रविवार, 22 दिसंबर 2019

मुख्यमंत्री गहलोत की अगुवाई में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ निकाला शांति मार्च

जयपुर में अल्बर्ट हॉल से गांधी सर्किल तक शांति मार्च में उमड़ा जनसैलाब
जयपुर। राजधानी जयपुर में रविवार को नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ शांति मार्च निकाला गया। इस दौरान शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात रही। वहीं शांति मार्च में लोग हाथों में तिरंगा और तख्तियां लिए निकले। मार्च शांतिपूर्ण और अहिंसात्मक तरीके से निकाला गया। एहितयातन शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी बंद रखा गया और साथ ही रूट डायवर्जन भी किया गया। हालांक मेट्रो और इंटरनेट बंद होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।

नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई में कांग्रेस ने रविवार को शांति मार्च निकाला। शांति मार्च सुबह ११ बजे से अल्बर्ट हॉल से शुरू होकर गांधी सर्किल तक निकाला गया। जिसमें हजारों की संख्या में लोग में शामिल हुए। इस शांति मार्च में सीएम अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के अलावा सीपीआई से तारासिंह सिद्धू, डीके छंगाणी, नरेन्द्र आचार्य, सीपीएम से वासुदेव, बलवान पूनिया, जनता दल यूनाइटेड से शरद यादव, जनता दल सेक्युलर से अर्जुन देथा सहित कई दलों के दिग्गज नेता शामिल हुए। 

इनके अलावा सिविल सोसाइटी से अरुणा राय, कविता श्रीवास्तव, एक्टिविस्ट्स, एनजीओ सहित सर्वधर्म समभाव में विश्वास रखने वाले बुद्धिजीवी वर्ग, सामाजिक संगठन, एडवोकेट्स, डॉक्टर्स, शिक्षक, साहित्यकार, कलाकार, संजीदा वर्ग, कर्मचारी संघ, व्यापार मंडल एवं युवा इसमें शामिल हुए। शांति मार्च को देखते हुए पुलिस प्रशासन की ओर से विशेष तौर से चारदीवारी में सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए। शांति मार्च के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए 7500 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। व्यवस्था बनाए रखने के लिए 13 आईपीएस, 115 आरपीएस, 230 सीआई और 7 हजार कांस्टेबल सहित उपनिरीक्षक स्तर के पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। शांति मार्च में उपस्थित हर व्यक्ति पर वीडियोग्राफी व सीसीटीवी कैमरों की नजर रही। वहीं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अभय कमांड सेंटर से भी निगरानी रखी गई। अफवाह फैलाने वालों पर पुलिस सख्त रही।

शांति मार्च को देखते हुए शहर में लो फ्लोर बसों का संचालन नहीं हुआ। बसों के बंद होने से रोजाना यात्रा करने वाले 1.5 लाख यात्री प्रभावित हुए।। वर्तमान में शहर में 200 से अधिक बसें चलती हैं। वहीं मेट्रो को सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक बंद रखा गया है। इससे लगभग 8 हजार यात्री प्रभावित हुए। वहीं सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक इंटरनेट बंद रखा है। परकोटे के बाजार बंद होने के जनजीवन प्रभावित हुआ।

चारदीवारी में क्यूआरटी टीम, एसटीएफ और थानों के साथ पुलिस लाइन का जाप्ता भी तैनात है। चारदीवारी में ड्रोन के माध्यम से भी निगरानी रखी गई।

रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा 'देश संविधान की मूलभावना के आधार पर चलेगा और चलना चाहिए।' गहलोत ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को विभाजनकारी फैसला बताते हुए केंद्र से इसे वापस लेने की मांग की।


शांति मार्च से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने सम्बोधन में कहा 'अपने स्वार्थ के लिए संविधान का गला घोटना ठीक नहीं है।
केंद्र सरकार को जनभावनाओं को समझाना चाहिए। इतनी हिंसा के बाद भी अभी भी धमकाने वाले बयान आ रहे हैँ।' उन्होंने कहा कि 'जामिया मिलिया से शुरू होकर देशभर में आंदोलन छा गया। इसमें सभी धर्मों के लोग प्रभावित होंगे। हिंसा की खबरें सिर्फ भाजपा शासित राज्यों से ही क्यों आ रही है। वहीं केंद्र सरकार की ओर से जिस रूप में सीएए को लागू करने की घोषणा की गई है, उससे अनावश्यक रूप से सामाजिक सौहार्द बिगड़ गया है।' देश में वर्तमान में बने हालातों के मद्देनज़र संविधान और लोकतंत्र की रक्षार्थ सर्वदलीय एवं सर्वसमाज की ओर से शांति मार्च निकाला गया। 

इससे पूर्व सीएए और एनआरसी के विरोध में रविवार सुबह मोतीडूंगरी रोड स्थित मुसाफिरखाना में हजारों की संख्या में लोग जुटना शुरू हो गए। यहां आए लोगों ने सीएए को धर्म के आधार पर भेदभाव करार दिया। साथ ही धर्म के आधार पर नागरिकता देने में भेदभाव को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया। लोगों ने सीएए के मुद्दे पर केन्द्र सरकार के खिलाफ विरोध जताया। मुसाफिरखाना में जुटे लोग यहां से अल्बर्ट हॉल पहुंचे और शांति मार्च में शामिल हुए।

इसके अलावा सीएए और एनआरसी को लेकर शांति मार्च के अलावा विधायकपुरी में भी विरोध प्रदर्शन किया गया। पुलिस ने बताया कि शांति मार्च के अलावा शहर में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों में लोगों ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध जताया।

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