बुधवार, 31 जनवरी 2018

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों का वेतन हुआ दोगुना

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों का वेतन अब करीब दोगुना हो गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जजों के वेतन वृद्धि के बिल को मंजूरी दी है। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का मासिक वेतन 2.80 लाख होगा। जजों के वेतन बढोत्तरी के बिल को शीतकालीन सत्र के दौरान संसद से मंजूरी मिली थी। इसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया था।

जजों के वेतन बढ़ोत्तरी को मंजूरी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट के जज और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का वेतन भी करीब ढाई लाख हो जाएगा। अभी तक यह डेढ़ लाख था। इसी तरह हाईकोर्ट के जजों का वेतन भी 2.25 लाख हो जाएगा। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद कानून मंत्रालय ने इस संबंध में नोटीफिकेशन भी जारी कर दिया है। गौरतलब है कि जजों के वेतन में यह बढ़ोत्तरी केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन बढोत्तरी को लेकर गठित सातवें वेतन आयोग की सिफारिश को आधार बनाते हुए की गई है। यह बढ़ोत्तरी जनवरी 2016 से मानी जाएगी।


उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय (वेतन एवं सेवा शर्त) संशोधन कानून 2018 एक जुलाई 2017 से आवास किराया भत्ते तथा 22 सितंबर 2017 से व्यक्तिगत खर्च भत्ते की दरों में भी संशोधन करेगा। इसका 2500 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को भी लाभ मिलेगा।

बिहार में राजनीतिक दल या नेता यात्रा के बहाने सियासत की नयी लकीर खींचने को बेताब

कहते हैं कि  राजनीति में कई बार सत्ता का रास्ता सियासी यात्रा से तय होता है. विभिन्न राजनीतिक दल या नेता गाहे-बगाहे अपने मुद्दों के साथ पार्टी की बात जनता के सामने रखने के लिए यात्राओं का सहारा लेते हैं. कुछ ऐसी ही यात्रा की राजनीति बिहार में शुरू हो गयी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विकास समीक्षा यात्रा के समाप्त होने के साथ ही यात्राओं के तारीख की घोषणा होने लगी है. तेजस्वी यादव बिहार में न्याय यात्रा पर निकलने वाले हैं, वहीं दूसरी ओर उनके कदम- से कदम मिलाकर चलने वाली पार्टी कांग्रेस भी आमंत्रण यात्रा के बहाने सियासत की नयी लकीर खींचने को बेताब है. राजनीति प्रेक्षकों की मानें, तो कांग्रेस अंदर ही अंदर बिहार में अपनी खुद की जमीन तलाशने में जुटी है, वरना तेजस्वी की यात्रा के आस-पास अपनी भी यात्रा शुरू करने का कोई मतलब नहीं बनता है. राजनीतिक जानकारों की मानें, तो दोनों पार्टियों की यह यात्रा कहीं संबंधों में खटास का कारण ने बन जाए.

तेजस्वी के न्याय यात्रा को लेकर शुरू से ही राजनीतिक बयानबाजी का दौर जारी है. जदयू ने कहा कि तेजस्वी को प्रायश्चित यात्रा करनी चाहिए. जदयू ने यहां तक कहां कि तेजस्वी लोगों को यह बताएं कि 28 साल की उम्र में 30 संपत्ति के मालिक कैसे बन गये. विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा कि तेजस्वी पूरे बिहार में घूम कर अपनी बेनामी संपत्ति की खोज खबर के लिए यात्रा पर निकल रहे हैं. उधर, राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार की नजर में यदि तेजस्वी अबोध और अज्ञानी है और जिसे ट्वीट का मतलब समझ में नहीं आता, तो फिर उसकी यात्रा पर इतनी हाय-तौबा क्यों मचायी जा रही है ? उधर, कांग्रेस को  यह नजर आ रहा है कि तेजस्वी की यात्रा पूरी तरह राजनीतिक विवादों में फंसती दिख रही है, इसी दौरान वह अपनी आमंत्रण यात्रा को निकालकर उसे सफलता का अमली जामा पहना सकती है और खुद की खोयी जमीन को तलाशने में पूरा जोर लगा सकती हैं.

तेजस्वी की यात्रा का मकसद है कि लालू के संदेश को, लालू की बात को आम लोगों के साथ अपने समर्थकों के बीच रखना. लालू जेल में बंद हैं और वहीं से उन्होंने निर्देश के साथ जनता के नाम संदेश को जारी कर  रखा है. हालांकि, तेजस्वी की यात्रा को नीतीश कुमार की समीक्षा यात्रा के जवाब में देखा जा रहा है. राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि तेजस्वी यादव जदयू को यह दिखाना चाहते हैं कि समीक्षा यात्रा के दौरान जहां मुख्यमंत्री को कई जगहों पर विरोध झेलना पड़ा, लेकिन उनकी यात्रा का कितना भव्य स्वागत हो रहा है, यह लोग जान लें. यह अनुमान लगाया जा रहा है कि तेजस्वी यादव इस यात्रा मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमले तेज कर सकते हैं और बिहार सरकार के अब तक के कार्यों को अपने तरीके से लोगों के सामने पेश कर सकते हैं.

दूसरी ओर कांग्रेस बिल्कुल पैनी नजर के साथ तेजस्वी की यात्रा की तैयारी को देख रही है और वह नीतीश कुमार के समीक्षा यात्रा के परिणामों को भी गहनता के साथ अध्ययन कर रही है. आमंत्रण यात्रा पहले 18 जनवरी से शुरू होने वाली थी, लेकिन कांग्रेस के नेताओं ने ज्यादा ठंड होने का बहाना बनाते हुए इसे टाल दिया था. सूत्रों की मानें, तो अब यह यात्रा फरवरी के पहले हफ्ते में शुरू हो सकती है, जबकि उधर, तेजस्वी यादव भी अपनी यात्रा 9 फरवरी से सीमांचल के जिले पूर्णिया से शुरू करने वाले हैं. यानी कि कांग्रेस की आमंत्रण यात्रा भी तेजस्वी यादव की न्याय यात्रा के इर्द-गिर्द शुरू होती दिख रही है. ऐसे में राजनीतिक जानकार मानते हैं कि साथ होते हुए भी कांग्रेस और तेजस्वी की यात्रा आपस टकराती दिख रही हैं.

आमंत्रण यात्रा चंपारण के बेतिया के वृंदावन से शुरू होगी, इस दौरान कांग्रेस का रथ पूरे बिहार का भ्रमण करेगा. उधर, राहुल गांधी ने भी इस यात्रा की अनुमति फरवरी में ही आयोजित करने की दे दी है. आमंत्रण यात्रा के बहाने बिहार कांग्रेस फिर से पुराने साथियों से कनेक्ट करने की  कोशिश करना चाहती है. जानकारों की मानें, तो वर्तमान में कई नेता, जो राजद में शामिल हैं, वह पहले कांग्रेसी थे. ऐसे नेताओं में बिहार के जिला स्तर के ज्यादातर नेता शामिल हैं, इसका साफ मतलब है कि एक तरफ तेजस्वी अपने समर्थकों और नेताओं को एकजुट करने के लिए न्याय यात्रा पर निकलेंगे, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस दूसरे दलों में शामिल अपने पुराने साथियों को अपने साथ लेने के प्रयास में जुट जायेगी. वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद दत्त कहते हैं कि इन दोनों पार्टियों की यात्रा वाली कवायद को राजनीतिक चश्में से देखें, तो यह अपनी-अपनी सियासत साधने की यात्रा लग रही है.

मंगलवार, 30 जनवरी 2018

एक बेटी दस बेटों के बराबर है -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए साल के पहले मन की बात कार्यक्रम में स्त्री सशक्तिकरण का मुद्दा उठाया और कहा कि आज स्त्रियां हर क्षेत्र में नेतृत्व कर रही हैं। उन्होंने सामाजिक एकता, सद्भाव, बदलाव और विकास में महिलाओं की भूमिका को अहम बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति को पुरातन समय से ही स्वीकार किया गया है और एक बेटी को दस बेटों के बराबर बताया गया है। प्रधानमंत्री ने दहेज और बाल विवाह के खिलाफ बिहार में बनी मानव शृंखला का भी मुद्दा उठाया और बिहार के लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि जन आंदोलन से समाज की हर कुरीति को दूर किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने साल 2018 में आकाशवाणी पर अपने पहले रेडियो कार्यक्रम मन की बात में अपनी सरकार के बेहद चर्चित कार्यक्रम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का जिक्र किया। मन की बात कार्यक्रम के 40 वें प्रसारण में उन्होंने पदम् पुरस्कारों से सम्मानित महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ये महिलाएं लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सफल रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे लोगों को सम्मानित कर रही है जो मौन रह कर सामाजिक बदलाव में जुटे हुए हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार के कार्यकाल में पद्म पुरस्कार देने की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी हुई है और आम लोगों को सम्मानित किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में आज महिलाएं हर क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं और देश का गौरव बढ़ा रही हैं। उन्होंने कहा - प्राचीन काल से हमारे देश में महिलाओं का सम्मान, उनका समाज में स्थान और उनका योगदान पूरी दुनिया को अचंभित करता आया है। भारतीय विदुषियों की लंबी परम्परा रही है। वेदों की ऋचाओं को गढ़ने में बहुत सी विदुषियों जैसे लोपामुद्रा, गार्गी, मैत्रेयी आदि का योगदान रहा है।

सेना में महिलाओं की मौजूदगी का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि साहसिक रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के लड़ाकू विमान सुखोई 30 में उड़ान भरना महिलाओं को प्रेरणा दे देगा। उन्होंने वर्तिका जोशी के नेतृत्व में भारतीय नौसेना के महिला क्रू मेंबर्स आईएनएसवी तरिणी, लड़ाकू पायलट भावना कंठ, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी का भी जिक्र किया।

प्रधानमंत्री ने यूरोप के विभिन्न हिस्सों में रह रहे प्रवासी भारतीयों को अलग पहचान देने पर यूरोपीय संघ का आभार व्यक्त किया। मन की बात कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इस बार यूरोपीय संघ ने एक कैलेंडर भेजा है, जिसमें उन्होंने यूरोप के विभिन्न देशों में रह रहे भारतीयों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान को दिखाया है। उन्होंने कहा- मैं धन्यवाद देना चाहूंगा यूरोपीय संघ के इस उल्लेखनीय कार्य के लिए, भारतीय मूल के लोगों को पहचान देने के लिए और उनके माध्यम से दुनिया भर के लोगों को जानकारी देने के लिए भी।

प्रेमी ने दिया धोखा तो चलती ट्रेन के आगे कूदी प्रेमिका

बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन पर सोमवार रात एक युवती ने हावड़ा-हरिद्वार कुंभ एक्सप्रेस ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या का प्रयास किया। हालांकि चालक द्वारा तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाए जाने के कारण युवती की जान बच गई। इंजन की चपेट में आने के कारण हालांकि उसका एक हाथ कट गया।

चालक ने वहां मौजूद लोगों की मदद से इंजन में फंसी युवती को निकाला। वहां से रेल पुलिस ने उसे इलाज के लिए पीएचसी भेजा। जहां से बेहतर इलाज के लिए उसे पीएमसीएच रेफर कर दिया गया। रेल पुलिस युवती के बयान के आधार पर कार्रवाई में जुटी है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार बख्तियारपुर स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या एक पर ट्रेन खड़ी थी। गाड़ी जैसे ही स्टेशन से खुली कि युवती अचानक इंजन के आगे कूद गई। नालंदा के बहादी बिगहा सारे निवासी युवती ने पीएचसी में पुलिस को बताया कि वह शेखपुरा जिले के सिंघौल, बरबीघा निवासी दीपू कुमार से प्रेम करती है। वह उसकी भाभी का भाई है।

कुछ माह पूर्व दीपू ने उससे मंदिर में शादी की थी। मंदिर में शादी के बाद उसने दूसरी जगह शादी तय कर ली। जब उसने इसका विरोध किया तो दीपू ने डांट-फटकार कर भगा दिया। इसके बाद निराश होकर आत्महत्या करने के लिए वह ट्रेन के आगे कूद गई।

सोमवार, 29 जनवरी 2018

बिहार स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स इस बार सत्ता के राजनैतिक गठजोड़ से अलग

