शनिवार, 30 नवंबर 2019

विश्व एड्स दिवस : 15-24 साल की 600 महिलाएं हर सप्ताह हो रही हैं संक्रमित

वर्तमान में 3.79 करोड़ लोग एचआईवी की बीमारी के साथ जी रहे हैं। दुनियाभर में अब तक सात करोड़ 49 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। तीसरे पायदान पर है भारत एड्स से संक्रमित लोगों के मामले में। साल 2018 में एड्स की वजह से हुई 7,70,000 लोगों की मौत।

 विश्व एड्स दिवस , 31 साल पहले साल 1988 में दुनिया को एचआईवी संक्रमण के प्रति जागरूक करने के लिए इस दिन की शुरुआत की गई थी। यह वह दौर था जब यह बीमारी तेजी से फैल रही थी। 90 के दशक के आखिर में एड्स चरम पर था, जिसने दुनिया को इसके खिलाफ लड़ने के लिए झकझोरा।

जाहिर है हालात बदले, संक्रमण और मौत के मामलों में अच्छी गिरावट आई लेकिन मौजूदा आंकड़ों पर नजर डालें तो इसके उन्मूलन के लिए अभी और आगे जाना है। मसलन, आज भी हर सप्ताह 15-24 साल की 6000 महिलाएं एचआईवी से संक्रमित होती हैं। 

वैज्ञानिकों के अनुसार सबसे पहले एड्स की उत्पत्ति किन्शासा शहर से हुई थी, जो वर्तमान में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की राजधानी है। एड्स को लेकर सबसे दुखद यह है कि इस बीमारी के फैलने के करीब 30 साल बाद इसका पता चल पाया। 

यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल 17 लाख नए मामले सामने आए थे। यह आंकड़ा 1997 में 30 लाख था। तीन करोड़ 20 लाख लोगों की जान जा चुकी है। 81 लाख लोगों को मालूम ही नहीं था कि उन्हें एड्स है। इस साल की थीम है 'कम्युनिटीज मेक द डिफरेंस' यानी समुदाय बदलाव लाते हैं। 

तीसरे पायदान पर है भारत एड्स से संक्रमित लोगों के मामले में

भारत में पहला मामला साल 1986 में तमिलनाडु में सामने आया था। दो साल पहवे यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में एचआईवी संक्रमण में 46 फीसदी की कमी आई है। 2017 तक 79 फीसदी लोगों को उनका एचआईवी स्टेटस पता था। 

इलाज में महिलाएं आगे हैं। 63 फीसदी महिलाएं इलाज करा रही हैं, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 50 फीसदी ही है। 
भारत में 21 लाख लोग एड्स से पीड़ित हैं। इनमें 42 फीसदी (8,80,000) महिलाएं हैं। 

साल 2020 तक 90-90-90 हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है यानी एचआीवी से ग्रसित 90 फीसदी लोगों को उनका एचआईवी स्टेटस पता हो। संक्रमित लोगों में से 90 फीसदी का इलाज चल रहा हो और इलाज करा रहे लोगों में से 90 फीसदी वायरली सस्प्रेड हो जाएं यानी वे एचआईवी वायरस को दूसरे व्यक्ति में न फैला पाएं। 

2010-2017 के बीच 27 फीसदी कम हुए संक्रमण के मामले
एड्स से मौत के मामलो में आई है 56 फीसदी की गिरावट
1997 में थे महज 67 काउंसिलिंग व जांच केंद्र, अब 23,400

सुकून देने वाले आंकड़े

40 फीसदी कमी आई है, एचआईवी संक्रमण के नए मामलों में 1997 की तुलना में
साल 2004 के बाद एड्स से मौत के मामलों में 56 फीसदी की कमी आई है
साल 2010 के बाद एड्स से मौत के मामलों में 33 फीसदी की गिरावट आई है

एड्स का जोखिम इनमें ज्यादा

पुरुषों से ही संबंध बमामे वाले पुरुषों में 22 गुना ज्यादा

ड्रग इंजेक्शन लेने वालों में 22 गुना ज्यादा 

देह व्यापार करमे वालों में 21 गुना व ट्रांसजेंडरों में 12 गुना ज्यादा

भारत की सबसे लंबी दूरी की ट्रेन


देश के अलग-अलग राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों से एशिया के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक भारतीय रेलवे में रोजाना लाखों यात्री यात्रा करते हैं। भारत की ट्रेनें जम्मू में हिमालय से शुरू होती हैं और भारत की मुख्य भूमि के दूसरे सिरे पर तमिलनाडु के लाकादीव सागर में कन्याकुमारी में समाप्त होती हैं।

भारत की सबसे लंबी दूरी की रेलगाड़ी का नाम विवेक एक्सप्रेस है। यह रेलगाड़ी 82 घंटे और 50 मिनट में 4,230 किलोमीटर का सफर तय करती है। रेलवे के अनुसार डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी तक का सफर तय करने वाली यह एक्सप्रेस कुल दूरी और समय के मामले में सबसे लंबे मार्ग की यात्रा करती है।

रेलवे के अनुसार, डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी तक का सफर तय करने वाली विवेक एक्सप्रेस दूरी और समय के मामले में भारतीय रेलवे के सबसे लंबे मार्ग की यात्रा करती है। यह दुनिया में 9वां सबसे लंबा मार्ग भी है।

विवेक एक्सप्रेस इसका मतलब है कि यह नौ राज्यों को कवर करते हुए अपनी यात्रा के दौरान चार दिन 10 घंटे और 55 मिनट का समय लेती है।

डिब्रूगढ़ से ट्रेन शनिवार रात 11.05 पर निकलती है और कन्याकुमारी बुधवार सुबह 9.55 पर पहुंचती है। गंतव्य स्थान पर पहुंचने से पहले अपनी यात्रा के दौरान ट्रेन 56 स्टेशनों पर रुकती है।

विवेक एक्सप्रेस के बाद दूसरे स्थान पर सबसे ज्यादा लंबा सफर तय करने वाली ट्रेन हिमसागर एक्सप्रेस है, जो माता वैष्णो देवी कटरा से कन्याकुमारी तक की यात्रा करती है। ट्रेन 72 घंटे और 30 मिनट की अपनी यात्रा में 3,785 किलोमीटर की दूरी तय करती है, जिसका मतलब है कि तीन दिन और 30 मिनट में यह अपने गंतव्य पर पहुंच जाती है।ट्रेन सोमवार रात 9.55 बजे कटरा से चलकर गुरुवार रात 10.55 बजे कन्याकुमारी पहुंचती है।

केंद्र सरकार के बारे में ‘फेक न्यूज़’ से निपटने के लिए पीआईबी ने तथ्य जांच इकाई गठित की

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने लोगों से सोशल मीडिया सहित किसी भी मंच पर नज़र आने वाली केंद्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों और योजनाओं से जुड़ी किसी ‘संदिग्ध सामग्री’ की तस्वीर ईमेल करने का अनुरोध किया और कहा कि इसकी छानबीन की जाएगी।

फर्जी खबर यानी फेक न्यूज से निपटने की कोशिश के तहत पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने केंद्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों और योजनाओं के बारे में खबरों का सत्यापन करने के लिए एक ‘तथ्य जांच इकाई’ गठित की है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने  लोगों से सोशल मीडिया सहित किसी भी मंच पर नजर आने वाली किसी ‘संदिग्ध सामग्री’ की तस्वीर ईमेल करने का अनुरोध किया। साथ ही, मंत्रालय ने कहा कि इसकी छानबीन की जाएगी।

मंत्रालय ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर पीआईबी के ट्वीट को रीट्वीट किया। इसमें कहा गया है, ‘कोई ऐसा संदेश/पोस्ट मिला हो जो सच जैसा प्रतीत होता हो या कोई ऐसी खबर पढ़ने को मिली हो जिसे आप सत्यापित करना चाहते हैं! उसे भेज दीजिए और हम आपके लिए इसके तथ्य की जांच करेंगे, कोई सवाल नहीं पूछा जाएगा।’

ट्वीट में ‘पीआईबी फैक्ट चेक’ हैशटैग के साथ कहा गया है, ‘कभी यह समझ में नहीं आए कि ‘वॉट्सऐप फॉरवर्ड’ (वॉट्सऐप पर धड़ल्ले से साझा किए जाने वाले संदेश) वास्तविक है या बस फेक न्यूज हैं? या कोई ट्वीट/एफबी (फेसबुक) पोस्ट वास्तविक है या नहीं? चिंता करने की जरूरत नहीं है!’


इसमें यह भी कहा गया है कि सिर्फ सरकार के मंत्रालयों, विभागों और योजनाओं से जुड़ी चीजों की तथ्यात्मक जांच की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने फेक न्यूज का मुकाबला करने की अपील की है और हाल ही में यहां तक कहा कि यह ‘पेड न्यूज़’ से भी ज्यादा खतरनाक है।

वहीं,  उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने ‘फेक न्यूज़’ की समस्या पर चिंता जताई और भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) और न्यूज़ ब्रॉडकॉस्टर एसोसिएशन जैसी संस्थाओं से अनुरोध किया कि इसकी जांच के लिए वे एक तंत्र गठित करें।

उन्होंने पाठकों और दर्शकों तक सूचनाओं के प्रवाह में वस्तुनिष्ठता एवं सटीकता कायम रखने की जरूरत पर भी जोर दिया।

रविवार को होगा आईएएस एसोसिएशन का साहित्यिक संवाद कार्यक्रम

आईआरएस अधिकारी शुभ्रता प्रकाश की पुस्तक द वर्डः ए सर्वाइवर गाइड टू डिप्रेशन पर होगी चर्चा

जयपुर । आईएएस एसोसिएशन इस बार  साहित्यिक संवाद कार्यक्रम की कड़ी में भारतीय राजस्व सेवा की अधिकारी शुभ्रता प्रकाश से रूबरू कराने जा रहा है। शुभ्रता प्रकाश वह महिला अधिकारी जो 10 वर्षो तक डिप्रेशन में रही और डिपे्रेशन से उबरने के बाद लोगों की जिदंगी में आए अवसाद को उबारने के लिए अपने अनुभवों को एक पुस्तक द वर्डः ए सर्वाइवर गाइड टू डिप्रेशन के रूप में पिरोया है। यह जानकारी आईएएस एसोसिएशन की साहित्यिक सचिव श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने दी।

  उन्होंने बताया कि 1 दिसम्बर को टेक्नो हब में प्रातः 11 बजे आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में एसएमएस हॉस्पिटल के मनोवैज्ञानिक हैड डॉ. आर.के. सोलंकी तथा अपेक्स हॉस्पिटल की निदेशक एवं फाउंडर श्रीमती शीनू झवर आईआरएस श्रीमती शुभ्रता प्रकाश से उनकी पुस्तक द वर्डः ए सर्वाइवर गाइड टू डिप्रेशन पर संवाद करेंगे।




   श्रीमती सिन्हा ने बताया कि लेखिका वर्तमान में अतिरिक्त आयकर आयुक्त, नई दिल्ली में तैनात है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में बहुत अधिक लोग अवसाद से पीड़ित है। इसके बहुत से कारण है तथा परिणामों को खारिज कर दिया जाता है और पीडितों को अक्सर नजरअदांज किया जाता है। जीवन में ऐसे पल बहुत कम आते है जिसमें एक व्यक्ति लडकर सभी को प्रकाश की राह दिखलाता है और पीड़ित लोगों के जीवन में खुशियां लौटाता है। ऐसा ही एक नाम है शुभ्रता प्रकाश का। जिन्होंने एक ऐसी मानसिक अवसाद की सड़क की यात्रा की जो संघर्ष, निकट मृत्यु और उससे उबरने की कहानी को बयां करती है।







     साहित्यिक सचिव ने बताया कि डिप्रेशन एक गंभीर लेकिन आम बीमारी है, इसलिए इसका सही समय पर इलाज होना बहुत जरूरी है। और इसे ऐसे ही छोड़ दिया जाए तो जीवन के प्रत्येक पहलू पर बहुत बुरा असर डालती है तथा पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन को नीरस एवं संकट में डाल सकती है। अतः इस कार्यक्रम के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया जाएगा कि बच्चों, युवाओं एवं वरिष्ठ नागरिकों के जीवन में आए अवसाद को किस प्रकार दूर किया जाए और पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन को सरस बनाया जा सके।

     लेखिका शुभ्रता प्रकाश का कहना है कि उनकी पुस्तक दो महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें पहला भाग विकार, संभावित कारण उपचार के विकल्प और स्वयं या किसी प्रियजन की मदद के बारे में जानकारी देती है तथा दूसरे भाग में डिप्रेशन के साथ रहने का मेरा अनुभव है। यह आंशिक रूप से दूसरो की मदद करने से संबंधित है। जब किसी को मेजर डिप्रेसिव डिसआर्डर होता है और यह भी उम्मीद बताती है कि यह बेहतर हो जाएगा।

शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

मनुस्मृति और संविधान

वर्ष 1949 में 26 नवंबर को देश का संविधान पारित किया गया था, इसलिए इस दिन को संविधान दिवस कहा जाता है। पूरे देश में यह दिन इतने जोर-शोर से पहले कभी नहीं मनाया गया होगा, जितना इस साल मनाया गया। शायद लोगों को एहसास होने लगा है कि संविधान आज खतरे में है। 

पहली बार देश में इस तरह की राजनीतिक दिशा के लोग केंद्र सरकार और कई राज्यों में सत्तासीन हैं, जो परंपरागत तौर पर संविधान के आलोचक हैं। संविधान का खुलकर विरोध करना तो असंभव है, क्योंकि उसका पालन करने की शपथ सार्वजनिक पद पर आसीन हर व्यक्ति को लेनी ही पड़ती है। पर देश की तमाम राजनीतिक धाराओं में केवल एक ही है, जिसने शुरू से संविधान को मानने से इनकार किया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक एम. एस. गोलवलकर, ने तीन नवंबर, 1949 को ऑर्गनाइजर में अपने लेख में शोक व्यक्त किया था कि हमारे संविधान में प्राचीन भारत की अनोखी सांविधानिक प्रक्रियाओं का कोई जिक्र ही नहीं है।

अपनी पुस्तक बंच ऑफ थॉट्स में गोलवलकर ने लिखा ‘प्राचीन काल में भी जातियां थीं और हमारे गौरवशाली राष्ट्रीय जीवन का वे लगातार हिस्सा बनी रहीं।...हर व्यक्ति की, समाज की उचित सेवा करने के लिए उसकी उस कार्यप्रणाली में, जिसके लिए वह सबसे अधिक उपयुक्त है, वर्ण-व्यवस्था मदद करती है। यही वह तथ्य है, जिसे मनु ने, जो दुनिया का पहला और सबसे महान न्याय बनाने वाला था, अपने न्यायशास्त्र में दर्ज किया।'

आज भाजपा केंद्र और कई राज्यों में सरकार चला रही है। इसने कभी खुद को गोलवलकर के विचारों से अलग नहीं किया। इनमें से कई हैं, जिन्होंने मनुस्मृति की प्रशंसा भी की है और राजस्थान उच्च न्यायालय में उन्हीं की सरकार ने मनु की मूर्ति भी स्थापित की थी। मनुस्मृति में महिलाओं से संबंधित कुछ निर्देश इस तरह हैं :  पुत्री, पत्नी, माता या कन्या, युवा, वृद्धा-किसी भी स्वरूप में नारी स्वतंत्र नहीं होनी चाहिए-मनुस्मृति, अध्याय-9 श्लोक-दो से छह। पति पत्नी को छोड़ सकता है, गिरवी रख सकता है, बेच सकता है, पर स्त्री को इस प्रकार के अधिकार नहीं हैं-मनुस्मृति, अध्याय-9, श्लोक-45। स्त्री को संपति रखने का अधिकार नहीं है, स्त्री की संपति का मलिक उसका पति, पुत्र, या पिता है-मनुस्मृति, अध्याय-9, श्लोक-416। असत्य जिस तरह अपवित्र है, उसी भांति स्त्रियां भी अपवित्र हैं,  पढ़ने-पढ़ाने, वेद-मंत्र बोलने या उपनयन का स्त्रियों को अधिकार नहीं है-मनुस्मृति, अध्याय-2, श्लोक-66 और अध्याय-9, श्लोक-18। पति सदाचारहीन हो, अन्य स्त्रियों में आसक्त हो, दुर्गुणों से भरा हो, नपुंसक हो, फिर भी स्त्री को उसे देव की तरह पूजना चाहिए-मनुस्मृति, अध्याय-5 श्लोक-154। मनुस्मृति के अनुसार, एक ही अपराध के लिए अपराधी की जाति और जिसके साथ अपराध हुआ है, उसकी जाति देखकर सजा दी जानी चाहिए।

मनुस्मृति की आत्मा और संविधान की आत्मा एक दूसरे के विपरीत है। संविधान के पारित होने के बावजूद हमारी बहुत-सी मान्यताएं मनुस्मृति के अनुरूप ही हैं। इसीलिए कार्यपालिका और न्यायपालिका के माध्यम से यह कोशिश की जाती है कि जब भी अन्यायपूर्ण परंपरा और संविधान के बीच टकराव होता है, तो संविधान के पक्ष में निर्णय लिया जाए। यह प्रक्रिया अब मंद पड़ गई है। इसने खतरे का एहसास दिला दिया है और संविधान की रक्षा करने की बात व्यापक पैमाने पर होने लगी है।

महाराष्ट्र: तीन पहियों की सरकार में शुरू हुई खींचतान, कांग्रेस उपमुख्यमंत्री पद पर अड़ी


महाविकास अघाड़ी की तीन पहियों की सरकार के आगे बढ़ने से पहले ही खींचतान शुरू हो गई हैं। शिवसेना को मुख्यमंत्री पद देने के बाद कांग्रेस-एनसीपी में उपमुख्यमंत्री पद के लिए ठन गई है। कांग्रेस उपमुख्यमंत्री पद मांग रही है, जबकि एनसीपी ने इस पर अपना दावा ठोका है। अघाड़ी में कांग्रेस को विधानसभा अध्यक्ष पद देने की बात हुई है। दो उपमुख्यमंत्रियों पर भी एनसीपी राजी नहीं है। 

यह विवाद सामने आने के बाद एनसीपी नेता अजित पवार ने शुक्रवार को मीडिया में कहा कि महाविकास अघाड़ी में किसे क्या मिलेगा, यह पहले ही तय हो चुका है। बंटवारे के मुताबिक शिवसेना को मुख्यमंत्री पद मिला जबकि एनसीपी को उपमुख्यमंत्री तथा विधानसभा का उपाध्यक्ष पद और कांग्रेस को विधानसभा अध्यक्ष का पद मिलेगा। कांग्रेस की मांग पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है। दिल्ली पत्र भेज कर कांग्रेस आलाकमान से विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए उनके नेता का नाम मांगा गया है, जो शनिवार सुबह 11 बजे के पहले राज्यपाल को भेजा जाना है।


उधर, सूत्रों का कहना है कि मामला इतना आसान नहीं है, जितना पवार बता रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पार्टी इस बात पर राजी है कि मंत्रिमंडल में एकाध जगह कम मिले परंतु उपमुख्यमंत्री पद जरूरी है क्योंकि तभी महाविकास अघाड़ी की सरकार में तीनों दलों का गठबंधन दिखेगा। उद्धव के मुख्यमंत्री पद की शपथ से पहले भी अघाड़ी की बैठक में यह मुद्दा उठा था और तब भी कांग्रेस ने कहा था कि उसे उपमुख्यमंत्री पद नहीं मिला तो बेहतर होगा कि शिवसेना-एनसीपी मिलकर सरकार बनाएं। वह उन्हें बाहर से समर्थन देगी।

संविधान दिवस की 70वीं वर्षगांठ पर आयोजित राजस्थान विधानसभा के विशेष सत्र में माननीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सम्बोधन



मैं आपका आभारी हूं कि आपने हमारी भावनाओं को समझा और 2 दिन का अवसर दिया सबको। भारत के संविधान दिवस के उपलक्ष्य में संविधान के बारे में, संविधान की उपलब्धियों के बारे में, संविधान की यात्रा हुई 70 साल की उसके बारे में हम सबको सोचने का, आत्म चिंतन करने का, मन में संकल्प करने का और देश को आगे बढ़ाने का, क्या संभावनाएं हो सकती है, कितनी उपलब्धियां हुई है उसके बारे में हम लोग चर्चा कर सकें। आपकी अध्यक्षता में जब मीटिंग हुई तब भी तय हुआ था कि हम लोग कुछ सीमाओं में रहकर के चर्चा करेंगे और मैं समझता हूं कि बाय इन लार्ज 2 दिन से इसका पालन भी किया गया, आज भी कोई कारण नहीं था थोड़ी गरम बहस हो गई और मैं मानता हूं कि नेता प्रतिपक्ष महोदय इनका कोई कसूर नहीं है क्योंकि यह संविधान उपज जो है त्याग की, कुर्बानी की, बलिदान की वह किसने किया आपको मालूम है, तो आप क्या बोलते हैं आपको पता है आप बोल क्या सकते थे इसलिए आपकी जो उपलब्धियां है एनडीए गवर्नमेंट की वह बताना आपके लिए लाजमी था, वह आपने बताई और हमारे मित्रों ने कुछ अति उत्साह में आपको डिस्टर्ब किया उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं। पर आपके बारे में जानता हूं कि, मैं समझ रहा था आप जब बोल रहे थे कि लंबा संघर्ष चला आजादी के लिए कितने बड़े त्याग और कुर्बानियां करी गई कांग्रेस के नेतृत्व में की गई, महात्मा गांधी के सानिध्य में की गई, गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपत राय, विपिन चंद्र पाल, लोकमान्य गंगाधर तिलक से लगा कर के पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, डॉक्टर अंबेडकर की भूमिका लंबा इतिहास देश का है। पूरा देश इतिहास पढ़ता भी है समझता भी है और उसी रूप में देश चल रहा है लंबी यात्रा में संविधान के बारे में मेरे मित्रों ने करीब 31 लोगों ने पार्टिसिपेट किया उनको मैं धन्यवाद देना चाहता हूं और अच्छे ढंग से उन्होंने अपनी बात रखी।


मूल भावना क्या है माननीय अध्यक्ष महोदय आपने कल जब सबको बताया वह मूल भावना जो है वह उस वक्त में भी मौजूद थे उस समय समस्याएं थी देश के सामने पर क्योकि लंबा संघर्ष हुआ था, संघर्ष के जो अनुभव थे खट्टे मीठे, करो और मरो का नारा दिया गया गांधी जी के द्वारा, लोग जेलों में बंद किए गए बार-बार क्या-क्या नहीं किया गया पंडित नेहरू जैसी महान हस्ती जिसके बारे में आज सोशल मीडिया पर क्या-क्या नहीं लिखते हैं, जैसी सोच वही सोशल मीडिया में आ रही है, दुख होता है कि एक महान विभूति महापुरुष 10 साल से अधिक जेल में रहे हो, करीब 3650 दिवस जेल में बिताए हो वह जेल में होते थे उनकी धर्मपत्नी सड़कों पर आंदोलन करती थी, वह जेल में होते थे तो इंदिरा गांधी जब बच्ची थी उनको पत्र लिखा करते थे, भारत एक खोज पुस्तिका बन गई, पूरी दुनिया पढ़ती है तो लगता है कि एक ऐसा नौजवान जो मोतीलाल नेहरू जैसे अमीर व्यक्ति का बेटा था सब कुछ छोड़ दिया और जेल में रह करके ऐसी किताबें लिख रहा है, देश की यात्राएं कर रहा है उस सोच का परिणाम था कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी हिंदू महासभा के थे उनको साथ लिया, आजादी के बाद में, अंबेडकर साहब एक्सपर्ट थे विचार नहीं मिलते थे कांग्रेस से उनको मालूम है आपको, गांधी और अंबेडकर के विचार भी नहीं मिलते थे कई मायनों में उस वक्त आपने जो अभी कहा क्या माहौल था, क्या बड़े दिल रखा करते थे, विचार नहीं मिलते थे तब भी मिलकर चलते थे। देश हित में क्या हो वहां श्यामा प्रसाद मुखर्जी के अनुभव भी काम आ सकते हैं उनको भी साथ लो, उद्योग मंत्री बनाओ, डॉ आंबेडकर की एक्सपर्टाइज्ड है लीगल के अंदर उनको साथ लेओ कोई कांग्रेस में नहीं थे दो बार चुनाव हार गए थे लोक सभा के, किसी ने कहा टिकट नहीं दिया उनको ना उन्होंने मांगा और ना वह कांग्रेस में थे, दो बार लोकसभा के चुनाव हार गए और दो बार पंडित नेहरू उनको राज्यसभा में लेकर आए लॉ मिनिस्टर बनाया यह हम भूल जाते है। पूरा इतिहास भरा पड़ा है इस देश का महान इतिहास है वह स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है और जब संविधान सभा बनी आप सब लोगों ने विस्तार से बताया किस प्रकार से कितने पेज की बनी है, हस्तलिखित लिखी हुई है, हिंदी और इंग्लिश दोनों में, लाइब्रेरी के अंदर संजोई हुई है और राजसमंद से आने वाली विधायिका नीचे देख रही हैं मेरी बात नहीं सुन रही हैं, कल जब आप बोल रही थी तब आपने अच्छा चित्रण किया उसका मैं तारीफ कर रहा हूं आप घबराओ मत, कि आपने बताया किस-किस रूप में राम, कृष्ण, गुरु नानक देव, अकबर किस प्रकार चित्रण किया गया हर पेज के ऊपर। इस प्रकार इस रूप में कितने प्रयास किए गए होंगे दो ढाई साल लगे होंगे, शानदार संविधान हमारे सामने है।


हिंदुस्तान-पाकिस्तान साथ में आजाद हुए थे यह हमें भूलना नहीं चाहिए और हमें गर्व होना चाहिए नेता प्रतिपक्ष महोदय 70 साल के बावजूद भी इंदिरा गांधी चुनाव हार गई एक सेकेंड नहीं लगाया मोरारजी भाई को सत्ता सौंप दी है यह है मूल भावना संविधान की, कितने बदले प्रधानमंत्री 1 वोट से हार गए वाजपेई जी, चेहरे पर शिकन नहीं दोबारा मैदान में उतर गए और चुनाव जीतकर आ गए। 70 साल का सफर किसे कहते हैं पाकिस्तान में बार-बार सैनिकों का शासन, प्रधानमंत्रियों को जेल, फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया भुट्टो साहब को, कहां हिंदुस्तान और कहां पाकिस्तान फिर भी पाकिस्तान का भय दिखा कर के, राष्ट्रवाद ओ हो हो हिंदुस्तान के सामने पाकिस्तान चीज क्या है? वहां का प्रधानमंत्री खुद कहता है हम हिंदुस्तान का मुकाबला नहीं कर सकते युद्ध के माध्यम से, कहां हम और कहां वो? पर जिस रूप में माहौल बनाया गया है देश के अंदर यह संविधान की भावना के अनुकूल है? बजाय इसके कि हम आज भी जो मूलभूत भावनाएं संविधान की है उसको लेकर के जो कमियां रहीं 70 साल के अंदर उसको दूर करने का प्रयास करें, गरीबी और अमीरी की खाई बढ़ती जा रही है, छुआछूत आज भी है जो मानवता पर कलंक है आप समझ सकते हो, कलंक है मानवता पर आज भी हम सब पर कलंक है देशवासियों पर भी हम आज कोई चर्चा नहीं करते हैं उस पर, आजादी के पहले माननीय अध्यक्ष महोदय हमारे फ्रीडम फाइटर चाहे जय नारायण व्यास हो, माणिक्य लाल वर्मा हो, राम नारायण चौधरी हो किस-किस के नाम लेवे, उस वक्त में संघर्ष करते थे सड़कों पर आकर मंदिर में प्रवेश कराने का प्रयास करते थे, वह जमाना था जब छुआछूत का बहुत ज्यादा प्रचलन था, उस वक्त में मंदिरों में प्रवेश करवाना हरिजनों को यह आगे बढ़ते थे और पीछे कार्यकर्ता जाते थे वह कांग्रेस का नेतृत्व था उस जमाने के अंदर। इस रूप में देश आगे बढ़ा है, आजाद हुआ है, आजादी कोई ऐसे ही नहीं मिली है चंद्रशेखर, भगत सिंह आज नाम लेते हैं, सुभाष चंद्र बोस आपने हमेशा कोशिश करी की कांग्रेस के लोग तो इनके खिलाफ थे, आप नौजवान पीढ़ी को गुमराह करते हो कांग्रेस के लोग तो सुभाष चंद्र बोस के खिलाफ थे, गांधीजी उनके खिलाफ थे, भगत सिंह से मिलने पंडित नेहरू जी गए नहीं हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी बोलते हैं और जब रिकॉर्ड आता है कब गए किस तारीख को गए थे तब चुप हो जाते हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की लंदन में डेथ हुई और पंडित नेहरू ने लाश लाने नहीं दी हिंदुस्तान के अंदर जबकि श्यामा प्रसाद मुखर्जी की डेथ जम्मू-कश्मीर में हुई थी, बताइए आप क्या हो रहा है देश के अंदर? किस दिशा में हम जा रहे हैं, प्रधानमंत्री देश के कई बार ऐसी बातें बोल चुके है लंबी लिस्ट है वक्त जाया नहीं करूंगा आपका। आप सब जानते हैं दिल के अंदर आपके भी है कि सब क्या हो रहा है पर मजबूरी आपकी भी है, पर आज पूरा हिंदुस्तान जानता है कि प्रधानमंत्री जी ने कहां-कहां गलत वाक्य बोले हैं, चल रहा है। अमेरिका में इंग्लैंड में जहां जाएंगे दुनिया के इतिहास में हमारा गर्व होना चाहिए प्रधानमंत्री जा करके बोल रहे हैं, मान-सम्मान बढ़ रहा है देश का, प्रधानमंत्री का मान-सम्मान बढ़ रहा है तो क्यों बढ़ रहा है? 70 साल की तपस्या है कांग्रेस की सरकारों की तब बढ़ रहा है। जहां सुई नहीं बनती थी माननीय नेता प्रतिपक्ष जी सुई नहीं बनती थी देश के अंदर बाहर से आती थी, 33 करोड़ देवी देवता थे देश के अंदर आज 130 करोड़ देवी देवता है। भीख मांगते थे अमेरिका से वह दिन आपको भी याद है और मुझे भी याद है हालांकि हम लोग आजादी के बाद में पैदा हुए हैं, बिजली क्या होती है लोग नहीं समझते थे आजादी के वक्त में गांव और ढाणियों तक नहीं समझते थे, सावन भादो की बिजली कड़कती थी उसको ही मानते थे यह बिजली कड़क रही है, क्या 4 साल के अंदर बिजली आ गई देश भर के अंदर? सड़के पहुंच गई गांव के अंदर, बिजली पहुंच गई, पानी पहुंच गया, स्कूल खुल गई, अस्पताल खुल गए सब 6 साल में हो गया? मोदी जी प्रधानमंत्री बने और इसरो में गए और 4 महीने बाद मंगल ग्रह पर उपग्रह छोड़े गए, वाह वाह क्या ठाठ है मोदी जी के।


