अब सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान जरूरी नहीं रह गया है. सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2016 के अपने फैसले को बदल दिया है. जिसके तहत अब फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजाना जरूरी नहीं होगा. हालांकि कोर्ट ने कहा है कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने संबंधी अंतिम फैसला केंद्र द्वारा गठित अंतर मंत्रालयी समिति लेगी.
23 अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि सिनेमाहॉल और दूसरी जगहों पर राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य हो या नहीं, इसे वह खुद तय करे. इस संबंध में जारी कोई भी सर्कुलर कोर्ट के अंतरिम आदेश से प्रभावित न हो. यही नहीं , इस मामले में कोर्ट ने यह भी कहा था कि यह भी देखना चाहिए कि सिनेमाहॉल में लोग मनोरंजन के लिए जाते हैं, ऐसे में देशभक्ति का क्या पैमाना हो, इसके लिए कोई कानून तय होनी चाहिए या नहीं ? इस प्रकार के नोटिफिकेशन या नियम का मामला संसद का है, लिहाजा यह काम कोर्ट पर क्यों थोपा जाना चाहिए?
गौर हो कि नवंबर 2016 के इस फैसले के समर्थन में आने के केंद्र के रुख का कई लोगों ने विरोध किया था और फैसले के करीब एक साल बाद आदेश को लागू करने का काम किया गया था.
23 अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि सिनेमाहॉल और दूसरी जगहों पर राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य हो या नहीं, इसे वह खुद तय करे. इस संबंध में जारी कोई भी सर्कुलर कोर्ट के अंतरिम आदेश से प्रभावित न हो. यही नहीं , इस मामले में कोर्ट ने यह भी कहा था कि यह भी देखना चाहिए कि सिनेमाहॉल में लोग मनोरंजन के लिए जाते हैं, ऐसे में देशभक्ति का क्या पैमाना हो, इसके लिए कोई कानून तय होनी चाहिए या नहीं ? इस प्रकार के नोटिफिकेशन या नियम का मामला संसद का है, लिहाजा यह काम कोर्ट पर क्यों थोपा जाना चाहिए?
गौर हो कि नवंबर 2016 के इस फैसले के समर्थन में आने के केंद्र के रुख का कई लोगों ने विरोध किया था और फैसले के करीब एक साल बाद आदेश को लागू करने का काम किया गया था.

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें