राज्यसभा के उप सभापति के चुनाव की घोषणा हो गई है। राज्यसभा सचिवालय ने इसके लिए सत्र के पहले ही दिन यानी 14 सितंबर को चुनाव कराने की घोषणा की है। ध्यान रहे राज्यसभा में जब सत्रावसान था, उसी बीच उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह का कार्यकाल खत्म हुआ था और अब जिस दिन सत्र शुरू हो रहा है उसी दिन उप सभापति का पद फिर से भर दिया जाएगा। यानी सत्र के दौरान यह पद एक दिन भी खाली नहीं रहेगा। सोचें, इस तरह की पहल लोकसभा के लिए क्यों नहीं की जा रही है, जहां उपाध्यक्ष का पद पहले दिन से खाली है? 17वीं लोकसभा बने 15 महीने से ज्यादा हो गए पर अभी तक उपाध्यक्ष नियुक्त नहीं हुआ है। पर लोकसभा में उप सभापति का पद एक दिन भी खाली नहीं रखना है।
असल में लोकसभा में भाजपा को मनमाफिक उम्मीदवार ही नहीं मिल पा रहा है, जो राजनीतिक रूप से उपयोगी हो। शिव सेना अगर एनडीए के साथ रहती तो उसके किसी नेता को उपाध्यक्ष बनाया जा सकता था। भाजपा ने आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएस कांग्रेस के नेता जगन मोहन रेड्डी से बात की थी पर वे सरकार का साथ तो दे रहे हैं पर एनडीए की हिस्सा बनने को तैयार नहीं हैं। ले-देकर भाजपा इस कोशिश में लगी है कि किसी तरह से नवीन पटनायक तैयार हो जाएं तो बीजू जनता दल से किसी को उपाध्यक्ष बना दिया जाए। इस लिहाज से पिछले कुछ समय से भर्तृहरि माहताब के नाम की चर्चा चल रही है। सो, जब तक भाजपा के मनलायक उम्मीदवार नहीं मिला जाता है तब तक उपाध्यक्ष का पद खाली रखा जाएगा।

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