लंबा इतिहास है अगर आप दिनभर चर्चा करवाएंगे तो आप सब की बोलती बंद हो जाएगी यह इतिहास है कांग्रेस का। आप लोगों ने उंगली नहीं कटाई अपनी और लंबी चौड़ी बातें कर रहे हो आप लोग, कुछ तो स्वीकार करो कि भाई उस वक्त में हम लोग समझ नहीं पाए थे, RSS समझ नहीं पाई थी इसलिये हमने 7 दिन दिया आंदोलन का कहने में क्या हर्ज पड़ता है, सबको मालूम है कि RSS ने साथ नहीं दिया, वह खुद जानते हैं इस बात को तब ही कल किसी ने कहा जब संविधान बन गया तब भी उस पर टिप्पणी की गई, मनुस्मृति के बात की गई तब आप मुझे बताइए मालूम है कि RSS ने साथ नहीं दिया, बीजेपी थी ही नहीं उस वक्त जनसंघ बाद में बना फिर उसके बाद में स्वीकार करने में हर्ज क्या है?


महात्मा गांधी को कभी माना नहीं, अंबेडकर को कभी माना नहीं, आरक्षण को कभी स्वीकार नहीं किया मुझे मालूम है बचपन के अंदर देखो ईमानदारी की बात सोचो आपका दिल कह रहा होगा वह झूठ नहीं बोल सकता आप झूठ बोल सकते हो, मैं जानता हूं बचपन के अंदर क्या जनसंघ था पैदा ही हुआ था आज भैरों सिंह जी शेखावत साहब मौजूद नहीं है, शुरुआत करी 2,4,6,8 तक आते थे विधानसभा के अंदर मेंबर पर हां यहां तक पहुंचे, 2 मेंबर आए थे आपके पार्लिमेंट के अंदर मैं नेता था पार्लियामेंट के अंदर दो से आज आप दूसरी बार सत्ता में आ गए हो कितने बड़े गर्व की बात है यह, यह संविधान की उपलब्धि है कि आप यहां तक पहुंचे हो और कांग्रेस नेताओं ने संविधान बनाया था आपने संविधान नहीं बनाया। संविधान बनाने में आप की कोई भूमिका नहीं है स्वीकार करो इस बात को, क्यों नहीं स्वीकार करते हो? आपका कोई योगदान नहीं, आपका कोई संबंध नहीं संविधान से, हां संविधान बनने के बाद में सत्ता में आपको आना है लोकतंत्र कायम है तो आपको उस रूप में चलना है इसलिए आप संविधान को स्वीकार कर रहे हो।


जिस रूप में देश चल रहा है मोदी है तो मुमकिन है, मोदी है तो मुमकिन है, कब तो राज्यपाल महोदय ने रात को भेजा संदेश मोदी जी को राष्ट्रपति शासन समाप्त करो पता नहीं कब भेजा किसी को, कब मोदी जी ने कैबिनेट मीटिंग बुलाई किसी को पता नहीं है, कब उन्होंने रिकमेंड किया राष्ट्रपति महोदय को राष्ट्रपति महोदय बहुत भले आदमी है, बहुत सज्जन व्यक्तित्व के धनी है पता नहीं वह सोए हुए होंगे, कब उठाया होगा, नींद में थे या नहीं थे पता नहीं सुबह 5:47 पर आदेश निकलता है गृह मंत्रालय से राष्ट्रपति शासन समाप्त, 8 बजे शपथ हो जाती है मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री, क्या ठाठ है... बाद में 8:00 बजे शपथ और 8:15 बजे ट्वीट प्रधानमंत्री जी का फडणवीस जी को बधाई हो, बधाई हो, बधाई हो और फडणवीस जी का वापस मोदी है तो मुमकिन है, वाह क्या ठाठ है बताइए आप। पहले सुनते थे राजा महाराजाओं के महलों के अंदर षडयंत्र होते थे और सुबह तख्ते पलट जाते थे, कमाल कर दिया आप लोगों ने कमाल कर दिया मानना पड़ेगा आपको, हम लोगो में इतना साहस नहीं, दुस्साहस है तो आपमें है साहस है तो आप में है, मोदी है तो मुमकिन है मैं चिंता ग्रस्त हो गया हूं कि मोदी है तो मुमकिन है पता नहीं लोकतंत्र कब तक चलेगा मोदी है तो मुमकिन है।


मोदी है तो मुमकिन सब कुछ है। जो चिंताएं थी देश भर के अंदर, ये साहब सरकार बनते ही बोले थे कि इमरजेंसी का माहौल बनने लग गया है आरएसएस का डंडा पड़ा तो हमारे बुजुर्ग नेता ने कहा मेरा मतलब यह था, मेरा मतलब यह था पर आप देख रहे हो जो माहौल भय का, हिंसा का, मोब लिंचिंग का जो चल रहा है देश के अंदर यह आज तक पहले कभी नहीं था। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि यह एंटी सोशल एलिमेंट है मुझे बहुत खुशी हुई थी अगर प्रधानमंत्री जी उस बात पर कायम रहते तो मैं समझता हूं मोब लिंचिंग वह चाहे हिंदू, चाहे वह मुस्लिम, कोई व्यक्ति हो, महिला हो, पुरुष हो, बच्चा हो मॉब लिंचिंग किसे कहते हैं सड़क पर आप किसी को मार दो, कानून बनाना पड़ा इस विधानसभा के अंदर आप सभी को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं कानून बना कृपा करके मैं आपकी मदद चाहूंगा आप कृपा करके उस कानून को वहां अटका पड़ा है दिल्ली के अंदर राष्ट्रपति महोदय के साइन नहीं हुए अभी तक, आप कृपा करके मॉब लिंचिंग को भी, ऑनर किलिंग को भी, बच्चे बच्ची इंटर कास्ट मैरिज कर लेते हैं मां-बाप मार देते हैं, मैं समझता हूं कि हम लोगों को और आप को विशेष रूप से बात करनी चाहिए गृह मंत्रालय में, समझा करके वह साइन करवा कर लाए। मोदी है तो मुमकिन है हम तो यह मानते हैं उससे मैं चिंतित हूं, मोदी है तो मुमकिन है आप खुश हो पर मैं चिंतित हूं यह मुमकिन पता नहीं किन किन बातों को लेकर होगा, चार सुप्रीम कोर्ट के जज को कहना पड़ा कि लोकतंत्र खतरे में है, संविधान की चूले हिला दी उसने, 4 जजेस ने इतना बड़ा सविधान हमारा और सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीश चार सुप्रीम कोर्ट के जज बोल रहे हैं देश के अंदर और पूरा देश सन्न रह गया, दुनिया में क्या मैसेज गया और कह रहे हैं लोकतंत्र को खतरा है देश के अंदर, कटारिया साहब कल्पना करें थी एक उनमें से सीजेआई बन गए तो मिस्टर गोगोई को कोई पूछे कि आप पहले चार बैठे थे वह सही था आप का आरोप या आपने बनने के बाद में वही काम किया जो पहले चल रहे थे तो वह सही है या कौन सा सही है वह बताओ, अब तो वह है नहीं सीजेआई देश को बताना चाहिए देश जानना चाहता है उनसे कि आप जब 4 जजेस बैठ गए, इतना बड़ा आरोप लगा दिया आपने और बाद में क्या हो गया आपको? आप बाद में अचानक ही बदल गए और जो पहले प्रक्रियाएं थी सुप्रीम कोर्ट में वह प्रक्रियाएं चलती रही आप के जमाने में भी, यह रहस्य बना हुआ है रहस्य खुलना चाहिए और जनता के बीच में आना चाहिए यह मेरा मानना है।


आप बताइए मुझे यह जो हालात देश में हो इसका मतलब जुडिशरी कितनी दबाव के अंदर है, इनकम टैक्स, ईडी, सीबीआई क्या छापे डलवा रही है वाह वाह, एक के बाद एक। कोई इंटेलेक्चुअल सरकार का विरोध कर दे, कोई व्यक्तिगत कर दे तो राष्ट्रद्रोही है , मुकदमा दर्ज हो गया 80 लोगों पर राजद्रोह का, कमाल है यह संविधान में है यह बातें? लिखा हुआ है संविधान में, कितना पवित्र संविधान है यह, क्या-क्या नहीं लिखा गया है इसके अंदर एक-एक शब्द पढेंगे हमें गर्व होगा जिन लोगों ने मिलकर के संविधान बनाया है, सविधान के एक-एक शब्द पर हमें गर्व है और गर्व होना चाहिए हम सबको और संकल्प मन में लेना चाहिए हम आए हैं 7 करोड़ जनसंख्या में से आप 200 लोग क्यों बैठे हैं यहां पर? कुछ तो जनता ने हम पर विश्वास किया है, 7 करोड़ में से 200 लोग हम बैठे हुए हैं तो हमारी जिम्मेवारी कितने हजार गुना बढ़ जाती है यह हम सोच सकते हैं, आत्मा और परमात्मा को सामने रखकर के हमको सोचना चाहिए कैसे देश को आगे बढ़ाने के लिए जहां गलती हो रही है वहां मतलब अपनी बात बोले। मुझे किसी ने कहा टाइम क्या आ गया...


राजा बोले रात है रानी बोली रात है, मंत्री बोला रात है, संत्री बोला रात है और यह सुबह-सुबह की बात है।


बताइए आप यह हालात है, सुबह है तब भी रात है तो हां रात है, यह हिम्मत नहीं है बोलने की किसी की भी वह आपकी पूर्व मुख्यमंत्री महोदया बोलने लगी उनको घर बिठा दिया आप लोगों ने बताइए आप, और कटारिया साहब आप 75 प्लस हो गए हो ध्यान रखो मोदी जी का फार्मूला याद कर लो आप, पता नहीं आपको कब गवर्नर बनाकर भेज दें यहां से पता नहीं चलेगा हमें, दो बाई इलेक्शन हो सकते हैं राजस्थान के अंदर पता नहीं पड़ेगा हमें। पता नहीं कब तक आप रहोगे और आपके साथ में पहले भी चोट हो चुकी है जब आप यात्रा ही तो निकाल रहे थे खाली, यात्रा निकाल रहे थे वसुंधरा जी ने कहा मिस्टर कटारिया यात्रा बंद करो या मैं फिर भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा देती हूं, क्या ठाठ है आपकी पार्टी के अंदर वाह वाह।
सारी संस्थाएं बर्बाद हो रही है चिंता करो पूरे मुल्क के लोगों सारी संस्थाएं बर्बाद हो रही है इलेक्शन ऑफ इंडिया दबाव में है, जुडिशरी दबाव में है, डीआरडीओ, इसरो, ऐम्स, यूजीसी, यह किसने बनाई है? यह पंडित नेहरू की दूर दृष्टि थी मुल्क आजाद हुआ और उन्होंने सब संस्थाओं को बनाया, बताइए उन संस्थाओं को कमजोर करना अच्छी बात होती है क्या? दबाव में काम करें जुडिशरी अच्छी बात होती है क्या? आज देश खड़ा है और संविधान की रक्षा कर रहा है तो यह संस्थाएं कर रही है यह प्रतिष्ठित संस्थाएं है और मैं समझता हूं कि जिस रूप में एक के बाद एक 73 और 74 अमेंडमेंट हुए यह राजीव गांधी का सपना था, अभी आप गर्व से कह रहे थे मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था आप कह रहे थे आधार कार्ड कितना शानदार कार्ड है सीधा ही बैंक के अंदर घुस जाता है, अच्छी बात है, आप कह रहे थे प्लेन और ट्रेन में कितनी तकलीफ होती थी उस वक्त में अब घर बैठे टिकट आप ले रहे हो, मोबाइल फोन दुनिया मुट्ठी में है, गूगल पर पूरी जानकारी है, गुलाबचंद कटारिया लिखो गूगल में आप की पूरी हिस्ट्री आ जाएगी बताइए आप कहां पहुंच गए हम, ऐसे ही पहुंच गए हैं क्या? अरे जब राजीव गांधी ने कहा 21वीं शताब्दी में जाना है आईटी टेक्नोलॉजी बनाई तो आपके माननीय पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी बेल गाड़ी लेकर आए थे पार्लियामेंट के अंदर यह राजीव गांधी का दिमाग खराब हुआ है यह कंप्यूटर लाएगा तो सब बेरोजगार हो जाएंगे, उस इंटरनेट का कमाल है जिसकी तारीफ आप अभी कर रहे थे यह कहना चाहता हूं मैं आपको। आधार कार्ड कौन लेकर आया आप लेकर आए? आधार कार्ड कौन लेकर आया था, डॉ मनमोहन सिंह जी लेकर आए थे, दूदू के अंदर उसका लॉन्चिंग हुआ था आप बताइए आधार कार्ड का विरोध किया गया, एफडीआई आ रही है विरोध कर रही है बीजेपी आना नहीं चाहिए देश बर्बाद हो जाएगा अब आप एफडीआई ला रहे हो, आप ने विरोध किया आप ला रहे हो, आधार का विरोध आपने किया अब आपने स्वीकार भी किया और उपयोग कर रहे हो अच्छी बात है।


