बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर की जयंती इस बार एक खास राजनीतिक मकसद से मनाई गई है। खासतौर से बिहार और उत्तर प्रदेश में। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाई। माना जा रहा है कि गैर यादव पिछड़ी जातियों को आकर्षित करने के लिए के कई उपाय कर रहे हैं। इसी उपाय के तहत उन्होंने उत्तम पटेल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है और कर्पूरी ठाकुर की जयंती मना रहे हैं।
इसी तरह बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी एक बार फिर अति पिछड़ा राजनीति की ओर रूझान दिखा रहे हैं। उन्होंने बिहार में अति पिछड़ों को पिछड़ों से अलग करके आरक्षण का लाभ देने के कर्पूरी ठाकुर के फार्मूले को अपनाया था। इससे आगे उन्होंने दलितों से अलग महादलित का एक अलग समूह भी बनाया था। बहरहाल, अब उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह आरक्षण के इस फार्मूले को लागू करे। उनका भी मकसद गैर यादव पिछड़ा वोट को अपने साथ जोड़ने का है। माना जा रहा है कि भाजपा के अतिपिछड़ा नेतृत्व को देखते हुए नीतीश ने यह दांव चला है।
उन्होंने इस बार कर्पूरी ठाकुर की जयंती के मौके पर उनके लिए भारत रत्न की मांग भी कर दी। इससे पहले भी वे कर्पूरी जयंती मनाते थे, लेकिन उनके लिए भारत रत्न की मांग नहीं करते थे। उन्होंने कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर को राज्यसभा में भेजा हुआ है और कहा जा रहा है कि इस साल होने वाले राज्यसभा चुनाव में भी उनकी ओर से एक महादलित और एक अतिपिछड़ा चेहरा राज्यसभा में भेजा जा सकता है। वे राजद छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी के साथ आ गए हैं पर उनका तालमेल पहले जैसा नहीं है। इसलिए कहा जा रहा है कि वे भाजपा और राजद दोनों से अलग अपना एक वोट बैंक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें उनकी नजर महादलित, अतिपिछड़ा और सवर्ण वोट पर है।
इसी तरह बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी एक बार फिर अति पिछड़ा राजनीति की ओर रूझान दिखा रहे हैं। उन्होंने बिहार में अति पिछड़ों को पिछड़ों से अलग करके आरक्षण का लाभ देने के कर्पूरी ठाकुर के फार्मूले को अपनाया था। इससे आगे उन्होंने दलितों से अलग महादलित का एक अलग समूह भी बनाया था। बहरहाल, अब उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह आरक्षण के इस फार्मूले को लागू करे। उनका भी मकसद गैर यादव पिछड़ा वोट को अपने साथ जोड़ने का है। माना जा रहा है कि भाजपा के अतिपिछड़ा नेतृत्व को देखते हुए नीतीश ने यह दांव चला है।
उन्होंने इस बार कर्पूरी ठाकुर की जयंती के मौके पर उनके लिए भारत रत्न की मांग भी कर दी। इससे पहले भी वे कर्पूरी जयंती मनाते थे, लेकिन उनके लिए भारत रत्न की मांग नहीं करते थे। उन्होंने कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर को राज्यसभा में भेजा हुआ है और कहा जा रहा है कि इस साल होने वाले राज्यसभा चुनाव में भी उनकी ओर से एक महादलित और एक अतिपिछड़ा चेहरा राज्यसभा में भेजा जा सकता है। वे राजद छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी के साथ आ गए हैं पर उनका तालमेल पहले जैसा नहीं है। इसलिए कहा जा रहा है कि वे भाजपा और राजद दोनों से अलग अपना एक वोट बैंक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें उनकी नजर महादलित, अतिपिछड़ा और सवर्ण वोट पर है।

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