गुरुवार, 21 नवंबर 2019

विज्ञान पत्रकारिता के माध्यम से विज्ञान को समाज की सेवा में लगाएं : कुलपति ओम थानवी

जयपुर। पं. हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी ने कहा कि विज्ञान जीवन को व्यवस्थित एवं तर्कशील बनाती है। हमें विज्ञान पत्रकारिता के माध्यम से विज्ञान को समाज की सेवा में लगाना होगा। थानवी गुरुवार को यहां बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ साइंटिफिक रिसर्च में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग एवं सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय विज्ञान पत्रकारिता कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

ओम थानवी ने कहा कि विज्ञान मनुष्य की मेधा की कसौटी के साथ में चुनौती भी है। यह केवल तकनीकी नहीं है, बल्कि मनुष्य के जीवन से बहुत नजदीक से जुड़ी हुई है। इसलिए हमें पत्रकारिता के माध्यम से विज्ञान को समाज की सेवा में लगाना है। हमारा संविधान हमें मौलिक कर्तव्य के रूप में समाज में मानववाद और वैज्ञानिक सोच विकसित करने की जिम्मेदारी देता है। यहीं से मीडिया की भूमिका शुरू होती है।

मीडिया समाज का आइना ही नहीं है, बल्कि उसके पार है। मीडिया 21वीं सदी में समाज में पैदा हो रहे अंधविश्वास एवं अतार्किक सोच को रोकने का काम करे। तर्कशील एवं धर्मनिरपेक्ष समाज निर्माण के लिए अतार्किक कार्यों पर सवाल उठाएं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की शासन सचिव मुग्धा सिन्हा ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें संविधान की भावना के मुताबिक समाज में वैज्ञानिक सोच को विकसित करना होगा। इसके लिए जरूरी है कि विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे विभिन्न क्रियाकलापों और विभाग की योजनाओं एवं उपलब्धियों से आमजन को रूबरू कराया जाए।

यह कार्य पत्रकारिता से ही संभव है। उन्होंने विज्ञान और पत्रकारिता की समान प्रकृति को रेखांकित करते हुए कहा कि दोनों ही जिज्ञासु विषय है। विज्ञान में अनुसंधान है तो पत्रकारिता जांच पड़ताल मांगती हैं इसलिए दोनों के साहचर्य से समाज को विज्ञान का समुचित फायदा मिलना संभव हो सकेगा। उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग विज्ञान लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए विज्ञान पत्रकारिता पुरस्कार शुरू करने पर विचार कर रहा है।

सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के आयुक्त डॉ. नीरज कुमार पवन ने कहा कि सोशल मीडिया के युग में सकारात्मक एवं वैज्ञानिक सामग्री परोसना जरूरी है, अन्यथा समाज के दिग्भ्रमित होने की आशंका है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के नवाचारों एवं उपलब्धियों को आमजन तक बोलचाल की भाषा में पहुंचाना होगा। इससे लोग स्वयं से सवाल करेंगे, चीजों को देखने की जिज्ञासा पैदा करेंगे और तथ्यों का पुनर्सत्यापन कर असत्य एवं अतार्किक बातों को नकारना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि आज का आयोजन वैज्ञानिक लेखनी को नई दिशा तय करने वाला साबित होगा।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक अभिषेक भागोटिया ने अथितियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला में जनसम्पर्क अधिकारी, पत्रकार, रिसर्च स्कॉलर एवं पत्रकारिता से जुड़े विद्यार्थी उपस्थित थे। 


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