मैं तारीफ करता हूं गैस कनेक्शन मिला है या आपने कहा बैंकों से पैसा गया है ₹1 भेज देते राजीव गांधी 15 पैसे पहुंचते थे उन्होंने खुद ने कहा यह बात तो इसीलिए सब कुछ लाए वह, उनका जो सपना था दुनिया देख कर आए थे दुनिया कहां पहुंच गई है और हम कहां पर हैं, उस वक्त लोग समझ नहीं पाए थे विशेष रूप से आप नहीं समझ पा रहे थे कि है क्या कह रहा है 15 साल बाद में तो जाएगा मुल्क 21 वी शताब्दी में नई बात क्या कह रहा है, उनका मतलब यही था दुनिया कहां विकसित हो चुकी है कम से कम नई शताब्दी में हम जाए हम कम से कम ऐसी स्थिति में जाए जिससे कि विकसित राष्ट्रों के मुकाबले हम भी कभी खड़े हो सके इसलिए उन्होंने यह बात कही थी पर आप लोगों ने उनकी मजाक उड़ाई थी, आप मजाक उड़ाने में माहिर हो, आप क्या नहीं कर सकते हो क्योंकि जब तर्क नहीं होते हैं तो यही स्थिति बनती है, सोशल मीडिया को आपने कैप्चर कर लिया, बॉन्ड लेकर आ गए आप लोग, बॉन्ड सबसे बड़ा स्कैंडल होगा देश का यह मैं आपको दावे के साथ में कह सकता हूं आज अरुण जेटली नहीं रहे दुनिया के अंदर मैं उनके बारे में क्या बात करूं पर बॉन्ड जो है इतना बड़ा स्कैंडल है, 90% पैसा आपको मिल रहा है बॉन्ड से, किससे सौदा कर रहा है कौन किसी को पता नहीं है, करप्शन करने के लिए कौन सा काम कर रहे हो किसको बॉन्ड दे रहे हो पता ही नहीं चल रहा है क्योंकि वह तो गुप्त है और आप लोग लिए जा रहे हो 5000 करोड़ में से 90% पैसा बीजेपी को मिला है, कोई बोल नहीं रहा है देश के अंदर।


लोगों को सड़कों पर आना चाहिए, बॉन्ड बर्बाद करेगा देश को, सब बड़ी पार्टीयो को फंडिंग बंद सिर्फ बीजेपी का फंड है देश के अंदर, यह लोकतंत्र है? यह काम संविधान की मूल भावनाओं के अनुरूप है? क्या होगा देश का मुझे चिंता लगी हुई है, क्या होगा एक पार्टी का राज चाहते हो आप लोग? 50 साल तक शासन करेंगे आप के गृहमंत्री बोलते हैं, देखो वह हमारे गर्ग साहब हाथ हिला रहे हैं, उस वक्त तो हम भी नहीं रहेंगे अभी चुप रहे तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेगी, 50 साल तक राज करेंगे करो राज डेमोक्रेसी है, कौन मना कर रहा है पर वोट के माध्यम से करो लोकतंत्र की हत्या करके मत करो, तानाशाही का शासन लाकर मत करो, फंडिंग बंद, कांग्रेस मुक्त भारत बनाएंगे अरे कांग्रेस की तो नीतियां कार्यक्रम सिद्धांत ऐसे शानदार है जो आजादी के पहले से ही बने हुए हैं भावना वही थी आप उसका मुकाबला कभी कर नहीं सकते, जुमलेबाजी कर सकते हो, अच्छे दिन आएंगे कर सकते हो, 100 दिन के अंदर दुनिया के मुल्कों से ब्लैक मनी ले करके आएंगे सुप्रीम कोर्ट के जज को बना दिया आपने एसआईटी का चेयरमैन पता ही नहीं चला क्या हुआ। कितनी बड़ी मजाक है, 2G स्पेक्ट्रम, कोलगेट, अन्ना हजारे, केजरीवाल सबको बैठा दिया सब कुछ कर लिया जीत कर भी आ गए बहुत अच्छी बात है, बाद में क्या हुआ? कोलगेट का क्या हुआ, वह 2जी स्पेक्ट्रम वाले सब छूट गए कोई बात नहीं पर आप व्यक्तिगत आरोप लगाते थे लोगों पर अब तो बॉन्ड लाकर सरकार खुद आरोपित हो गई है, एनडीए गवर्नमेंट खुद आरोपित है इतना बड़ा करप्शन चल रहा है देश के अंदर संस्थागत किसी को मालूम ही नहीं पड़ रहा है और एक पार्टी के पास में पैसा आ रहा है बाकी पार्टीया इलेक्शन भी नहीं लाडवा पा रही है यह स्थिति है लोकतंत्र है यह? कहां ले जाओगे देश को, एक पार्टी का राज चाहते हो आप चाइना की तरह कि सामने वाली पार्टी भी हमारी हो उनको फंडिंग हम ही करें, दिखावटी के अंदर लोकतंत्र है देश के अंदर दो पार्टियां है वह चाहते हो? कांग्रेस की नीतियां महात्मा गांधी के दिए हुए सिद्धांत, नीति कार्यक्रम, कांग्रेस अगले 100 साल तक खत्म नहीं हो सकती यह मैं आपको दावे के साथ में कह सकता हूं। कांग्रेस मुक्त भारत की बात करने वाले खुद मुक्त हो जाएंगे कांग्रेस कभी मुक्त नहीं हो सकती है मैं कह सकता हूं। यह कांग्रेस है महात्मा गांधी की पार्टी जिसका नाम, अध्यक्ष महोदय 25 साल पहले महात्मा गांधी की फोटो लगी इनके स्टेज पर पहले कभी नहीं लगती थी फोटो, तिरंगा कभी नहीं फहराते थे आपके आरएसएस के हेड क्वार्टर पर यह तो आप सबको मालूम है कोई नई बात नहीं कह रहा हूं मैं। तिरंगे को मानते ही नहीं थे मोरारजी भाई बने थे जब प्राइम मिनिस्टर एक प्रयास हुआ उस वक्त में कि तिरंगे झंडे को खत्म कर दो एक नया झंडा बनना चाहिए देश का मैं गया मिलने के लिए मोरारजी भाई देसाई से बचपन के अंदर की मैंने कहा यह आप क्या कर रहे हो, उन्होंने कहा चिंता मत करो वह पहले खुद ही कांग्रेसी थे बन तो गए प्राइम मिनिस्टर आपके जनसंघ पार्टी मिलकर के जनता पार्टी बन गई हो गई फिर आप अलग हो गए। तो आप मुझे बताओ एक पार्टी का राज यह संविधान में लिखा हुआ है? संविधान में क्या-क्या शब्द लिखे हुए हैं, हम शपथ लेते हैं एमएलए एमपी मंत्री की क्या बोलते हैं हम, क्या हमें उस पर नहीं चलना चाहिए। आप मुझे बताओ हावडी मोदी, पर आप बताओ कि जो संविधान में लिखा है गुटनिरपेक्ष रहेंगे, हमारी विदेश नीति जब वाजपेई जी बन गए थे प्राइम मिनिस्टर, विदेश मंत्री बन गए थे मोरारजी भाई के साथ में बनते ही कहा कि मेरी विदेश नीति वही रहेगी जो पहले से चलती आ रही है पंडित नेहरू की, प्रधानमंत्री जी आपने क्या किया हाथ पकड़कर के बेचारे ट्रंप को घुमा दिया चारों ओर, अगली सरकार ट्रंप सरकार अरे कमाल कल सरकार दूसरी पार्टी की आ गई तो क्या करोगे, यह हमारी विदेश नीति कब रही है बोलने की? प्रधानमंत्री बोल करके आ गए और ट्रंप साहब ने कह दिया यह हिंदुस्तान के राष्ट्रपिता है, तो मोदी जी गांधी जी को मानते हैं या खुद को मानते हैं पहले यह तय करें। महात्मा गांधी का नाम लेने लग गए आप लोग, सरदार पटेल का नाम लेने लगे अरे मैं कहना नहीं चाहता इस हाउस के अंदर सरदार पटेल के बारे में क्या-क्या कहा गया है मेरे पास में लिखित में किताब छपी हुई है तो आप मुझे बताइए, कोई बात नहीं आप मानने लग गए मैं नहीं कहता कि आप मत मानो गांधी को पूरा विश्व मान रहा है, सोनिया गांधी जी ने डॉ मनमोहन सिंह जी ने प्रस्ताव पास करवा दिया 2 अक्टूबर को पूरा विश्व मनाएगा अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मुझे गर्व है आप सब को गर्व होना चाहिए पर मुझे इस बात की शिकायत है गांधी को मानो दिल और दिमाग से मानो, खाली आप दिमाग से मत मानो। आज वह प्रज्ञा ठाकुर क्या बोल रही है हाउस के अंदर बताओ आप गोडसे को देशभक्त बता रही है, मोदी जी ने खुद ने कहा चुनाव प्रचार के अंदर मैं कभी इसको दिल से माफ नहीं कर पाऊंगा, कहा था या नहीं कहा था बता दीजिए आप मुझे चुनाव चलते हुए क्योंकि चुनाव में नुकसान नहीं हो जाए हमें इसलिए कहा ये बात, चुनाव में फायदा उठाने के लिए डैमेज कंट्रोल करने के लिए यह बात कह दिया तो मोदी जी क्यों भूल जाते हैं वह पार्लियामेंट के अंदर क्या बोल रही है, बताइए आप जब हम उपासना की बात कर रहे हैं धर्म की बात कर रहे हैं, सर्वधर्म समभाव की बात करी है इस संविधान के अंदर तो आज भी सोशल जस्टिस की जरूरत है देश को गरीब अमीर की बहुत खाई बढ़ रही है उस पर हम चर्चा करें।



आरबीई संस्थाएं संवैधानिक संस्थाओं के रूप में आती है, आरबीआई और सरकार के बीच में पहली बार टशन हो रही है, उर्जित पटेल, रघुराम राजन इस्तीफा देकर के जा रहे हैं, अरविंद सुब्रमण्यम उनके खुद के सलाहकार है उन्होंने इस्तीफा दे दिया, पनगढ़िया राजस्थान के ही है नीति आयोग के उपाध्यक्ष बनाया वह चले गए आप सोचिएगा अर्थव्यवस्था की स्थिति बर्बाद हो रही है, रुपए का अवमूल्यन होता जा रहा है, पेट्रोल डीजल के दाम जो हमारे वक्त में बढ़े थे पूरे देश के अंदर उसका माहौल आपने खूब अच्छा बनाया और कामयाब भी हुए, दिल्ली के अंदर हम लोग इधर में बैठे हुए हैं वह हुआ ने किया, प्रति बैरल $70 पर आ गया तभी आप जनता से वही पैसा वसूल कर रहे हो, यह आप की नीति है। इस रूप में आज जो देश चल रहा है वह चिंता का विषय सबके लिए होना चाहिए। इस रूप में जो हमारा देश चल रहा है वो चिंता का विषय सबके लिए होना चाहिए..कहां तो राजीव गांधी का सपना था।


 ये जो महिला हमारी बहन बैठी है। जीजी बैठी हैं। जीजी जीजी बताईए, आप किस रूप में गांवों की महिलाएं सरपंच नहीं बन सकती थी कटारिया साहब आप तो जानते हो, आप घूमते हो एससी-एसटी, ओबीसी, महिलाएं, गांव की सरपंच बन जाएं गांव वाले सहन ही नहीं करते थे इसको और 73 -74 अमेंडमेंट। मेयर, प्रधान, प्रमुख, सरपंच, महिला आरक्षण ये सोच थी संविधान में अमेंडमेंट करने की। इंदिरा गांधी ने इमर्जेंसी के वक्त में जो संशोधन किए 76 के अंदर आज मोदीजी उनकी तारीफ करते फिर रहे है। मोदी जी नाम नहीं लेते है इंदिरा गांधी का। इंदिरा गांधी ने जो एटॉमिक परिक्षण किया पोकरण के अंदर कोई मोदी जी को कोई गर्व नहीं है। इंदिरा गांधी जी ने बांग्लादेश आजाद करा दिया पाकिस्तान के दो टुकडे कर दिए। 93 हजार कर्नल, जनरल, मेजर, सैनिकों के हथियार सरैंडर करा दिए कोई गर्व नहीं है मोदी जी को। इंदिरा गांधी ने खालिस्तान नहीं बनने दिया। जान दे दी। जान देने से पहले कहा-मेरी जान भी जा सकती है और मेरी जान जाएगी तो मेरे खून का एक- एक कतरा मेरे देश को मजबूती प्रदान करेगा, ये कहा था उन्होंने। क्या मोदीजी ने छह साल के अंदर एक बार भी इंदिरा गांधी का नाम लिया? किसी भी रूप में ले लेते, इमर्जेंसी लगाई आप आलोचना कर देते कोई दिक्कत नहीं थी। उपलब्धि बता देते आपकी हाइट बढ़ जाती खुद की।


 हां ये बात ठीक कह रहे है इमर्जेंसी लगाकर गलती की उनकी दृष्टि के अंदर पर और उन्होंने काम क्या किया कड़ी मेहनत, दूरदृष्टि, पक्का इरादा अनुशासन चार स्लोगन दिए उन्होंने ..विनोबा भावे थे जो जय जगत की बात करते थे। गांधीवादी उन्होंने कहा ये अनुशासन पर्व है देश के अंदर। आप आलोचना कर सकते हो किसी की, उस रूप में कहां हुआ, ये आपकी ड्यूटी है बताइए यह जो मोदीजी ने चुनाव जीतते ही जिक्र किया सेंट्रल हॉल के अंदर और बड़ी शिक्षा दी सबको बड़ा इंप्रेस किया सबको किस प्रकार ड्यूटी समझे आप लोग. किस प्रकार अमेरिका में कहा था- आप मांगो वो सरकार दें, आप सरकार को क्या दे सकते हों बताओ..वो ही बात मोदी जी ने कही। कर्तव्य भी कोई चीज होती है। अच्छी बात कही पर कांस्टिट्यून के फंडामेंटल राइट्स में आ चुका है। कौन लाया था। वो इंदिरा गांधी जी लाई थी, आरटीआई लाए, फंडामेंटल राइट्स में रखा उसको एक्ट भी बनाया और वाजपेयी जी ने उसका जिक्र किया था संसदीय क्षेत्र के अंदर। तो में कहना चाहूंगा आपको संविधान की धज्जियां उड़ाने का अधिकार किसी को नहीं है। ये मैं आपसे कहना चाहूंगा। आज तो हमें तकलीफ भी हो रही है।


