बुधवार, 20 नवंबर 2019

समाज के लिए चिंताजनक हैं प्रेम संबंधों के कारण हत्याएं

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़े अपराधों की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। इनमें एक श्रेणी वैसी हत्याओं की है, जो प्रेम, शादी, अंतरंग संबंध आदि से जुड़े हैं. ऐसी हत्याएं जिस गति से बढ़ रही हैं, यह श्रेणी जल्दी ही व्यक्तिगत शत्रुता व संपत्ति विवाद के कारण होनेवाली हत्याओं की संख्या को पीछे छोड़ सकती है।इसकी अधिकतर भुक्तभोगी महिलाएं हैं।

विश्व में अन्यत्र भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है। जिस तरह से हमारी संकीर्ण मानसिकता मानवीय संबंधों, मूल्यों व अधिकार की परवाह नहीं कर अपने परिचितों, पड़ोसियों और परिजनों के विरुद्ध नृशंस अपराध के लिए उकसा रही है, वह वर्तमान व भविष्य के लिए बेहद चिंताजनक है।     

प्रेम संबंध बन रहे हत्या की वजह

हमारे देश में प्रेम संबंधों को लेकर पारिवारिक और सामजिक स्वीकार्यता आसान नहीं है। कदम-कदम पर विरोध और सवालों का सामना करना पड़ता है। 

प्रेम प्रसंग के कारण होनेवाली हत्या की दर बीते डेढ़ दशक में बढ़ी है। एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) के आंकड़े बताते हैं कि बीते कई वर्षों में हमारे देश में हत्या के मामलों में कमी आयी है। लेकिन, इसी अवधि में प्रेम संबंधों के मामले में हत्या में बढ़ोतरी हुई है। हाल में जारी एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2001 से 2017 के बीच प्रेम प्रसंग में होनेवाली हत्या की दर सबसे अधिक रही है।


36,202 हत्याएं दर्ज की थी एनसीआरबी ने वर्ष 2001 में, साल 2017 में इसमें कमी आयी और यह 28,653 पर पहुंच गयी। यानी 21 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई सालाना हत्या के मामलों में।

4.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई इस अवधि में आपसी रंजिश से होनेवाली हत्या में, जबकि संपत्ति विवाद में होनेवाले मर्डर में 12 प्रतिशत की कमी आयी है. जबकि प्रेम प्रसंगों से जुड़ी हत्याओं के मामले 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है साल 2001 से 2017 की अवधि में।

हालांकि, 2017 में प्रेम संबंधों के कारण होनेवाली हत्याओं में मामूली कमी आयी है। साल 2017 में हत्या के 1,390 मामले दर्ज हुए. जबकि वर्ष 2016 में 1,493 और 2015 में 1,379 मामले दर्ज हुए थे। 



इन राज्यों में हत्या का प्रमुख कारण बना प्रेम प्रसंग

आंध्र प्रदेश (तेलंगाना समेत), महाराष्ट्र, गुजरात व पंजाब ऐसे राज्य हैं, जहां हत्या के प्रमुख कारणों में प्रेम प्रसंग अव्वल रहा है, 2001 से 2017 के दौरान। हर साल औसतन 384 लोगों की हत्या के साथ इस मामले में आंध्र प्रदेश पहले स्थान पर है। प्रेम प्रसंग के कारण इस राज्य में हर रोज कम से कम एक हत्या दर्ज हुई है। वहीं, हर साल औसतन 277 हत्या के साथ महाराष्ट्र दूसरे, 156 के साथ गुजरात तीसरे और 98 के साथ पंजाब चौथा ऐसा राज्य है, जहां हत्या की प्रमुख वजहों में प्रेम प्रसंग पहले स्थान पर है।



प्रेम प्रसंगों की स्वीकार्यता में पश्चिम बंगाल-केरल बेहतर 

देश में पश्चिम बंगाल और केरल ऐसे राज्य हैं, जहां प्रेम प्रसंगों की स्वीकार्यता अपेक्षाकृत अधिक है। इन दाेनों ही राज्यों में हत्या की प्रमुख वजहों में प्रेम संबंध निचले स्थान पर रहा है। पश्चिम बंगाल में जहां 2001 से 2017 के बीच हत्या का सालाना औसत 29 रहा है, वहीं केरल में यह महज छह रहा है।

