मंगलवार, 10 दिसंबर 2019

आडवाणी वाली छवि बन रही शाह की!


भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की छवि लालकृष्ण आडवाणी वाली बन रही है और सरकार व पार्टी का समूचा घटनाक्रम इस ओर इशारा कर रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा के पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी वाली छवि में जा रहे हैं। उन्होंने भाजपा और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सारे एजेंडे पूरे करने की जिम्मेदारी अमित शाह पर छोड़ दी है। ऐसा लग रहा है कि वे इन सारे मुद्दों से विरक्ति दिखा रहे हैं।

सोचें, सोमवार को अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश किया और उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड में चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले भी जब संघ और भाजपा के सबसे बड़े और सबसे अहम मुद्दे अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करने का प्रस्ताव संसद में पेश किया गया तो मोदी ने उसकी भी जिम्मेदारी अमित शाह पर छोड़ी। अनुच्छेद 370 खत्म करने और जम्मू कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने का पूरा श्रेय उन्होंने शाह को मिलने दिया।

उसी तरह लग रहा है कि 1955 के नागरिकता कानून में संशोधन करके पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिमों को फटाफट भारत की नागरिकता देने का प्रावधान करने वाले कानून का श्रेय भी वे अमित शाह को ही दे रहे हैं।

अमित शाह ने ही राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और नागरिकता संशोधन कानून को भाजपा का मुख्य एजेंडा बनाया है। उन्होंने लोकसभा चुनाव से ही इस बारे में बोलना शुरू कर दिया था। देश के बहुसंख्यक हिंदू मानस को अपील करने वाले ऐसे सारे मुद्दे सुलझाने का जिम्मा शाह पर है। इससे उनकी छवि कट्टरपंथी हिंदू नेता की बन रही है। माना जा रहा है कि अखिल भारतीय स्तर पर राजनीति के लिए जरूरी जाति के बंधन से ऊपर निकलने के लिए ऐसा करना उनके लिए जरूरी है। पर इस तरह की कट्टरपंथी छवि की सीमाएं भी होती हैं।

बहरहाल, दूसरी ओर नरेंद्र मोदी अपनी छवि उदार राजनेता की बना रहे हैं। जैसे वे पुणे में पुलिस प्रमुखों की बैठक में शामिल होने गए तो अचानक अरुण शौरी से मिलने चले गए। पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रखर पत्रकार अरुण शौरी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की लगभग सारी नीतियों की खुली आलोचना करते रहे हैं और राफेल मामले में वे सुप्रीम कोर्ट में याचिका देना वालों में शामिल हैं। पर मोदी को पता चला कि वे गिर गए थे और माथे में चोट लगी थी, जिसके बाद अस्पताल में भरती हैं तो वे उनसे मिलने अस्पताल पहुंच गए। अपने घनघोर विरोधी के प्रति उनका यह सद्भाव उनकी छवि में गुणात्मक परिवर्तन लाने वाला है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें