शनिवार, 25 जनवरी 2020

अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग का लोकसभा व राज्य विधानसभाओं में दस वर्ष आरक्षण और बढ़ाने का संकल्प प्रस्ताव पारित

जयपुर, 25 जनवरी। राज्य विधानसभा ने शनिवार को लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति व जनजातियों हेतु आरक्षण दस वर्ष ओर बढ़ाने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद-368 के खण्ड (2) के परन्तुक के खण्ड (घ), के परिधि के अन्तर्गत संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित संविधान ( एक सौ छब्बीसवां संशोधन)  विधेयक 2019 के प्रस्ताव के संकल्प का सर्व सहमति से अनुसमर्थन कर पारित किया। 

इससे पहले संसदीय मंत्री  शांति धारीवाल ने इस संकल्प को सदन में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया। इस पर हुई चर्चा के दौरान प्रतिपक्ष के सदस्यों द्वारा प्रस्ताव को देर से लाने के आरोपों को गलत बताते हुए  धारीवाल ने बताया कि विधानसभा के प्रत्येक पहले सत्र में राज्यपाल का अभिभाषण होना आवश्यक होता है और यह भी सही है कि अभिभाषण के लिए विभिन्न विभागों से जानकारी एकत्रित करने में समय लगता है। अतः विपक्ष के सदस्यों का यह कहना गलत है कि सरकार ने इस प्रस्ताव को लाने में देरी की है। उन्हाेंने यह भी बताया है कि संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद हमें विधेयक प्राप्त होते ही इसे पारित करने हेतु हमने तत्काल सदन की बैठक बुलाई है।

संकल्प पर चर्चा के दौरान  ऊ र्जा मंत्री  बुलाकी दास कल्ला ने कहा कि हमारी सरकार केन्द्र व राज्यों में हमेशा अनुसूचित जाति व जनजाति वर्गों की हितैषी रही है। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने आते ही डॉ.बी.आर अम्बेडकर विश्वविद्यालय को बंद कर दिया, लेकिन हमारी सरकार ने आते ही पुनः इस विश्वविद्यालय को शुरू किया है। उन्होेंने यह भी स्पष्ट किया है कि हमारी सरकार ने हमेशा समाज के शोषित और पीड़ित  वर्गों की सेवा का कार्य किया है और आगे भी इन वर्गों को सामाजिक न्याय दिलाने हेतु पुरजोर प्रयास करती रहेगी।

इससे पहले सदन के पक्ष व विपक्ष के सदस्यों ने अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के लोगों को लोकसभा एवं राज्य विधानसभा में आगामी दस वर्षों तक आरक्षण और बढ़ाने के प्रस्ताव के पक्ष में लाये गये प्रस्ताव का अनुसमर्थन किया।

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