बिहार में छात्र राजनीति एक बार फिर गरमाने लगी है. पटना यूनिवर्सिटी के बाद बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों का छात्र संघ चुनाव इसी कड़ी का ताजा हिस्सा है. सभी संगठन चुनाव में जुट गये हैं. राज्य की स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स इस बार सत्ता के राजनैतिक गठजोड़ से अलग है. सत्ता में जदयू और भाजपा के साथ रहने के बाद भी, सभी यूनिवर्सिटी में छात्र जदयू और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) अलग-अलग रणनीति पर काम कर रही है. लेकिन, कैंपस में अन्य छात्र संगठन भी दोनों को अलग-अलग चुनाव मैदान में ही देखना चाह रहे हैं. कुछ लोग का कहना है कि अगर दोनों साथ में चुनाव मैदान में आती है, तो अन्य छात्र संगठनों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है. इस कारण सभी अन्य संगठन छात्र जदयू और एबीवीपी को अलग-अलग ही चुनाव लड़ते देखना चाहते हैं. वहीं, इन दोनों छात्र संगठनों को पटखनी देने के लिए वामदल पांच संगठनों के साथ गठजोड़ करने में जुटी हुई है. वैसे इस बार और उस बार के चुनाव की स्थिति कमोबेश यही है. छात्र जदयू और एबीवीपी एक दूसरे को हर सीट पर टक्कर देने की तैयारी में लगी हुई है.
छात्र संघ चुनाव का अगर पीछे का रिकॉर्ड देखा जाये, तो करीब 28 साल बाद (2012 में) पटना और 2013 में मगध यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के चुनाव नतीजों को देखेंगे, तो संकेत कुछ और कहेगा. इस बार भी कुछ अलग ही संकेत कर रहा है. भाजपा और जदयू के छात्र संगठनों ने अलग-अलग चुनाव लड़े थे और दोनों यूनिवर्सिटी में एबीवीपी का झंडा बुलंद रहा. वैसे पीयू में केवल वामपंथी दलों का जलवा रहा. लाल रंग ने पीयू के चुनाव नतीजों पर गहरा असर डाला था. जबकि, उस समय भी सत्ता पर एनडीए (भाजपा-जदयू) ही काबिज था और विपक्षी दल राजद था. लेकिन, इन तीनों के छात्र संगठनों को सेंट्रल पैनल के कुल पांच पदों में से एक-एक सीट मिली थी, जबकि वामपंथी दल के छात्र संगठन एआइएसएफ ने दो सीटों पर कब्जा जमाया था. पटना यूनिवर्सिटी के इतिहास में यह पहला मौका था, जब लाल रंग का असर बाकी सभी रंगों से ज्यादा गहरा रहा था. इस बार भी स्थिति कमोबेश यही बन रही है. वामपंथी दल करीब पांच छात्र संगठन से गठजोड़ कर रहे हैं. लेकिन, अभी फाइनल नहीं हुआ है. वहीं, स्टूडेंट्स भी कहते हैं कि अगर पटना यूनिवर्सिटी में छात्र जदयू और एबीवीपी गठबंधन करती है, तो पीयू के पांचों सीट पर एनडीए का कब्जा रहेगा. छात्र जदयू के प्रदेश अध्यक्ष श्याम पटेल कहते है कि अगर एबीवीपी के तरफ से गठबंधन का ऑफर आता है, तो इस पर विचार किया जायेगा. वैसे छात्र जदयू सभी सीटों के लिए तैयारी कर रहा है.
मगध में पिछले बार फेल रहा था जदयू
पटन यूनिवर्सिटी के चुनाव के तुरंत बाद मगध यूनिवर्सिटी में हुए चुनाव नतीजों में लाल रंग का असर फीका था. हालांकि, इस समय का छात्र समागम (छात्र जदयू) और वामदल के छात्र संगठन एआइएसएफ ने मिल कर चुनाव लड़ा था. लेकिन, इस प्रयोग में दोनों संगठनों को निराशा हाथ लगी थी. हालांकि, इस बार इस तरह के गठबंधन का कोई आसार नहीं है. छात्र जदयू और एबीवीपी को पटखनी देने के लिए वामदल पांच संगठनों के साथ चुनाव मैदान में कूद रही है. अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है. वहीं, मगध यूनिवर्सिटी में भी हुए छात्र संघ के सेंट्रल पैनल के त्रिकोणीय मुकाबले में सभी पांच पदों पर भगवा रंग लहरा गया था. एबीवीपी ने छात्र जदयू और विपक्षी दल राजद के छात्र संगठनों को पूरी तरह पराजित कर दिया था. इन पांच पदों को लेकर जबरदस्त खेमेबाजी भी हुई थी, लेकिन एबीवीपी की चुनावी रणनीति के आगे सब फेल हो गये थे. यूनिवर्सिटी के तहत 44 कॉलेज आते हैं, लेकिन कॉलेज प्रतिनिधियों के 137 पदों में से 61 पर एबीवीपी सदस्यों की जीत हुई थी. पिछले चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस बार सभी संगठन फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं और पिछले नजीते को ध्यान में रखते हुए उस पर और सुधार की कोशिश में लगे हुए हैं.
पटना यूनिवर्सिटी में इन पदों के लिए होंगे चुनाव अध्यक्ष ,उपाध्यक्ष , सचिव ,संयुक्त सचिव, कोषाध्यक्ष

फूस की झोपड़ी में रह रहा पूर्व विधायक का परिवार

आज के माहौल  में विधायक के बनते ही पूरा परिदृश्य महज कुछ समय में ही बदल जाता है, लेकिन आज भी एक जमाने में चर्चित भाकपा के पूर्व विधायक स्वर्गीय रामेश्वर सिंह के परिजनों को पक्का मकान नसीब नहीं हो पाया है. फूस की झोपड़ी में उनके परिजन जीवन बसर करने को मजबूर हैं.

रामेश्वर सिंह की दूर-दूर तक होती थी चर्चा : वर्ष 1980 में बरौनी विधानसभा क्षेत्र से भाकपा के टिकट में जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचने वाले रामेश्वर सिंह को लोग प्यार से काका कहा करते थे.

उनकी चर्चा सिर्फ जिले ही नहीं, वरन राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर हुआ करती थी. ईमानदारी की मिसाल के रूप में काम करने वाले रामेश्वर सिंह ने विधायक बनने के बाद कभी अपनी सुख-सुविधा या परिवार की तरक्की के बारे में नहीं सोचा. आजीवन स्वतंत्रता सेनानी के रूप में चर्चित रहने वाले स्व सिंह हमेशा गरीबों और मजदूरों की आवाज बनते रहे. बताया जाता है कि विधायक बनने से पूर्व और विधायक बनने के बाद से लेकर आज तक बरौनी विधानसभा क्षेत्र, जो अभी वर्तमान में तेघड़ा विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता है, इसी विधानसभा क्षेत्र की मधुरापुर पंचायत दो में उनका घर है. वहां आज की तिथि में भी वही झोंपड़ी है, जो वर्षों पूर्व थी.

टूटी झोपड़ी में लगा लाल झंडा देख आने वाले लोग होते हैं भावविह्वल

फूस की झोपड़ी और उसके अंदर टूटी हुई चौकी पर पूर्व विधायक स्व सिंह की पत्नी सरस्वती देवी रहा करती थीं. पांच दिन पूर्व उनका निधन जब हुआ तो लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. जिले से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंच कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. पूर्व विधायक की पत्नी के निधन के बाद विभिन्न क्षेत्रों से उनके घर पर लोगों का आना लगातार जारी है.

आने वाले लोग जब पूर्व विधायक की झोपड़ी व उस लगे लाल झंडे कोदेखते हैं तो लोगों के मुंह से निकल जाता है कि एक विधायक ऐसे भी थे, जिन्हें रहने के लिए घर

भी नहीं हो सका. स्थानीय लोगों ने बताया कि जिस फूस की झोंपड़ी में उनकी पत्नी का निधन हुआ है, उसी जगह पर पूर्व विधायक का भी निधन हुआ था. आने वाले लोगों से मिलते हुए पूर्व विधायक के दोनों पुत्र राजेंद्र सिंह और सच्चिादानंद सिंह अपने पिता की पूरी कहानी लोगों को बताने लगते हैं. जिस समय स्व रामेश्वर सिंह विधायक थे. उस समय उनका वेतन काफी कम था. नतीजा हुआ कि उनकी पत्नी को अंतिम समय तक मात्र 1700 रुपये पेंशन मिलती थी. इसी पेंशन के सहारे वे अपना जीवन बसर करती थीं.

पत्नी के श्राद्ध पर होगी श्रद्धांजलि सभा

बरौनी के पूर्व विधायक व आजीवन स्वतंत्रता सेनानी रहने वाले स्व रामेश्वर सिंह की पत्नी सरस्वती देवी के श्राद्धकर्म पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जायेगा, जिसमें राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के वाम दल के बड़े नेताओं को आमंत्रित किया गया है.

शुक्रवार, 26 जनवरी 2018

69 वां गणतंत्र दिवस : मुख्य अतिथि बने 10 आसियान देशों के नेता

 भारत के 69वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर आयोजित समारोह में आसियान के 10 देशों के नेताओं और शासनाध्यक्षों ने मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लिया। यह आसियान के साथ भारत के महत्व को दर्शाता है।

अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था के बीच राजपथ पर आयोजित परेड में सलामी मंच पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ आसियान के 10 देशों के नेता मौजूद हैं। आसियान देशों के नेताओं एवं राष्ट्राध्यक्षों में निम्नलिखित मेहमान शामिल हैं।
ब्रूनेई के सुल्‍तान हाजी-हसनल-बोल्किया मुइज्‍जाद्दीन वदाउल्‍लाह
इंडोनेशिया के राष्‍ट्रपति जोको विदोदो
फिलीपींस के राष्‍ट्रपति रोड्रिगो रोआ डूतरेत
कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन
सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग
मलेशिया के प्रधानमंत्री दातो स्री मोहम्‍मद नजीब बिन तुन अब्‍दुल रज़ाक
थाईलैंड के प्रधानमंत्री जनरल प्रयुत छान-ओ-चा
म्‍यांमार की स्‍टेट काउंसलर आंग सांग सू ची
वियतनाम के प्रधानमंत्री नग्‍युएन जुआन फूक और 
लाओ पीडीआर के प्रधानमंत्री थोंगलोंन सिसोलिथ
मुख्य मंच पर उपस्थित रहे आसियान नेता
आसियान-भारत शिखर बैठक में भाग लेने के लिए 25 जनवरी को नई दिल्ली पहुंचे सभी नेताओं ने आज देश के 69वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्‍य अतिथि के रूप में शिरकत की। राजपथ पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ सभी नेता मुख्य मंच पर उपस्थित रहे।

भारत का अभूतपूर्व कदम
बताया जाता है कि आसियान के साथ 28 जनवरी 1992 को भारत का डायलॉग पार्टनरशिप स्थापित होने के बाद हमारे संबंध काफी मजबूत हुए हैं। आज आसियान, भारत का सामरिक सहयोगी है। भारत और आसियान के बीच 30 वार्ता तंत्र हैं। ऐसे में एक अभूतपूर्व कदम के तहत 10 आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष/ शासनाध्यक्षों को गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था।

संबंधों की बेहतरी और पुनर्स्थापना
बता दें कि भारत की एक्ट ईस्ट नीति दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ उसके प्राचीन संबंधों को बेहतर बनाने के साथ ही राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों के माध्यम से पुन:स्थापित करते हैं।

25 साल पूरे होने पर सम्मेलन
भारत-आसियान स्मारक शिखर सम्मेलन भारत-आसियान संबंधों के 25 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित किया गया है। यह पहल ऐसे समय हुई है जब क्षेत्र में चीन का आर्थिक और सैन्य दखल बढ़ रहा है।

कर्पूरी ठाकुर पर राजनीति

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर की जयंती इस बार एक खास राजनीतिक मकसद से मनाई गई है। खासतौर से बिहार और उत्तर प्रदेश में। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाई। माना जा रहा है कि गैर यादव पिछड़ी जातियों को आकर्षित करने के लिए के कई उपाय कर रहे हैं। इसी उपाय के तहत उन्होंने उत्तम पटेल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है और कर्पूरी ठाकुर की जयंती मना रहे हैं।

इसी तरह बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी एक बार फिर अति पिछड़ा राजनीति की ओर रूझान दिखा रहे हैं। उन्होंने बिहार में अति पिछड़ों को पिछड़ों से अलग करके आरक्षण का लाभ देने के कर्पूरी ठाकुर के फार्मूले को अपनाया था। इससे आगे उन्होंने दलितों से अलग महादलित का एक अलग समूह भी बनाया था। बहरहाल, अब उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह आरक्षण के इस फार्मूले को लागू करे। उनका भी मकसद गैर यादव पिछड़ा वोट को अपने साथ जोड़ने का है। माना जा रहा है कि भाजपा के अतिपिछड़ा नेतृत्व को देखते हुए नीतीश ने यह दांव चला है।

उन्होंने इस बार कर्पूरी ठाकुर की जयंती के मौके पर उनके लिए भारत रत्न की मांग भी कर दी। इससे पहले भी वे कर्पूरी जयंती मनाते थे, लेकिन उनके लिए भारत रत्न की मांग नहीं करते थे। उन्होंने कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर को राज्यसभा में भेजा हुआ है और कहा जा रहा है कि इस साल होने वाले राज्यसभा चुनाव में भी उनकी ओर से एक महादलित और एक अतिपिछड़ा चेहरा राज्यसभा में भेजा जा सकता है। वे राजद छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी के साथ आ गए हैं पर उनका तालमेल पहले जैसा नहीं है। इसलिए कहा जा रहा है कि वे भाजपा और राजद दोनों से अलग अपना एक वोट बैंक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें उनकी नजर महादलित, अतिपिछड़ा और सवर्ण वोट पर है। 

सभी सीडीपीओ के वेतन पर सरकार ने लगायी रोक

बिहार सरकार ने प्रदेश में कार्यरत सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ) के वेतन पर रोक लगाने का फैसला लिया है. पीएम मातृत्व वंदना योजना और किशोरी बालिका योजना की प्रगति में बिहार का परफार्मेंस संतोषजनक नहीं रहा है. इसके मद्देनजर बिहार सरकार ने ये निर्णय लिया है. सीडीपीओ के वेतन पर लगी रोक को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है.

मामला विभागीय कार्य में शिथिलता बरतने से जुड़ा है. दरअसल, केंद्र सरकार ने उक्त इन दोनों योजनाओं की प्रगति पर असंतोष जताया था जिसके बाद बिहार सरकार ने सख्त कार्रवाई की है. समाज कल्याण विभाग के अपर सचिव ने सीडीपीओ के वेतन पर रोक लगाने का फरमान जारी किया है. इस आदेश की प्रति सभी जिलों के डीएम और ट्रेजरी ऑफिसर को भी भेज दिया गया है.

धौनी, पंकज आडवाणी, शारदा सिन्हा को पद्मभूषण व लक्ष्मीकुट्टी को पद्मश्री

विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट सेवाओं और उल्लेखनीय कार्यों के लिए दिये जानेवाले पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी गयी है. इस बार पुरस्कारों के लिए 15,700 लोगों ने आवेदन किया था. साहित्य और शिक्षा, चिकित्सा, कला और सामाजिक कार्य के विभिन्न क्षेत्रों से कुल 85 व्यक्तित्वों को पद्मश्री पुरस्कार के चुना गया. पद्म विभूषण के लिए इलयाराजा (कला-संगीत), गुलाम मुस्तफा खान (कला-संगीत) और पी परमेश्वरन को साहित्य और शिक्षा के लिए चुना गया है.
 वहीं पद्मभूषण के लिए खेल से टीम इंडिया के पूर्व कप्‍तान महेंद्र सिंह धौनी और स्‍नूकर खिलाड़ी पंकज आडवाणी को चुना गया. कला-संगीत के क्षेत्र से भोजपुरी की मशहूर गायिका शारदा सिन्‍हा, अरविंद पारिख और लक्ष्मण पाई को चुना गया. 'ग्रैंड मदर ऑफ द जंगल' लक्ष्मीकुट्टी को सर्प दंश पर उल्लेखनीय कार्य के लिए पद्मश्री से नवाजा जाएगा. वहीं, किफायती शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए अरविंद गुप्ता को (साहित्य और शिक्षा) पद्मश्री के लिए चुना गया.


* पद्म विभूषण
इलयाराजा - कला (संगीत) गुलाम मुस्तफा खान - कला (संगीत)पी परमेश्वरन - साहित्य और शिक्षा

* पद्मभूषण
महेंद्र सिंह धौनी - खेल (क्रिकेट)पंकज आडवाणी - खेल (बिलियर्ड्स / स्नूकर)फिलिपोस मार क्रिस्सोस्टम - अन्य अध्यात्मवाद)अलेक्जेंडर कडकिन (विदेशी / मरणोपरांत) - सार्वजनिक मामलों रामचंद्रन नागस्वामी - अन्य (पुरातत्व)
वेद प्रकाश नंदा - साहित्य और शिक्षा लक्ष्मण पाई - कला (चित्रकारी) अरविंद पारिख - कला (संगीत)
शारदा सिन्हा - कला (संगीत)

* पद्मश्री पुरस्कार
अरविंद गुप्ता - साहित्य और शिक्षा (किफायती शिक्षा के लिए)लक्ष्मीकुट्टी - चिकित्सा (सर्प दंश)भज्जू श्याम - कला (चित्रकला - गोंड कला)सुधांशु बिस्वास - सोशल सर्विस एमआर राजगोपाल - चिकित्सा (पैलिएटिव केयर)
मुरलीकांत पेटकर - खेल राजगोपालन वासुदेवन - विज्ञान और इंजीनियरिंग (इनवेशन)
सुभाषिनी मिस्त्री - सामाजिक कार्य विजयलक्ष्मी नवनीतिकृष्णन - साहित्य और शिक्षा (किफायती शिक्षा)
सुलागट्टी नरसम्मा- चिकित्सा येशी ढोंडेन - चिकित्सा रानी और अभय बैंग - चिकित्सा (सस्ती स्‍वास्‍थ्‍य सेवा)
लेंटिना एओ ठक्कर - सामाजिक कार्य (सेवा) रोमूलस वाइटैकर - अन्य (वन्यजीव संरक्षण)
संपत रामटेके - सोशल वर्क संदूक रुइत - चिकित्सा (नेत्र विज्ञान) अनवर जलालपुर - साहित्य और शिक्षा (साहित्य - उर्दू)
इब्राहिम सुतार - कला (संगीत - सूफी) मानस बिहारी वर्मा - विज्ञान और इंजीनियरिंग (रक्षा) सीताव्वा जोड्डाती - सामाजिक कार्य नोफ मारवाई - अन्य (योग) वी. नानाम्मल - अन्य (योग
पिछले साल 89 लोगों को पद्म पुरस्‍कार दिया गया था. जिसमें सात-सात लोगों को पद्म विभूषण व पद्म भूषण, जबकि 75 लोगों को पद्म श्री दी गयी थी. 

गुरुवार, 25 जनवरी 2018

भारत तिब्बत सीमा पर भारत के सपूतों को माइनस 30 डिग्री तापमान भी झंडा फहराने से नहीं रोक पाया

गणतंत्र दिवस का खुमार देश के सिर चढ़कर बोल रहा है. जहां एक ओर राजधानी दिल्ली में भारत की सैन्य ताकत से लोगों का परिचय कराया गया. वहीं दूसरी ओर, इस अवसर पर अपने जोश और जज्बे का परिचय भारत तिब्बत सीमा पुलिस यानि आईटीबीपी ने दिया है. भारत के सपूतों को माइनस 30 डिग्री तापमान भी झंडा फहराने से नहीं रोक पाया.

आईटीबीपी के जवानों ने ये कारनामा करके लोगों को चौंका दिया है. देश में जब चारों ओर ज़ोर शोर से तिरंगा फहराया जा रहा है तब भारत तिब्बत सीमा पुलिस ने गज़ब का साहस दिखाते हुए माइनस 30 डिग्री में तिरंगा लहराने का काम किया. यहां झंडा फहराया जाना एक अलग मायने रखती है.

दरअसल, तिरंगे को जम्मू-कश्मीर के लद्दाख में चीन की सीमा पर फहराया गया जिससे देश को गर्व करने का दोगुना मौका मिला. आईटीबीपी ने अपने ट्विटर वॉल पर इस कारनामे का वीडियो भी शेयर किया है. वीडियो का कैप्शन दिया गया है...हिमाद्रि तुंग श्रृंग से...प्रबुद्ध शुद्ध भारती...

गौर हो कि पूरा भारत में 69वें गणतंत्र दिवस के जश्न में डूबा हुआ है और हर कोई बढ़-चढ़कर इसमें शिरकत कर रहा है. भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था और इस मौके पर गणतंत्र दिवस मनाया जाता है.
      

संवैधानिक सामंजस्‍य आज की सबसे बडी जरूरत - विधानसभा अध्‍यक्ष

जयपुर,। विधानसभा अध्‍यक्ष कैलाश मेघवाल ने विधानसभा प्रांगण में 69वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर ध्‍वजारोहण किया ।
 मेघवाल ने इस अवसर पर गणतंत्र दिवस की बधाई देते हुए कहा कि लाखों देशभक्‍तों के बलिदान के बाद हासिल की गयी आजादी हमारे लिए अमूल्‍य है । उन्‍होंने कहा कि भारतीय संविधान विश्‍व का उत्‍कृष्‍ट संविधान है । संविधान में जो अधिकार आम ना‍गरिकों को दिए गए हैं अगर उस दिशा में अक्षरश: संविधान की पालना की जाए तो हम प्रगति की राह में और आगे बढ सकते हैं । विधायिका, न्‍यायपालिका और कार्यपालिका में सामन्‍जस्‍य आज की सबसे बडी जरूरत है साथ ही आवश्‍यकता इस बात की है कि विधायिका के मान सम्‍मान को बढाने के लिए देश का प्रत्‍येक नागरिक प्रतिबद्ध होकर कार्य करे ।
      इससे पूर्व विधानसभा में रंगारंग सांस्‍कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का मुख्‍य आकर्षण था नाटक भारत के वीर सपूत जिसमें क्रांतिकारी भगतसिंह, राजगुरू और सुखदेव के फांसी के नाट्य रूप में प्रस्‍तुत किया गया नाटक में सर्वश्री राम अवतार बांगडा, भीम सिंह मीणा, अजय शर्मा, सुरेश मेघवाल, आशीष रोहिला, पवन सामरिया, हिमांशु बंसल, आकाश परिहार, आनन्‍द व्‍यास एवं सुश्री अपेक्षा शर्मा तथा सुश्री अजरा रहमान ने भाग लिया ।
      कार्यक्रम की शुरूआत ऋद्धि सिद्धी के दाता श्री गणेश की स्‍तुति से की गयी जिसे सुश्री दीक्षा गोयल ने प्रस्‍तुत किया । कार्यक्रम में रघुवीर भूषण दाधीच द्वारा है प्रीत जहॉं की रीत सदा गीत, उज्‍ज्‍वल श्रीवास्‍तव द्वारा सुनो गौर से दुनिया वालो पर नृत्‍य प्रस्‍तुत किया । कार्यक्रम के अंत में गांधीनगर बालिका विद्यालय की छात्राओं द्वारा राष्‍ट्रगान प्रस्‍तुत किया गया ।
      विधानसभा अध्‍यक्ष ने सभी कलाकारों को प्रशस्ति पत्र एवं स्‍मृतिचिन्‍ह प्रदान कर सम्‍मानित किया ।
      अंत में विधानसभा सचिव पृथ्‍वी राज ने सभी का आभार व्‍यक्‍त किया । कार्यक्रम का संचालन श्री दुर्गादास मूलचन्‍दानी ने किया ।

विदेशी मीडिया ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की अनदेखी क्यों की

विश्व आर्थिक मंच की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो कुछ कहा वो सब वे तीन साल से बोल रहे हैं. आपको बुरा लगेगा लेकिन आप प्रधानमंत्री के भाषण में भारत की व्याख्या देखेंगे तो वह दसवीं कक्षा के निबंध से ज़्यादा का नहीं है.

स्विट्ज़रलैंड के दावोस में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्घाटन भाषण को भारतीय मीडिया ने प्रमुखता से छापा है. यह और बात है कि किसी ने उनके भाषण के अंतर्विरोध को छूने का साहस नहीं किया है.

अगर भारत के लिए दावोस में बोलना इतना बड़ा इवेंट था तो क्या आप नहीं जानना चाहेंगे कि दुनिया के अख़बारों ने उस इवेंट को कैसे देखा है. आख़िर भारत में जश्न इसी बात का तो मन रहा है कि दुनिया में भारत का डंका बज गया.

क्या भारतीय मीडिया की तरह विदेशी मीडिया भी प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से गदगद था? आप इनकी वेबसाइट पर जाएंगे तो निराशा हाथ लगेगी. इसका यह मतलब भी नहीं है कि विदेशी मीडिया भारतीय मीडिया की तरह सिर्फ अपने प्रधानमंत्री के भाषण तक ही गदगद है.

उनकी साइट पर दूसरे प्रधानमंत्रियों के भाषण की भी चर्चा है. उस हिसाब से भारत के प्रधानमंत्री के भाषण की चर्चा कम है. है भी तो सतही तरीके से.

मैंने इसके लिए क्वार्ट्ज़ डॉट कॉम, ब्लूमबर्गक्विंट डॉट कॉम, गार्डियन अख़बार, न्यूयॉर्क टाइम्स, अल जज़ीरा, वॉशिंगटन पोस्ट की वेबसाइट पर जाकर देखा कि वहां उद्घाटन भाषण की कैसी रिपोर्टिंग है. दावोस में लगातार दूसरे वर्ष एशिया को स्थान मिला है. पिछले साल चीन के प्रधानमंत्री ने वहां उद्घाटन भाषण दिया था.

ब्लूमबर्ग क्विंट वेबसाइट ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान को काफी अच्छे से प्रकाशित किया है. कम से कम यहां आपको पता चलता है कि मोदी ने कहा क्या है. इस वेबसाइट पर उनके बयान के किसी हिस्से की आलोचना नहीं की गई है. ब्लूमबर्ग एक बिजनेस वेबसाइट है.

क्वार्ट्ज़ डॉट कॉम ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान को इस तरह से देखा है जैसे उन्होंने ट्रंप की नीतियों की खुली आलोचना कर दी है. मोदी के भाषण के ठीक पहले ट्रंप ने चीन से आयात किए जाने वाले सोलर पैनल पर 30 फीसदी आयात शुल्क लगाने का फैसला किया था.

इसे संरक्षणवादी क़दम के रूप में देखा गया जिसका इशारा प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में किया है. इस वेबसाइट पर भी मोदी के भाषण का ठीकठाक हिस्सा छपा है.

अल जज़ीरा की वेबसाइट पर भी मोदी के भाषण का कवरेज है. भाषण के साथ दूसरे बयान भी हैं जो उनकी आलोचना करते हैं. अल जज़ीरा ने इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स वॉच के कार्यकारी निदेशक केनेथ रॉथ का एक ट्वीट छापा है. केनेथ रॉथ ने कहा है कि मोदी कहते हैं कि सब एक परिवार हैं, उन्हें बांटिए मत, लेकिन यह बात तो मोदी के समर्थक हिंदू राष्ट्रवादियों के ठीक उलट है.

वॉशिंगटन पोस्ट ने मोदी के भाषण को ख़ास महत्व नहीं दिया है. सिर्फ़ इतना लिखा है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की महिला प्रबंध निदेशक लगार्द ने मोदी के बयान पर चुटकी ली है कि उनके मुंह से लड़कियों के बारे में सुनते तो अच्छा लगता. उनके कहने का मतलब यह था कि कॉरपोरेट गर्वनेंस में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाए जाने की जो चर्चा दुनिया में चल रही है, उस पर भी प्रधानमंत्री बोलते तो अच्छा रहता.

गार्डियन अख़बार ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान को कम महत्व दिया है बल्कि कनाडा के प्रधानमंत्री के बयान को लीड स्टोरी बनाई है. इसी स्टोरी में नीचे के एक पैराग्राफ में भारत के प्रधानमंत्री के भाषण का छोटा सा हिस्सा छापा है.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि कॉरपोरेट ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं को नौकरी दे और यौन शोषण की शिकायतों पर गंभीरता से पहल करे. बहुत ज़्यादा ऐसे कॉरपोरेट हो गए हैं जो टैक्स बचाते हैं, सिर्फ मुनाफा ही कमाते हैं और मज़दूरों के कल्याण के लिए कुछ नहीं करते हैं. इस तरह की असमानता बहुत बड़ा जोख़िम पैदा करती है.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लंबी रिपोर्ट की है. प्रधानमंत्री मोदी के ग्लोबलाइज़ेशन के ख़िलाफ़ संरक्षणवादी ताक़तों के उभार की चेतावनी और हक़ीक़त की तुलना की है. रिपोर्टर बिल्कुल उनकी बातों से प्रभावित नहीं है.

अख़बार ने लिखा है कि मोदी के भाषण में ज़्यादातर बातें ग्लोबलाइज़ेशन को लेकर थी, जो पिछले साल चीन के प्रधानमंत्री के उद्घाटन भाषण में था.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस बात पर ज़्यादा ज़ोर दिया है कि ख़ुद भी तो प्रधानमंत्री ने कई चीज़ों के आयात को सीमित किया है. टीवी, फोन के आयात को सीमित किया गया है. रिपोर्टर ने एपल पर आयात शुल्क बढ़ाने का ज़िक्र है. आप जानते हैं कि एपल अमेरिकी उत्पाद है.

भारत के मीडिया की किसी भी रिपोर्ट को पढ़िए, शायद ही आपको एक आइटम का पता चले जिसके निर्यात पर किसी मुल्क ने रोक लगाई हो और जिसे लेकर भारत में हो रहे नुकसान के बारे में उसे पता हो. आयात शुल्क लगा दिया हो और भारत को नुकसान हो रहा हो. खाली जय-जयकार छापकर भाई लोग निकल जाते हैं.

