नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।विपक्षी दलों ने इस कानून को भारतीय संविधान के साथ खिलवाड़ करने वाला बताया है। इस बाबत मंगलवार को विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति से मिलकर इस कानून को वापस लिए जाने की मांग की है। उधर, केंद्र सरकार का कहना है कि इस कानून को लेकर लोगों में जानबूझकर भ्रम फैलाया जा रहा है।
मौजूदा प्रक्रिया में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के मुस्लिमों को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती। वर्तमान कानूनी प्रक्रिया के तहत कोई भी विदेशी नागरिक, चाहे वो किसी भी श्रेणी का हो, वह नागरिकता कानून के सेक्शन 6 प्राकृतिक रूप से और सेक्शन 5 पंजीकरण के द्वारा नागरिकता ले सकता है, यह कानून परिचालन में रहेगा। सीएए की वजह से उस प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं आएगा।पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले मुस्लिमों को भारत की नागरिकता दी गई है।
गृह मंत्रालय और केन्द्र सरकार के सूत्रों के अनुसार, यदि इन तीन देशों के मुस्लिम मौजूदा प्रक्रिया के तहत योग्य पाए जाते हैं तो उन्हें भी भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी। भले ही वे नंबर या धर्म के मामले में कहीं भी ठहरते हों। 2014 में भारत और बांग्लादेश के बीच जब बॉर्डर एग्रीमेंट हुआ, तब 50 एन्क्लेव को बांग्लादेश से भारत में शामिल किया गया था।इसके चलते 14864 बांग्लादेशी नागरिकों को भारत की नागरिका प्रदान की गई थी।इनमें बहुत से लोग मुस्लिम थे।
तीन देशों के अवैध प्रवासी मुस्लिमों को सीएए के जरिए वापस उनके देश भेजा जाएगा, इस बाबत भी गृह मंत्रालय ने अपनी राय स्पष्ट कर दी है। सीएए में ऐसी प्रक्रिया भी नहीं है कि किसी व्यक्ति को उसके धर्म या देश के आधार पर जबरन वापस उसके देश में भेजा जाएगा। इसके लिए फॉर्नरस् एक्ट 1946 और दा पासपोर्ट (एंट्री टू इंडिया) एक्ट 1920 का पालन होगा। इन्हीं दो कानूनों के तहत किसी को एंट्री देना, रहने की इजाजत देना, भारत में घूमने की आज्ञा देना और उन्हें भारत से बाहर निकालना, ये सब संभव होगा।
यह शर्त सभी प्रवासी लोगों पर एक समान रूप से लागू होगी।इसमें व्यक्ति का धर्म या देश, किसी शर्त का हिस्सा नहीं बनेंगे।कोई भी ऐसा नागरिक जो अवैध तरीके से भारत में रह रहा है, उसके खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत कार्रवाई होती है।यह कार्रवाई लोकल पुलिस और प्रशासनिक अथॉरिटी की विस्तृत जांच पड़ताल के बाद ही की जाती है।ये एजेंसियां ही उस व्यक्ति की अवैध प्रवासी होने की पहचान करती हैं। ऐसे विदेशी को उसके देश के दूतावास द्वारा बाकायदा उचित यात्रा दस्तावेज जारी किए जाते हैं। जब उस व्यक्ति को उसके देश में भेजा जाता है तो वहां के अधिकारी उसे रिसीव करते हैं।पिछले छह साल में 2830 पाकिस्तानी नागरिक, 912 अफगानी और 172 बांग्लादेशियों को भारत का नागरिक बनाया गया है।

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