देश की प्रमुख दूरसंचार कंपनी वोडाफोन-आइडिया के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला का कहना है कि अगर सरकार द्वारा आर्थिक मदद मुहैया नहीं कराई जाती है तो कंपनी बंद हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले के बाद उसके सामने खड़ी पुरानी देनदारियों के मामले में सरकार की ओर से राहत नहीं मिली तो उसका बाजार में बने रखना मुश्किल है।
कंपनी के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने शुक्रवार को यहां हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में सरकार से राहत नहीं मिलने की स्थिति में कंपनी की आगे की रणनीति के बारे में पूछने पर कहा, ‘यदि हमें कुछ नहीं मिलता है तो मेरा मानना है कि इससे वोडाफोन-आइडिया की कहानी का अंत हो जाएगा।’
कंपनी ने पिछाला 53,038 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने में सरकार से राहत की मांग की है। पिछले साल बिड़ला समूह की आइडिया सेल्युलर और ब्रिटेन की वोडाफोन ने रिलायंस जियो से प्रतिस्पर्धा के लिए आपस में विलय कर लिया था।
उनसे पूछा गया कि क्या वोडाफोन इंडिया कंपनी में और निवेश करेगी।
इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘इस बात का कोई मतलब नहीं कि डूबते पैसे में और पैसा लगा दिया जाए. यह हमारे लिए इस कहानी का अंत होगा. हमें अपनी दुकान (वोडाफोन-आइडिया) बंद करनी होगी।’
हाल में अदालत ने अपने एक आदेश में दूरसंचार कंपनियों की एडजेस्टेड ग्रोस रेवेन्यू (एजीआर) के मामले में सरकार की परिभाषा को सही ठहराया था।
इसके बाद एयरटेल, वोडाफोन आइडिया समेत कई पुरानी दूरसंचार कंपनियों पर कुल 1.47 लाख करोड़ रुपये बकाया चुकाने का दबाव है। इसमें स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क, लाइसेंस शुल्क और इन दोनों राशियों का 14 साल का ब्याज और जुर्माना शामिल है।
इसके अलावा जियो से प्रतिस्पर्धा और भारी-भरकम ऋण के चलते भी ये कंपनियां दबाव में है। वोडाफोन आइडिया पर कुल 1.17 लाख करोड़ रुपये का ऋण है। इस संबंध में एयरटेल और वोडाफोन आइडिया दोनों ने ही न्यायालय में पुनर्विचार याचिका डाली है।
वहीं सरकार से जुर्माना और ब्याज में राहत देने की मांग की है। बिड़ला ने उम्मीद जतायी कि सरकार से न सिर्फ दूरसंचार उद्योग को बल्कि अन्य उद्योगों को भी राहत मिलेगी क्योंकि पिछली तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर पहुंच गयी है।
यह देश में पिछले छह साल का सबसे निचला तिमाही आर्थिक वृद्धि आंकड़ा है. उन्होंने कहा, ‘सरकार को एहसास है कि यह (दूरसंचार) एक अहम क्षेत्र है और डिजिटल इंडिया का पूरा कार्यक्रम इसी पर टिका है। यह एक रणनीतिक क्षेत्र है।’
बिड़ला ने सरकार से राहत नहीं मिलने की स्थिति में कंपनी की आगे की रणनीति से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि सरकार से राहत नहीं मिलने की स्थिति में कंपनी में किसी और तरह का निवेश नहीं हो पाएगा।
उन्होंने कहा, ‘इस बात का कोई मतलब नहीं कि डूबते पैसे में और पैसा लगा दिया जाए।’ बिड़ला ने कहा कि राहत नहीं मिलने की स्थिति में वह कंपनी को दिवाला प्रक्रिया में ले जाएंगे।
एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सितंबर तिमाही में दो पुरानी दूरसंचार कंपनियों वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल का सम्मिलित घाटा 74 हजार करोड़ रुपये के पार चला गया था।
समूह के मुखिया निक रीड ने कहा था कि वोडाफोन-इंडिया बंद होने के कगार पर है। हालांकि बाद में उनका बयान आया कि मीडिया में उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।
बिड़ला ने निक रीड के बयान पर कहा, ‘मैं समझता हूं कि जब निक ने यह बयान दिया था, तब सरकार काफी कुछ करने के बारे में सोच रही थी सरकार को इस बात का एहसास था कि दूरसंचार क्षेत्र के लिए स्थिति काफी जटिल है और पूरा डिजिटल इंडिया कार्यक्रम इस पर टिका है।’
बिड़ला जीएसटी दरों को कम करने की वकालत करते हुए कहा, ‘अगर जीसटी दरों को 15 फीसदी से कम कर दिया जाता है तो इससे काफी मदद मिलेगी।’
मालूम हो कि बिड़ला समूह ने आइडिया को वोडाफोन के साथ मिलाकर के देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी बनाई थी। कंपनी के पास लगभग 37 करोड़ ग्राहक बताए हैं। वोडाफोन-आइडिया में आदित्य बिड़ला समूह की 27.66 फीसदी हिस्सेदारी है, वहीं वोडाफोन की 44.39 फीसदी हिस्सेदारी है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें