गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018

बिहार खादी ग्रामोद्योग संस्था संघ की दुर्दशा .

खादी के लिए जारी राशि का एक तिहाई भी नहीं हुआ खर्च

वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री ने बिहार अवस्थित खादी संस्थाओं  के पुनरुद्धार के लिए 50 करोड़ रुपये अनुदान की घोषणा की थी. लेकिन छह वर्ष बाद भी सरकार उक्त राशि का एक तिहाई भी खर्च नहीं कर पायी. इस बात की जानकारी बिहार खादी ग्रामोद्योग संस्था संघ के अध्यक्ष प्रभाकर कुमार ने
एक संवाददाता सम्मेलन में दी. 

उन्होंने बताया कि बिहार खादी बोर्ड द्वारा प्रस्तावित योजना के आधार पर वर्ष 2013 में 44.45 करोड़ रुपये की राशि सरकार ने खादी ग्रामोद्योग संस्था तथा समिति के पुनरुद्धार की योजना के लिए पारित की. लेकिन केवल 14 करोड़ रुपये की राशि 2014-15 के लिए सरकार ने बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड को उपलब्ध करायी. लेकिन योजना की एक तिहाई राशि भी खर्च नहीं हो पायी. कुमार ने बताया कि न ही मल्टी काउंट मल्टी फाइबर त्रिपुरारी मॉडल चरखा खरीदा गया.

साथ ही खादी की खुदरा बिक्री पर दस फीसदी छूट देने का प्रावधान किया गया था. उस पर भी सरकार ने अमल नहीं किया. बिहार स्टेट गांधी स्मारक निधि के मंत्री विनोद रंजन ने बताया कि छूट योजना नीति बदल गयी, जिस कारण बिहार की संस्थाओं की करोड़ों की राशि फंस गयी. इसके कारण संस्था की स्थिति और बदतर हो गयी.

कार्यशील पूंजी तो मिली केवल 33 संस्थाओं को पर छूट की मार पड़ी 84 खादी संस्थाओं पर. बिहार खादी ग्रामोद्योग संस्था संघ के महामंत्री राम विलास यादव ने बताया कि सरकार से तो पूंजी मिली चार फीसदी के ब्याज पर, जिसकी वसूली 84 किस्तों में सूद के साथ शुरू कर दी गयी.

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