कथित ऑनर किलिंग : लगातार बढ़ता मामला

आमतौर पर देखा गया है कि हत्या के कई मामले प्रेम संबंधों से जुड़े होते हैं। देश के कुछ क्षेत्रों में कथित ऑनर किलिंग के मामले गाहे-बगाहे सामने आते हैं. साल 2017 में 92 लोगों की मौतें ऑनर किलिंग की वजह से हुई। इससे पहले 2016 में इससे जुड़े 71 मामले सामने आये थे। 
आंकड़ों से स्पष्ट है कि हत्या के मामलों में लैंगिक अपराध बड़ी वजह है। हिंसा की इन घटनाओं के पीछे राजनीतिक और सामाजिक विषमता भी प्रमुख कारण है। प्रेम संबंधों में सबसे बड़ी अड़चन जाति, वर्ग और धर्म भी है। इसी वजह से व्यक्ति विशेष की हत्या तक हो जाती है। प्रेम संबंधों से नाराज होकर परिजनों द्वारा ही हत्या करने का चलन देश के विभिन्न हिस्सों में आज भी जारी है। इससे जुड़ी खबरें रोजाना सुर्खियों में होती हैं।

अंतरजातीय विवाह को नहीं मिलती आसान स्वीकृति

समाज के एक बड़े तबके में अंतरजातीय विवाह को स्वीकार नहीं किया जाता है। लड़का या लड़की द्वारा लिया गया स्वतंत्र फैसला परिजनों द्वारा नामंजूर कर दिया जाता है। कई मामलों में तो परिजन हिंसा पर उतारू हो जाते हैं। 

गुरु नानकदेव विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर सतनाम सिंह देओल द्वारा 2005 से 2012 के बीच ऑनर किलिंग पर किये गये अध्ययन के अनुसार, 44 प्रतिशत मामलों में अंतरजातीय विवाह की वजह से हत्याएं हुईं। अध्ययन के मुताबिक, 56 प्रतिशत परिवारों को लड़के या लड़की द्वारा लिया गया स्वतंत्र फैसला रास नहीं आया।

निजी फैसले पर समाज की पहरेदारी

कानून की नजर में भले ही विवाह को व्यक्तिगत और निजी फैसला माना जाता हो, लेकिन आज भी रुढ़िवादी परिवार और समाज में इसे व्यक्तिगत फैसले के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता। ऐसे तमाम परिवार हैं, जो विवाह को पारिवारिक और सामुदायिक मामला मानते हैं। जब बच्चे अपना फैसला परिजनों के सामने रखते हैं, तो परिजन इसे सहन नहीं कर पाते और विरोध बढ़ने पर मामला हिंसा तक पहुंच जाता है।

हत्या में झारखंड-बिहार पीछे नहीं

प्रेम प्रसंग के कारण होनेवाली हत्या में झारखंड और बिहार पीछे नहीं हैं। इन राज्यों में होनेवाली हत्या के तीसरे या चौथे प्रमुख कारणों में प्रेम प्रसंग ही रहा है 2001 से 2017 की अवधि में। वहीं इस मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। यहां हर साल औसतन 395 लोगों की हत्या प्रेम संबंधों के कारण हुई है इस अवधि में। इस राज्य में यह संपत्ति विवाद (553 हत्याएं) के बाद हत्या का दूसरा प्रमुख कारण है। 

उत्तर प्रदेश के बाद तमिलनाडु, कर्नाटक और दिल्ली ऐसे राज्य हैं, जहां प्रेम प्रसंग हत्या का दूसरा सबसे प्रमुख कारण बन गया है. इन राज्यों में प्रेम संबंध के कारण हर साल औसतन क्रमश: 240, 113 और 51 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इन राज्यों के अलावा, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और असम ऐसे राज्य रहे हैं, जहां प्रेम प्रसंग हत्या का तीसरा या चौथा प्रमुख कारण है।

दुनिया भर में परिचितों द्वारा महिलाओं की हत्या 

पिछले साल नशीले पदार्थों व अपराध पर निगरानी रखनेवाले संयुक्त राष्ट्र कार्यालय द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में हजारों महिलाओं की हत्या उनके पति, प्रेमी या परिवारवाले करते हैं. इस रिपोर्ट की मुख्य बातें ।

