सरकार ने ईंधन के खुदरा कारोबार को गैर-पेट्रोलियम कंपनियों के लिए खोल दिया है। अब ऐसी कंपनियों भी पेट्राल पंप खोल सकेंगी, जो पेट्रोलियम क्षेत्र में नहीं हैं। माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से ईंधन के खुदरा कारोबार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ईंधन के खुदरा कारोबार को पेट्रोलियम क्षेत्र से बाहर की कंपनियों के लिये खोलने से निवेश और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
फिलहाल, देश में ईंधन के खुदरा कारोबार का लाइसेंस हासिल करने के लिए किसी कंपनी को या तो हाइड्रोकार्बन की खोज, उत्पादन, रिफाइनिंग, पाइपलाइन क्षेत्र या तरलीकृत गैस टर्मिनलों (एलएनजी) में 2,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की जरूरत होती है। जावड़ेकर ने बताया कि मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने वाहन ईंधन के विपणन का अधिकार देने संबंधी दिशानिर्देशों की समीक्षा को मंजूरी दे दी है।
उन्होंने कहा कि सालाना करीब 250 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली कंपनियों भी ईंधन के खुदरा कारोबार के क्षेत्र में कदम रख सकती हैं। इसके लिए शर्त यह होगी कि कम से कम पांच फीसदी पेट्रोल पंप ग्रामीण इलाकों में खोले जाएं। देश में इस समय करीब 65,000 पेट्रोल पंप परिचालन में हैं। इनका ज्यादातर स्वामित्व सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियां इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) के पास है।
इस बाजार में निजी क्षेत्र की कंपनियां रिलायंस इंडस्ट्रीज, नायरा एनर्जी (पुराना नाम एस्सार आयल) और रॉयल डच शेल भी हैं, लेकिन उनकी उपस्थिति सीमित है। दुनिया के सबसे बड़े पेट्रोलियम रिफाइनिंग परिसर का परिचालन करने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज के पेट्रोल पंपों की संख्या 1,400 से भी कम है।

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