  मैं आप सबका सहयोग चाहूंगा। मोदी जी, मोदी, मोदी-मोदी ठीक है माननीय नेता प्रतिपक्ष में आपका विशेष ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। आज माहौल ऐसा क्यों है कि मोदी मोदी हो रहा है। तो पता नहीं इसके बाद में मोदी है तो मुमकिन है, चिंता ही वो है, मोदी है तो मुमकिन है वो चिंता है। क्योंकि सारे काम बिना पूछे करते है ना पार्टी में, ना नेताओं को ना मार्गदर्शक मंडल। सवाल ही नहीं है उनको पूछने का तो। मार्गदर्शक मंडल तो घर बैठा है। नोटबंदी रात को, भाईयो और बहनों कल सुबह से आपको हजार रुपए का, 500 रुपए का क्या कहा वो मुझे तो याद ही नहीं है। नोट बंद कर दिए गए है, कोई  मजाक है, लाइनें लग गई देशभर में, 150 लोग मर गए हैं उसके अंदर। कोई संभालने वाला है उनके घरवालों को, और अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई देश की। सब व्यापार ठप्प पड़े हैं। यह स्थिति बन गई राज्यों और केन्द्र में जो संबध है, कांस्ट्यिूशन के अंदर है। आप तो जानते है फाइनेंस कमीशन बनता है वो तय करता है कि क्या हिस्सा मिलेगा राज्यों को। आपको मालूम है क्या हुआ, एक तो उन्होंने कह दिया कि रक्षा मंत्रालय इंटर्नल सिक्युरिटी के लिए अलग से व्यवस्था कर दो, उसी में से व्यवस्था कर दो। पहले क्या होता था टैक्स होता था माननीय कटारिया साहब आप तो विद्वान हैं कि 42 प्रतिशत टैक्स जो है उसका हिस्सा राज्यों में बंटता था, और बाकी जो हिस्सा है वो सीएसएस स्कीम है, और ग्रांट मिलती थी राज्यों को उनको कम कर दिया गया है। 


अब कहा आप अपने हिसाब से देखो और रेशो चेंज कर दिया। पूरा जो रेवन्यू होगा उसमें से फंड निकालना पड़ेगा। पहले निकालते थे इसमें से, टैक्स के अलावा निकालते थे ये कांस्टीट्यूशन की बात है। उनको आपने चेंज कर दिया। राज्य से सलाह भी नहीं करी। रेवन्यू कम हो रहा है जीएसटी से, जीएसटी की कहानी तो बडी अजीब है मैं तो सीएम था उस वक्त मोदी जी भी सीएम थे। कितना हल्ला किया इन्होंने कोई जीएसटी नहीं आनी चाहिए। देश को बर्बाद कर देगी, देश को बर्बाद कर रही थी तो आपने जीएसटी को क्यों अपनाया। हमने कहा वन नेशन, वन टैक्स होगा। आपने चाहे जो स्लैब बना दी। रात को 12 बजे सेंट्रल हॉल के अंदर जैसे पंडित नेहरू ने देश को संबोधित किया था जब देश आजाद हुआ था 15 अगस्त 1947 को उसी रूप में मोदी जी ने बुलाई रात को 12 बजे ज्वाइंट सैशन और उसी ढंग से वो शो किया गया। जीएसटी आ रही है जीएसटी आ रही है। रिफॉर्म था और वो चार टैक्स लगा दिए। ढंग से लागू नही करी। कुल 150-200 सरकुलर निकल चुके हैं। रोज निकलते हैं वहां पर और आज रेवन्यू कम हो गई चिंता मुझे इसलिए है आप सब की चिंता मुझे है। आप सबके माध्यम से पूरे प्रदेशवासियों की चिंता है कि रेवेन्यू इतनी कम हो गई है कि हमें पैसा कम मिलने लगा है। कुल मिलाकर 11 हजार करोड़ रुपए कम मिले हैं। बताइए आप मुझे मिलेंगे अन्य राज्यों को मिलेंगे सबको मिलेंगे। 

  
 मैं आरोप नहीं लगा रहा हूं मोदी जी पर कि आप केवल खाली राजस्थान को कम करोगे वो ऑपशन मैंने खुला रखा है। मालूम पड़ेगा कि अन्याय किया है तो वो आरोप भी मैं लगाऊंगा बाद में। आज मैं कह रहा हूं कि सब राज्यों को कम पैसा मिलेगा तो राज्यों का विकास कैसे होगा। यह संवैधानिक संस्था है फाइनेंस कमीशन उसको आप डिस्टर्ब कर रहे हों यह मेरा निवेदन है आपसे अब आपकी आर्थिक स्थिति खराब है। मान नहीं रहे हो आप। जीडीपी आपकी घटती जा रही है। आप फार्मूला बदल देते हो उसको लेकर के ठीक है देश जानता है। एनएसएसओ के आंकड़े इतना महत्वपूर्ण संगठन है उसके आंकड़ों के आधार पर आगे की योजना बनती है। विभागों के अंदर, देश के अंदर, राज्यों के अंदर चुनाव चल रहे थे आपने उनको छुपा दिया। उस चेयरमैन ने इस्तीफा दे दिया, मैम्बर ने इस्तीफा दे दिया। आज तक इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। आंकड़े छुपा दिए आपने, क्योंकि बेरोजगारी 7 प्रतिशत थी उसके अंदर। 40 साल की सबसे बड़ी बेरोजगारी थी।


 40 साल के इतिहास में उस वक्त की सबसे बड़ी बेरोजगारी थी। चुनाव चल रहे थे और आश्चर्य देखो, आश्चर्य नहीं साहस देखो मोदी जी का साहस है ये। चुनाव खत्म हुए, चुनाव जीते और वही एनएसएसओ के आंकड़े देश को बता दिए।  40 साल में सबसे अधिक बेरोजगारी हमारी है। यह साहस की बात होती है। हर एक में नहीं होता ये आपके नेता में है और अब यह मोदी जी इनकी सरकार जिस प्रकार से डिसइनवेस्टमेंट कर रही है शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन्स और एयर इंडिया किसी तरह पैसा आए और अर्थव्यवस्था में काम चलाएं। जो हमें तकलीफ हो रही है क्या ये बेचने से काम चलेगा। कान्टीट्यूशन में लिखा हुआ है ड्यूटी में लिखा हुआ है कि आप अपनी सम्पतियों को सुरक्षित रखें। स्पीकर महोदय, पुराने स्पीकर महोदय बैठे हुए हैं यहां पर सुरक्षित रखें। यह सुरक्षित रख रहे हैं। पहले सरकार थी। वाजपेयी जी की तब भी हिन्दुस्तान जिंक, अशोक होटल, उदयपुर की माननीय नेता प्रतिपक्ष महोदय, आपके विधानसभा क्षेत्र की बात कर रहा हूं मेरे ख्याल से वो आप ही के विधानसभा क्षेत्र में आती है। अशोक होटल उदयपुर वाली। हिन्दुस्तान जिंक बिक गए, कौडियों के भाव बिक गए। कहते हैं क्या कहते हैं जो कचरा पड़ा रहता है। स्क्रैप की जो कीमत थी हिन्दुस्तान जिंक में उस कीमत पर खरीद लिए। खरीदने वाले को स्क्रैप पड़ा था करोड़ों लाखों रुपए का। उसकी कीमत पर बेच दी पूरी हिन्दुस्तान जिंक। बताइए आप क्या ठाठ हैं क्या कर सकते हो आप। अब यह एयर इंडिया बिकेगी। पता नहीं किसको बिकेगी। किसके हाथों में जाएगी भगवान जानें।


 वहीं तो मैंने कहा अशोक होटल लक्ष्मी विलास का नाम अशोक होटल था वो अशोका ग्रुप्स की थी वो। मैं तो मंत्री रहा हूं सिविल एविएशन का दिल्ली के अंदर। मुझे मालूम है बेच दिया उसको। इस प्रकार से माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी हमारे मैनिफेस्टो में आया था राहुल गांधी लेकर आए थे। सोशल जस्टिस होना चाहिए बहुत बड़ा गेप बढ़ रहा हैं। न्याय योजना लाए थे उसकी मजाक उड़ाई आप लोगों ने, हम लोग कामयाब नहीं हो पाए। इसलिए आप लोग कुछ भी कह सकते हो पर 72 हजार कहां छह हजार दे रहे हैं प्राइम मिनिस्टर एक साल के, कहां योजना में 72 हजार रुपए देने का वायदा किया गया था कि कम-से-कम गरीबी की रेखा से ऊपर आने में सहायता मिल सके, आप थोड़ा मोदी जी से बात कर लीजिए कर लूंगा मैं तो बिना उनके संभव नहीं है। एनआरसी अध्यक्ष महोदय, यह देश के लिए बहुत बड़ा इश्यू है क्योंकि हम लोग संविधान की बात कर रहे हैं। और हर धर्म, हर वर्ग, हर जाति, समाज उसका सेंस हैं। तो आप मुझे बताइए एनआरसी लागू सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया, सुप्रीम कोर्ट ने मॉनिटरिंग की है साथ में और आपकी पार्टी की सरकार ने बहुत भयंकर काम किया वहां पर, तीन-चार-पांच साल लगा दिए वहां पर। करोड़ों रुपए लगा दिए, 19 लाख लोगों को बाहर कर दिया, कैम्प बना दिए रहने के लिए। एक भाई सेना के अंदर है आर्मी के अंदर है वो तो हैं हिन्दुस्तान में, एक भाई सीआईएसएफ में है वो कर दिया उसमें उसका नम्बर आ गया, पति-पत्नी का अलग-अलग नंबर आ गया। आपकी पार्टी के लोग हल्ला कर रहे हैं असम के अंदर। कांग्रेस वाले तो कर ही रहे हैं कि यह बकवास है, कुछ दम नहीं है इसके अंदर। अब इस एनआरसी को हमारे गृहमंत्री अमित शाह जी पूरे देश में लागू करना चाहते हैं। अरे पिक एंड चूज करो आपको लगे कि यह आदमी बाहर से आया हुआ है हाथ पकड़ो और बाहर भेज दो उसको। अगर सर्वे कराओंगे तो करोड़ों-अरबों रुपए खर्च करोंगे। आसाम वाली दुर्गति पूरे देश के अंदर होगी आपकी। मैं आपको आज पहले आगाह करना चाहता हूं समझ जाइए इसको लेकर के। मोदी है तो मुमकिन है बार-बार आ जाता है मेरे सामने। 
आरटीआई डॉ. मनमोहन सिंह जी ने, सोनिया जी ने शानदार एक्ट बनाया देश के अंदर। दुनिया में उसकी वाहवाही हुई। अब बताइए उस एक्ट को कमजोर करने का क्या तुक था और पीड़ा मुझे इसलिए है कि में 98 से 2003 तक मुख्यमंत्री था शायद आप को तो मालूम होगा आप उस समय सदन में थे। उस वक्त के अंदर वो एक्ट मैं लेकर आया था इस हाउस के अंदर पास किया था पहले हमने छोटे रूप में वो बाद में शानदार एक्ट बन गया। मुझे अफसोस होता है उस एक्ट को आपने कमजोर कर दिया। कुछ बोल नहीं रहे हो आप, क्योंकि मोदी है तो मुमकिन है। चुनाव आयोग के थे तो क्या ठाठ हैं चुनाव आयोग जो है जब मर्जी आए चुनाव करा सकता हैं कोई पूछने वाला नहीं हद तो जब कर दी पहले चुनाव हिमाचल के कराए पहले वाले चुनाव आयोग ने। अमेरिका में थे चीफ मिनिस्टर कांग्रेस के चार महीने पहले बुलाया गया उनको चुनाव होने हैं गुजरात के साथ कराएंगे नए इलेक्शन कमीशनर आए हमारे माननीय इन्होंने अलग अलग कर दिए, झारखंड को झारखंड के चुनाव पांच फेज में होने हैं झारखंड छोटा स्टेट है पर हद तो तब हो गई है दो चुनाव राज्यसभा के बताइएगा कटारिया साहब आपने भी बहुत लंबा अरसा बिताया है राजनीति में दो चुनाव राज्यसभा के हो रहे हैं किसी राज्य में क्या यह संभव है दो अलग-अलग कराओ क्या बात कर रहे हों कुछ सोचा है आप लोगों ने। यह तो संविधान की धज्जियां नहीं उड़ रही है। दो चुनाव कोई बोला ही नहीं अलग-अलग दोनों जगह बीजेपी एक सीट पर तो आपने देखा अहमद पटेल वाला मामला। अमित शाह जी खुद आकर जम गए वहां पर। कितनी दुर्गति हुई उस वक्त में उनकी जीते हैं हम दुर्गति हुई उस वक्त में उनकी। उसके बाद में सबक ले लिया दो चुनाव एक साथ नहीं कराके। अलग-अलग करा रहे हैं। हिन्दुस्तान के इतिहास में कभी नहीं हुआ ये तो मोदी है तो मुमकिन है इसलिए हो गया। ये संवैधानिक संस्था भी है आरबीआई आपने 1.76 लाख करोड़ रुपए आपने उनसे रिजर्व फंड में उठा लिया जो आज तक नहीं हुआ पहले। क्योंकि वही मोदी है तो मुमकिन है सब कुछ मुमकिन है आरएसएस विश्वविद्यालय में तो घुसा रहे हो सब जगह वो तो आपके आरएसएस के पक्के प्रचारक का हाथ है देश में राज आपका है राजेंद्र राठौड़ का नहीं हैं यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए आरएसएस के बैकग्राउंड वालों का हाथ है ये शायद उसमें नहीं आते हैं मेरे ख्याल से गलत तो नहीं कह रहा हूं मैं ऐसा तो नहीं है कि मैं गलत कह रहा हूं और आपके नंबर कट जाए पार्टी के अंदर। वो तो आपके भैरोंसिंह शेखावत जी भी रम गए थे उनको नेकर पहनकर शाखा में जाना पड़ा। दिखाने को देश को मैं भी आरएसएस का हूं मुझे याद है तो आप सारी जगह यूजीसी के माध्यम से यूजीसी को कमजोर करके विश्वविद्यालय के सारे वाइस चांसलर आपके लगे। सेंट्रल यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर आपके लगे हैं। आरएसएस का दबदबा सब जगह बढ़ रहा है और भविष्य की आपकी जो योजना हैं मोदी है मुमकिन है उसमें आप कामयाब हो सको यह आपकी चाल है। आप धज्जियां उठा रहे है हो प्रेस मीडिया की चौथा स्तंभ बताइए आप सारे डरे हुए हैं देश के एडिटर डरे हुए हैं मालिक डरे हुए हैं। कब सीबीआई आएगी, कब पीछे-पीछे ईडी आ जाएगी। कब आईटी का छापा पड़ जाएगा इतना दबाव में काम कर रहा है मीडिया चौथा स्तंभ उसके बिना लोकतंत्र कैसे जिंदा रह सकता है हम सब जानते हैं यह जो ऊपर बैठे हैं हमारे साथी इनकी कितनी चलती हैं पता नहीं इनको, मेहनत करते हैं खाली आगे जाते ही पूरा उलटा हो जाता है वहां पर, यह स्थिति है मोदी है तो मुमकिन हो रहा है। कोई बोल नहीं रहा है मोदी के खिलाफ भी। एक्सट्रा कान्टीट्यूशन अथॉरिटी कटारिया जी आपको तो याद होगा इमरर्जेंसी के अंदर आपको भी याद होगा संजय गांधी के ऊपर आरोप लगते थे। यह देश में एक्स्ट्रा कान्टीट्यूशन अथॉरिटी के रूप में काम कर रहे हैं। वो तो करते हैं या नहीं करते यह तो सब जानते हैं। आप लोगों ने खूब तारीफ की आपके लिए तो हीरो बन गए थे संजय गांधी।