2017 में दुनिया में रोज औसतन 137 महिलाओं की हत्या उनके संगी या परिजनों ने की। 
हत्याओं के मामले 50 हजार से ज्यादा है। इससे महिलाओं के प्रति समाज के नकारात्मक रवैये, लैंगिक विषमता का पता चलता है।
हत्या की शिकार महिलाओं की संख्या 2017 में लगभग 87 हजार रही, जिसमें 58 फीसदी के जिम्मेदार करीबी थे।
करीबियों के हाथों मारी गयीं 50 हजार महिलाओं में 30 हजार की हत्या पति या प्रेमी ने की थी।  

पुरुषों की हत्या महिलाओं से चार गुनी अधिक है, लेकिन इसमें 20 फीसदी से भी कम हत्याओं में प्रेमी का हाथ था। जीवनसाथी या प्रेमी द्वारा की गयी हत्याओं में से 82 फीसदी पीड़ित महिलाएं थीं।

अफ्रीका में महिलाओं की हत्या में जीवनसाथी या परिजनों द्वारा की हत्याओं का हिस्सा 70 फीसदी है, जबकि यूरोप में 38 फीसदी है। 
एशिया का हाल बेहद गंभीर है। पति, प्रेमी या स्वजनों ने 2017 में 20 हजार महिलाओं की हत्या की थी. दक्षिणी अमेरिका में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है।

एशिया और अफ्रीका में अपराधों को दर्ज कराने में अनेक खामियां है। कई बार तो अपराधों को परिवार ही छुपा लेता है. साल 2017 में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से कथित ‘ऑनर किलिंग’ के पांच हजार मामलों में से एक हजार हत्याएं अकेले भारत में हुई थीं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी ऐसी हत्याएं बहुत होती हैं।

हत्या के लिए पांच बड़ी वजहें, वार्षिक औसत

(2001-2017) आंध्र प्रदेश (तेलंगाना भी शामिल) प्रेम संबंध 384 निजी शत्रुता 276 संपत्ति विवाद 176 लाभ 171 दहेज 124   महाराष्ट्र प्रेम प्रसंग 277 निजी दुश्मनी 193 संपत्ति विवाद 139 दहेज 101 लाभ 71 गुजरात प्रेम प्रसंग 156 निजी दुश्मनी 151 संपत्ति विवाद 101 लाभ 68 सांप्रदायिक 18

58 फीसदी हत्याओं में पति या पूर्व प्रेमी शामिल

वैश्विक स्तर पर महिलाओं की हत्या का लगभग 58 प्रतिशत कृत्य उसके पूर्व या पति या उसके प्रेमी द्वारा अंजाम दिये जाते हैं. पुरुषों की हत्या के 20 प्रतिशत से कम मामले में ही उसकी पूर्व या वर्तमान पत्नी या प्रेमिका शामिल होती हैं। 

महिला साथी द्वारा संबंध खत्म करने या मंशा जताने के बाद पुरुष साथी द्वारा हत्या कर दी जाती है। एक अध्ययन के अनुसार, हत्या करनेवाले पुरुष दावा करते हैं कि वे जिस महिला से प्रेम करते थे, बदले में उससे प्रेम न मिलने के कारण उन्होंने उनकी हत्या कर दी या महिला साथी से अत्यधिक प्रेम के कारण उन्होंने उसे मार डाला। 

‘इन द नेम ऑफ लव: रोमांटिक आइडियोलॉजी एंड इट्स विक्टिम’ के सह-लेखक आरॉन बेन-जीव का इस बारे में कहना है कि पुरुष द्वारा अपनी महिला साथी की हत्या का कारण प्रेम के बदले प्रेम न मिलने को कुछ हद तक स्वीकार किया जा सकता है, लेकिन अत्यधिक प्रेम के कारण होनेवाली हत्या को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि आरॉन यह भी कहते हैं कि अपने साथी की हत्या गहरे प्रेम की अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि यह प्रेम के समस्याग्रस्त फ्यूजन मॉडल का अनुचित तरीका है।

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