सोमवार, 22 जनवरी 2018

मुखिया ने गांव की तस्वीर बदल कर रख दी है

 सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया रितु को उनके विशिष्ट कार्यों के लिए उच्च शिक्षित आदर्श युवा मुखिया का पुरस्कार मिल चुका है। रितु इस सम्मान को पाने वाली बिहार की एकमात्र मुखिया

मुखिया रितु जायसवाल
 बिहार में बाढ़ से हालात बद से बदतर थे। भीषण बाढ़ में 200 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। वो वक्त कुछ ऐसा था जब सीतामढ़ी जिले का सिंहवाहिनी पंचायत सांसे ले रहा था। दरअसल, आज हम आपको बिहार के सीतामढ़ी जिले के एक ऐसे ही गांव की कहानी बताने जा रहे हैं जिसकी मुखिया ने गांव की तस्वीर बदल कर रख दी है।

रितु कभी बाइक ड्राइव करती दिख जाती हैं तो कभी ट्रैक्टर और जेसीबी  पर सवार हो जाती हैं। आज सभी रितु के काम को देखकर कहने लगे हैं, गांव में राम राज्य आ गया है। रितु ने जब अपने गाँव की दुर्दशा देखी तो वो दिल्ली के चकाचौंध भरे सुविधायुक्त जीवन को अलविदा कह गांव की कायाकल्प बदलने का संकल्प लिया। वो वक्त कुछ ऐसा था जब पंचायत का संपर्क पूरी तरह से जिला मुख्यालय से टूट चुका था। पंचायत के लोग बेबस और मजबूर नजरों से किसी अधिकारी के आने की राह देख रहे थे, कि कोई आए और उन तक राहत सामग्री पहुंचे।



ऐसे में सिंहवाहिनी के लोगों को राहत पहुंचाने का जिम्मा उठाया है वहां की महिला मुखिया रितु जायसवाल ने।  बिहार में सीतामढ़ी जिले की सिंहवाहिनी पंचायत में अधवारा और मरहा नदी में आए उफान से जब यहां के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया, तो यहां के लोगों के लिए किसी मसीहा की तरह अपनों के बीच से चुनी गईं मुखिया रितु जायसवाल सामने आईं।


इतना ही नहीं रितु ने सोशल मीडिया का सहारा लिया और बाढ़ से उबरने के लिए रितु जायसवाल खुद लोगों के साथ मिलकर काम किया। फेसबुक के माध्यम से लोगों को अपने क्षेत्र की स्थिति से रूबरू कराया, साथ ही लोगों से मदद के लिए आगे आने की अपील की है।

बता दें कि अपने परिवार में दो छोटे बच्चों को छोड़कर अपने गांव की तरफ रुख करना रितु के लिए आसान नहीं था लेकिन गांव के कई परिवारों के विकास के लिए रितु ने आखिर यह फैसला लिया। 2016 में सिंहवाहिनी पंचायत से मुखिया पद के लिए रितु ने चुनाव लड़ा। रितु जीत गईं। इसके बाद वो लगातार विकास को लेकर काम कर रही हैं। जिस बाढ़ग्रस्त इलाकों में अधिकारी नहीं पहुंचे, वहां रितु नाव पर खुद गईं।


वैसे रितु के मुखिया बनने की कहानी भी कम रोचक नहीं है। रितु ने शपथ ग्रहण करने के अगले ही दिन बिना सरकारी फंड का इंतजार किये गांव में सड़क बनवाया। गांव में पक्की सड़क आई। इसके बाद आजादी के बाद पहली बार गांव में बिजली और फिर रितु ने शिक्षा का अलख जगाया। इसके लिए उन्होंने गांव की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई और उसे कुछ सामाजिक संगठनों को दिखाया। सामाजिक संगठनों की मदद से बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। इसका असर यह हुआ कि गांव की 12 बेटियों ने एक साथ मैट्रिक पास की। उसके बाद रितु ने पीएम मोदी का सपना पूरा किया। स्वच्छता मिशन के तहत पूरे गांव को खुले में शौच मुक्त बनाया वो भी सिर्फ तीन महीने में।

सोनबरसा प्रखंड की सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया रितु को उनके विशिष्ट कार्यों के लिए उच्च शिक्षित आदर्श युवा मुखिया का पुरस्कार मिल चुका है। रितु इस सम्मान को पाने वाली बिहार की एकमात्र मुखिया हैं। रितु के पति आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान समय में दिल्ली में केंद्रीय सतर्कता आयोग में पदस्थापित हैं।

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