनके अलावा भाजपा के सहयोगी दल लोजपा और शिवसेना के सभी सांसद करोडपति है। शत प्रतिशत करोड़पति सांसदों वाले दलों में सपा, बसपा, तेदेपा, टीआरएस, आप, एआईएमआईएम और नेशनल कांफ्रेंस भी शामिल हैं।

राज्यों के लिहाज से देखा जाये तो पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश सहित 15 राज्यों एवं केन्द्र शासित राज्यों के निर्वाचित सभी सांसद करोड़पति हैं। ओडिशा से सबसे कम (67 प्रतिशत) करोड़पति सांसद चुने गए।

रिपोर्ट के मुताबिक, 17वीं लोकसभा के लिए चुने गए सांसदों की औसत संपत्ति की कुल कीमत 20.93 करोड़ रुपये आंकी गई है। सर्वाधिक धनी सांसद के रूप में कांग्रेस के नकुल नाथ हैं और जी माधवी सबसे कम संपत्ति वाली सांसद हैं।

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से निर्वाचित कांग्रेस सांसद नकुल नाथ के पास 660 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की चल अचल संपत्ति है। जबकि वाईएसआर कांग्रेस के टिकट पर आंध्र प्रदेश की अराकू सीट से निर्वाचित माधवी के पास महज एक लाख रुपये अधिक कीमत की चल अचल संपत्ति है।

17वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों में 24 प्रतिशत (128) सदस्य 12वीं तक पढ़े हैं, जबकि 392 (73 प्रतिशत) सदस्य स्नातक हैं. एक सदस्य ने खुद को महज साक्षर तो एक अन्य ने खुद को निरक्षर बताया है।

नए सदस्यों में 194 (36 प्रतिशत) की उम्र 25 से 50 साल है। वहीं 343 (64 प्रतिशत) सदस्य 51 से 80 साल की उम्र के हैं। दो सदस्य 80 साल से अधिक उम्र के हैं।