शनिवार, 21 दिसंबर 2019

मुख्यमंत्री के ऊपर कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी, खुद ही लोगों को भड़का रहे है: डाॅ. पूनिया


जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनिया ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ कांग्रेस के प्रदर्शन और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बयानबाजी पर पटलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बार-बार संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन कर रहे हैं और जनता को भ्रमित कर मोदी सरकार के खिलाफ भड़का रहे है। 

डाॅ. पूनिया ने कहा कि संविधान की शपथ लेकर सरकार चला रहे मुख्यमंत्री, भारत की संसद के द्वारा पारित कानून के संशोधन को सड़क पर उतर कर चुनौती दे रहे हैं, ये डाॅ. अंबेडकर के बनाएं भारत के संविधान का अपमान है। भारत के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बार-बार कह चुके हैं कि ये कानून नागरिकता देने का है किसी की भी नागरिकता लेने का नहीं। वर्ष 2003 में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से डाॅ. मनमोहन सिंह तब की सरकार से इन विस्थापितों को प्राथमिकता के आधार पर नागरिकता देने की वकालत कर चुके हैं। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यूपीए सरकार के गृहमंत्री पी. चिदम्बरम को राजस्थान में रह रहे हिंदू-सिख शरणार्थियों को नागरिकता देने का पत्र लिख चुके हैं, पर अब वोट बैंक के तुष्टिकरण और गांधी परिवार को खुश करने के लिए सीएए का विरोध कर रहे हैं।

डाॅ. पूनिया ने कहा कि ये राजस्थान की जनता का दुर्भाग्य है की उनका चुना हुआ मुख्यमंत्री देश की भावनाओं के खिलाफ बात कर रहा है। धर्म के आधार पर देश के दुर्भाग्यपूर्ण बंटवारे से उपजी एक गम्भीर समस्या जिसकी वजह से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में लाखों की संख्या में अल्पसंख्यकों की हत्या हुई, जबरन धर्मान्तरण किया गया और उनकी बहन-बेटियों की अस्मत लुटी गई। इस्लामिक देश पाकिस्तान में विभाजन के समय हिंदुओं और बाकी अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी जो अब 3 प्रतिशत रह गई है, यही हाल बाकी दोनों देशों का है, विभाजन के समय इन लोगों की जान-माल की रक्षा का वादा तब की सरकार के कांग्रेस के नेताओं ने किया था, पर सत्ता का सुख भोगते इन लोगों ने उन मरते लोगों की सुध कभी नहीं ली। आज जब देश की सरकार उन्हें नागरिकता देकर इस देश की मूल परम्परा का पालन कर रही है तो इन कांग्रेस के नेताओं के पेट में दर्द हो रहा है।

डाॅ. पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री को ये मार्च की नौटंकी छोड़कर, एक जिम्मेदार राजनेता की तरह व्यवहार करना चाहिए। उनके ऊपर कानून व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी है और वो लोगों को भड़का कर कानून तोड़ने के लिए उकसा रहे हैं। कल उनके खुद के शहर जोधपुर में हिंसक प्रदर्शन हुआ उससे दोषियों के खिलाफ उन्हें सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। लोगों की जान-माल की सुरक्षा मुख्यमंत्री की प्राथमिक जिम्मेवादारी है, ना की गांधी परिवार की भक्ति दिखाने के लिए इस तरह के मार्च की।

इस संशोधित कानून में किसी का अहित नहीं है, केवल अपना सब कुछ लुटा कर, धार्मिक आधार पर पड़ौसी मुस्लिम देशों से भारत में शरण लेने आए अपने ही भाई-बहनों का हित है। जिसका खुले दिल से स्वागत होना चाहिए।

डाॅ. पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री को प्रदेश के लोगों को आश्वस्त करना चाहिए की राज्य में कानून व्यवस्था किसी भी हाल में नहीं बिगड़ने देंगे। अगर प्रदेश में किसी भी तरह की कानून व्यवस्था की समस्या होती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की होगी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें