मंगलवार, 9 जनवरी 2018

पाप, पुण्य और प्रेम की ऐतिहासिक कथा – चित्रलेखा मंचन की प्रस्तुति

photo by -kamlesh shrimal
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 भगवतीचरण वर्मा जी के उपन्यास पर आधारित नाटक जिसमे भाषा, संस्कृति और संगीत का सुंदर प्रस्तुतीकरण
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13 जनवरी को शाम 6 बजे दिल्ली का नाट्योत्सव समूह रवींद्र मंच ऑडिटोरियम, जयपुर में हिंदी संगीत नाटक चित्रलेखा प्रस्तुत कर रहा है| यह नाटक  सुनील चौधरी द्वारा निर्देशित है और नृत्य निर्देशक निभा नारंग है| मुख्य पात्रों में मधु कंधारी, नरेश कुमार, करण अरोड़ा, मनोज वर्मन, दीप शर्मा, हिना कोहली, अविनाश कुमार, सुमित गुप्ता और रितेश कुमार हैं|  पटकथा लेखक और संगीत निर्देशक  सुनील चौधरी है| प्रकाश परिकल्पना, दृश्य परिकल्पना, संगीत संचालन और वेष-भूषा  इत्यादि  - सोनू सोनकार, अमोल सहदेव, संगीता राठी, सुनीता वर्मन, मोहम्मद तहा और ज्योत्सना सिंह |

कहानी एक विचार पर आधारित है "हम ना पाप करते हैं और न पुण्य करते हैं हम वो करते हैं जो परिस्थितियाँ हमसे करवाती हैं और हम
उनसे बाध्य होकर अपने कर्म करते है|” इसी विचार से प्रेरित होकर 1934 में भगवतीचरण वर्मा जी ने “चित्रलेखा” नामक चरित्र और उपन्यास को जन्म दिया और अति सुंदर कहानी रच डाली जो गुप्त साम्राज्य के समय की स्त्रि के शक्तिशाली चरित्र को उजागर करती है| भगवतीचरण वर्मा जी का जन्म लखनऊ में हुआ था|

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चित्रलेखा कथानक में, जिसका नाट्य रूपांतर
सुनील चौधरी ने आज 2017 में किया है, देखा गया की उस समय का इतिहास और सामाजिक ढांचा जिस पाप और पुण्य के दौर से गुज़रा है वह ढांचा आज भी समाज में विध्यमान है और हमे अपने चारों ओर दिखाई देता है | चित्रलेखा का चरित्र एक विशाल हृदयी, सशक्त, चरित्रवान और अपने जीवन की बागडोर स्वयं संभालने वाली स्त्रि की कहानी का है जो समाज के दवाब को अपने ऊपर हावी नहीं होने देती है | चित्रलेखा "नाट्योत्सव" संस्था एक सुंदर प्रयास है जिसमे भाषा, संस्कृति और संगीत का सुंदर प्रस्तुतीकरण देखा गया |

मुगलों और अंग्रेजों के प्रभाव ने भारतीय समाज के प्राचीन मूल्यों को आंदोलित कर दिया और स्त्रियों के दोयम वर्ग का नागरिक बना दिया | इतिहास बताता है की भारतवर्ष की गौरवशाली परम्परा इस प्रकार की परिस्थितियों से हड़प्पा काल से ही दूर थी | परूष एवं नारी समाज रूपी रथ के दो पहिये थे जो एक दूसरे को गति और संबल दोनों प्रदान करते थे |

पटकथा लेखक सुनील चौधरी कहते हैं “भगवाती चरण वर्मा की कालजयी कृति यहाँ एक और मानव चरित्र की विषमताओं एवं स्वार्थ तथा आदर के निरंतर चलते युद्ध के कई रंग को उकेरता है वहीं भारत के गौरवशाली समाज को, इसके सारे आयामों के साथ चित्रित करता है | पूरी कथानक को पढ़ डालिए परंतु कहीं भी वासना का सहारा स्त्री पुरुष के सम्बन्धों को दर्शाने में नहीं लिया गया है | कथा केवल प्रेम की और प्रेम को लेकर हुई यात्रा की है |  यही वजह है कि हम इसे पाप, पुण्य और प्रेम की कथा कहते हैं|  भारत के वैभवशाली अतीत से ओतप्रोत इस समाज का चित्रण निश्चय ही कठिन था ऊपर से मुख्य पात्र का एक नगर नर्तकी होना खीर और टेढ़ी करता था | यह कथा नाटक के माध्यम  से ही सही प्रकार से कही और समझी जा सकती है |”

 सुनील चौधरी के तीन वर्ष के अथक श्रम और प्रयास ने हिन्दी रंगमंच प्रेमियों के लिए यह अद्भुत प्रस्तुति दिल्ली  रंग मंच के मंझे हुए कलाकारों के साथ मिलकर के तैयार की है| चित्रलेखा के कई सफल प्रदर्शन दिल्ली एनसीआर, लखनऊ में किए गए हैं | और अब यह शो अपने भारत दौरे की शुरुआत कर रहा है।


नाट्योत्सव


 “नाट्योत्सव” ने रंगमंच के प्रेमियों के लिए एक ऐसी संगीतमयी सांस्कृतिक एवं साहित्यिक धरोहर के मंचन की प्रस्तुति का बीड़ा उठाया है जिसे आठ दशकों से, अर्थात सन 1934 से आज तक, किसी संस्था ने मंचित नहीं किया | ऐसी महान कथाओं का मंचन वर्तमान समाज के लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण होगा जिसे रंगमंच के इतिहास में दर्शक सदा याद रखेंगे |

     

नाट्योत्सव रंग-मंच के अनुभवी कलाकारों एवं सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों का एक समूह है | यह उदयीमान कलाकारों को अभिनय, पटकथा, निर्देशन, संगीत जैसी विधाओं के माध्यम से उन्हे बढ़ावा देता है |  यह कला-समूह रंग-मंच के अभिनेता, निर्देशक, गृहणीयों, विभिन्न क्षेत्र के विद्यार्थियों और विभिन्न नामी कंपनी में कार्यरत लोगों से मिल कर बना है | इसमें जुड़े कलाकार अनेक नाटक एवं अन्य कला की विधाओं के पूरे देश में जगह-जगह अपने सफल प्रदर्शन कर चुके हैं | नाट्योत्सव अपने अनेक निर्माणों में अंग्रेज़ी एवं हिन्दी के जैसे प्रेमचंद, अंटोनी चखोव, रोल्ड डाल्ह, रणजीत कपूर द्वारा लिखे नाटकों का सफल मंचन करता रहा है |



“नाट्योत्सव”  रंगमंच के समूह के सभी मुख्य अनुभवी कलाकार रंगमंच से लगभग 18-20 साल से जुड़े हैं और नाट्य लेखन, अभिनय , प्रकाश परिकल्पना, दृश्य परिकल्पना, संगीत कला, नृत्य कला और वेष-भूषा  इत्यादि  की कला में अनुभवी और प्रवीण हैं | 

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