वैसे मोदी के संरक्षणवादी बयान की आलोचना में न्यूयॉर्क टाइम्स में कोई गंभीर तर्क नहीं दिए हैं. एक दो फैसले के आधार पर मोदी को संरक्षणवादी घोषित करना ठीक नहीं है. कर सकते हैं मगर आलोचना के लिए व्यापक तथ्य और तर्क से करें तो अच्छा रहेगा.

अख़बार ने सोलर पैनल के आयात पर 70 प्रतिशत शुल्क लगाने की भारत की तैयारी की आलोचना की है. ट्रंप ने भी अमेरिका में सोलर पैनल के आयात पर 30 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है. ये सोलर पैनल चीन से आयात किए जाते हैं.

गार्डियन ने लिखा है कि इससे अमेरिका में 23,000 नौकरियां चली जाएंगी और साफ-सुथरी ऊर्जा के प्रसार को धक्का पहुंचेगा. भारत में सोलर पैनल पर आयात शुल्क लगाने के बारे में मैंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा भी है.

CNN MONEY ने लिखा है कि डावोस में दो ही हॉट टॉपिक हैं. जानलेवा मौसम और ट्रंप. इसकी साइट पर प्रधानमंत्री मोदी का संरक्षणवादी ताक़तों वाले बयान का छोटा सा टुकड़ा ही है. लगता है इन्हें उनके भाषण में कुछ नहीं मिला. सीएनन मनी ने लिखा है कि दावोस में कॉरपोरेट इस आशंका और उत्सुकता में हैं कि ट्रंप क्या बोलेंगे. हर तरफ इसी की चर्चा है.

आप भी प्रधानमंत्री का भाषण सुनिए. ध्यान से देखिए कि इसमें आर्थिक जगत से संबंधित क्या है. रेड टेप की जगह रेड कार्पेट है. यह सब बात तो वे तीन साल से बोल रहे हैं. आपको बुरा लगेगा लेकिन आप प्रधानमंत्री के भाषण में भारत की व्याख्या देखेंगे तो वह दसवीं कक्षा के निबंध से ज़्यादा का नहीं है.

भारत के प्रति विशेषणों के इस्तेमाल कर देने से निबंध बन सकता है, भाषण नहीं हो सकता. ज़रूर कई लोगों को अच्छा लग सकता है कि उन्होंने दुनिया के सामने भारत क्या है, इसे रखा.

ऐसा क्यों है जब भी कोई नेता भारत की व्याख्या करता है, दसवीं के निबंध के मोड में चला जाता है. यह समस्या सिर्फ मोदी के साथ नहीं, दूसरे नेताओं के साथ भी है. गौरव गान थोड़ा कम हो. प्रधानमंत्री को अब वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे भवन्तु सुखिन: से आगे बढ़ना चाहिए. हर भाषण में यही हो ज़रूरी नहीं है.

विदेशी मीडिया को कम से कम प्रधानमंत्री के लोकतंत्र वाले हिस्से को प्रमुखता दे सकता था. वो हिस्सा अच्छा था. ज़रूर उसके ज़िक्र के साथ सवाल किए जा सकते थे. दो महीने से भारत के चैनलों पर एक फिल्म की रिलीज़ होने को लेकर चर्चा हो रही है. जगह-जगह उत्पात मचाए जा रहे हैं.

एक जातिगत समूह में जाति और धर्म का कॉकटेल घोल कर नशे को नया रंग दिया जा रहा है. राजस्थान के उदयपुर में एक हत्या के आरोपी के समर्थन में लोगों का समूह अदालत की छत पर भगवा ध्वज लेकर चढ़ जाता है और डर से कोई बोलता नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के चार-चार सीनियर जज चीफ जस्टिस के ख़िलाफ़ प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं. ऐसे वक़्त में जब पूरी दुनिया में लोकतंत्र को चुनौती मिल रही है, विदेशी मीडिया संस्थान प्रधानमंत्री मोदी के इस भाषण को प्रमुखता दे सकते थे.

दावोस से अन्य समाचार
दावोस से जारी तीन बड़ी रिपोर्ट की जानकारी इधर-उधर छपी मिली. प्रदूषण पर और इकोसिस्टम के संरक्षण पर जारी एक रिपोर्ट में भारत को 180 मुल्कों में 177वें नंबर पर बताया गया है. दो साल पहले भारत 156 वे नंबर पर था. यानी भारत का प्रदर्शन ख़राब हुआ है.

यह सूची येल सेंटर फॉर एनवायरमेंट लॉ एंड पॉलिसी ने तैयार की है. प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन को बड़ी चुनौती बताया था. भारत का ही प्रदर्शन दो पायदान नीचे लुढ़क गया है.

दावोस में ही जारी समावेशी विकास की रिपोर्ट में भारत 62वें स्थान पर है. दो पायदान नीचे गिरा है. पाकिस्तान भारत से 15 पायदान ऊपर 47 पर है. भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने समावेशी विकास भी ज़ोर दिया मगर उनका अपना रिकॉर्ड कैसा है, यह इस सूची में दिखता है.

एक पाठक के तौर पर जानने की इच्छा है कि समावेशी विकास में पाकिस्तान कैसे भारत से आगे हो सकता है. भारतीय मीडिया पाकिस्तान को लेकर मूर्खतापूर्ण जानकारी बताता है. या तो सीमा की गतिविधि बताता है या फिर लाहौर के कबाब की.

पाकिस्तान में मुस्लिम और हिंदू अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसक ख़बरें आती रहती हैं. बड़े पैमाने पर शियाओं और अहमदियों की हत्याएं होती रही हैं.

एक रिपोर्ट आॅक्सफेम की है. आर्थिक असमानता की रिपोर्ट जिसे भारत की मीडिया ने प्रमुखता से नहीं छापा. इस रिपोर्ट से यह पता चलता है कि दुनिया भर के साढ़े तीन अरब लोगों के पास जितना पैसा है, उतना मात्र 44 अमीरों के पास है. इन 44 लोग की आर्थिक शक्ति 3.7 अरब लोगों के बराबर है. आप कल्पना कर सकते हैं दुनिया में असमानता का क्या आलम है.

मोदी-शाह को लाल सलाम!

वही हुआ जिसके संकेत थे। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति ने अगले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी-अमित शाह का काम आसान बनाने के लिए प्रकाश करात की लाईन अपनाई। मतलब चुनाव से पहले कांग्रेस से एलायंस बनाने के सीताराम यचूरी के रखे मसौदे को खारिज किया। यूचरी बनाम करात की एप्रोच के फर्क से वोटिंग की नौबत आई। केंद्रीय समिति के 31 सदस्यों ने कांग्रेस से एलायंस बनाने के प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिए तो 55 सदस्यों ने एलायंस प्रस्ताव को खारिज किया। अब अप्रैल में पार्टी कांग्रेस में प्रकाश करात के प्रस्ताव पर कम्युनिस्ट नेता विचार करेगें न कि महासचिव यचूरी के प्रस्ताव पऱ। कहते है केरल के सदस्यों, त्रिपुरा और बंगाल सीपीएम के तीन सदस्यों का यचूरी के प्रस्ताव के खिलाफ वोट था। केंद्रीय समिति में क्योंकि वोटिंग हो गई है और प्रकाश करात के प्रस्ताव को मान लिया गया है तो हैदराबाद की पार्टी कांग्रेस में उसी पर विचार होगा। खबर अनुसार सीताराम यचूरी ने वोटिग टलवानी चाही। उनकी दलील थी कि एलायंस करे या न करें इन दोनों विचारों को पार्टी कांग्रेस के बड़े जमावड़े के आगे रखा जाना चाहिए। उसमें तय हो  कि लोकसभा चुनाव से पूर्व पार्टी को कांग्रेस के एलायंस बनाना चाहिए या वह लेफ्ट मोर्चे के खांके में ही चुनाव लडे! लेकिन प्रकाश करात और उनकी टीम नहीं मानी। उन्होने वोटिंग के लिए कहां। सो अस्सी लोगों की केंद्रीय समिति ने 2019 के लोकसभा चुनाव पूर्व की तैयारियों का फैसला ले डाला!

अपन इस घटनाक्रम को प्रकाश करात और कम्युनिस्टों का नरेंद्र मोदी को लाल सलाम कहेगें। एक झटके में केरल, बंगाल और त्रिपुरा में भाजपा के वोट बढ़ गए। लेकिन इससे भी बडी बात सीपीएम ने, वाम मोर्चे ने अपनी कब्र केरल, त्रिपुरा और बंगाल में पूरी तरह खोद डाली। केरल, त्रिपुरा में लेफ्ट बनाम कांग्रेस में झगड़ा होगा तो बंगाल में ममता और कांग्रेस में तालमेल के आगे भाजपा मुकाबले में होगी न कि लेफ्ट। ऐसे में 2019 का आम चुनाव मार्क्सवादी पार्टी और लेफ्ट मोर्चे का आखिरी चुनाव हो तो आश्चर्य नहीं होगा।

मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं क्योंकि प्रकाश करात एंड पार्टी ने 2004 के बाद अपनी मूर्खताओं में याकि कथित सैद्वातिंक जुमलों से पार्टी के पांवों पर इतनी कुल्हाडियां मारी है कि 2019 के बाद लड़ने को बचेगा ही क्या?

अपनी थीसिस है कि आजाद भारत के इतिहास में कम्युनिस्टों का एक स्वर्ण काल इंदिरा गांधी का गरीबी हटाओं का वक्त था तो दूसरा वक्त हरकिशनसिंह सुरजीत के महासचिव रहते हुए था। इंदिरा गांधी के जुमलों के दौर में लेफ्ट को इंदिरा राज में सलाहकारी का मौका मिला तो बंगाल में ज्योंति बसु के राज का प्रारंभ भी हुआ। फिर कॉमरेड हरकिशनसिंह सुरजीत के लचीलेपन ने लेफ्ट के लिए वह अवसर बनवाया जिसमें केंद्र की सरकार में सीपीएम की दादागिरी हुई। यों तब भी केरल के कॉमरेडों की गलती के चलते ज्योति बसु प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए थे!

बहरहाल हरकिशनसिंह सुरजीत ने वीपीसिंह, एचडी देवगौडा, आईके गुजराल से ले कर सोनिया गांधी की कांग्रेस के वक्त ऐसी लचीली राजनीति खेली कि भाजपा – वाजपेयी राज का शाईनिंग इंडिया पंचर हुआ तो मनमोहनसिंह की सरकार भी बन गई। वह सीपीएम का वैभव बनवाने वाला था। संयुक्त मोर्चे और केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ सेकुलर जमात की चिल पौ ने देश की राजनीति को जब बदला था तब सीपीएम के 44 सांसद 2004 में चुने गए थे। सीपीएम के सोमनाथ चटर्जी लोकसभा में स्पीकर बने तो लेफ्ट ने मनमोहन सरकार पर दबा कर अपना असर दिखाया।

श्रेय़ पंजाब के कॉमरेड हरकिशन सुरजीत को जाता है। मगर उनकी मौत के बाद जब प्रकाश करात को लीडरशीप मिली तो उन्होने लेफ्ट का वह कठमुल्लापन दिखाया कि भारत-अमेरिका एटमी करार का भूत पैदा हो गया। प्रकाश करात और उनके कठमुल्ले वामपंथी वक्त की बदली हकीकत, आंतकवाद के नए परिपेक्ष्य में भारत की जरूरत, भारत के बहुसंख्यकों की आंकाक्षाओं की इतनी भर भी थाह नहीं ले पाए कि अब वक्त न तो सर्वहारा का है और न अमेरिकी साम्राज्यवादी मंसूबे को एजेंडा बनाने का। जब चीन ने अमेरिका को पटाया है तो भारत को अपना वैश्विक अछूतपन खत्म करना चाहिए य़ा नहीं?

बहरहाल, जैसा मैने कल लिखा भारत में लेफ्ट ने जमीन पर हमेशा अपने को बेगाना बनाए रखा और शिखर राजनीति को प्रभावित किए रहने के लिए फूंके कारतूसों में यह गलतफहमी बनाए रखी कि देखों जनता में, सर्वहारा में कैसी वाह है! एक मायने में कॉमरेड़ों की दुर्दशा की वजह मीडिया में काबिज लेफ्ट- प्रगतिशील- सेकुलरो की वह जमात भी है जो लाल रंग में रंगे रह कर गलतफहमियां बनवाती रही है। मैं इन्ही की बदौलत नरेंद्र मोदी-अमित शाह की संभावना के उदय होने की बात करता रहा हूं। याद करें भारत-अमेरिकी रिश्तों को आर-पार की लडाई में लेफ्ट को हवा देने वाले तबके टीवी एकंरों को। जो आज मोदी-शाह के भोंपू बने हुए है वे ही तब  प्रकाश करात एंड पार्टी के लिए हवा बनाए हुए थे, उनके इस बात के झंडाबरदार थे कि कुछ भी हो अमेरिका के यहां हमें अपने को गिरवी नहीं रखना है जबकि ऐसा कुछ नहीं था।

बहरहाल, प्रकाश करात ने भारत-अमेरिकी संधि को मुद्दा बनाया और कांग्रेस, मनमोहन सरकार से नाता तोड़ा। नतीजतन 2009 के लोकसभा चुनाव में सीपीएम के 19 सांसद रह गए और 2014 में यह संख्या घट कर 9 हो गई। और नोट करके रखे कि यदि सीपीएम की हैदराबाद कांग्रेस में प्रकाश करात का कांग्रेस (मतलब समग्र विपक्ष के एलायंस की कोशिश नहीं करना) से चुनाव पूर्व नाता न रखने का प्रस्ताव मंजूर हुआ तो 2019  के आम चुनाव में सीपीएम की 9 सीटे भी नहीं आएगी। 

लाख टके का सवाल है कि प्रकाश करात की, लेफ्ट की राजनैतिक समझ वैसी ही क्यों है जैसी मायावती की है? मायावती की भी तो यही सोच है कि यदि कांग्रेस से, अखिलेश से एलायंस हुआ तो उनके वोट फिर उनके नहीं बने रहेगें!  हमें मरना मंजूर है मगर कासीराम कह गए, बाबा मार्क्स कह गए तो वैसा कुछ नहीं करना है जो वे वर्जित कर गए।

ठीक विपरित नरेंद्र मोदी, अमित शाह की रणनीति देखें। एनसीपी पार्टी के प्रफुल्ल पटेल मणिपुर में उम्मीदवार वैसे ही खडे कर रहे है जैसे गुजरात में किए थे। एक तरफ विपक्ष को चूर-चूर बनाए रखने के प्रबंधन तो दूसरी और यह सोच कि हमें अकेले हंसिया पकडे रहना है, या अकेले साईकिल चलाना या अकेले हाथी पकड़े रहना है। जो हो, पते की आज की बात कॉमरेडों का नरेंद्र मोदी को लाल सलाम है। क्या नहीं? 

