सोमवार, 27 जनवरी 2020

मोदी सरकार को मिली बड़ी सफलता, खत्म हुआ अलग बोडोलैंड राज्‍य विवाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को सोमवार को बड़ी सफलता मिली है। आज गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो उग्रवादियों के प्रतिनिधियों ने असम समझौता 2020 पर हस्‍ताक्षर कर दिए हैं। इस समझौते के बाद 50 साल से चला आ रहा बोडोलैंड विवाद का अंत हो गया है। बताया जा रहा है कि इसमें 2823 लोग अपनी जान गवा चुके हैं। पिछले 27 साल में यह तीसरा 'असम समझौता' है। सूत्रों ने बताया कि इस विवाद के जल्‍द समाधान के लिए मोदी सरकार लंबे समय से प्रयासरत थी और अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद इसमें काफी तेजी आई।

इस मौके पर गृह मंत्री ने ऐलान करते हुए कहा कि उग्रवादी गुट नेशनल डेमोक्रैटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के 1550 कैडर 30 जनवरी को अपने 130 हथियार सौंप देंगे और आत्‍मसमर्पण कर देंगे।गृहमंत्री ने आगे कहा कि इस समझौते के बाद अब असम और बोडो के लोगों का स्‍वर्णिम भविष्‍य सुनिश्चित होगा। केंद्र सरकार बोडो लोगों से किए गए अपने सभी वादों को समयबद्ध तरीके से पूरा करेगी। इस समझौते के बाद अब कोई अलग राज्‍य नहीं बनाया जाएगा।


 जानें क्या बोडो विवाद...

बोडो असम का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है, जो राज्‍य की कुल जनसंख्‍या का 5 से 6 प्रतिशत है। यही नहीं, लंबे समय तक असम के बड़े हिस्‍से पर बोडो आदिवासियों का न‍ियंत्रण रहा है। असम के चार जिलों कोकराझार, बाक्‍सा, उदालगुरी और चिरांग को मिलाकर बोडो टेरिटोरिअल एरिया डिस्ट्रिक का गठन किया गया है। इसके फलस्‍वरूप बोडो लोगों ने अपनी पहचान बचाने के लिए एक आंदोलन शुरू कर दिया। दिसंबर 2014 में अलगाववादियों ने कोकराझार और सोनितपुर में 30 लोगों की हत्‍या कर दी। इससे पहले वर्ष 2012 में बोडो-मुस्लिम दंगों में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी और 5 लाख लोग विस्‍थापित हो गए थे।

 जानें एनडीएफबी कौन हैं...

राजनीतिक आंदोलनों के साथ-साथ हथियारबंद समूहों ने अलग बोडो राज्‍य बनाने के लिए प्रयास प्रारंभ कर दिया। अक्‍टूबर 1986 में रंजन दाइमारी ने उग्रवादी गुट बोडो सिक्‍यॉरिटी फोर्स का गठन किया। 

बाद में इस समूह ने अपना नाम नेशनल डेमोक्रैटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) कर लिया। एनडीएफबी ने राज्‍य में कई हत्‍याओं, हमलों और उगाही की घटनाओं को अंजाम दिया।

वर्ष 1990 के दशक में सुरक्षा बलों ने एनडीएफबी के खिलाफ व्‍यापक अभियान शुरू किया। अभियान को देखते हुए ये उग्रवादी पड़ोसी देश भूटान भाग गए। वहां से एनडीएफबी के लोगों ने अपना अभियान जारी रखा। वर्ष 2000 के आसपास भूटान की शाही सेना ने भारतीय सेना के साथ मिलकर आतंकवाद निरोधक अभियान चलाया जिसमें इस गुट की कमर टूट गई।

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