 जब अतिक्रमण हटाए तब आपने कहा कि वाह-वाह यह अच्छा नेता आया हमारा। आपकी पार्टी के लोग तो वो हैं पर आज आरएसएस एक्स्ट्रा कान्सीट्यूशन अथॉरिटी के रूप में काम कर रहा है देश के अंदर। बिना उनके पूछे हुए ना मंत्री ना मुख्यमंत्री ना कोई बन सकता है मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री बिना उनकी मर्जी के कोई नहीं बन सकता है और आरएसएस के प्रचारक वैसे भी मोदीजी प्रचारक ही हैं। प्रधानमंत्री बन गए।


 केवल आरएसएस का राज है कृपा करके दो बातें मैं कहूंगा एक तो गांधी जी को अपने आप में आरएसएस पर बैन लगाया सरदार पटेल ने उनको अपना लिया बाद में। माफी मांगी अब हम कभी राजनीति में भाग नहीं लेंगे। कल्चरल संगठन रहेगा हमारा सरदार पटेल की मूर्ति बनाई आपने अच्छी बात हैं कम से कम एक देश से माफी मांगे प्रधानमंत्री जी। उस वक्त हम समझ नहीं पाए थे महात्मा गांधी और पटेल को और उस वक्त हम उनका नाम नहीं लेते थे और हम उनको मानते नहीं थे और अब उनको मानने लग गए हैं। दिल से मानने लग गए हैं। दिमाग से मानते हैं खाली जुबान से नहीं मानते हैं और आरएसएस और बीजेपी कृपा करके इनको आप सलाह दे दें। मेरी सलाह भी देंगे वो माने या नहीं माने कि हम इनको अपने आप को राजनीतिक दल में कन्वर्ट करना चाहिए। राजनीतिक दल के अंदर सरदार पटेल को वो लिखकर दिया होगा वो अलग बात थी आपको लिखकर देना चाहिए कि आरएसएस खुद कन्वर्ट हो जाए सरकार के अंदर नाम तो है बीजेपी का कोई जमाने में कहा था आपके विद्वान क्या नाम था उनका आरएसएस के थे ना। मैं नाम ले रहा हूं उस विद्वान पुरुष का नाम अरे भाई जिसने कहा था आरएसएस वाजेपयी जी मुखौटा है हमारा अब देखना याद आ जाएगा इनको गोविन्दाचार्य जी ने कहा था वाजेपयी जी मुखौटा है हमारा पीछे कोई और है तो मैं कहूंगा कि कृपा करके आप राजनीतिक दल में कन्वर्ट कर दो आरएसएस को।


 खुलकर के मैदान में आओ फिर देखो क्या होता है अभी क्या होता है अब मुकाबला करेंगे आपसे हम लोग हिन्दुत्व की विचारधारा आपकी है, दुनिया जानती है आपको किस हैसियत से किस नैतिकता से बात करते हो, संविधान को मानते ही नहीं हो आप लोग इसको। इसमें लिखा हुआ है सर्वधर्म सद्भाव। आप हिन्दु राष्ट्र की बात कर रहे हो तो क्यों आप इसकी बात कर रहे हो। क्या हो रहा है देश के अंदर यह स्थिति है देश के अंदर। आप बताइए कि आप मानते नहीं हो संविधान को। मजबूरी के अंदर अपना रहे हो आप इसको, क्योंकि आपको चुनाव जीत कर आना है। जब तक आपकी चलेगी चलते जाएंगे जब संविधान की जरूरत नहीं होगी तब मोदी है मुमकिन हो जाएगा। यह खतरा है देश को मुझे चिंता है मैं तो नहीं रहूंगा उस वक्त में पता नहीं क्या होगा पर यह चिंता हम सबको होनी चाहिए। डिग्नेटी ऑफ नेशन, यूनिटी ऑफ नेशन। मोदी जी ने दुनियाभर में घूम-घूम कर के 70 साल में कुछ नहीं हुआ अरे ये डिग्नेटी है नेशन की राष्ट्र की डिग्नेटी बता रहे हैं वो एक तरफ नारा दे रहे हैं मोदी जी डिग्नेटी ऑफ नेशन यूनिटी ऑफ नेशन यह एकता की बात है मोदी जी दुनियाभर में कहते हैं हमारे मुल्क में कुछ नहीं हुआ 70 साल में कुछ नहीं हुआ। जो कुछ कर रहा हूं वो मैं कर रहा हूं। आप बताइए बहुत साहस उनमें मोदी है तो मुमकिन है।


माननीय अध्यक्ष महोदय समय की सीमा मैं समझता हूं मैं माफी चाहता हूं मैं ज्यादा बोल गया। अभी तक भी मेरे पास में एक-दो घंटे का मैटर और है। दो घंटे बोल सकता हूं। यह स्थिति है मेरी। आपको धन्यवाद दूंगा कि माननीय सदस्यों से यह ही अपील करना चाहूंगा क्योंकि हम लोग शपथ लेकर आए हैं संविधान की इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि हम संविधान की मूल भावना को उसमें ड्यूटीज भी आती है उन्हें कैसे अपनाए और किस रूप में आगे बढ़ें। तब जाकर मैं समझता हूं जो कुछ हो सकता है कि हमारी कॉन्शियस नए रूप में सामने आए और हम देश हित में बातें सोचने लग जाए। एक और बात मैं कहना चाहूंगा जो एक पूछना चाहूंगा आप से मुझे किसी ने अच्छा लिखकर दिया है क्या कोई संस्था बनाई हुई है आपने छह साल के अंदर संस्था को तो आप बर्बाद कर रहे हो क्या नई बनाई है ये बताइए। जो पंडित नेहरू की बनाई हुई संस्थाएं थी उन्हें ध्वस्त कर सकते हो आपने क्या बनाई हैं।


हवाओं से पूछो तूने चिराग बुझाए तो बहुत हैं, 
कोई एक दीया जलाकर करके बता। 

दोस्त तूने नफरत तो बहुत फैलाई है 
एक बार मोहब्बत करके तो दिखा। 


ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि जिंदगी में कभी कॉम्प्रोमाइज़ नहीं किया है। शेखावत साहब थे आप लोग सब जानते हों कोई कॉम्प्रोमाइज़ राजनीति के अंदर नहीं। पर शाम को यदि किसी शादी में मिलते तो खूब हंसी मजाक करते, बातचीत करते थे, रिश्ते थे आपकी जो नेता है पूर्व मुख्यमंत्री महोदय उनके आने के बाद आपने रिश्ते तोड़ दिए। व्यवहार तोड़ दिया था एक बार शेखावत साहब ने कहा था माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको मालूम है कि मैं जीते जी कांग्रेस को कभी सत्ता में आने नहीं दूंगा मैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष था मैंने वापस जवाब दिया शेखावत साहब आपके जीते जी कांग्रेस सत्ता में आएगी भगवान आपको लंबी उम्र दे और आप मेरे शासन को देखो याद होगा आपको।


 सरकार बनी संयोग से मैं मुख्यमंत्री बन गया मैंने यही कोट उनके सामने वहां बैठे थे भैरोंसिंह जी मैंने कहा था आपने एक बात कही थी मैं आपको याद दिला रहा हूं भगवान आपको लंबी उम्र दे और आप शासन देखो तो मोदीजी हो या शेखावत साहब अभी कल कह रहे थे खाचरियावास जी मोदीजी मिलते तो गले लगाते मुझको यह हमारा सौभाग्य है पूरे प्रदेश की जनता गले लगा रही है तभी मैं मुख्यमंत्री बन पाया हूं मैं यह कह सकता हूं आपको ऐसे नहीं बना हूं। बच्चे-बच्चे की जुबान पर था आपकी पार्टी के कार्यकर्ताओं में यही बात थी मुख्यमंत्री अगला अशोक गहलोत बनेगा।

 तभी बन पाया हूं याद रखो आप। इसलिए संबंधों की बात अलग होती है और राजनीतिक विचारधारा की बात अलग होती है। हमारी कोई दुश्मनी नहीं है आपमें से किसी से भी। यह लड़ाई है विचारधाराओं की, नीतियों की, कार्यक्रमों की कौन देश के लिए क्या कर सकता है, वो लड़ाई जारी रहेगी। 

धन्यवाद, जयहिंद।

महिला शोधार्थियों को टिस्क से मिलेगी सुविधाएं

पेटेंट में ड्राफ्टिंग, ट्रेड मार्क एवं डिजाइन की मिलेगी निःशुल्क सुविधा ।

50 हजार से 2 लाख रूपये तक की पूरी फीस वहन करेगी सरकार ।

जयपुर । शासन सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने कहा कि महिला शोधार्थियों को टिस्क (टेक्नोलॉजी एण्ड इनोवेशन सपोर्ट सेन्टर) से जोड़ा जाएगा ताकि उनको अपने उत्पाद के पेटेंट करने के दौरान ड्राफ्टिंग, टेªड मार्क एवं डिजाइन की निःशुल्क सुविधा मिल सके। इस सुविधा से शोधार्थी की व्यय होने वाली 50 हजार से 2 लाख रूपये तक की फीस सरकार द्वारा वहन की जाएगी।

 श्रीमती सिन्हा शुक्रवार को यहां बिड़ला साइंस टेक्नोलॉजी सेन्टर में जयपुर, उदयपुर, कोटा, बीकानेर, टोंक सहित अन्य जिलों में संचालित 20 विश्वविद्यालयों के महिला शोधार्थी, महिला प्रोफेसर एवं लॉ की छात्राओं को बौद्धिक सम्पदा अधिकार, कॉपीराइट एवं पेटेंट पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि पेटेंट के मामले में स्टार्टअप को ही टिस्क से निःशुल्क सुविधा प्रदान की जा रही थी,  लेकिन अब महिला शोधार्थी को भी यह सुविधा मिलेगी।

  शासन सचिव ने कहा कि कई महिला शोधार्थी  विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में कार्य करते हुए घरेलू परिस्थितियों के कारण कुछ समय तक इस कार्य से अलग रहती है। ऐसे शोधार्थियों को महिला वैज्ञानिकों के रूप में विकसित करने के उददेश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है ताकि उनको स्वरोजगार से जोड़ा जा सके एवं आसानी से नौकरी भी प्राप्त हो सके।

 उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं तकनीक एक भविष्य है जो आज निवेश कर रहे है वह भविष्य का फल है। उन्होंने कहा कि हमारा उददेश्य रोजगार से रोजगार देने की तरफ होना चाहिए ताकि जिससे आज भारत के 909 विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले 3.50 करोड़ विद्यार्थियों को भी समय रहते उचित राह मिल सके। उन्होंने कहा कि विज्ञान का बहुत बडा क्षेत्र है और जानकारी एवं सुविधा के अभाव में विद्यार्थी आगे नही बढ़ पाता है।

श्रीमती सिन्हा ने कहा कि कई विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं शोधार्थी छात्र-छात्राएं जयपुर नही आ सकते। अतः उनके लिए उनके विश्वविद्यालयों में पेटेंट, बौद्धिक सम्पदा एवं कॉपीराइट के बारे में  जानकारी मिल सके। इसके लिए विशेषज्ञों को विश्वविद्यालय में भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति के इस ऑनलाइन दौर में मूल रचना किस प्रकार सुरक्षित रहे ताकि समाज को फेयर यूज करने का अवसर मिल सके। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में चुनौतियां बहुत है जिसे आपस में जुड़कर ही हल किया जा सकता है।

 कार्यशाला में भारत सरकार की  डायरेक्टर, पेटेंट फेसीलेसन सेन्टर, नई दिल्ली डॉ. संगीता नागर एवं भारतीय पेटेंट कार्यालय, नई दिल्ली की डिप्टी कंट्रोलर डॉ. कविता टांक ने  पेटेंट तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ सेन्टर की कॉपीराइट एक्सपर्ट डॉ. सिबल एवं नई दिल्ली की मानसी चैधरी ने कॉपीराइट एवं बौद्धिक सम्पदा अधिकार करने के तरीके, सुविधाएं एवं चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

कांग्रेस का केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ पैदल मार्च


जयपुर। कांग्रेस ने केन्द्र सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के खिलाफ शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से लेकर राज्यपाल के निवास तक पैदल मार्च निकाला। इस पैदल मार्च में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट, सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी, यातायात मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास सहित आदि कांग्रेस नेता शामिल हुए। इस पैदल मार्च में सैकडों की संख्या में कांग्रेसियाें ने हाथ में तख्तियां लेकर भाजपा सरकार की अविवेकपूर्ण आर्थिक नीतियों के खिलाफ नारे लगाते हुए राज्यपाल भवन पहुंचकर प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिया है।  

पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को अब बताना चाहिए कि वे पहले सही थे या बाद में - गहलोत


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश में मौजूदा हालात को चिंताजनक करार देते हुए दो साल पहले सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों द्वारा संवाददाता सम्मेलन किए जाने की घटना का शुक्रवार को जिक्र किया और कहा कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई को अब बताना चाहिए कि वे पहले सही थे या बाद में। 

गहलोत भारतीय संविधान को अंगीकृत करने के 70 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विधानसभा में भारत के संविधान तथा मूल कर्तव्यों पर हुई चर्चा में भाग ले रहे थे।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने कहा कि देश में लोकतंत्र को खतरा है। पूरा देश सन्न रह गया। दुनिया में इससे क्या संदेश गया? चारों ने कहा कि देश में लोकतंत्र को खतरा है और कल्पना करें कि उनमें से एक देश के प्रधान न्यायाधीश बन गए। तो श्रीमान (रंजन) गोगोई से कोई पूछे कि आपने पहले चार लोगों के साथ जो आरोप लगाए थे वे सही थे या सीजेआई बनने के बाद वही काम किए जो चल रहे थे वे सही हैं, कौन सा सही है बताइए।

गहलोत ने कहा कि अब तो वह सीजेआई नहीं हैं, उन्हें देश को बताना चाहिए, देश जानना चाहता है उनसे कि आप चार जजों ने संवाददाता सम्मेलन में कुछ आरोप लगाए थे तो बाद में क्या हो गया आपको। आप बाद में अचानक ही बदल गए। सुप्रीम कोर्ट की प्रक्रिया जो पहले थी वह चलती रही आपके जमाने में भी। यह रहस्य बना हुआ है। रहस्य खुलना चाहिए। जनता को पता चलना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि जनवरी 2018 में पूर्व सीजेआई गोगोई ने न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट की कार्य प्रणाली और मामलों के आवंटन को लेकर संवाददाता सम्मेलन किया था।

गहलोत ने कहा कि देश में इस तरह के हालात हैं कि एक तरफ तो न्यायपालिका दबाव में है। आयकर विभाग, ईडी, सीबीआई से एक के बाद एक छापे मरवाए जा रहे हैं। कोई भी बुद्धिजीवी सरकार की व्यक्तिगत स्तर पर भी आलोचना कर दे तो राजद्रोह का मामला दर्ज हो जाता है। क्या यह संविधान में लिखा हुआ है।