नीतीश 40 सीटों पर कर रहे तैयारी!

बिहार के सत्तारूढ़ गठबंधन की पांचों पार्टियों में सब कुछ ठीक नहीं है। दोनों बड़ी पार्टियों जनता दल यू और भाजपा के बीच संबंधों में तनाव बढ़ा है तो तीन छोटी पार्टियां लोजपा, रालोसपा और हम अपने लिए अलग रास्ता खोज रहे हैं। ये दोनों पार्टियां नीतीश कुमार के साथ तालमेल होने की वजह से असहज हुई हैं। खबर है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मिलने का समय नहीं दिया। मजबूरी में उनको रामलाल से मिल कर बात करनी पड़ी। केंद्र सरकार नीतीश कुमार को जेड प्लस सुरक्षा दे रही है और दिल्ली में कामराज रोड पर बड़ी कोठी दे रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव में सीटें बहुत कम देगी।

सो, अब खबर है कि नीतीश कुमार बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। पिछली बार भी वे सभी सीटों पर लड़े थे और उनकी पार्टी सिर्फ दो सीट जीत पाई थी। 24 सीटों पर उनके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। पर कहा जा रहा है कि इस बार उन्होंने उस नतीजे से सबक लिया है और बिना तैयारी के सिर्फ हवा में चुनाव लड़ने नहीं उतरेंगे। हालांकि एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि वे भाजपा पर दबाव बनाने के लिए सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी दिखा रहे हैं।

जदयू के जानकार सूत्रों का कहना है कि विकास समीक्षा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री हर जिले में जाकर न सिर्फ कामकाज का ब्योरा ले रहे हैं, बल्कि पार्टी संगठन को भी मजबूत कर रहे हैं। उनकी यात्रा के दौरान जिला प्रशासन के साथ साथ जदयू कार्यकर्ता ही कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं। भाजपा के नेता और कार्यकर्ता आमतौर पर इससे दूर रखे गए हैं। इससे जिला स्तर पर पार्टी संगठन को ताकत मिल रही है।

पार्टी के जानकार नेताओं ने बताया है कि सभी 40 सीटों के लिए उम्मीदवारों की तलाश चल रही है। कई मजबूत विधायकों को तैयारी करने का इशारा किया गया है। पार्टी के एक प्रवक्ता ने अनौपचारिक बातचीत में कहा है कि सभी 40 लोकसभा सीटों पर नीतीश कुमार की रैली भी कराई जा सकती है। अगर भाजपा आठ या दस सीटों की बात करती है और जदयू को उसकी पसंद की सीटें नहीं मिलती हैं तो नीतीश कुमार अकेले चुनाव में जाना पसंद करेंगे। उससे पहले वे अपनी सरकार को भी मजबूत करने के उपाय करेंगे। 

बुधवार, 24 जनवरी 2018

चारा घोटाले से जुड़े तीसरे मामले में दोषी साबित हुए लालू, 5 साल की सज़ा

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद राज्य के ही एक और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र, जगदीश शर्मा, आरके राणा और विद्या सागर निषाद समेत 50 आरोपियों को बुधवार को यहां सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से 35 करोड़, 62 लाख रुपये का गबन करने के एक अन्य मामले में आज दोषी करार दिया.

मामले में बहस दस जनवरी को पूरी हो गयी थी और उन्हें 5 साल की सजा हुई है. लालू पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. चारा घोटाले का ये तीसरा मामला था, इससे पहले दो अन्य मामलों में भी लालू को सजा हो चुकी है. लालू के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को भी पांच साल की सजा हुई है.

इस ताजा फैसले से चारा घोटाले से ही जुड़े देवघर कोषागार मामले में सजा मिलने के बाद जेल में बंद लालू प्रसाद यादव के रिहा होने की संभावना बहुत धूमिल हो गयी है.

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश स्वर्ण शंकर प्रसाद ने आज इस मामले की सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया और 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा कोषागार से 35 करोड़, 62 लाख रुपये फर्जी ढंग से निकालने से संबद्ध आरसी 68ए 96 मामले में कुल 56 आरोपियों में से लालू एवं जगन्नाथ मिश्र समेत 50 को दोषी करार दिया जबकि अदालत ने छह लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.

अदालत ने दस जनवरी को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था. चारा घोटाले से जुड़ा यह तीसरा मामला है जिसमें लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया गया है.

पिछले एक माह में आया ऐसा यह दूसरा मामला है. इसके अलावा चारा घोटाले से ही जुड़े एक अन्य मामले में भी फरवरी माह में फैसला आने की संभावना है.

इस बीच लालू के पुत्र एवं बिहार के पूर्व उपमुख्यमत्री तेजस्वी यादव तथा राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद यादव ने आज के मामले में भी लालू को फंसाये जाने की बात कहते हुए उच्च न्यायालय और आवश्यक होने पर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की बात कही है.

लालू के अधिवक्ता चितरंजन प्रसाद ने बताया कि इस मामले में सजा के बिंदुओं पर भी अदालत ने सुनवाई कर ली है और अदालत का सजा पर फैसला दोपहर दो बजे के बाद आने की उम्मीद है.

सीबीआई की विषेष अदालत में चाईबासा कोषागार से जुड़े इस दूसरे मामले में गत दस जनवरी को बहस पूरी हो गयी थी. इससे पूर्व छह जनवरी को रांची में ही सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने लालू यादव को देवघर कोषागार से जुड़े चारा घोटाले के एक मामले में साढ़े तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं दस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी थी.

इस मामले में अब तक जमानत न मिल पाने से लालू यादव यहां बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं. वहीं आज के चाईबासा कोषागार से जुड़े इस मामले में लालू यादव, जगन्नाथ मिश्र समेत सभी राजनीतिज्ञों एवं प्राशासनिक अधिकारियों को अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत भी दोषी ठहराया है जो आधिकारिक पद पर रहते हुए उसका दुरुपयोग कर अपराध करने पर आरोपी पर लगायी जाती है.

इस धारा में दोषी ठहराये जाने के चलते लालू यादव को इस मामले में देवघर कोषागार से अधिक सजा मिलने की आशंका है.

इससे पहले चाईबासा कोषागार से ही गबन के एक अन्य मामले में लालू को वर्ष 2013 में पांच वर्ष कैद की सजा सुनायी जा चुकी है, जिस मामले में वह उच्चतम न्यायालय से जमानत पाकर रिहा हो चुके हैं.

चारा घोटाले का घटनाक्रम
अविभाजित बिहार सरकार में 1996 में 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले का खुलासा हुआ. वर्ष 2000 में बिहार से अलग कर झारखंड राज्य के गठन के बाद 61 में से 39 मामले नए राज्य में हस्तांतरित कर दिया गया.

मामले में 20 ट्रकों पर भरे दस्तावेज़ थे. मामले में एक विशेष सीबीआई अदालत ने 23 दिसंबर को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को दोषी करार दिया गया.

घटनाक्रम इस प्रकार है:

जनवरी, 1996: चाईबासा के उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग में छापेमारी की जिसके बाद चारा घोटाले का खुलासा हुआ.

मार्च, 1996: पटना उच्च न्यायालय ने सीबीआई से चारा घोटाले की जांच करने को कहा. सीबीआई ने चाईबासा (अविभाजित बिहार में) कोषागार से अवैध निकासी मामले में प्राथमिकी दर्ज की.

जून, 1997: सीबीआई ने आरोपपत्र दायर किया, लालू प्रसाद को आरोपी के तौर पर नामज़द किया.

जुलाई, 1997: लालू ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया, राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया गया. सीबीआई अदालत में आत्मसमर्पण किया. न्यायिक हिरासत में भेजे गए.

अप्रैल, 2000: राबड़ी को भी मामले में आरोपी बनाया गया लेकिन उन्हें ज़मानत दे दी गई.

अक्टूबर, 2001: उच्चतम न्यायालय ने बिहार के विभाजन के बाद मामला झाारखंड उच्च न्यायालय को हस्तांतरित किया.

फरवरी, 2002: झारखंड में विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई शुरू हुई.

दिसंबर, 2006: पटना की एक निचली अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में लालू और राबड़ी को बरी किया.

मार्च, 2012: लालू और जगन्नाथ मिश्रा के ख़िलाफ़ आरोप तय किए गए.

सितंबर, 2013: एक दूसरे चारा घोटाला मामले में लालू, मिश्रा और 45 अन्य दोषी क़रार दिए गए. लालू को रांची की जेल में भेजा गया और लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराया गया, चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई.

दिसंबर, 2013: उच्चतम न्यायालय ने लालू को ज़मानत दी.

मई, 2017: उच्चतम न्यायालय के आठ मई के आदेश के बाद सुनवाई दोबारा शुरू हुई. उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत से देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में उनके ख़िलाफ़ अलग से मुकदमा चलाने को कहा.

23 दिसंबर, 2017: सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू सहित 16 अन्य को दोषी क़रार दिया. लालू को अब तक छह में से दो मामलों में दोषी क़रार दिया जा चुका है.

6 जनवरी, 2018:  विशेष सीबीआई अदालत ने लालू प्रसाद को साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख जुर्माने की सजा सुनाई. लालू के दो पूर्व सहयोगियों लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात वर्ष की कैद एवं बीस लाख रुपये के जुर्माने एवं बिहार के पूर्व मंत्री आरके राणा को साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख जुर्माने की सजा मिली.

यौनकर्मियों को मूल अधिकार देने के लिए देह व्यापार को वैध किए जाने की मांग

देश में यौनकर्मियों और उनके बच्चों के कल्याण के लिए काम करने वाले एक संगठन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर देह व्यापार को वैध करने की मांग की है ताकि इसमें शामिल महिलाओं को उनके मूल अधिकार मिल सकें.

भारतीय पतिता उद्धार सभा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है, ‘यौनकर्मियों की समस्या से निपटना आसान नहीं है इसलिए भारत में इसे वैध करने की जरूरत है और उनके पुनर्वास तथा उत्थान के प्रयास किए जाने चाहिए.’

पत्र में संगठन के प्रमुख खैराती लाल भोला ने कहा कि देह व्यापार को कानूनी जामा पहनाने से यौनकर्मी अपनी आय को अपने पास रख सकेंगी और अपने बच्चों को शिक्षा दिला सकेंगी.

इसने दावा किया कि देह व्यापार करोड़ों रुपये का कारोबार है और इसमें यौन कर्मी जो कमाई करती हैं उन्हें कोठे वाले, पुलिस और अन्य लोग हथिया लेते हैं.

संगठन ने कहा कि देह व्यापार को कानूनी रूप देने के बाद यौनकर्मियों को संबंधित प्राधिकार लाइसेंस जारी करें और बिना लाइसेंसी यौन कर्मियों पर कार्रवाई की जाए.

संगठन का दावा है कि देश में 54 लाख यौनकर्मी हैं और उनके 25 लाख बच्चे हैं. इनमें से कई एड्स समेत विभिन्न् बीमारियों से पीड़ित हैं और वे पेय जल सहित अन्य बुनियादी सहूलियतों से महरूम हैं.

संगठन ने कहा कि केंद्र और किसी राज्य सरकार ने यौनकर्मियों के कल्याण के लिए अभी तक कोई योजना नहीं बनाई है.

अमित शाह मौन में सोच रहे होंगे कि उनके साथ न्याय नहीं हो रहा

अमित शाह मौन स्यापे में सोच रहे होंगे कि उनके साथ न्याय नहीं हो रहा!  कोई सहानुभूति नहीं दर्शा रहा! क्या वक्त है जब सत्ता का वैभव है लेकिन पाप-पुण्य के खाते में जज लोया की मौत का एक और ग्रहण आ लगा। व्यक्ति और खास तौर पर सार्वजनिक जीवन में सिद्दवी का आकांक्षी जनता में अच्छेपन की पुण्यता के बिना शिखर पर नहीं जाया करता। नरेंद्र मोदी ने हिंदुओं का दिल जीता तो उसमें मार्केटिंग थी कि वे उनके लिए हैं। विरोधी उनके पीछे इसलिए हंै क्योंकि वे हिंदुओं के लिए हंै। हिसाब से वह सब अमित शाह के लिए भी सोचा जाना चाहिए था। मगर हिंदू मनोविश्व में अमित शाह के पिछले चार साल हनुमान, चाणक्य से होते-होते अब इस मुकाम पर है कि इन्होने देश के सिस्टम को अपने, निजी बचाव में झोंका हुआ है। वे देश के लिए नहीं, हिंदू के लिए नहीं बल्कि अपने बचाव के लिए सिस्टम की ऐसी तैसी कर दे रहे हैं!

और इसकी बानगी में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अदालत में वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे का यह दो टूक वाक्य है कि -पूरा सिस्टम एक व्यक्ति को बचाना चाह रहा है- अमित शाह और अमित शाह अकेले को!

