केंद्र सरकार ने तय कर लिया है कि सेंट्रल विस्टा बनेगी तो बन कर रहेगी। सरकार ने देश की आजादी के 75 साल का जश्न शानदार तरीके से मनाने का फैसला किया है, चाहे देश की हालत जैसी भी हो। तभी सेंट्रल विस्टा के निर्माण कार्य को नहीं रोका गया है। ध्यान रहे सरकार ने बाकी सारे प्रोजेक्ट रोक दिए हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से जो आर्थिक संकट आया है उसके कारण बजट से मंजूर हो चुके प्रोजेक्ट्स को भी रोक दिया गया है। हर तरह के खर्च में सरकार कटौती कर रही है ताकि आर्थिक संकट से निपटने के लिए सरकार के पास संसाधन बचें। अभी संसद के इसी सत्र में सरकार ने सांसदों के वेतन में 30 फीसदी की कटौती का बिल पास किया है।
इसके बावजूद नई संसद भवन, प्रधानमंत्री निवास और केंद्र सरकार के दफ्तरों के लिए नए भवनों का निर्माण जरूर होगा। यह पूरी परियोजना 12 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की है। एक अनुमान यह भी है कि इस पर 20 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। विपक्ष की ओर से सेंट्रल विस्टा परियोजना का दो वजहों से विरोध किया जा रहा है। पहला विरोध तो यह है कि इतने बड़े आर्थिक संकट में इस तरह के निर्माण की जरूरत नहीं है। दूसरे, पर्यावरण और प्राकृतिक सौंदर्य के नजरिए से भी इस परियोजना का विरोध किया जा रहा है। ध्यान रहे राजपथ पर दोनों तरफ हरियाली है, जिसे खत्म करने के बाद ही इन भवनों का निर्माण हो सकता है या फिर पुराने भवनों को तोड़ना होगा। अगर सरकार उन्हें नहीं तोड़ती है तो बेवजह पूरे राजपथ पर कंक्रीट का जंगल उग आएगा। तभी आर्किटेक्चर की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों ने भी इसका विरोध किया है।

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