शनिवार, 6 जनवरी 2018

रिफाईनरी के पुनः शिलान्यास के लिए प्रधानमंत्री को बुलाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण - गहलोत

पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान की तस्वीर और तकदीर बदल देने वाली रिफाईनरी परियोजना जिसका शिलान्यास यूपीए की चैयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी अब से 4 वर्ष पूर्व कर चुकी हैं का भाजपा सरकार द्वारा फिर से शिलान्यास कराने के लिए प्रधानमंत्री को बुलाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आखिर में जनभावनाओं के आगे सरकार को पुरानी शर्तों के आधार पर ही रिफाइनरी लगाने का फैसला लेना पड़ा है और चुनावी लाभ लेने के लिए अब पुनः शिलान्यास करवाने की गलत परम्परा डाली जा रही है।
गहलोत ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर अवगत कराया है कि रिफाईनरी परियोजना का शिलान्यास 22 सितम्बर, 2013 को ही किया जा चुका है। उसके बावजूद पुनः शिलान्यास किया जाना कोई स्वस्थ परम्परा नहीं है, लोकतंत्र में सरकारें तो आती-जाती रहती हैं। मुख्यमंत्री की हठधर्मिता के चलते चार साल बर्बाद हो गये। यदि रिफाइनरी समय से शुरू हो जाती, तो अब तक पूर्ण हो जाती और अच्छा होता कि अब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस परियोजना का उद्घाटन करने आते।

 गहलोत ने अपने राजकीय आवास पर शनिवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि इस महत्वाकांक्षी योजना को मुख्यमंत्री द्वारा सिर्फ इसलिए लटकाये रखा गया ताकि कांग्रेस को श्रेय नहीं मिल पाये। देरी के परिणामस्वरूप राजस्थान के हजारों युवाओं को रोजगार से वंचित होना पड़ा तथा राजस्थान सरकार को राजस्व के रूप में भारी हानि हुई और साथ ही पेट्रो केमिकल काॅम्पलेक्स से जुड़े हजारों सहयोगी लघु उद्योग तथा रोजगार सृजन में भी देरी हुई। इस नुकसान की भरपाई कभी किसी कीमत पर नहीं हो पायेगी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेशवासियों को इस रिफाइनरी परियोजना में 40 हजार करोड रूपये की बचत का झूंठा राग अलाप कर लगातार भ्रमित करने का जो प्रयास कर रही है, उसकी पोल खोलने के लिये निम्न बिन्दु विचारणीय है:-
क्या यह सच नहीं है कि:-
1. रिफाइनरी की लागत 2013 में 37 हजार करोड थी जो बढ़कर अब 43,119 करोड हो गयी है। इस प्रकार रिफाइनरी की लागत में 6000 करोड़ रूपये की वृद्धि हुई है।
2. मुख्यमंत्री इस  परियोजना में राज्य की हिस्सेदारी (26 प्रतिशत) को लेकर बार-बार हल्ला कर प्रदेशवासियों को भ्रमित करती रही कि जमीन हमारी, तेल हमारा और पानी भी हमारा फिर भी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी ही क्यों? नये
एम.ओ.यू. में भी रिफाइनरी में हिस्सेदारी का प्रतिशत अभी भी 26 प्रतिशत ही क्यों?
3. पूर्ववर्ती सरकार द्वारा वर्ष 2013 में जो एमओयू किया गया था उस वक्त बाडमेर में उत्पादन होने वाला क्रूड आॅयल जो 4.5 एमएमटीपीए था तथा 4.5 एमएमटीपीए आयात किया जाना था, उसके आधार पर समझौता हुआ था, जिसमें यह शर्त थी कि यदि बाड़मेर में उत्पादन बढ़ता है एवं आयात घटता है तो ऋण की राशि स्वतः ही कम हो जायेगी। वर्तमान में क्रूड आॅयल का उत्पादन बाड़मेर में ही 9.1 एमएमटीपीए होने लग गया है तो ऋण राशि स्वतः ही कम होनी ही थी।
4. वर्ष 2013 में कांग्रेस सरकार के समय किये गये एम.ओ.यू. में यह प्रावधान था कि एच.आर.आर.एल. को प्रतिवर्ष 9 एमएमटीपीए का उत्पादन मेन्टेन करना आवश्यक था। किसी भी वर्ष इससे कम उत्पादन होने पर अगले वर्ष का ऋण (प्दजमतमेज तिमम सवंद व ित्ेण् 3736 ब्तण्) उसी अनुपात में कम हो जायेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेशवासी इस सच्चाई से भलीभांति परिचित हैं कि चुनावी वर्ष को देखते हुए सरकार को रिफाईनरी परियोजना को लेकर झुकना पड़ा है। उन्होंने सवाल किया कि राजस्थान में दो लोकसभा और एक राज्य विधानसभा सीट के लिए चुनावी घोषणा के साथ आचार संहिता लागू हो जाने के बावजूद रिफाईनरी का शिलान्यास किया जाना क्या आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है? क्योंकि रिफाईनरी एक जिले अथवा क्षेत्र विशेष के लिए महत्वपूर्ण नहीं है, वरन् यह सम्पूर्ण राज्य को प्रभावित करने वाली एक महत्वाकांक्षी परियोजना है।
 गहलोत ने कहा कि रिफाइनरी जैसी महत्वाकांक्षी योजना को लेकर मुख्यमंत्री के झूंठे और असत्य एवं गुमराह करने वाले बयानों से राजस्थान को जो नुकसान हुआ है उसके लिए वे पाप की भागीदार हैं और उन्हें प्रदेशवासियांे से माफी मांगनी चाहिए।

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