रविवार, 24 नवंबर 2019

कैबिनेट की बैठक बिना महाराष्ट्र में कैसे हटाया गया राष्ट्रपति शासन


शुक्रवार की देर शाम तक कांग्रेस और शिवसेना के साथ एक बैठक करने से लेकर शनिवार की सुबह भाजपा के देवेंद्र फड़णवीस के साथ शपथ लेने तक हुए नाटकीय बदलाव में एनसीपी नेता अजीत पवार को सरकार के कार्य संचालन के एक विशेष धारा के उपयोग से मदद मिली।

1961 के भारत सरकार के कार्य संचालन नियम 12 तहत प्रधानमंत्री के पास केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश की जरूरत को नजरअंदाज करने की विशेष शक्ति है।

नियम 12 में कहा गया, ‘प्रधानमंत्री इन मामलों में उन नियमों से हटने की अनुमति देते हैं, जो जरूरी समझे जाते हैं।’

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत सरकार के (कार्य संचालन) नियमों के एक विशेष प्रावधान का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी दी। इस नियम के तहत प्रधानमंत्री के पास विशेष अधिकार होते हैं। 

वहीं, नियम 12 के तहत लिए गए किसी फैसले को कैबिनेट बाद में मंजूरी दे सकता है।

 आदर्श रूप से सरकार किसी महत्वपूर्ण मामले में फैसले के लिए इस नियम का इस्तेमाल नहीं करती है। हालांकि, पूर्व में इसका इस्तेमाल ऑफिस मेमोरंडम या समझौता पत्रों पर हस्ताक्षर के लिए सरकार करती रही है।

नियम 12 का इस्तेमाल करके जो आखिरी फैसला लिया गया था वह 31 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर राज्य के पुनर्गठन को जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के लिए किया गया था।

उस दिन राष्ट्रपति ने नियम 12 का इस्तेमाल विभिन्न जिलों को दो केंद्र शासित प्रदेशों के बीच बांटने में किया था। मंत्रिमंडल ने 20 नवंबर को इसे मंजूरी दी थी।

कोविंद द्वारा हस्ताक्षरित उद्घोषणा के अनुसार, ‘संविधान के अनुच्छेद 356 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अनुसार, मैं भारत का राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, मेरे द्वारा 12 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र राज्य के संबंध में की गई उद्घोषणा को निरस्त करता हूं, जो 23 नवंबर 2019 से प्रभावी है।’

राष्ट्रपति शासन हटने के बाद भाजपा के देवेंद्र फड़णवीस और एनसीपी के अजीत पवार ने महाराष्ट्र के क्रमश: मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के 18 दिन बाद भी कोई राजनीतिक हल नहीं निकल सकने की स्थिति में 12 नवंबर को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।

मालूम हो कि देवेद्र फड़णवीस और अजीत पवार को शपथ ग्रहण कराने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले को रद्द करने लिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की है।

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