जयपुर, विधानसभा संवाददाता। संसदीय कार्य मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने विधानसभा में कहा कि संविधान की प्रस्तावना भारत की आत्मा है तथा मूल अधिकार भारत के फेफडे़ है। संविधान ही सुदृढ़ लोकतंत्र की नींव है।
धारीवाल गुरुवार को विधान सभा में भारतीय संविधान को अंगीकृत करने के 70 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में भारत के संविधान तथा मूल कर्तव्यों पर हुई चर्चा के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संविधान का मसौदा डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में बनाया गया था तथा जिससे लोकतंत्र की अवधारणा मजबूत बनी है।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत के पहले विधि मंत्री डॉ. अंबेडकर की अध्यक्षता में तथा संविधान समिति के सदस्यों ने इस मसौदे को तैयार किया था। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के तीन अंग कार्यपालिका, न्यायपालिका तथा विधायिका को संविधान में इस तरीके से शक्तियां दी गई है जिसमें कोई भी निरंकुश ना रहे तथा एक दूसरे की शक्ति को अपने अधीन ना कर सके। उन्होंने कहा कि संविधान में गरीब, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्गाें सहित सभी वर्गाें का पूरा ध्यान रखा गया है एवं उन्हें हर क्षेत्र में समानता दी गई है। साथ ही बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का मूल अधिकार भी संविधान में दिया गया है।
धारीवाल ने कहा कि भारत विश्व का एकमात्र ऎसा देश है जिसने अज्ञात काल से अनेक आक्रमणों के बावजूद भी स्वयं को बनाये रखा है। उन्होंने कहा कि संविधान में महिला वर्ग को भी स्वतंत्रता, आर्थिक समानता तथा सामाजिक सुरक्षा के अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष शब्द 1976 में संविधान में जोड़ा गया था तथा आज उसकी महत्ता और भी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि जब सभी पक्ष एकमत होंगे तभी संविधान का अक्षरक्षः पालन हो सकेगा।
उन्होंने जनप्रतिनिधियों का आह्वान किया कि हमें राजनीति से ऊपर उठकर संविधान की मूल भावना के अनुरूप देश व प्रदेश को समान रूप से आगे बढ़ाने के लिए अपना सक्रिय सहयोग करना पडेगा। उन्होंने कहा कि यह समय एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने का नहीं बल्कि संविधान में हमें दिये गये अधिकारों के अनुसार हर वर्ग को विकास में भागीदार बनाना है।

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