क्या 20 सीटों के उपचुनाव होंगे या दिल्ली विधानसभा का मध्यावधि चुनाव होगा?
आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की चुनाव आयोग की सिफारिश राष्ट्रपति द्वारा मान लिए जाने के बाद दिल्ली में चुनाव की तैयारियों की चर्चा शुरू हो गई है। कुछ टेलीविजन चैनलों ने तो सर्वेक्षण भी कर दिए। हालांकि उन्होंने सिर्फ उन्हीं 20 सीटों का सर्वेक्षण किया है, जिन पर उपचुनाव होना है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक अभी चुनाव हुए तो आप इनमें से 11 सीटें हार जाएगी। एक दूसरे सर्वेक्षण के मुताबिक आप आठ सीटों पर जीतेगी और बाकी 12 में से आठ भाजपा को और चार कांग्रेस को मिलेंगी। आप से अलग हुए पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा का सर्वेक्षण है कि आप को एक भी सीट नहीं मिलेगी।
सो, सवाल है कि दिल्ली में क्या होगा? क्या 20 सीटों के उपचुनाव होंगे या दिल्ली विधानसभा का मध्यावधि चुनाव होगा? आप के ही कुछ नेताओं ने मध्यावधि चुनाव का सुझाव दिया है। हालांकि ये सारे ऐसे नेता हैं, जो खुद विधायक नहीं हैं। उनका कहना है कि अगर उपचुनाव में आप का प्रदर्शन अच्छा नहीं हुआ तो पार्टी में तोड़ फोड़ शुरू हो जाएगी। फिर विधायक खुद ही अच्छे विकल्प की तलाश में भाजपा या कांग्रेस का रुख करेंगे। उनका यह भी कहना है कि उपचुनाव में पार्टी के बागी नेता खास कर कुमार विश्वास भितरघात करेंगे, इससे भी नुकसान होगा। कुमार विश्वास और कपिल मिश्रा के बारे में कहा जा रहा है कि वे भाजपा के साथ मिल कर पार्टी में तोड़ फोड़ भी कर सकते हैं।
इस आधार पर पार्टी के कुछ नेता चाहते हैं कि अगर 20 विधायकों की सदस्यता खत्म होती है तो उपचुनाव में जाने की बजाय पार्टी को मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर देनी चाहिए। जिस तरह 49 दिन की सरकार से अरविंद केजरीवाल ने लोकपाल के नाम पर इस्तीफा दिया था, उसी तरह एक नैतिक स्टैंड लेते हुए उनको विधानसभा भंग करने की सिफारिश करके चुनाव में जाना चाहिए। आप नेताओं का मानना है कि जमीनी स्तर पर उनका वोट एकजुट है। उन्हें लग रहा है कि थोड़े बहुत वोट कम होंगे, लेकिन पार्टी जीत जाएगी। पिछले दिनों हुए बवाना उपचुनाव में मिली जीत की भी मिसाल दी जा रही है। आप नेता यह भी मान रहे हैं कि उनकी पार्टी छोड़ कर गए नेता चुनाव नहीं जीत पाते हैं। विनोद कुमार बिन्नी और वेद प्रकाश इसकी मिसाल हैं।
आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की चुनाव आयोग की सिफारिश राष्ट्रपति द्वारा मान लिए जाने के बाद दिल्ली में चुनाव की तैयारियों की चर्चा शुरू हो गई है। कुछ टेलीविजन चैनलों ने तो सर्वेक्षण भी कर दिए। हालांकि उन्होंने सिर्फ उन्हीं 20 सीटों का सर्वेक्षण किया है, जिन पर उपचुनाव होना है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक अभी चुनाव हुए तो आप इनमें से 11 सीटें हार जाएगी। एक दूसरे सर्वेक्षण के मुताबिक आप आठ सीटों पर जीतेगी और बाकी 12 में से आठ भाजपा को और चार कांग्रेस को मिलेंगी। आप से अलग हुए पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा का सर्वेक्षण है कि आप को एक भी सीट नहीं मिलेगी।
सो, सवाल है कि दिल्ली में क्या होगा? क्या 20 सीटों के उपचुनाव होंगे या दिल्ली विधानसभा का मध्यावधि चुनाव होगा? आप के ही कुछ नेताओं ने मध्यावधि चुनाव का सुझाव दिया है। हालांकि ये सारे ऐसे नेता हैं, जो खुद विधायक नहीं हैं। उनका कहना है कि अगर उपचुनाव में आप का प्रदर्शन अच्छा नहीं हुआ तो पार्टी में तोड़ फोड़ शुरू हो जाएगी। फिर विधायक खुद ही अच्छे विकल्प की तलाश में भाजपा या कांग्रेस का रुख करेंगे। उनका यह भी कहना है कि उपचुनाव में पार्टी के बागी नेता खास कर कुमार विश्वास भितरघात करेंगे, इससे भी नुकसान होगा। कुमार विश्वास और कपिल मिश्रा के बारे में कहा जा रहा है कि वे भाजपा के साथ मिल कर पार्टी में तोड़ फोड़ भी कर सकते हैं।
इस आधार पर पार्टी के कुछ नेता चाहते हैं कि अगर 20 विधायकों की सदस्यता खत्म होती है तो उपचुनाव में जाने की बजाय पार्टी को मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर देनी चाहिए। जिस तरह 49 दिन की सरकार से अरविंद केजरीवाल ने लोकपाल के नाम पर इस्तीफा दिया था, उसी तरह एक नैतिक स्टैंड लेते हुए उनको विधानसभा भंग करने की सिफारिश करके चुनाव में जाना चाहिए। आप नेताओं का मानना है कि जमीनी स्तर पर उनका वोट एकजुट है। उन्हें लग रहा है कि थोड़े बहुत वोट कम होंगे, लेकिन पार्टी जीत जाएगी। पिछले दिनों हुए बवाना उपचुनाव में मिली जीत की भी मिसाल दी जा रही है। आप नेता यह भी मान रहे हैं कि उनकी पार्टी छोड़ कर गए नेता चुनाव नहीं जीत पाते हैं। विनोद कुमार बिन्नी और वेद प्रकाश इसकी मिसाल हैं।

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