खेल जगत की एक पुरानी कहावत है...Float like a butterfly, sting like a bee मतलब, एक तितली की तरह मंडराओ और मधुमक्खी की तरह डंक मारो... ये पंक्तियां जिन चुनिंदा खेलों पर चरितार्थ होती है, कबड्डी उनमें से एक है। कभी मिट्टी पर खेले जाने वाला यह खेल अब मैट पर पहुंच चुका है।
चमकदार रोशनी और एयरकंडीशन स्टेडियम में रंगबिरंगी जर्सी पहने देसी खिलाड़ियों पर न सिर्फ पैसोंं की बरसात हो रही है बल्कि स्टारडम भी साथ मिल रहा है। वैदिक युग के इस खेल को महाभारत से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन पिछले कुछ साल में गजब की क्रांति आई। 2014 में प्रो कबड्डी लीग के लॉन्च होते ही इस खेल की दशा-दिशा ही बदल गई।
IPL की तर्ज पर शुरू हुआ प्रो कबड्डी लीग 2014 में लॉन्च हुआ। कुल 12 टीम खेलनी लगी। खेल पर काफी रकम भी खर्च किए गए। अहमदाबाद में होने वाले इस फाइनल में जीते चाहे कोई भी इतना तो तय है कि कबड्डी को नया विजेता ही मिलेगा।
अब चलिए थोड़ा पीछे चलते हैं और इस खेल के इतिहास के बारे में जानते हैं। समझते हैं इसका पौराणिक इतिहास और मॉर्डन कबड्डी के बारे में आपको वो बातें बताते हैं, जो आप शायद ही जानते होंगे।
इतिहास और पौराणिक कनेक्शन
चुस्ती और फुर्ती वाले इस खेल की जड़ें वैदिक युग काल की है। मतलब लगभग 3,000-4,000 साल पहले। भारत में इस खेल को महाभारत से जोड़ा जाता है। उदाहरण दिया जाता है कि अर्जुन के बेटे अभिमन्यु ने कौरवों के रचे गए चक्रव्यूह को तोड़ा था। युद्ध के दौरान अभिमन्यु मारे गए थे। यह कबड्डी का खेल याद दिलाता है।
वैसे तो कबड्डी को भारतीय खेल माना जाता है, लेकिन इसके जन्म को लेकर अभी भी विवाद है। खेल में भारत का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी ईरान इस बात को नकारता है कि कबड्डी ने भारत में जन्म लिया। ईरानी खिलाड़ी दावा करते हैं कि उनके गृहनगर सिस्तान में इस खेल का जन्म लगभग 5000 साल पहले हुआ था। ईरान इस खेल की असली जन्मभूमि है न कि भारत और इसका जिक्र कई पुरानी किताबों में भी किया गया है।
कबड्डी भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, श्रीलंका, जापान इत्यादि देशों में ज्यादा प्रसिद्ध है। वैसे इस खेल से एशिआई देश ज्यादा जुड़े हुए है लेकिन कनाडा, ब्रिटेन जैसे देश भी अब कबड्डी खेलने लगे। कबड्डी खेल को महिलाओं के बीच भी खेला जाता है। वर्ष 2012 में कबड्डी का पहला महिला वर्ल्डकप खेला गया था। भारत की पुरुष और महिला टीम ने विश्व कबड्डी में अपना दबदबा बनाया है।
महाराष्ट्र में फला-फूला कबड्डी
कबड्डी का मूल भाव होता है 'हाथ थामे रहना'। इस खेल में पूरी टीम का एफर्ट होता है। खिलाड़ी आपस में हाथ पकड़कर खड़े रहते है। भारत में पले-बढ़े कबड्डी का पहला विश्व कप 2007 में खेला गया। दूसरा 2007 में और तीसरा साल 2016 में। काफी बड़े स्केल पर खेल आयोजित किया गया और हर बार पहले की तुलना में बेहतर परिणाम सामने आए।
भारत में कबड्डी के मौजूदा स्वरूप का श्रेय महाराष्ट्र को जाता है। 1915 से 1920 के बीच कबड्डी के नियम बनने शुरू हुए। बर्लिन ओलंपिक 1936 में शामिल होने के बाद खेल को बढ़ावा मिलने लगा, उसके बाद 1938 में कलकत्ता में इंडियन नेशनल गेम्स में कबड्डी शामिल किया गया।
देश की स्वतंत्रता के बाद 1950 में ‘ऑल इंडिया कबड्डी फेडरेशन’ बना जिसके तहत कबड्डी के औपचारिक नियम तय किए गए। एआईकेएफ आगे चलकर 1972 में ‘द अमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (एकेएफआई) में बदल गया।
नई-नई आजादी पाए बांग्लादेश ने इस खेल को अपना राष्ट्रीय खेल बना लिया। 1978 में एशियन अमेच्योर कबड्डी फेडरेशन बनने के बाद पहला एशियन कबड्डी चैम्पियनशिप 1980 में हुआ। 1982 में दिल्ली में खेले गए एशियन गेम्स में इसे जगह मिली, वहीं बीजिंग में 1990 के एशियन गेम्स में कबड्डी को शामिल किया गया।
कबड्डी और नियम
कबड्डी के नियमोंं की बात करें तो हर टीम में 12 खिलाड़ी होते है, लेकिन एक समय में केवल सात खिलाड़ी ही मैदान में खेलते है। बाकी खिलाड़ियों को विशेष परिस्थिथियों में खिलाया जाता है। मैच को 20-20 मिनट की दो अवधियों में बांटा जाता है और बीच में 5 मिनट का विश्राम दिया जाता है। पहले 20 मिनट के बाद दोनों टीमे अपना खेल क्षेत्र बदल देती है|
महिलाओ के लिए 20-20 मिनट की जगह 15-15 मिनट के दो राउंड होते हैं। कबड्डी का मैच शुरू होने के बाद लॉबी का क्षेत्र भी मैदान का हिस्सा बन जाता है। डिफेंस करने वाली टीम के खिलाड़ी का पैर पीछे वाली रेखा से बाहर निकाले जाने पर वो खिलाड़ी आउट मान लिया जाता है|
रेड करने वाला खिलाड़ी लगातार कबड्डी-कबड्डी शब्द का उच्चारण करता है अगर बीच में कहीं भी उच्चारण रूका तो प्येलर आउट माना जाता है। अंपायर द्वारा रेडर को किसी नियम के उल्लंघन पर वार्निंग देने के बाद भी यदि वह फिर से नियम का उल्लंघन करता है,तो विपक्ष को एक अंक दे दिया जाता है लेकिन रेडर को आउट नहीं दिया जाता।
यदि एक से अधिक रेडर विपक्ष के क्षेत्र में चले जाते है, तो एम्पायर उन्हे वापस भेज देता है व उन्हे आउट भी घोषित कर दिया जाता है। खेलते समय यदि किसी टीम के एक या दो खिलाड़ी शेष रह जाते है, तो कप्तान को अधिकार है कि वह अपनी टीम के सभी सदस्यों को बुला सकता है| इसके बदले विपक्ष को उतने अंक एवं ‘लोना‘ के दो अंक मिलते हैं।

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