देश की राजनीति में कई चीजें अनहोनी हो रही हैं। संसद के हाल में शुरू और खत्म हुए मॉनसून सत्र में कितनी अनहोनी हुई यह पूरे देश ने देखा। इस तरह की कई अनहोनी घटनाएं देश भर में हो रही हैं। जैसे इन दिनों राज्यपालों से न्याय मांगने का चलन शुरू हुआ है। लोग सरकार से न्याय मांगने की बजाय राज्यपाल से न्याय मांग रहे हैं। पहले भी राष्ट्रपति और राज्यपालों से न्याय मांगा जाता था पर वह न्याय राजनीतिक पार्टियां, विपक्षी दल के नेता मांगते थे। वे सरकार के खिलाफ कोई बात कहनी होती तो राज्यपाल के पास जाते थे। जब संसदीय या वैधानिक नियमों व परंपराओं का उल्लंघन होता था तो उसके विरोध में विपक्षी पार्टियां राज्यपाल को ज्ञापन देती थीं।
लेकिन अब राजभवन आम लोगों के लिए खुल गए हैं। लोग छोटे-बड़े किसी भी अपराध की शिकायत लेकर पुलिस और अदालत में जाने की बजाय राजभवन जा सकते हैं। लेकिन यह सुविधा उन्हीं राज्यों में है, जहां राज्यपाल केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा नियुक्ति किया हुआ हो और राज्य में भाजपा विरोधी किसी पार्टी की सरकार हो। जैसे महाराष्ट्र में पिछले एक महीने से चल रहा है। राज्य सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ अनाप-शनाप बोलने वाली एक अभिनेत्री के खिलाफ बीएमसी ने कार्रवाई की तो फौरन वह अभिनेत्री राज्यपाल से मिलने पहुंच गई और न्याय की गुहार लगाई।
इसी तरह एक अभिनेत्री ने एक जाने-माने निर्माता-निर्देशक पर आरोप लगाया कि उसने पांच साल पहले उसके साथ यौन दुर्व्यवहार किया था तो उसे भी तत्काल राज्यपाल से मिलने का समय मिल गया। उसने भी राज्यपाल से मिल कर निर्देशक की शिकायत की और न्याय की गुहार लगाई। सोचें, एक निजी आदमी के खिलाफ दूसरे निजी आदमी की शिकायतें अब राजभवन में सुनी जा रही है और वहीं से न्याय की उम्मीद की जा रही है। हालांकि इस सुविधा में भी एक शर्त है। शर्त यह है कि जिसके खिलाफ शिकायत है वह भाजपा का विरोधी होना चाहिए। बहरहाल, देखना दिलचस्प होगा कि यह प्रक्रिया कहां जाकर रूकती है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें