गुरुवार, 3 सितंबर 2020

बोर्डों और निगमों के अध्यक्षों को नहीं मिलेगी सफारी और डिजायर जैसी गाड़ियां


 जयपुर। लंबे समय से राजनीतिक नियुक्तियों  की हसरत पाले बैठे नेताओं के लिये बुरी खबर है। राजनीतिक निुयक्तियों के तहत बड़े सरकारी ओहदे  के साथ ही चमचमाती ऊंची गाड़ी  के तमन्ना रखने वाले नेताओं के सपनों  पर सरकार ने पानी फेर दिया है। अब विभिन्न बोर्डों और निगमों के अध्यक्षों को सरकारी सफारी और डिजायर जैसी गाड़ियां नहीं मिलेंगी। उन्हें अपने ही वाहनों से काम चलाना पड़ेगा।


स्टेट मोटर गैराज विभाग ने भेजा था नई गाड़ियों की खरीद का प्रस्ताव


दरअसल स्टेट मोटर गैराज विभाग ने दर्जा प्राप्त राज्य मंत्रियों के लिए नई गाड़ियां खरीदने का प्रस्ताव राज्य के वित्त विभाग को भेजा था। विभाग का कहना था की नई गाड़ियों की कमी चल रही है। पुरानी गाड़ियां जर्जर हैं। ऐसी स्थिति में और नई गाड़ियां खरीदने के लिए विभाग को बजट दिया जाए। लेकिन वित्त विभाग ने बजट स्वीकृति देने से इनकार कर दिया। मोटर गैराज विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे माननीयों को अब अपनी ही गाड़ी से काम चलाना पड़ेगा। जिन विभागों में नियुक्ति होती है उन विभागों की आय से नई गाड़ियां खरीदी जा सकती है।


विभिन्न बोर्डों और आयोगों में होनी है नियुक्ति


राज्य के विभिन्न बोर्ड और आयोगों में करीब 54 राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं। राज्य में सत्ता परिवर्तन होने के बाद पिछली सरकार के समय हुई राजनीतिक नियुक्तियों के स्थान पर गहलोत सरकार को नई राजनीतिक नियुक्तियां करनी हैं। लेकिन प्रदेश में चले सियासी संकट की वजह से सरकार राजनीतिक नियुक्तियां नहीं कर पाई थी। अब ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही सरकार राजनीतिक नियुक्तियां करके अपने समर्थकों को मलाईदार पद दे सकती है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार को सत्ता में आये करीब पौने दो साल होने जा रहे हैं। लेकिन अभी तक राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हो पायी हैं।

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