विधानसभा में डिजिटल म्यूजियम के कार्य का शुभारम्भ

नई पीढ़ी को मिलेगी प्रदेश के गौरवशाली इतिहास की जानकारी ; मुख्यमंत्री
     
                           
जयपुर । मुख्यमंत्री  अशोक गहलोत ने शुक्रवार को विधानसभा में राजस्थान विधानसभा के डिजिटल म्यूजियम कार्य का शुभारम्भ किया। शुभारम्भ समारोह में श्री गहलोत ने कहा कि रियासत काल से आधुनिक राजस्थान बनने तक का हमारे प्रदेश का गौरवशाली इतिहास रहा है। इस म्यूजियम से प्रदेश की वैभवशाली विरासत, महान स्वतंत्रता सेनानियों, महापुरूषों एवं नीति निर्माताओं के त्याग, बलिदान और योगदान की जानकारी नई पीढ़ी को मिल सकेगी। 

 गहलोत ने कहा कि मारवाड़, मेवाड, हाडौती सहित प्रदेश के सभी क्षे़त्रों में कई ऎतिहासिक घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं के साथ ही राजस्थान के विकास क्रम में राज्य विधानसभा के योगदान को हम गर्व के साथ याद करते हैं। इनकी जानकारी नई पीढी तक पहुंचाना जरूरी है। म्यूजियम के माध्यम से शोधार्थियों, विद्यार्थियों एवं आमजन को इन घटनाओं और क्रांतिकारी फैसलों को जानने का अवसर मिलेगा। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने देश को 21वीं शताब्दी में ले जाने का सपना देखा था।  सूचना क्रांति के माध्यम से उनका सपना साकार हुआ है।  यह म्यूजियम भी इसी दिशा में एक अच्छी पहल है। 

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि म्यूजियम के जरिए राजस्थान के निर्माण, विकास के आयामों और सामाजिक बदलाव के साथ बने कानूनों से रूबरू हो सकेंगे। साथ ही इससे लोगों का लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास बढ़ेगा तथा लोकतंत्र और मजबूत होगा। 

संसदीय कार्य मंत्री  शांति धारीवाल ने बताया कि जयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से 13 करोड़ 47 लाख रूपए की लागत से इस डिजिटल म्यूजियम का निर्माण कराया जा रहा है। यह एक साल में बनकर तैयार होगा। उन्होंने बताया कि यहां 3डी प्रभाव के साथ राजस्थान के विकास की पूरी झांकी देख सकेंगे। 

नेता प्रतिपक्ष  गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि इस म्यूजियम में आजादी से लेकर अब तक हुए कार्यों और 15वीं विधानसभा तक का सम्पूर्ण चित्रण एक ही स्थान पर देख सकेंगे। विधानसभा सचिव श्री प्रमिल कुमार माथुर ने स्वागत उद्बोधन दिया एवं स्वायत्त शासन विभाग के सचिव भवानी सिंह देथा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री  अशोक गहलोत ने इस वर्ष के बजट में राज्य विधानसभा में आधुनिक डिजिटल म्यूजियम बनाने की घोषणा की थी। करीब 21 हजार स्क्वायर फीट में बनने वाला यह म्यूजियम विधानसभा के प्रथम एवं द्वितीय तल में प्रदर्शित होगा। इस म्यूजियम में थ्री डी प्रोजेक्शन मैपिंग, एनिमेटेड डायोरमा, इंटरेक्टिव कियोस्क, होलोग्राम, ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, टॉक बैक स्टूडियो, फिल्म्स ऑन स्क्रीन, स्कल्पचर्स एण्ड म्यूरल्स, मैकेनाइज्ड इंस्टालेशन, डायनमिक इंस्टालेशन तथा वॉल मार्ट एवं इलस्टे्रशन जैसी नवीनतम तकनीक के माध्यम से राजस्थान के निर्माण में भागीदार रहे निर्माताओं के योगदान तथा प्रदेश के राजनीतिक आख्यान को प्रदर्शित किया जाएगा। साथ ही इसमें लोकतंत्र, विधानसभा की कार्यप्रणाली एवं प्रशासन प्रणाली की जानकारी मिल सकेगी।

कार्यक्रम में राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्य, विधायक, पूर्व विधायक, विधानसभा के कार्मिक भी उपस्थित थे।

गुरुवार, 28 नवंबर 2019

अब डिजिटल मीडिया भी गुलामी एक्ट में !


मोदी सरकार 21वीं सदी में 19वीं सदी के अंग्रेजों के एक्ट (भारतीयों को गुलाम बनवाने वाले) में भारत के डिजिटल मीडिया को ले आई है। अंग्रेजों ने 1867 में यह खतरा बूझा था कि भारत के लोग प्रिंटिंग प्रेस आने और उन पर पर्चे व अखबार छाप कहीं आजादी के हरकारे न बन जाएं। अभिव्यक्ति की आजादी अंग्रेज राज के खिलाफ बगावत नहीं बनवा दे। इस सोच में अंग्रेजों ने प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स (पीआरबी) एक्ट, 1867 बनाया। ताकि प्रिंटिंग प्रेस, अखबार, किताबों पर सरकार की नजर रहे और प्रकाशकों-प्रिंटरों-संपादकों को कानून में बांध उनकी अभिव्यक्ति की आजादी को जवाबदेह बनाए रखने का सिस्टम बने। जान लें अंग्रेजों ने इस व्यवस्था की जरूरत इग्लैंड में नहीं मानी। इसलिए क्योंकि गुलाम भारतीयों और आजाद गोरों के कानून एक से नहीं हो सकते। सन् 1867 के एक्ट से ही अंग्रेजों ने 1947 से पहले तक भारत के अखबारों, संपादकों पर नियंत्रण रखा।कई अखबार-पत्रिकाएं-प्रेस बंद करवाई। पत्रकार जेल गए।

तभी हिसाब से इस कानून को 15 अगस्त 1947 के बाद खत्म कर देना था। लेकिन नेहरू सरकार क्योंकि माईबाप, सरकारी नियंत्रणों में अखबारी कागज देने याकि सबकुछ नियंत्रित व्यवस्था में विकास की सोच लिए हुए थी तो आजाद भारत ने भी अंग्रेजों के बनाए 1867के एक्ट को बरकरार रखा। हिसाब से पीआरबी एक्ट 1867 आजाद भारत के 72 साला इतिहास का एककलंक है। आउटडेटेड है। अंग्रेजों के बनाए जैसे सैकेड़ों एक्ट रद्द किए गए हैं उनमें इस एक्ट को भी खत्म किया जाना चाहिए था।

ध्यान रहे दुनिया के किसी सभ्य याकि ब्रिटेन, अमेरिका, यूरोपीय देशों में प्रेस,मीडिया को कंट्रोल करने वाला ऐसा कोई एक्ट नहीं है जैसा भारत में पीआरबी एक्ट 1867 है। ब्रिटेन में रॉयल चार्टर ऑन सेल्फ-रेग्यूलेशन ऑफ द प्रेस में मीडिया के ही दो संस्थान आईपीएसओ और इंप्रेस (IMPRESS) संस्थाएं हैं। तीसरी संस्था ऑफकॉम सोशल मीडिया के उपयोग और साधनों के उपयोग में रिसर्च आदि के लिए बनी है। ऐसे ही यूरोपीय संघ के तमाम देशों में प्रेस के सिर्फ मालिकाना मसले कंपीटिशन लॉ का हिस्सा हैं। उधर अमेरिका में तो पहले संविधान संशोधन से अभिव्यक्ति की आजादी का ऐसा भारी मोल है कि उसके चलते सरकार सोच भी नहीं सकती कि प्रेस के रजिस्ट्रेशन, कागजी कोटे या विज्ञापन या कोई नियंत्रक संस्था बने। वहां फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन को इतना भर अधिकार है कि यदि सार्वजनिक एयरवेव, मतलब टीवी, रेडियो के ब्रॉडकास्ट में ‘अशोभनीय’ प्रसारण हुआ तो वह सुनवाई करके जुर्माना करेगी। इन देशों में अखबार, पत्रिका, किताब, वेबसाइट सामग्री को लीगल डिपोजिट लाइब्रेरी एक्ट (जैसे ब्रिटेन का 2003का) में जरूर अंक, पुस्तक, सामग्री जमा कराते रहना होता है ताकि वह पुस्तकालयों में सुरक्षित रखी जाती रहे और भावी पीढ़ियों के लिए ज्ञान संग्रहित होता रहे!

सोचें, यह है ज्ञान को पूजने वाले समाजों, अभिव्यक्ति की आजादी से देश के खिलने-बनने की समझ लिए लोकतांत्रिक राष्ट्रों की व्यवस्था। जबकि भारत में अंग्रेजों द्वारा लोगों को गुलाम बनाने वाले 1867के पीआरबी एक्ट की न केवल निरंतरता है, बल्कि अब मोदी सरकार ने उसमें 21वीं सदी की अभिव्यक्ति की आजादी याकि वेबसाइट, ई-पेपर, ब्लॉग्स व डिजिटल पेज, फर्रा, पेपर बना कर व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया माध्यम को भी शामिल करने, उसे पाबंद बनवाने का प्रारूप बनाया है। मुझे अंदाज नहीं कि चीन में या उस जैसे तानाशाह देशों में वेबसाइट, ई-पेपर, ब्लॉग्स का रजिस्ट्रेशन सरकार करती है या नहीं। मेरी जानकारी में तो इतना भर दर्ज है कि इटंरनेट पर वेबसाइट का डोमेन वैश्विक तौर पर रजिस्टर होता है और कोई सरकार उसका अपने यहां अलग से रजिस्ट्रेशन करने का एक्ट लिए हुए नहीं है।

तभी सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने पीआरबी एक्ट 1867 को 2019 का जो नया रूप दिया है, उसका जो ड्राफ्ट सार्वजनिक विचार के लिए जारी हुआ है वह दुनिया की एक ऐसी अनहोनी है, जिसे सर्वाधिक क्रूर-तानाशाह देशों में भी नहीं सोचा गया। सोचें, डिजिटल मीडिया को एक्ट में रेग्यूलेट करने का क्या अर्थ है?जब इंटरनेट पर वेबसाइट नाम डोमेन रजिस्ट्रार में रजिस्टर होने की वैश्विक व्यवस्था है तो भारत सरकार के रजिस्टार ऑफ न्यूजपेपर ऑफ इंडिया के यहां डिजिटल मीडिया के न्यूज पब्लिशरों को अपने-आपको रजिस्टर करवाने का क्या मतलब होगा? सरकार को यदि सभी का रिकार्ड बनाना ही है तो वह अपने आईटी विभाग से आईटी के जरिए वैश्विक डोमेन रजिस्ट्रार से क्यों नहीं नाम एकत्र करा लेती है।

मगर सरकार की मंशा रिकार्ड बनाने की नहीं, बल्कि वह सिस्टम बनाने की है, जिससे पहले वेबसाइट मालिकों की लिस्ट बने। फिर उन पर नजर और उन्हें जवाबदेह बनाने के नियम हों, उनकी लोकप्रियता जांचने और अंत में विज्ञापन देने का वह सिस्टम बने, जिसमें वेबसाइट से यदि सरकार खुश हुई तो विज्ञापन की गाजर और नहीं तो रजिस्ट्रेशन कैंसल करने की धमकी के प्रवाधानों में जवाब तलब। नए बिल के ड्राफ्ट में बतौर परिभाषा बताया गया है कि डिजिटल मीडिया पर खबर का मतलब डिजिटाइज्ड फॉरमेट में वह न्यूज जो इंटरनेट, कंप्यूटर, मोबाइल नेटवर्क से प्रसारित की जा सकती है और यह टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो,ग्राफिक का कोई भी फॉरमेट लिए हो सकती है।

नए बिल प्रारूप के सेक्शन 18 में प्रावधान है कि डिजिटल मीडिया पर न्यूज के प्रकाशक को समाचारपत्रों के रजिस्ट्रार के यहां उसकी मांगी गई सभी जानकारियां दे कर अपने आपको रजिस्टर करना होगा।

इस परिभाषा व प्रावधान का अर्थ हुआ कि अंग्रेजों नेप्रिटिंग प्रेस आने के साथ खतरा बूझ गुलाम जनता पर दबिस का एक्ट बनाया तो मोदी सरकार उसी लीक में आधुनिक प्रिंटिग प्रेस याकि इंटरनेट, उसके विभिन्न मंचों (वेबसाइट, यूट्यूब आदि पर टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो,ग्राफिक से न्यूज प्रस्तुति, प्रोग्राम आदि) पर नियंत्रण बना रही है। सीधे इंटरनेट या गूगल जैसी महाबली कंपनियो को कंट्रोल से दुनिया में सरकार बदनाम होती जबकि भारत में लोगो को कानूनी ढ़ाचे की आड में अभिव्यक्ति को कंट्रोलकरना ज्यादा आसान और कम बदनामी वाला तरीका है।

मतलब करोड़ों नागरिक अपने पोस्ट, ग्राफिक, वीडियो, लिखित कंटेंट फॉरमेट में खबर लेने-देने की अभिव्यक्ति की आज जो आजादी लिए हुए हैं उसे सरकार 1867 के अंग्रेजो के एक्ट के नए रूप से नियंत्रित करने की मंशा में है। कस्बों-शहरों में छोटे-मुफसिल पत्रकार आज खबर देने का जो प्रयोग व्हाट्सअप, यू ट्यूब आदि से चलाए हुए हैं उन सबको प्रतिबंधित-नियंत्रित करने का एक ऐसा परोक्ष सरकारी शिकंजा बनने वाला है, जिसके पीछे मूल सोच, मकसद, भावना है कि डिजिटल मीडिया ने अभिव्यक्ति की आजादी के जो करोड़ों फूल खिलाए हैं उसे खत्म करा सबकुछ नियंत्रित हो!डिजिटाइज्ड फॉरमेट की न्यूज परिभाषा में इंटरनेट, यू ट्यूब या फेसबुक, व्हाट्सअप आदि का हर तरह का, हर फॉरमेट का न्यूज, सामयिक प्रोग्राम कवर हो जाना है।

सोचें ऐसी सोच पर! दुनिया में कही भी ऐसीनिरंकुश सोच प्रकट नहीं हुई है। सिर्फ मोदी सरकार में यह आई है तो पहला अर्थ है कि हर तरह के मीडिया को, अभिव्यक्ति की आजादी को कंट्रोल करने की तानाशाही भूख सरकार में गहरे पैठ गई है। दूसरा अर्थ है कि डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया और अभिव्यक्ति की आजादी का महत्व सरकार को क्योंकि मालूम है और उसे उसका उपयोग करना है तो यह नियंत्रण से ही संभव है, यह सोचते हुए मोदी सरकार ने आगे का भी रोडमैप बना लिया होगा। पहले रजिस्ट्रेशन, फिर विज्ञापन से ललचाने या डराने का प्रबंध, इस सब पर एक्ट बाद की नियमावली में सोचा जा चुका होगा!

