रविवार, 17 नवंबर 2019

ठाकरे परिवार की छवि बदली है


मुंबई और समूचे महाराष्ट्र के लोग हैरान हैं। उन्होंने बाल ठाकरे के परिवार के किसी सदस्य को इस तरह से भागते और दूसरी पार्टी के नेताओं से मिलने जाते नहीं देखा है। महाराष्ट्र की राजनीति में बाल ठाकरे परिवार की ऐसी पकड़ रही है कि सबको उनके घर आना होता था। मातोश्री दशकों से राज्य की राजनीति की धुरी थी। सरकार बने या नहीं बने पर परिवार के सदस्य यह धुरी नहीं छोड़ते थे। 

पर उद्धव ठाकरे को कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं से मिलने के लिए जाना हो रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी उद्धव से मिलने मातोश्री गए थे। पर अब अपनी सरकार बनवाने की कवायद में लगे उद्धव ठाकरे को भागदौड़ करनी पड़ रही है। वे कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं से मिलने अपने घर से दूर ट्राइडेंट होटल में गए और मुलाकात के बाद मीडिया से बात भी की। यानी सार्वजनिक रूप से कांग्रेस और एनसीपी के नेता उनको मिलने के लिए बुला रहे हैं।

इसके बावजूद सरकार बनाने और चलाने के लिए उनका रास्ता आसान नहीं है। कांग्रेस और एनसीपी अपने अपने हिसाब से दबाव की राजनीति कर रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि शिव सेना कट्टर हिंदुत्व की विचारधारा छोड़े तो एनसीपी ने ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद के बंटवारे का फार्मूला तय करा लिया है। मंत्रालयों के बंटवारे पर भी तीनों पार्टियां अड़ी हैं। इसके अलावा एनसीपी की बातचीत भाजपा से अलग हो रही है। सो, शिव सेना के कई नेता मान रहे हैं कि भाजपा से नाता तोड़ कर पार्टी ज्यादा शातिर नेताओं के चंगुल में फंस गई है।

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