मंगलवार, 21 जनवरी 2020

आसान नहीं है भाजपा के नए अध्यक्ष जेपी नड्डा की राहें, हर कदम पर हैं चुनौतियां

भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने सोमवार को भाजपा के पूर्ण कार्यकालिक अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया, लेकिन उनकी राह बहुत आसान नहीं है। नड्डा के सामने भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह अब तक के सबसे सफलतम भाजपा अध्यक्ष का रिकॉर्ड बनाकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में गए हैं। 

अमित शाह ने न केवल पूरी भाजपा को युवा बनाया, बल्कि भाजपा को युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय भी बनाया। शाह भाजपा को देश के गांवों तक लेकर गए और गांव के मतदाताओं के साथ जोड़ा। अब जगत प्रकाश नड्डा के सामने न केवल इसे बनाए रखने की चुनौती होगी, बल्कि अपने कार्यकाल में भाजपा से दो करोड़ नये सदस्यों को जोड़ने का भी लक्ष्य रहेगा।

दिल्ली चुनाव पहला इम्तिहान, इसके बाद बिहार-बंगाल

नड्डा के सामने पहला इम्तिहान दिल्ली विधानसभा का चुनाव है। अभी तक का चुनाव आम आदमी पार्टी और उसके मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ ट्रेंड कर रहा है। नड्डा के सामने इसे भाजपा के पाले में करने की चुनौती है।  


भाजपा पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली का चुनाव बिना किसी मुख्यमंत्री के चेहरे के लड़ने का फैसला किया था। उन्होंने इस चुनाव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ने की रणनीति बनाई थी। अमित शाह आक्रामक चुनाव प्रचार का प्रयोग करते रहे हैं। हालांकि नड्डा बहुत बारीक राजनीति करते हैं। 

स्वभाव से मृदु हैं। निगाह लक्ष्य पर रखते हैं। सबको साथ लेकर चलने में निपुण हैं और तमाम विरोधों के बीच अपनी लाइन बना ले जाते हैं। अब देखना होगा कि वह कहां तक सफल हो पाते हैं। दिल्ली के बाद नड्डा की दूसरी बड़ी परीक्षा बिहार विधानसभा चुनाव में होगी। 

नड्डा ने बिहार से ही राजनीति का ककहरा सीखा था। छह महीने पहले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बिहार में अपना दमखम दिखाया है। राज्य में भाजपा के सहयोग वाली नीतीश कुमार की सरकार है। पूर्व अध्यक्ष अमित शाह साफ कर चुके हैं कि बिहार में भाजपा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। 

देखना है कि नड्डा इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं। पश्चिम बंगाल में तृणमूल का किला ढहाकर सरकार बनाने को भाजपा ने शीर्ष प्रथमिकता दी है।

नड्डा के पास है अब भाजपा के दो चेहरे

अमित शाह की अध्यक्षता में भाजपा ने हर चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा। 2018 के अप्रैल महीने तक दिल्ली बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब विधानसभा चुनाव को छोड़कर भाजपा लगभग हर राज्य में सरकार बनाने में सफल रही। 

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी नये समीकरण बनाए। अब भाजपा अध्यक्ष के पास प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय गृहमंत्री का भी लोकप्रिय चेहरा है। अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी से हटने के बाद अमित शाह अब पार्टी के प्रचार के लिए अच्छा खासा समय दे सकते हैं। अमित शाह पार्टी का धीरे-धीरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद दूसरा बड़ा चेहरा बन गए हैं। वह हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में देखे जाने लगे हैं।

...लेकिन कांटों भरी चुनौती

नड्डा के सामने कांटों भरी चुनौती भी है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संगठन में काम कर चुके हैं। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी के समय में नड्डा पार्टी संगठन में अपनी जगह बनाने में सफल रहे थे। गडकरी के बाद राजनाथ सिंह को अध्यक्ष पद मिला था। तब नड्डा का कद और बढ़ा था। 

वह 2014 में अध्यक्ष पद के दावेदारों में गिने जा रहे थे, हालांकि प्रधानमंत्री ने तब उन्हें अपने कैबिनेट में शामिल कर लिया। अब नड्डा पार्टी के अध्यक्ष बने हैं। नड्डा की भाजपा के सभी पदाधिकारी अमित शाह के समय के हैं। नड्डा के सामने इनसे तालमेल बनाना बड़ी चुनौती है। 

कई राज्यों में भाजपा सत्ता से दूर हुई है। यह भाजपा की राजनीति की ऊंचाई को छूने के बाद पीछे लौटने का संकेत दे रहा है। नड्डा को इस पर ब्रेक लगाना है। नड्डा को प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री के साथ तालमेल बनाते हुए अपनी छवि भी बनाए रखने की चुनौती है।

कौन हैं जगत प्रकाश नड्डा

59 साल के नड्डा हिमाचल प्रदेश से आते हैं। पहली बार विधायक भी हिमाचल प्रदेश से बने थे, लेकिन नड्डा का जन्म बिहार में हुआ है। पटना विश्वविद्यालय से उन्होंने कानून की डिग्री ली है। वहीं से राजनीति का ककहरा भी सीखा। 

अखिल भारतीय विद्याथी परिषद से जुड़कर छात्र राजनीति की। आपात के दौरान जेपी आंदोलन में भूमिका निभाई और यहीं से राजनीति उनका करियर बनती चली गई। 1993 में वह हिमाचल विधनसभा के सदस्य बने। 

1994 में विधानसभा में पार्टी के नेता चुने गए और 1998 तक इस दायित्व को निभाया। 2012 में नड्डा राज्यसभा सदस्य के तौर पर चुने गए और 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें अपने मंत्रिमंडल में लेकर केंद्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी।

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