लाख टके का सवाल है कि भारत के लोगों ने 1867 में गुलाम होते हुए तब जैसे पीआरबी एक्ट मजबूरी में माना था वैसे ही क्या पीआरबी एक्ट 2019 भी मान्य होगा? भारत के लोग, आजाद लोग 152 साल बाद क्या यह समझ लिए हुए हैं या नहीं कि मनुष्य के आजाद होने का पहला मतलब है कि वह सोचने, उसे व्यक्त करने, कहने की आजादी लिए हुए हो। अमेरिका यदि आधुनिक वक्त की सिरमौर सभ्यता है तो बुनियादी वजह उसके संविधान का पहला यह संशोधन है कि नागरिक का प्रथम अधिकार अभिव्यक्ति की आजादी है। इस हकीकत को भी नोट रखें कि हम हिंदुओं को जब तक यह आजादी थी (मतलब विदेशी हमलों से पहले तक) तभी तक हम अभिव्यक्ति की अपनी आजादी में अपनी गौरवमयी सभ्यतागत उपलब्धियां बनाते गए। फिर भले वह वेद रचना हो या महाकाव्य, उपनिषद या दर्शन और शास्त्रार्थ की विभिन्न धाराएं! हिंदू का सनातनी मूल सत्व विचार-मनन की वेद ऋचाओं का प्रस्फुटन है। भारत के ऋषियों से तब यह नहीं सुना गया कि अभिव्यक्ति की आजादी को पहले रजिस्टर्ड कराओ!

संदेह नहीं मोदी सरकार अपनी अल्पकालिक, तात्कालिक सोच, छोटे-छोटे स्वार्थों, वोट की राजनीति में कुंद हो कर भारत और खास कर हिंदुओं के गुलामी वाले डीएनए को और गुलाम बनाने की तासीर में काम कर रही है। तभी हर उस व्यक्ति, नेता, राजनीतिक दल, मीडिया और नागरिक का दायित्व है, कर्तव्य है, धर्म है कि पीआरबी एक्ट 2019 के ड्राफ्ट का विरोध हो। 19वीं सदी के अंग्रेजों के बनाए कानून में 21वीं सदी के डिजिटल मीडिया कोशामिल कर अभिव्यक्ति की आजादी के गला घोटने वाले प्रबंधन का यदि हम-आपने विरोध नहीं किया, उसे यदि संसद का एक्ट बनने दिया तो दुनिया हमें किस निगाह से देखेगी, इसे जरूर ईश्वर के लिए समझें। भारत को इतना बरबाद न होने दें!

उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री बने हैं। किसी सदन का सदस्य न रहते हुए भी मुख्यमंत्री बनने वाले वह आठवें व्यक्ति हैं। 
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। मुंबई के शिवाजी पार्क में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

पहली बार ठाकरे परिवार का कोई सदस्य महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना है। 59 वर्षीय ठाकरे के शपथ लेने के बाद राज्य को 20 साल बाद शिवसेना से कोई मुख्यमंत्री मिला है। शिवसेना से अंतिम बार वर्ष 1999 में नारायण राणे मुख्यमंत्री बने थे. इससे पहले मनोहर जोशी मुख्यमंत्री थे, जो 1995 में शिवसेना की तरफ से बने पहले मुख्यमंत्री थे।

उद्धव ठाकरे के अलावा छह मंत्रियों ने शपथ ली। इसमें शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के दो-दो विधायक शामिल हैं। शिवसेना से एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई, एनसीपी से जयंत पाटिल और छगन भुजबल तथा कांग्रेस से नितिन राउत और बाला साहब थोराट ने शपथ ली है।

उद्धव राज्य में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के गठबंधन ‘महा विकास अघाड़ी’ की सरकार का नेतृत्व करने जा रहे हैं। शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर ‘महा विकास अघाड़ी’ का गठन किया था ताकि राज्य में गैर भाजपा सरकार बनाई जा सके।

उद्धव ठाकरे के शपथ लेने के बाद महाराष्ट्र में पिछले कई दिन तक चले सियासी नाटक खत्म हो गया। 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा के 36 दिन बाद महाराष्ट्र में सरकार का गठन हुआ है।

मालूम हो कि भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस ने बीते 23 नवंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता  अजीत पवार ने उप-मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। यह शपथ ग्रहण समारोह ऐसे समय में हुआ जब शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस का नया गठबंधन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने पर सहमत हो गया था।

23 नवंबर को मुंबई में सुबह-सुबह आननफानन हुए एक समारोह में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने फड़णवीस और अजीत पवार को शपथ दिलाई। इससे कुछ देर पहले राज्य में राष्ट्रपति शासन हटा दिया किया था।

तब शिवसेना ने देवेंद्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर की। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने देवेंद्र फड़णवीस को 27 नवंबर की शाम तक बहुमत साबित करने का आदेश दिया था, लेकिन 26 नवंबर को ही फड़णवीस और अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया और तीन दिन की ये सरकार गिर गई।

इसके साथ ही महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया और तीन दिन तक राज्य के उपमुख्यमंत्री रहे अजित पवार शरद पवार नीत एनसीपी में लौट आए।

बुधवार को महाराष्ट्र की 14वीं विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था, जहां कार्यवाहक अध्यक्ष कालिदास कोलाम्बकर ने 285 नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई थी।

बता दें कि चुनाव नतीजे आने के तुरंत बाद उद्धव ठाकरे ने सहयोगी दल भाजपा को मुख्यमंत्री पद साझा करने के अपने वादे की याद दिलाई। लेकिन भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस ने इससे इनकार कर दिया कि ऐसा कोई वादा भी किया गया था।

इससे नाराज ठाकरे ने सरकार गठन को लेकर भाजपा के साथ वार्ता रोक दी और कहा कि वह झूठा कहा जाना बर्दाश्त नहीं कर सकते।

भगवा पार्टियों के बीच गठबंधन के टूटने के साथ एक नया गठजोड़ देखने को मिला, जिसमें दो विभिन्न विचारधारा वाली पार्टियां एक साथ आईं। इसमें एक ओर जहां हिंदुत्व के रास्ते पर चलने वाली शिवसेना है, तो वहीं दूसरी ओर इससे बिल्कुल अलग विचारधारा रखने वाली कांग्रेस और एनसीपी हैं।

एनसीपी प्रमुख शरद पवार नये गठजोड़ के वास्तुकार के तौर पर देखे गए, जो खुद चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

किसी भी सदन का सदस्य नहीं रहते हुए भी मुख्यमंत्री बने उद्धव, ऐसे 8वें मुख्यमंत्री हैं

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे बृहस्पतिवार शाम महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही ऐसे आठवें मुख्यमंत्री बन गए, जो विधायक नहीं रहते हुए भी राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं।

कांग्रेस नेता एआर अंतुले, वसंतदादा पाटिल, शिवाजीराव निलांगेकर पाटिल, शंकरराव चह्वाण, सुशील कुमार शिंदे और पृथ्वीराज चह्वाण उन नेताओं में शामिल हैं, जो मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते वक्त राज्य विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं थे।

तत्कालीन कांग्रेस नेता एवं मौजूदा राकांपा प्रमुख शरद पवार का नाम भी इन्हीं नेताओं में शुमार है।

संविधान के प्रावधानों के अनुसार कोई नेता यदि विधानसभा या विधान परिषद् का सदस्य नहीं है तो उसे पद की शपथ लेने के छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना होता है।

जून 1980 में मुख्यमंत्री बनने वाले अंतुले राज्य में ऐसे पहले नेता थे। वसंतदादा पाटिल एक सांसद के तौर पर इस्तीफा देने के बाद फरवरी 1983 में मुख्यमंत्री बने थे।

निलांगेकर पाटिल जून 1985 में मुख्यमंत्री बने थे, जबकि शंकरराव चह्वाण जो उस वक्त केंद्रीय मंत्री थे, मार्च 1986 में राज्य के शीर्ष पद पर आसीन हुए थे।

नरसिंह राव सरकार में पवार तब रक्षा मंत्री थे लेकिन मुंबई में दंगे के बाद सुधाकरराव नाइक के इस पद से हटने के बाद मार्च 1993 में पवार का नाम मुख्यमंत्री के रूप में सामने आया था।

इसी तरह, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में पृथ्वीराज चह्वाण मंत्री थे, लेकिन वह भी अशोक चह्वाण की जगह नवंबर 2010 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे।

अंतुले, निलांगेकर पाटिल और शिंदे ने मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा उपचुनाव लड़ा था और विजयी हुए थे।

अन्य चार नेताओं ने विधान परिषद् का सदस्य बनकर संवैधानिक प्रावधान को पूरा किया था।

10वीं के विद्यार्थियों को विज्ञान एवं गणित की मिलेगी निःशुल्क कोचिगं सुविधा

जयपुर। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने नई पहल करते हुए जयपुर में 10वीं कक्षा के राजस्थान बोर्ड के विद्यार्थियों को रिमीडीएल क्लास के माध्यम से विज्ञान एवं गणित की निःशुल्क कोचिगं सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। यह सुविधा विद्यार्थियों को 30 नवम्बर से सैटकॉम आईजीपीआरएस में प्रातः 10:30 बजे से दोपहर 2 बजे तक उपलब्ध कराई जाएगी।

 यह जानकारी शासन सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मुग्धा सिन्हा ने गुरूवार को दी। सिन्हा ने बताया कि विभाग द्वारा शुरू किए गए इस कार्यक्रम के द्वारा विद्यार्थियों में विज्ञान एवं गणित के स्तर को बेहतर करना है तथा समाज में कई ऎसे विद्यार्थी है जो अभाव के कारण अच्छी सुविधाओं से वंचित रहते है। ऎसे विद्यार्थियों को रिमीडिएल क्लास के माध्यम से विभिन्न विषय में उनके स्तर को उच्च करना है ताकि उन्हें भविष्य में पढ़ाई का बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध हो सके। उन्होंने बताया कि 30 नवम्बर, 7 दिसम्बर एवं 14 दिसम्बर को विज्ञान विषय पर विशेषज्ञों के द्वारा विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा तथा विद्यार्थियों की सुविधा के अनुसार उनको रिकार्डेड वीडियो भी उपलब्ध कराए जाएंगे तथा विषय के जानकार के भी संपर्क नम्बर उपलब्ध कराएं जाएंगें ताकि समस्या आने पर विद्यार्थी संपर्क कर समाधान ले सके।

 उन्होंने बताया कि शीघ्र ही अन्य विषयों पर भी नियत कार्यक्रम बनाया जाएगा।शासन सचिव ने बताया कि विश्वविद्यालयों से भी अच्छे विशेषज्ञों को बुलाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि विद्यार्थियों को अच्छी फैक्लटी के माध्यम से विषय की समझ दी जा सके। उन्होंने बताया कि बोर्ड परीक्षा से पूर्व विद्यार्थियों को आने वाली समस्याओं का समाधान कर उन्हें पूरी तरह परीक्षा के लिए तैयार किया जा सके। 

संविधान को केंद्र बिंदु बनाकर भविष्य की ओर देखना होगा- उप मुख्यमंत्री


जयपुर, विधानसभा संवाददाता। उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने विधानसभा में कहा कि हमें संविधान को केंद्र बिंदु बनाकर भविष्य की ओर देखना होगा।  पायलट गुरुवार को विधानसभा में भारतीय संविधान को अंगीकृत करने के 70 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में भारत के संविधान तथा मूल कर्तव्यों पर चर्चा हुई चर्चा के दौरान बोल रहे थे।  

उप मुख्यमंत्री ने संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने देश की उस समय की परिस्थितियों और चुनौतियों के बीच सर्वश्रेष्ठ संविधान हमें दिया। उनकी दूरगामी सोच ने देश को प्रगतिशील बनाया। उस पीढ़ी के बताए रास्ते पर चलकर हम यहां तक पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि उस समय आपसी मतभेदों को अलग रखकर दुनिया के संविधानों का अध्ययन कर सर्वश्रेष्ठ अनुच्छेदों का हमारे संविधान में समावेश किया। समाज में हुए परिवर्तनों के हिसाब से संविधान में लगभग एक सौ बार संशोधन किये गए। पंचायती राज, सौ दिन का रोजगार, शिक्षा का अधिकार एवं सूचना का अधिकार जैसे हक प्रदान कर लोकतंत्र को मजबूत किया गया।  

 पायलट ने कहा कि संविधान की गरिमा और सिद्धान्तों की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि हमसे जो गलतियां हुई हैं, उन्हें भूलकर सुधार कर आगे बढ़ना होगा। हमें संविधान पर केवल भाषण ही नहीं देने हैं, बल्कि अपनी आत्मा में उतारना होगा। अपनी कार्यप्रणाली में दर्शाना होगा तथा संविधान के साथ छेड़छाड़ की भावना रखने वालों को रोकना होगा। हमें महात्मा गांधी के आदर्श और विचारों को अपनाकर उसी के अनुसार दृष्टि विकसित करनी होगी। उन्होंने कहा कि देश को सम्पन्न बनाने के संकल्प पर आत्मचिंतन कर गरीब-अमीर की खाई को पाटना होगा। तेरा-मेरा की बजाय हम और हमारी बात करनी होगी। उन्होंने कहा कि जो भी गांधी जी के विचारों को मानता है, उसे राष्ट्रपिता के हत्यारे को देशभक्त बताने वाले को गलत ठहराना होगा।  

उन्होंनेे कहा कि देश की राजनीति में घृणा का कोई स्थान नहीं है। हमारा संविधान हम लोगों की आवाज को दबाना-कुचलना नहीं सीखाता है। गरीब, पिछड़े, दबे, कुचले वगोर्ं के आरक्षण जैसे हकों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता है, यह संकल्प हमें दोहराना होगा। उन्होंने बाबा साहेब अम्बेडकर को उद्धृत करते हुए कहा कि राजनीति में भक्ति और नायक को पूजा पतन की ओर ले जाती है। इसलिए हमें इससे बचना होगा।  

उन्होंने सदस्यों का आह्वान करते हुए कहा कि हमें संविधान की बनाई ‘चेक एंड बैलेंस’ की व्यवस्था को मजबूत बनाना होगा। उन्होंने कहा कि संविधान सभा की चर्चा के दौरान जो प्रस्ताव रखे गए, उन पर सार्थक चर्चा हुई और कुछ प्रस्ताव पारित हुए, वहीं कुछ वापिस लिए गए। हमें वाद-विवाद की इस स्वस्थ एवं अच्छी परम्परा को मजबूत करना होगा।  

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रवाद का मतलब सिर्फ नारे लगाना, भाषण देना और प्रमाण पत्र वितरित करना नहीं है, बल्कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना सच्चा राष्ट्रवाद है। विभाजनकारी लोगों को रोकना और देश की अखंडता को मजबूत करना राष्ट्रवाद है। उन्होंने कहा कि हम संविधान पर केवल बोलेंगे ही नहीं, बल्कि संविधान की मूल भावना को रोज लिखेंगे, अपनी कार्यप्रणाली में परिलक्षित करेंगे। उन्होंने संविधान के माध्यम से देश-प्रदेश को आगे बढ़ाने और विकसित बनाने का संकल्प दोहराया।