दीवाली के बाद अब झारखंड की निगाहें भारत के चुनाव आयोग की ओर हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी की जा सकती है।
चुनाव की घोषणा आयोग के संभावित दौरे के पहले और बाद दोनों ही परिस्थितियों में की जा सकती है। हालांकि, चुनाव आयुक्तों के दौरे के बाद ही झारखंड में विधानसभा चुनाव घोषणा का कयास लगा रहे हैं। लेकिन, चुनाव आयुक्तों का दल राज्य में चुनाव की घोषणा के बाद भी तैयारियों का जायजा लेने आ सकता है।
इसके लिए कोई नियम निर्धारित नहीं है। इधर, राज्य में चुनाव की तैयारियां लगभग पूरी हाे चुकी हैं। सभी 81 विधानसभा क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार इवीएम का प्रबंध कर लिया गया है। चुनावी प्रक्रिया के लिए इंक और अन्य आवश्यक चीजों का भी इंतजाम किया जा चुका है।
विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की गतिविधि तेज हो गयी है। भाजपा-आजसू के साथ मिल कर गठबंधन में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दलों के महागठबंधन की अभी तक तस्वीर पूरी तरफ से साफ नहीं हो पायी है।
घटक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर वार्ता जारी है, लेकिन अभी तक स्वरूप तय नहीं हो पाया है। झाविमो के महागठबंधन में नहीं शामिल होने की चर्चा चल रही है। ऐसे में झामुमो, कांग्रेस, राजद मिल कर महागठबंधन बना सकते हैं। विधानसभा चुनाव में विभिन्न दलों के दिग्गज नेता चुनाव मैदान में उतरेंगे। पार्टी अध्यक्ष के साथ-साथ चुनाव में दलों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगेगी. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा भी विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं।
इसको लेकर पार्टी के अंदरखाने में गतिविधि तेज हो गयी है। पिछले लोकसभा चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा सिंहभूम लोकसभा से चुनाव लड़े थे, लेकिन वे नहीं जीत पाये। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन भी चुनाव मैदान में उतरेंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में सोरेन दो सीट दुमका व बरहेट से चुनाव लड़े थे। दुमका में इन्हें लुईस मरांडी ने पराजित किया था। वहीं बरहेट से चुनाव जीते थे।
हेमंत एक बार फिर दो विधानसभा सीटों से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे है़ं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव भी चुनाव मैदान में उतरेंगे। इनके अलावा कांग्रेस पार्टी के पांचों कार्यकारी अध्यक्ष भी दावेदार हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में श्री उरांव लोहरदगा सीट से दावेदार थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाया था। आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो भी इस बार विधानसभा की दो सीटों से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। वे सिल्ली व डुमरी विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं। झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पिछली बार राजधनवार व गिरिडीह से जीत नहीं पाये थे।
मरांडी के इस बार चुनाव लड़ने को लेकर स्थिति साफ नहीं है़ राजद अध्यक्ष अभय सिंह भी चुनाव लड़ेंगे। हालांकि अभी सीट तय नहीं है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने शिकारीपाड़ा से चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दी है।

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