गुरुवार, 10 सितंबर 2020

युवाओं के भविष्य से खिलवाड़!




वैसे तो इस देश में कई चीजों से खिलवाड़ हो रहा है पर कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच इंजीनियरिंग में दाखिले की परीक्षा करा कर और मेडिकल में दाखिले की परीक्षा कराने पर अड़ कर केंद्र सरकार ने लाखों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया है। यह बात खुद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी, एनटीए के आंकड़ों से जाहिर हो गई है। एनटीए ने एक से छह सितंबर के बीच हुई परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों का आंकड़ा जारी किया है। इसके मुताबिक परीक्षा के लिए आवेदन करके एडमिट कार्ड डाउनलोड करने वालों में 26 फीसदी छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हुए हैं। यह आंकड़ा करीब दो लाख छात्रों का है।


वैसे हर परीक्षा में कुछ छात्र एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के बाद परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं पर उनका प्रतिशत पांच से छह होता है। जैसे जेईई मेन्स की जनवरी में हुई परीक्षा में 94.31 फीसदी छात्र शामिल हुए थे। पिछले साल हुई जेईई मेन्स की दोनों परीक्षाओं में 94 फीसदी से ज्यादा छात्र शामिल हुए थे। इसका मतलब है कि पांच-छह प्रतिशत छात्र ही परीक्षा में नहीं शामिल होते हैं, जबकि इस बार 26 फीसदी छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हुए।


भाजपा के सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इस परीक्षा को टलवाने की जीतोड़ कोशिश की पर किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। परीक्षा में नहीं शामिल होने वालों का उनका आंकड़ा ज्यादा बड़ा है। उनका कहना है कि इससे बड़ी संख्या में छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हुए हैं। वे मेडिकल में दाखिले की नीट परीक्षा को भी रूकवाना चाहते हैं पर सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि यह परीक्षा रूकवाने के लिए कोई भी उसके पास नहीं आए। वह कोई आवेदन स्वीकार नहीं करेगी। सोचें, फिर लोग कहा जाएंगे? सरकार बात नहीं सुन रही है और अदालत ने पहले ही बात सुनने से इनकार कर दिया तो नौजवान क्या करेंगे? इस परीक्षा में भी बड़ी संख्या में बच्चे शामिल नहीं होंगे और अपना साल बरबाद करेंगे। कोरोना के संकट के बीच जो शामिल होंगे उनकी मुश्किलों और मानसिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। 

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