इसलिए सोचने वाली बात है कि अमित शाह ने चार सालों में बनाया या गंवाया? नरेंद्र मोदी या हिंदू मानस, हिंदू राष्ट्रवाद, संघ परिवार सबको फिलहाल अलग रखे क्योंकि ये सब अपने-अपने कारणों से वक्त के नायक और वक्त की धाराएं है लेकिन अमित शाह तो अपने कर्म से है। और वह कर्म उन्हे जनता की निगाहों में जो बना दे रहा है वह कुल मिला कर पुण्यता की निजी कमाई के है। तभी आश्चर्य नहीं जो सुप्रीम कोर्ट के पूरे संकट के केंद्र बिंदु अमित शाह बने या बने हुए हैं।

मैं जज लोया के मामले को अमित शाह को घेरने की उधेड़बुन का हिस्सा मानता हूं। इस बात को पहले भी लिख चुका है। बावजूद इसके यह तथ्य तो है कि जज लोया के पिता और बहिन ने जांच की जरूरत कैमरे के सामने बताई। हिसाब से सांच को आंच नहीं की तर्ज पर खुद अमित शाह को महाराष्ट्र सरकार से जांच करवा लेनी थी। यह भी बेतुकी बात है कि जज लोया के बाद अगले जज ने अमित शाह के खिलाफ एनकाउंटर मामले को फटाफट खारिज किया, उन्हे बरी किया तो सीबीआई ने मामले को वही खत्म कर दिया। बाकि मामलों की तरह हाईकोर्ट में आगे अपील नहीं की। यदि सीबीआई करती तो क्या फर्क पड़ता। भारत में कानून जैसे चलता है वैसे चलाते रहते हुए अमित शाह को यह पुण्यता बनानी थी कि वे तमाम अग्निपरीक्षाओं में तपते हुए पुण्यता चाह रहे हंै। जब नरेंद्र मोदी का दस-पंद्रह साल राज है तो भला हड़बड़ाहट की जरूरत क्यों?

लेकिन भारत राष्ट्र-राज्य की सत्ता गुजरात जैसी सत्ता मानी गई। परिणाम सामने है। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की कुर्सी, और हिंदूओं में हिंदू मर्द होने के भरोसे में जरूर चलते रहेंगे मगर उनकी वह पूंजी आगे अमित शाह को ट्रांसफर हो यह इसलिए मुश्किल है क्योंकि सिस्टम के साथ तोड़फोड़, दुरूपयोग का ठिकरा उन पर फूट रहा है। मामूली बात नहीं जो सुप्रीम कोर्ट के पूरे संकट का फोकल बिंदु जज लोया केस हुआ और उसमें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने अपनी साख पर आए सवाल में केस को अपनी बैंच में लिया। कल यह आदेश भी हो गया कि मुंबई आदि में इस मामले में जो भी याचिकाएं हंै वे सब उनकी बैंच से नत्थी रहेगी। 

अपना मानना है इस सबसे अमित शाह मन ही मन हिले होंगे। ये चर्चाएं अब देशव्यापी हैं कि जज लोया की मौत संदिग्ध स्थितियों में हुई। जज लोया अमित शाह के मामले की सुनवाई कर रहे थे। वे सख्त जज थे। उनकी मौत की संदिग्ध परिस्थितियों की जांच की अपील में ही चीफ जस्टीस ने सुप्रीम कोर्ट में जूनियर जज को मामला दिया। जल्द खत्म कराने की हड़बड़ी थी। तभी वरिष्ठ जजों ने सिस्टम के सवाल उठाए। जजों ने लोकतंत्र को खतरा बताया।

हां, मीडिया पर कितना ही कंट्रोल हो, पर अमित शाह भी जान रहे होंगे कि उनके बेटे जयशाह और जज लोया की चर्चा हर उस सुधी घर में पहुंची है जहां पुण्यता का हिसाब बनता या बिगड़ता है!

सवाल है क्या कही अमित शाह के प्रति सहानुभूति या समर्थन दिखलाई दे रहा है? क्या यह फील है कि अमित शाह के साथ ज्यादती हो रही है? शायद मैं अकेला हूं जो यह थ्योरी लिए हुए हूं कि अमित शाह भीतर के लोगों की साजिश के मारे हैं। न्यायिक जमात से यदि वे शक के दायरे में आए है तो एक पैटर्न झलकता है। लेकिन लोग किसी और एंगल में इसलिए नहीं सोच रहे हंै क्योंकि धारणा बन गई है कि अमित शाह तो है ही ऐसे! सिस्टम पर दादागिरी अमित शाह की है!  वे ही सीबीआई पर कब्जा रखने वाले, न्यायपालिका- मीडिया- संस्थाओं सबकों गुलाम बना कर अपने हित साधने वाले हैं!

तभी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की बैंच के आगे दुष्यंत दवे का बोला यह वाक्य भारी है- पूरा सिस्टम एक व्यक्ति को बचाना चाह रहा है- अमित शाह और अमित शाह अकेले को!

यही नहीं दवे ने आगे यह भी कहा कि महाराष्ट्र सरकार की तरफ से ये जो हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी खड़े हुए हैं इन्हे अपने आपको इस केस से इसलिए अलग करना चाहिए क्योंकि ये अमित शाह के पहले पैरोकार रहे हंै। टेलिग्राफ की रिपोर्टिंग के अनुसार अदालत में हरीश साल्वे अपने पर हुए हमले के बीच इतना ही कह पाए कि मुझे दवे से नैतिकता का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए।

तब जस्टीस चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की- हमारी आत्मा बाद में यह न कहे कि हमने सब तथ्य नहीं देखें.... हम मामले की तह में जा सत्य पर पहुंचना चाहते हंै। और दूसरे किसी मुद्दे में नहीं भटकना है।.. केस से हरीश साल्वे के हटने की जरूरत की दवे की दलीलों पर जज का कहना था – हम सबकी अपनी आत्मा है। एडवोकेट खुद ही यह तय करें कि उसे मामले में हाजिर होना चाहिए या नहीं! साल्वे ने जब कहां कि जनाब इन एडवोकेट को कोर्ट के बाहर न बोलने को कहा जाए तो दूसरी सीनियर वकील इंदिरा जायसवाल बोली- यह तो मुंह बंद करने का आदेश होगा। जब पदमावत मामले में इस कोर्ट ने अभिव्यक्ति की आजादी का स्टेंड लिया है तो यही कोर्ट अब ऐसा कैसे कह सकती है? इस पर चीफ जस्टिस मिश्रा ने इस बात को बिना शर्त वापिस लेने को कहा और जयसिंह ने वैसा किया। चीफ जस्टिस का यह भी कहना था- क्या हमने कोई मुंह बंद कराने का आदेश दिया? हम कभी ऐसा आदेश नहीं देंगे।

सो पूरी बहस, पूरा मामला चार साल के वैभवपूर्ण, ठसके वाले राज के बाद यह सवाल पैदा किए हुए है कि अमित शाह ऐसे कैसे? गुजरात, दिल्ली और पूरे भारत में अमित शाह ने अपने चेहरे के साथ जिस इमेज का ट्रेडमार्क करवाया है वह हिंदू राष्ट्रवादियों के लिए त्रासद है तो आम जनता के लिए जुगुप्सा पैदा करने वाला! भले इस बात को अमित शाह माने या न माने!

चुनाव आयोग की सोशल मीडिया पर दस्तक

चुनाव आयोग ने मौजूदा दौर में संचार और संवाद के सबसे सशक्त माध्यम बने सोशल मीडिया पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है। जल्द ही ट्वीटर सहित सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म पर भी चुनाव आयोग दस्तक देगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने आज चुनाव आयोग के ‘सोशल मीडिया संचार हब’ (एसएमसीएच) की शुरुआत करते हुये इस पहल को आयोग में बदलते दौर का वाहक बताया। रावत ने कहा कि गुरुवार को मतदाता दिवस से एक दिन पहले चुनाव आयोग के फेसबुक पेज और यू-ट्यूब चैनल की शुरुआत स्वागतयोग्य पहल है। जल्द ही ट्वीटर सहित सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म पर भी चुनाव आयोग दस्तक देगा।

रावत ने निर्वाचन प्रक्रिया में दिव्यांगों की भागीदारी बढ़ाने पर आयोग द्वारा आयोजित अंतराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि सूचना एवं संचार क्रांति के इस दौर में सोशल मीडिया को चुनाव प्रक्रिया का अहम हथियार बनाकर दुनिया भर में लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को मजबूती प्रदान की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जबकि सभी लोकतांत्रिक देशों में निर्वाचन संस्थाओं को चुनाव प्रक्रिया से प्रत्येक मतदाता को जोड़ने की मुहिम में अत्याधुनिक तकनीक का संयोजन हो। उन्होंने कहा कि अभी भी मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग है जो मतदान केन्द्रों से दूर है। इनमें दिव्यांगजन और बुजुर्गों के अलावा युवाओं का भी एक तबका शामिल है।

रावत ने कहा कि मतदान केन्द्र तक पहुंचने से छूट गये लोगों को जोड़ने के जागरुकता अभियानों में सोशल मीडया महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया, भूटान, माल्दोवा और गिनी सहित आठ देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।

इस दौरान चुनाव आयोग ने निर्वाचन प्रणाली को सुगम बनाने के लिये विभिन्न देशों के साथ आपसी सहयोग बढ़ाने की पहल करते हुये गिनी और माल्दोवा गणराज्य तथा अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन सहायता संस्थान के साथ तीन सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर भी किये। सहमित पत्रों पर भारत की ओर से चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और अशोक लवासा ने हस्ताक्षर किये।

चुनाव आयोग के महानिदेशक धीरेन्द्र ओझा ने बताया कि भारत सहित अन्य लोकतांत्रित देशों में निर्वाचन प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिये चुनाव आयोग अबतक लगभग 20 अंतरराष्ट्रीय निर्वाचन संस्थाओं के साथ आपसी सहयोग के करार कर चुका है। इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुये वैश्विक स्तर पर मतदाताओं को जागरुक कर चुनाव को ‘लोकतंत्र का महापर्व’ बनाने का लक्ष्य है।

सोमवार, 22 जनवरी 2018

मुखिया ने गांव की तस्वीर बदल कर रख दी है

 सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया रितु को उनके विशिष्ट कार्यों के लिए उच्च शिक्षित आदर्श युवा मुखिया का पुरस्कार मिल चुका है। रितु इस सम्मान को पाने वाली बिहार की एकमात्र मुखिया

मुखिया रितु जायसवाल
 बिहार में बाढ़ से हालात बद से बदतर थे। भीषण बाढ़ में 200 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। वो वक्त कुछ ऐसा था जब सीतामढ़ी जिले का सिंहवाहिनी पंचायत सांसे ले रहा था। दरअसल, आज हम आपको बिहार के सीतामढ़ी जिले के एक ऐसे ही गांव की कहानी बताने जा रहे हैं जिसकी मुखिया ने गांव की तस्वीर बदल कर रख दी है।

रितु कभी बाइक ड्राइव करती दिख जाती हैं तो कभी ट्रैक्टर और जेसीबी  पर सवार हो जाती हैं। आज सभी रितु के काम को देखकर कहने लगे हैं, गांव में राम राज्य आ गया है। रितु ने जब अपने गाँव की दुर्दशा देखी तो वो दिल्ली के चकाचौंध भरे सुविधायुक्त जीवन को अलविदा कह गांव की कायाकल्प बदलने का संकल्प लिया। वो वक्त कुछ ऐसा था जब पंचायत का संपर्क पूरी तरह से जिला मुख्यालय से टूट चुका था। पंचायत के लोग बेबस और मजबूर नजरों से किसी अधिकारी के आने की राह देख रहे थे, कि कोई आए और उन तक राहत सामग्री पहुंचे।



ऐसे में सिंहवाहिनी के लोगों को राहत पहुंचाने का जिम्मा उठाया है वहां की महिला मुखिया रितु जायसवाल ने।  बिहार में सीतामढ़ी जिले की सिंहवाहिनी पंचायत में अधवारा और मरहा नदी में आए उफान से जब यहां के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया, तो यहां के लोगों के लिए किसी मसीहा की तरह अपनों के बीच से चुनी गईं मुखिया रितु जायसवाल सामने आईं।


इतना ही नहीं रितु ने सोशल मीडिया का सहारा लिया और बाढ़ से उबरने के लिए रितु जायसवाल खुद लोगों के साथ मिलकर काम किया। फेसबुक के माध्यम से लोगों को अपने क्षेत्र की स्थिति से रूबरू कराया, साथ ही लोगों से मदद के लिए आगे आने की अपील की है।

बता दें कि अपने परिवार में दो छोटे बच्चों को छोड़कर अपने गांव की तरफ रुख करना रितु के लिए आसान नहीं था लेकिन गांव के कई परिवारों के विकास के लिए रितु ने आखिर यह फैसला लिया। 2016 में सिंहवाहिनी पंचायत से मुखिया पद के लिए रितु ने चुनाव लड़ा। रितु जीत गईं। इसके बाद वो लगातार विकास को लेकर काम कर रही हैं। जिस बाढ़ग्रस्त इलाकों में अधिकारी नहीं पहुंचे, वहां रितु नाव पर खुद गईं।


वैसे रितु के मुखिया बनने की कहानी भी कम रोचक नहीं है। रितु ने शपथ ग्रहण करने के अगले ही दिन बिना सरकारी फंड का इंतजार किये गांव में सड़क बनवाया। गांव में पक्की सड़क आई। इसके बाद आजादी के बाद पहली बार गांव में बिजली और फिर रितु ने शिक्षा का अलख जगाया। इसके लिए उन्होंने गांव की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई और उसे कुछ सामाजिक संगठनों को दिखाया। सामाजिक संगठनों की मदद से बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। इसका असर यह हुआ कि गांव की 12 बेटियों ने एक साथ मैट्रिक पास की। उसके बाद रितु ने पीएम मोदी का सपना पूरा किया। स्वच्छता मिशन के तहत पूरे गांव को खुले में शौच मुक्त बनाया वो भी सिर्फ तीन महीने में।

सोनबरसा प्रखंड की सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया रितु को उनके विशिष्ट कार्यों के लिए उच्च शिक्षित आदर्श युवा मुखिया का पुरस्कार मिल चुका है। रितु इस सम्मान को पाने वाली बिहार की एकमात्र मुखिया हैं। रितु के पति आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान समय में दिल्ली में केंद्रीय सतर्कता आयोग में पदस्थापित हैं।

सवाल है कि दिल्ली में क्या होगा

 क्या 20 सीटों के उपचुनाव होंगे या दिल्ली विधानसभा का मध्यावधि चुनाव होगा?


 आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की चुनाव आयोग की सिफारिश राष्ट्रपति द्वारा मान लिए जाने के बाद दिल्ली में चुनाव की तैयारियों की चर्चा शुरू हो गई है। कुछ टेलीविजन चैनलों ने तो सर्वेक्षण भी कर दिए। हालांकि उन्होंने सिर्फ उन्हीं 20 सीटों का सर्वेक्षण किया है, जिन पर उपचुनाव होना है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक अभी चुनाव हुए तो आप इनमें से 11 सीटें हार जाएगी। एक दूसरे सर्वेक्षण के मुताबिक आप आठ सीटों पर जीतेगी और बाकी 12 में से आठ भाजपा को और चार कांग्रेस को मिलेंगी। आप से अलग हुए पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा का सर्वेक्षण है कि आप को एक भी सीट नहीं मिलेगी।

सो, सवाल है कि दिल्ली में क्या होगा? क्या 20 सीटों के उपचुनाव होंगे या दिल्ली विधानसभा का मध्यावधि चुनाव होगा? आप के ही कुछ नेताओं ने मध्यावधि चुनाव का सुझाव दिया है। हालांकि ये सारे ऐसे नेता हैं, जो खुद विधायक नहीं हैं। उनका कहना है कि अगर उपचुनाव में आप का प्रदर्शन अच्छा नहीं हुआ तो पार्टी में तोड़ फोड़ शुरू हो जाएगी। फिर विधायक खुद ही अच्छे विकल्प की तलाश में भाजपा या कांग्रेस का रुख करेंगे। उनका यह भी कहना है कि उपचुनाव में पार्टी के बागी नेता खास कर कुमार विश्वास भितरघात करेंगे, इससे भी नुकसान होगा। कुमार विश्वास और कपिल मिश्रा के बारे में कहा जा रहा है कि वे भाजपा के साथ मिल कर पार्टी में तोड़ फोड़ भी कर सकते हैं।

इस आधार पर पार्टी के कुछ नेता चाहते हैं कि अगर 20 विधायकों की सदस्यता खत्म होती है तो उपचुनाव में जाने की बजाय पार्टी को मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर देनी चाहिए। जिस तरह 49 दिन की सरकार से अरविंद केजरीवाल ने लोकपाल के नाम पर इस्तीफा दिया था, उसी तरह एक नैतिक स्टैंड लेते हुए उनको विधानसभा भंग करने की सिफारिश करके चुनाव में जाना चाहिए। आप नेताओं का मानना है कि जमीनी स्तर पर उनका वोट एकजुट है। उन्हें लग रहा है कि थोड़े बहुत वोट कम होंगे, लेकिन पार्टी जीत जाएगी। पिछले दिनों हुए बवाना उपचुनाव में मिली जीत की भी मिसाल दी जा रही है। आप नेता यह भी मान रहे हैं कि उनकी पार्टी छोड़ कर गए नेता चुनाव नहीं जीत पाते हैं। विनोद कुमार बिन्नी और वेद प्रकाश इसकी मिसाल हैं। 

शुक्रवार, 19 जनवरी 2018

देश में पहली बार शुरू हुआ शहरों में रहने की सुविधाओं का सूचकांक, बिहार के बिहारशरीफ शहर प्रतिस्पर्धा में शामिल

शहरों में रहन-सहन की सुविधाएं उन्नत करने की प्रतिस्पर्धा को शुरू करते हुए सरकार ने पहली बार लिवेबिलिटी इंडेक्स बनाने की पहल की है. इसके तहत शहरों में रहने की सुविधाओं का सूचकांक बनाया जायेगा. आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को सूचकांक जारी करने की प्रक्रिया का आगाज करते हुए बताया कि इस पहल के पहले चरण में देश के 116 शहरों को शामिल किया है.

उन्होंने बताया कि इसके तहत शहरों में रहन-सहन को सुगम बनाते हुए जीवन स्तर में सुधार लानेवाले मानक तय किये गये हैं. मानकों का बेहतर तरीके से पालन सुनिश्चित करनेवाले शहरों को सूचकांक में श्रेष्ठता के क्रम में स्थान दिया जायेगा. इन शहरों का पहला सूचकांक इस साल जून में जारी किया जायेगा. पुरी ने बताया कि सूचकांक में शामिल 116 शहरों में वे 100 शहर भी प्रतिभागी हैं जो स्मार्ट सिटी परियोजना के भी हिस्सा हिस्सा हैं. सूचकांक के हिस्सा बने शहरों में सर्वाधिक उत्तर प्रदेश के 14, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के 12-12 शहर, कर्नाटक और मध्य प्रदेश के सात-सात, गुजरात के छह और बिहार के चार शहरों को शामिल किया गया है. साथ ही दिल्ली के तीनों नगर निगम और नयी दिल्ली नगर पालिका परिषद भी सूचकांक में प्रतिभागी हैं.

सूचकांक में शहरों के चयन का प्राथमिक मानक 10 लाख से अधिक आबादी होना है. सूचकांक में प्रतिभागी शहरों को बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा और चिकित्सा सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं के अलावा ई-सुविधाओं, सार्वजनिक परिवहन एवं यातायात सहूलियतों की अबाध एवं सहज उपलब्धता को मानक बनाया गया है. साथ ही पर्यावरण एवं ऊर्जा संरक्षण के उपायों को लागू करना भी अहम मानक है. सूचकांक की प्रतिस्पर्धा में शामिल किये गये शहरों में राज्यों की राजधानी के अलावा दस लाख से अधिक आबादीवाले प्रमुख शहर हिस्सा ले रहे हैं. इसके तहत 116 शहरों के 13.4 करोड़ लोगों को शामिल करते हुए बननेवाले सूचकांक में 79 मानकों को आधार बनाया गया है.

प्रतिस्पर्धा में शामिल किये गये शहरों में बिहार से भागलपुर, बिहारशरीफ और मुजफ्फरपुर, गुजरात के राजकोट और सूरत, कर्नाटक में हुबली और मंगलुरु, मध्य प्रदेश में सतना और सागर, महाराष्ट्र में नासिक और औरंगाबाद, राजस्थान में कोटा और जोधपुर, तथा उत्तर प्रदेश में रामपुर और झांसी सहित अन्य प्रमुख शहर शामिल हैं.

कृषि विभाग में होगी 750 कृषि पर्यवेक्षकों की भर्ती - कृषि मंत्री

जयपुर,। कृषि मंत्री  प्रभुलाल सैनी ने बताया कि कृषि विभाग में 750 कृषि पर्यवेक्षकाें की भर्ती की जाएगी। इसके साथ ही 290 सहायक कृषि अधिकारी, 20 सांख्यिकी अधिकारी, 38 सहायक सांख्यिकी अधिकारी के पदों पर भर्ती की जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग व अन्य रिक्रूटमेंट एजेंसियों को अभ्यर्थना भिजवा दी गई है।

 सैनी शुक्रवार को राज्य कृषि प्रबंध संस्थान, दुर्गापुरा में हलधर टाइम्स और राजस्थान एग्रीकल्चर स्टूडेंट एसोसिएशन की ओर से आयोजित कृषि विद्यार्थी एवं प्रतिभा खोज परीक्षा 2018 के सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आने वाला समय कृषि का होगा और इसमें रोजगार की अनंत सभावनाएं हैं क्योंकि खाद्यान्न की जरूरत मानवजीवन के लिए हमेशा बनी रहेगी। इस क्षेत्र में काम करने वाला व्यक्ति रोजगार प्रदाता बनने की क्षमता रखता है।

कृषि मंत्री ने कृषि वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि कृषि क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा दें। खाद्यान्न में घटती गुणवत्ता और पोषकतत्वों पर चिंता जताते हुए उन्होंने इस क्षेत्र में नए शोध की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि किसानों को आज परम्परागत खेती के साथ कृषि में हो रहे नवाचाराें को अपनाने की जरूरत है।

वाटर मैनेजमेंट का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के होंगे प्रयास
कृषि मंत्री  प्रभुलाल सैनी ने बताया कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के ‘‘पर ड्रॉप-मोर क्रॉप‘‘ के विजन को साकार करने के लिए राज्य में वाटर मैनेजमेंट पर आधारित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के प्रयास होंगे। उन्होंने कहा कि राजस्थान में वैसे ही पानी की कमी है, इसलिए राज्य सरकार कम पानी में होने वाली फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए जोर दे रही है। राज्य में संरक्षित खेती के आवेदनों में आशातीत बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने बताया कि इस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को स्थापित करने के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई जाएगी।

प्रतिभाओं को किया गया सम्मानित
इस अवसर पर कृषि विद्यार्थी एव प्रतिभा खोज परीक्षा में सफल हुए विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। इसके साथ ही प्रगतिशील किसानों को उनके विशेष कार्य के लिए कृषि मंत्री ने सम्मानित किया। इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति जी एल केशवा, हलधर टाइम्स के संपादक  शरद शर्मा सहित बड़ी संख्या में छात्र और प्रगतिशील किसान उपस्थित थे।

दीन दयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा -- जयपुर संभाग के 270 यात्रियों का जगन्नाथपुरी का सपना हुआ साकार


जयपुर, । ढोल-नंगाड़ों की गूंज, बैण्ड वादन से निकलती भक्ति की रस-धारा और जगन्नाथपुरी की पावन धरा की यात्रा करने का सपना संजोए जयपुर संभाग के 270 वरिष्ठ नागरिकों को शुक्रवार को दुर्गापुरा रेलवे स्टेशन से विशेष रेलगाड़ी में रवाना किया गया।

राज्य सरकार की अभिनव दीन दयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा को लेकर यात्रियों और उनके परिजनों में खासा उत्साह देखा गया। सभी यात्रियों को एक-एक किट प्रदान किए गए जिसमें मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे का संदेश और यात्रा के लिए दिशा निर्देश शामिल थे। यात्रियों ने राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस अभिनव योजना के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों को देश के प्रमुख तीर्थ स्थानों की रेल और हवाई यात्रा के माध्यम से यात्रा करने का अवसर प्राप्त हुआ।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह यात्रा किसी उत्सव सरीखी प्रतीत हो रही है। अनेक यात्री ऎसे भी थे, जो पहली बार तीर्थांटन पर जा रहे थे। देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त श्री राजीव पाण्डे ने बताया कि जगन्नाथपुरी की इस यात्रा में जयपुर, कोटा और सवाई माधोपुर से 270 वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं। उन्होंने बताया कि अब तक करीब 8 हजार वरिष्ठ नागरिक देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों की यात्रा का लाभ उठा चुके हैं। यात्रा के संयोजक सुरेश पाटोदिया ने सभी यात्रियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया तथा उन्हें यात्रा के दौरान दी जा रही सुविधाओं की जानकारी दी। 

राज्य में मानवाधिकारों के सम्बन्ध में हो रहे उत्कृष्ट कार्य -- -अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग


जयपुर, । राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एचएल दत्तु ने राज्य सरकार की सराहना करते हुए कहा कि प्रदेश में मानवाधिकार अधिनियम को लागू करने की दिशा में अत्यंत प्रभावी एवं उत्कृष्ट कार्य किए जा रहे हैं।

जस्टिस दत्तु अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा शुक्रवार को हरिश्चन्द्र माथुर राजस्थान राज्य लोक प्रशासन संस्थान ओटीएस में दलित अत्याचारों और उनसे सम्बन्धित समस्याओं से जुड़े मामलों के त्वरित समाधान के लिए आयोजित दो दिवसीय खुली सुनवाई के समापन अवसर पर बोल रहे थे।

जस्टिस दत्तु ने बताया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग देश के विभिन्न हिस्सों में दलित अत्याचारों की शिकायतों पर खुली सुनवाई एवं शिविर आयोजित कर रहे हैं। जयपुर में खुली सुनवाई के दूसरे दिन फुल कमीशन के बैठक में 14 मामलों की सुनवाई की गई। जिनमें से 5 मामलों को बंद किया गया, पांच मामलों में अग्रिम रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए एवं चार मामलों में 12.90 लाख की सहायता/राहत पीड़ित या मृतक के रिश्तेदारों को देने को कहा गया है। इसके उपरान्त आयोग ने मानवाधिकारों के उल्लंघन  से सम्बन्धित मुद्दों पर जमीनी स्तर पर प्रतिक्रिया जानने के लिए प्रदेश के प्रमुख एनजीओ ने बातचीत की। जिसमें एसटी/एससी, महिला, पुलिस, कारागार, बच्चों की तस्करी, पुलिस द्वारा एफआईआर नहीं लिखने, कारागार के कैदियों का एचआईवी चिकित्सा परीक्षण, शिक्षा का अधिकार, नशे की लत, सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं आदि के सम्बन्ध में बातचीत हुई।

जस्टिस दत्तु ने कहा कि एनजीओ द्वारा उठाए गए मुद्दों को राज्य सरकार तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने पुलिस एवं प्रशासन को मानवता के बेहतर संरक्षण के लिए संवेदनशील होकर समाज के कमजोर वर्ग को संरक्षण एवं सहायता देने को कहा। मुख्य सचिव श्री एनसी गोयल ने कहा कि राज्य सरकार जनकल्याण के लिए प्रतिबद्ध है एवं आयोग द्वारा दिए गए सभी निर्देशों पर जल्द ही कार्यवाही की जाएगी।

इस अवसर पर राज्य मानवाधिकार आयोग के महासचिव जस्टिस अम्बुज शर्मा, राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया, आयोग के सदस्य, अतिरिक्त शासन सचिव गृह श्री दीपक उत्प्रेती, अतिरिक्त शासन सचिव पंचायतीराज श्री सुदर्शन सेट्टी, अतिरिक्त शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्रीमती वीनू गुप्ता, पुलिस महानिदेशक श्री ओपी गल्होत्रा सहित पुलिस विभाग के विभिन्न अधिकारी एवं विभिन्न विभागों के प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।

क्‍या तीन सालों में बंद हो जायेंगी देश की सभी बैंक शाखाएं?

नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने गुरुवार को कहा कि भौतिक रूप से बैंक और उनकी शाखाओं में जाना अगले तीन साल में अप्रासंगिक हो जायेगा, क्योंकि डाटा खपत और डाटा विश्लेषण से वित्तीय समावेश को और गति मिलेगी.
 कांत ने कहा कि बैंकों की शाखाओं में जाना खत्म हो जायेगा...इसका कारण बड़े पैमाने पर डाटा का उपयोग तथा डाटा विश्लेषण है जो वित्तीय समावेश को मजबूत बनायेगा. यहां एक परिचर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र देश है जहां एक अरब से अधिक लोगों को आधार कार्ड (बायोमेट्रिक) जारी किये गये हैं.
उन्‍होंने कहा कि अगले तीन साल में भारत में एक अरब से अधिक स्मार्टफोन होगा. नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने यह भी कहा कि देश में मोबाइल डाटा खपत अमेरिका और चीन के संयुक्त डाटा खपत से अधिक है. परिचर्चा में भाग लेते हुए पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा ने कहा कि दुनिया में नया बैंकिंग मॉडल भारत से आयेगा और पेटीएम भारत मॉडल का शुरूआती उदाहरण होगा.

गुरुवार, 18 जनवरी 2018

देश में यूडीआईडी कार्ड जारी करने में राजस्थान दूसरे स्थान पर - सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री

जयपुर, । मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार राज्य के विशेष योग्यजनों के सशक्तिकरण एवं कल्याण के लिए चलाये जा रहे विशेष अभियान के दौरान अब तक प्रदेश में  9 लाख 37 हजार से अधिक दिव्यांगजनों का ऑनलाईन पंजीकरण किया जाकर 1 लाख 83 हजार 106 का निःशक्तता प्रमाण पत्र जारी करने के साथ 1 लाख 45 हजार दिव्यांगजनों को यूडी.आई.डी. कार्ड बनाये जा चुके हैं।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. अरूण चतुर्वेदी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि देश में राजस्थान यू.डी.आई.डी. कार्ड जारी करने में मध्य प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पंजीकृत दिव्यांगजनों का प्रमाणीकरण, निःशक्तता प्रमाण पत्र बनाने एवं यू.डी.आई.डी. कार्ड बनाने का कार्य शिविरों के माध्यम से नियमित जारी है।

डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि भारत सरकार द्वारा 21 तरह के निःशक्तता की श्रेणियों की अधिसूचना जारी कर दी गयी है। अब 21 तरह के दिव्यांगजनों का प्रमाणीकरण निःशक्तता प्रमाण पत्र जारी करने के बाद मिलने वाली सहायता एवं आवश्यक उपकरण उन्हें उपलब्ध कराये जायेंगे।

डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि 1 जून 2017 से अब तक प्रदेश में 8 हजार 479 पंजीकरण शिविर एवं 1 हजार 801 प्रमाणीकरण शिविर आयोजित किये गये वहीं 6 हजार 259 सहायक उपकरण दिव्यांगजनों को प्रदान किये गये।

राज्यपाल सतपाल मालिक एक दिवसीय निजी दौरे के क्रम में नालंदा पहुंचे

बिहार के राज्यपाल सतपाल मालिक  अपने एक दिवसीय निजी दौरे के क्रम में नालंदा पहुंचे जहां नालंदा महाविहार परिसर में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया | इस मौके पर जिला प्रशासन के आलाधिकारी भी मौजूद थे।

दरअसल राज्यपाल सतपाल मलिक सपरिवार निजी दौरे पर हैं और इस दौरान वो नव नालंदा महाविहार पहुंचे जहां उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया। राज्यपाल के साथ नालंदा आने वालों में उनके परिवार के बच्चे भी शामिल हैं। इस मौके पर राजयपाल के परिवार के सदस्य के अलावे नालंदा के जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन एस पी सुधीर कुमार पोरिका भी मौजूद थे|


 नालंदा के इतिहास की जानकारी ली
महाविहार के बाद राज्यपाल प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का खंडहर देखने पहुंचे। जहां उन्होंने न केवल नालंदा के इतिहास के बारे में जानकारी ली बल्कि अपने परिवार के साथ फोटो भी खिंचवाया|  करीब बीस मिनट खंडहर  में ठहरने के बाद राज्यपाल नालंदा म्यूजियम और ह्वेनसांग मेमोरियल हाल पहुंचकर वहां भी कई जानकारीयां प्राप्त की।

बेन थाना में बरामद शराब की गई नष्ट

नालंदा। बेन थाना में 111.75 लीटर देशी शराब नष्ट की गई। इस अवसर पर आलोक कुमार उत्पाद विभाग सब इंस्पेक्टर, दीपक दास, साहेब गुप्ता, पप्पू कुमार मोदी,  वेन थाना प्रभारी रंजीत कुमार सिन्हा , वेन अंचलाधिकारी सुबोध कुमार सहित कई लोग उपस्थित थे। विदित हो यह शराब बेन थाना क्षेत्र के धोबडी गांव एवं अकौना गांव में दो अलग अलग छापेमारी में बरामद की गई थी। सुबह 4 बजे एसपी के निर्देश पर वेन थाना के रामचंद्र मंडल एवं सशस्त्र बल के साथ धोब्डी गांव के पास बीआर 21 पी 2175 मैजिक गाड़ी में तलाशी ली गई थी। तलाशी के दौरान 10 कार्टन में 120 बोतल विदेशी शराब बरामद की गई थी। उसी क्रम जे.एच. 05 ए. जी. 5225 गाड़ी जायलो से 25 कार्टून में 30 बोतल विदेशी शराब पुलिस ने बरामद की गई थी।

बुधवार, 17 जनवरी 2018

नागालैंड, मेघालय और त्रिपुरा विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान

चुनाव आयोग ने नागालैंड, मेघालय और त्रिपुरा विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। त्रिपुरा में 18 फरवरी को मेघालय और नागालैंड में 27 फरवरी को वोटिंग होगी जबकि तीनों राज्यों में काउंटिंग एक साथ 3 मार्च को कराई जाएगी। चुनाव आयोग के मुताबिक तीनों राज्यों में चुनाव दो चरणों में होंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार ज्योति ने की और कहा कि आचार संहिता अभी से  तीनों राज्यों में लागू हो गई है।

चुनाव आयोग ने  तीनों राज्यों में वीवीपैट से चुनाव होंगे। साथ ही हर बूथ पर एक-एक ईवीएम में वीवीपैट का मिलान होगा। उम्मीदवारों के लिए चुनाव में खर्च की सीमा 20 लाख रुपये रखी गई है।


उधर, चुनाव की तारीख के ऐलान से पहले ही मेघालय की राजनीति में उठा पटक जारी है, क्योंकि सत्तारूढ़ एनपीपी के कई विधायकों ने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है। इस राज्य में 60 सीटें हैं और यहां कांग्रेस गठबंधन की सरकार है, लेकिन ये तय माना जा रहा है कि इस बार कांग्रेस की राह आसान नहीं रहेगी।

बताया जाता है कि कांग्रेस के व्यवहार से राज्य के लोगों में उसके प्रति नकारात्मक भाव फैला हुआ है, ऐसे में ये चुनावी लड़ाई उसे काफी भारी पड़ सकती है। वहीं 60 सीटों वाले त्रिपुरा में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कई रैलिया कर रहे हैं। हालांकि, त्रिपुरा में बीजेपी की पकड़ इतनी मजबूत नहीं है, क्योंकि आंकड़ों को देखा जाए तो साल 2013 में यहां बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था। जबकि निर्दलियों के हाथों में 13 सीटें गई थी। राज्य की सत्तारूढ़ माणिक सरकार भी चुनावों में पूरी ताकत झोकने की तैयारी में है।

नागालैंड में भी 60 सीटें हैं और यहां नागालैंड पीपुल्स फ्रंट की सरकार है, जो एनडीए का समर्थन मिला हुआ है।
साल 2003 से राज्य में नागालैंड पीपुल्स फ्रंट की सरकार है, लेकिन यहां भी चुनावी लड़ाई में बड़ी टक्कर देखी जाएगी।

 पूर्वोतर में बीजेपी ने झोंकी पूरी ताकत


वहीं पूर्वोत्तर में सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रही भाजपा ने इस बार के चुनावों में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी के चुनाव अभियान में तेजी लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 जनवरी को राज्य में पार्टी की दो चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे।

सूत्रों ने बताया कि दौरे की तारीख तय होने के बावजूद फिलहाल रैली की जगह तय नहीं हुई है। भाजपा के अपने आकलन के मुताबिक, राज्य में पार्टी को 60 सीटों में से कम से कम 35 सीटों पर जीत की उम्मीद है। दिलचस्प बात यह है कि फिलहाल उसका एक भी विधायक यहां नहीं है।

भाजपा के प्रवक्ता विक्टर सोम की दलील है कि कम से कम 30 ऐसी सीटें हैं जहां बीते चुनावों में वाममोर्चा उम्मीदवार तीन हजार से भी कम वोटों के अंतर से जीते थे। पार्टी का आरोप है कि वाममोर्चा फर्जी वोटरों के सहारे ही इतने लंबे समय तक सत्ता में रही है।

उधर, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने पूर्वोत्तर के तीन राज्यों मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में अकेले चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया है। पार्टी के महासचिव प्रफुल्ल पटेल ने यहां पत्रकारों को बताया कि पार्टी मेघालय की 60 में से 42 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करेगी। पार्टी ने छह उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करते हुए राज्य में अपना चुनाव अभियान शुरू कर दिया है।

मेरी शादी किसी कलेक्टकर, कमिश्नर या जज युवती से करा दो

मुख्यमंत्री का धर्मसंकट, युवक ने कलेक्टर से शादी करवाने की दी अर्जी
एक मुख्यमंत्री के पास तमाम तरह के काम होते हैं। जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरना और उनकी मांगों को पूरी करने की कोशिश हर मुख्यमंत्री करता है। खासतौर पर अगर विधानसभा चुनाव नजदीक हों तो मुख्यमंत्री किसी भी मांग को खारिज नहीं कर सकते। लेकिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पास जनता की तरफ से ऐसी-ऐसी मांगें आ रही हैं, जिन्हें वे शायद कभी पूरी नहीं कर पाएंगे। दरअसल डॉ. रमन सिंह ने जनता की समस्याओं की खबर लेने तीन दिन का लोक सुराज अभियान क्या चलाया, कुछ लोगों ने उन्हें ऐसे अजीब तरह के आवेदन देकर मुश्किल में फंसा दिया है।

कलेक्टर से मेरी शादी करा दो

तीन दिन के इस सुराज अभियान में रमन सिंह के पास एक लड़के ने अजीब-ओ-गरीब आवेदन किया है। लड़के ने अपनी चिट्ठी में मुख्यमंत्री से आवेदन किया है कि उसकी शादी किसी कलेक्टकर, कमिश्नर या जज युवती से करा दी जाए। मुख्यमंत्री इस चिट्ठी का क्या करेंगे यह तो बाद में देखा जाएगा, लेकिन एक अन्य युवक ने तो खुद को राज्य का स्वास्थ्य मंत्री बनाने तक की अर्जी लगा डाली है। इस पूरे प्रकरण में दिलचस्प बात तो यह है कि सरकारी अमले ने इन दोनों युवकों का आवेदन स्वीकार कर निराकरण के लिए संबंधित विभागों को भेज भी दिया है।

सरकार ने जनता की समस्याओं की जानकारी लेने के लिए तीन दिन के लिए पूरे राज्य में जिला से पंचायत स्तर तक आवेदन मंगवाए। आवेदन आने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब इसके निराकरण का सिलसिला चलेगा। उसमें से कुछ दिलचस्प और रोचक आवेदनों ने सरकारी अमले के सामने मांगों के निराकरण की चुनौती खड़ी कर दी है।



कोरबा जिले के करतला ब्लॉक के ग्राम पंचायत खरवानी में लोक सुराज अभियान के दौरान आश्रित ग्राम बुढ़ियापाली के संतोष सागर ने मुख्यमंत्री से एक दिन के लिए स्वास्थ्य मंत्री बनाने की मांग की है। मंत्री बनाने की मांग के साथ उसने स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करने की इच्छा जताई है। सरकारी अमले के सामने उस वक्त कौतूहल की स्थिति निर्मित हो गई, जब बुढ़ियापाली निवासी संतोष यह अजीब-ओ-गरीब आवेदन लेकर पहुंचा।

स्वास्थ्य मंत्री बन भ्रष्टाचार पर लगाम लगा दूंगा

संतोष ने मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए लिखा है कि सीएम साहब! मुझे एक दिन का स्वास्थ्य मंत्री बना दीजिए। मंत्री बनाए जाने पर वह प्रदेश में पसरी स्वास्थ्य संबंधी अव्यवस्था को दूर करना चाहता है। सागर का कहना है कोरबा जिले के स्वास्थ्य विभाग में साल 2012 में जो महिला स्वास्थ्यकर्ता की भर्ती हुई थी, उसमें खासी गड़बड़ी बरती गई थी। उसने स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त होकर भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी व कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की इच्छा जताई है। खरवानी लोक सुराज अभियान में संतोष का आवेदन पूरे दिन चर्चा का विषय रहा। सुराज अभियान में प्रति वर्ष अजीब-ओ-गरीब आवेदन देखे जाते हैं। इस कड़ी में संतोष ने स्वास्थ्य मंत्री बनने की मांग के साथ-साथ विभागीय भ्रष्टाचार में लगाम लगाने की अनुमति मुख्यमंत्री से मांगी है।

शादी के आवेदन को महिला एवं बाल विकास विभाग में भेजा

इधर बिलासपुर के पथरिया ब्लॉक के ग्राम लाटा के युवक गोफेलाल ने विवाह के लिए लड़की दिलाने की मांग की है। उसने अपनी पसंद भी बताई है। ऐसी-वैसी नहीं केवल कलेक्टर, कमिश्नर या फिर जज लड़की से शादी करने की इच्छा गोफेलाल ने जताई है। मजे की बात यह है कि उनके आवेदन को स्वीकार करते हुए निराकरण के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग भेज दिया गया है।

आवेदन मिलने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की समस्या बढ़ गई है कि आखिर युवक की डिमांड को कैसे पूरा किया जाए। सरकारी अमले को उसके आवेदन को लंबित भी नहीं रखना है, ऐसे में निराकरण लिखना भी एक नई तरह की चुनौती है। बहरहाल, ये दोनों आवेदन पूरे राज्य में चर्चा का विषय बने हुए हैं।