बुधवार, 10 जनवरी 2018

वोटों के चलते नागर की कांग्रेस में वापसी

जयपुर। दुष्कर्म के आरोपों में सजा काट कर बाहर आये दूदू से विधायक रहे बाबूलाल नागर की पार्टी में वापसी हुई है। जिन चुनावों के लिए कांग्रेस ने बाबूलाल नागर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था अब उन्हीं चुनावों के लिए पार्टी ने उन्हें पनाह दी है।

राजनीति में राजनेता कभी साख पर तो कभी खाक पर होते हैं। और ये तय करती है जनता। अपने अच्छे कामों से जनता का दिल जीतने वाले बाबूलाल नागर लगातार 3 बार दूदू से विधायक रहे। लेकिन कहते हैं न कि पाप का घड़ा फूटता जरूर है ऐसा ही हुआ बाबूलाल नागर के साथ जिस जनता ने उन्हें बादशाह बनाया वही जमीं पर ले आयी और दुष्कर्म के आरोप में बाबूलाल नागर को साढ़े तीन साल की जेल हुई।


क्यों दी पार्टी ने पनाह
दूदू में दलितों का सबसे बड़ा चेहरा माने जाने वाले बाबूलाल नागर जनवरी 2017 को रिहा होकर घर तो वापस आ गये लेकिन कांग्रेस ने उन्हें पार्टी में जगह नहीं दी। हालांकि नागर का जेल जाना कांग्रेस के लिए भारी क्षति भी साबित हुआ था क्यों कि 15 साल से कब्जा जमीं हुई दूदू विधानसभा सीट कांग्रेस के साथ से निकलकर भाजपा की गोदी में चली गई।
भाजपा के सांवरलाल जाट को जहां दूदू से बीते अजमेर लोकसभा चुनावों में 79195 वोट मिले थे तो वही कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष को मात्र 52767 वोट पर ही संतोष करना पडा था। अब कांग्रेस अजमेर उपचुनावों में इन वोटों को वापस अपने साथ जोड़ना चाहती है ताकी अजमेर उपचुनाव में उन्हें जीत मिल सके।

कितने हैं वोटर्स
दूदू एससी के रिजर्व सीट है यहां एससी वोट सबसे ज्यादा है यहां करीब 65 से 70 हजार दलित वोट हैं वहीं उसके बाद जाट मतदाता करीब 60 हजार है तीसरी बड़ी जाति गुर्जर है जिनका आंकड़ 25 हजार के करीब है। इसके बाद इस विधानसभा में 12000 मीणा,10 हजार मुस्लिम ,12 हजार राजपूत और रावणा राजपूत,10 हजार ब्राह्मण ओर वैश्य मतदाता हैं। बाबू लाल नागर को दलितों का इस क्षेत्र का बड़ा नेता माना जाता है ऐसे में कांग्रेस को नागर का साथ मिलने से खासा फायदा हो सकता है।
दरअसल बाबूलाल नागर दूदू विधानसभा से तीन बार विधायक रह चुके हैं और इस विधानसभा में दलित वोटों के साथ ही अन्य वोटों पर भी नागर की खासी पकड़ है और दूदू विधानसभा अजमेर लोकसभा का हिस्सा है। जिससे साफ है कि वोटों के चलते ही नागर की कांग्रेस में घर वापसी करवायी गयी है।

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