देश के कई राज्यों में चल रहे किसान आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास हो रहा है। कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार की सहयोगी पार्टियों से भी अपील की है कि वे किसानों का समर्थन करें। भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगियों में से एक अकाली दल ने किसानों के मसले पर भाजपा का साथ छोड़ा है। इससे उत्साहित होकर कांग्रेस ने भाजपा की दूसरी सहयोगी पार्टियों से अपील कर डाली है। पर सरकार कोई और सहयोगी पार्टी इस मसले पर विपक्ष के साथ नहीं आने जा रही है। तमिलनाडु में अन्ना डीएमके से लेकर बिहार में जनता दल यू, लोजपा, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा या महाराष्ट्र मेंआरपीआई और हरियाणा में जननायक जनता पार्टी में से कोई भी इस मसले पर विपक्ष के साथ नहीं आएगा।
ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या पूरा विपक्ष भी इस मसले पर एकजुट हो पाएगा? अगर पूरा विपक्ष भी नए बने तीन कृषि कानूनों के विरोध में उतर जाए तो सरकार पर दबाव बनेगा। जैसे राज्यसभा में कृषि विधेयकों पर चर्चा के दौरान बीजू जनता दल और तेलंगाना राष्ट्र समिति ने सरकार का विरोध किया थ। सो, विपक्ष को इन दोनों पार्टियों के साथ तालमेल बनाना चाहिए। आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस ने जरूर बिल का समर्थन किया पर वह पार्टी भी इस बिल पर वोटिंग में सरकार के साथ नहीं दिखना चाह रही थी। इसलिए कांग्रेस जगन मोहन रेड्डी से भी बात कर सकती है। किसानों का यह मसला ऐसा है, जिस पर भाजपा के अलावा कोई दूसरी पार्टी खुल कर समर्थन में नहीं आना चाहती है। विपक्ष इसका फायदा उठा सकता है।

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