गुरुवार, 22 फ़रवरी 2018

किसान से जुड़े मुद्दे पर 3-3 जज हुए आमने-सामने

सुप्रीम कोर्ट में अभी भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। जहां पिछले दिनों ही जजों के टकराव की स्थिति बनी थी, वहीं कुछ ही दिनों बाद एक बार फिर से जजों में टकराव की स्थिति बनती दिखाई दे रही है।

दरअसल भूमि अधिग्रहण से जुड़े जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच के फैसले पर जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने रोक लगा दी थी। जस्टिस अरुण मिश्रा ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिखी है।


बड़ी बेंच के गठन का अनुरोध किया
जस्टिस अरुण मिश्रा ने चीफ जस्टिस से बड़ी बेंच के गठन का अनुरोध किया है, जो तय करेगी कि तीन जजों के फैसले को तीन जजों की बेंच कैसे स्टे कर सकती है। क्या ये 'न्यायिक अनुशासनहीनता' का मामला बनता है। स्टे करने वाली बेंच के दो बाकी जज हैं कुरियन जोसेफ और दीपक गुप्ता।


जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने आदेश दिया था
वहीं आठ फरवरी को जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने आदेश दिया था कि अगर  जमीन का मालिक या किसान, सरकार के दिए मुआवजे को स्वीकार नहीं करता तो इस आधार पर अधिग्रहण रद्द नहीं होगा।


पहले भी हो चुकी है टकराव की स्थिति
यहां गौर करने वाली बात ये है कि पिछले दिनों ही सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कांफ्रेंस कर जजों में टकराव का मुद्दा जगजाहिर किया था। इन 4 जजों में जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर व जस्टिस कुरियन जोसेफ ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की थी।

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