माननीय राहुल गांधी जी,
आशा है, आप स्वस्थ एवं सानंद होंगे।
आचार्य चाणक्य ने ’चाणक्य नीति’ में लिखा है,
’’आतुरे व्यसने प्राप्ते, दुर्भिक्षे शत्रुसंकटे। राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बान्धवः॥ ’’
जीवन में हमें जहां असीम खुशियां मिलती हैं, तो दुःख भी अपार मिलता है। सुख-दुःख जीवन के दो अहम पहलू हैं। जब हम सुखी होते हैं तो हम अपनी खुशियों को अपने सगे-संबंधियों, रिश्तेदारों और अपनों के साथ बांटते हैं पर जब हमारे जीवन में विपदा आती है, उस वक्त बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जो हमारे साथ खड़े होते हैं। उस समय हमें यह अहसास हो जाता है कि कौन इंसान अपना है और कौन पराया है।
चाणक्य नीति के लेखक और महान विद्वान आचार्य चाणक्य ने ’चाणक्य नीति’ में बताया है कि वह कौन से हालात हैं जो हमें यह बताती है कि कौन सा इंसान हमारे लिए अच्छा करता है और कौन बुरा। आज आपकी कांग्रेस पार्टी की सहयोगी पार्टी राजद के प्रमुख लालु प्रसाद जी देश के सबसे चर्चित चारा घोटाला के एक मामले में रांची के बिरसा मुंडा जेल में कैदी नंबर 3351 बनकर अपनी सजा काट रहे हैं।
ऐसे में अब तक आपका जेल पहुंचकर उनको सांत्वना नहीं देना ’चाणक्य नीति’ के विरुद्ध है। वैसे आपने सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों को बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश को बकवास बताते हुए उसे फाड़कर फेंकने का भी काम किया था। परंतु इसके बाद आपने भ्रष्टाचार के आरोपी और लालु प्रसाद के पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव के साथ एक होटल में खाना भी खाया।
ऐसे में आपको या तो अपने मित्र तेजस्वी के पिता और अपनी सहयोगी पार्टी के प्रमुख लालु जी से जेल में मिलने आना चाहिए और ’चाणक्य नीति’ का ही नहीं अपने ’मित्र धर्म’ का भी निर्वाह करना चाहिए या फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखनी चाहिए।
‘’अब समय आ गया है कि इस तरह की बकवास चीजों पर रोक लगाई जाए। भ्रष्टाचार से लड़ना है तो हमें इस तरह के छोटे समझौते नहीं करने चाहिए।’’ शायद इस बयान को आप भूल गए होंगे परंतु यह बयान भी आपका ही है, जिसे आपने अध्यादेश फाड़ने के बाद पत्रकारों से कहा था।
वैसे, लालू जी का जेल जाना कानूनी प्रक्रिया है और अपनी करनी का फल है। ऐसे में सजायाफ्ता लालू जी का जेल जाना एक नजीर भी है कि कोई कितना भी बड़ा हो, कानून सबके लिए एक समान है।
ऐसे एक शुभिंचंतक के नाते मुझे, आपको बताना भी फर्ज है कि जेल मैनुअल के मुतबिक एक सप्ताह में किसी कैदी से तीन लोग ही मिल सकते हैं। ऐसे में आप अपने सहयोगी दल के वर्तमान ’सर्वेसर्वा’ को और जेल प्रशासन को अपने आने की पहले ही सूचना दे देंगे। वैसे, आप एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष हैं, ऐसे में आप अपने ’आईकॉन’ या ’राजनीतिक गुरु’ से विशेष परिस्थिति में भी जेल में मुलाकात कर राजनीति के नए गुर सीख सकते हैं। बशर्ते इसके लिए आपको सक्षम न्यायालय से आदेश प्राप्त करना होगा। आपका
( नीरज कुमार )
विधान पार्षद सह जद-यू प्रवक्ता
आशा है, आप स्वस्थ एवं सानंद होंगे।
आचार्य चाणक्य ने ’चाणक्य नीति’ में लिखा है,
’’आतुरे व्यसने प्राप्ते, दुर्भिक्षे शत्रुसंकटे। राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बान्धवः॥ ’’
जीवन में हमें जहां असीम खुशियां मिलती हैं, तो दुःख भी अपार मिलता है। सुख-दुःख जीवन के दो अहम पहलू हैं। जब हम सुखी होते हैं तो हम अपनी खुशियों को अपने सगे-संबंधियों, रिश्तेदारों और अपनों के साथ बांटते हैं पर जब हमारे जीवन में विपदा आती है, उस वक्त बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जो हमारे साथ खड़े होते हैं। उस समय हमें यह अहसास हो जाता है कि कौन इंसान अपना है और कौन पराया है।
चाणक्य नीति के लेखक और महान विद्वान आचार्य चाणक्य ने ’चाणक्य नीति’ में बताया है कि वह कौन से हालात हैं जो हमें यह बताती है कि कौन सा इंसान हमारे लिए अच्छा करता है और कौन बुरा। आज आपकी कांग्रेस पार्टी की सहयोगी पार्टी राजद के प्रमुख लालु प्रसाद जी देश के सबसे चर्चित चारा घोटाला के एक मामले में रांची के बिरसा मुंडा जेल में कैदी नंबर 3351 बनकर अपनी सजा काट रहे हैं।
ऐसे में अब तक आपका जेल पहुंचकर उनको सांत्वना नहीं देना ’चाणक्य नीति’ के विरुद्ध है। वैसे आपने सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों को बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश को बकवास बताते हुए उसे फाड़कर फेंकने का भी काम किया था। परंतु इसके बाद आपने भ्रष्टाचार के आरोपी और लालु प्रसाद के पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव के साथ एक होटल में खाना भी खाया।
ऐसे में आपको या तो अपने मित्र तेजस्वी के पिता और अपनी सहयोगी पार्टी के प्रमुख लालु जी से जेल में मिलने आना चाहिए और ’चाणक्य नीति’ का ही नहीं अपने ’मित्र धर्म’ का भी निर्वाह करना चाहिए या फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखनी चाहिए।
‘’अब समय आ गया है कि इस तरह की बकवास चीजों पर रोक लगाई जाए। भ्रष्टाचार से लड़ना है तो हमें इस तरह के छोटे समझौते नहीं करने चाहिए।’’ शायद इस बयान को आप भूल गए होंगे परंतु यह बयान भी आपका ही है, जिसे आपने अध्यादेश फाड़ने के बाद पत्रकारों से कहा था।
वैसे, लालू जी का जेल जाना कानूनी प्रक्रिया है और अपनी करनी का फल है। ऐसे में सजायाफ्ता लालू जी का जेल जाना एक नजीर भी है कि कोई कितना भी बड़ा हो, कानून सबके लिए एक समान है।
ऐसे एक शुभिंचंतक के नाते मुझे, आपको बताना भी फर्ज है कि जेल मैनुअल के मुतबिक एक सप्ताह में किसी कैदी से तीन लोग ही मिल सकते हैं। ऐसे में आप अपने सहयोगी दल के वर्तमान ’सर्वेसर्वा’ को और जेल प्रशासन को अपने आने की पहले ही सूचना दे देंगे। वैसे, आप एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष हैं, ऐसे में आप अपने ’आईकॉन’ या ’राजनीतिक गुरु’ से विशेष परिस्थिति में भी जेल में मुलाकात कर राजनीति के नए गुर सीख सकते हैं। बशर्ते इसके लिए आपको सक्षम न्यायालय से आदेश प्राप्त करना होगा। आपका

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