शनिवार, 26 अक्टूबर 2019

देश में बच्चों के खिलाफ रोज हो रहे 350 अपराध

हम बड़ों की दुनिया बच्चों के लिए दिनोंदिन बेरहम होती जा रही है। एक आंकडे़ के मुताबिक देश में हर रोज बच्चों के खिलाफ 350 अपराधाें को अंजाम दिया जाता है। आंकडे़ 2017  के हैं, जिसे हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने जारी किया है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अध्ययन के आधार पर बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था चाइल्ड राइट्स एंड यू (सीआरवाई यानी क्राई) ने कहा हे कि बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामले में शीर्ष पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्य हैं।

क्राई के मुताबिक एनसीआरबी ने जो आंकड़े दिए हैं, उनसे पता चलता है कि 2016-17 के दौरान बच्चों के खिलाफ अपराधों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इसी दौरान पूरे देश में कुल अपराधों में 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामले में यूपी और एमपी सबसे आगे हैं। 2016-17 के दौरान दोनों राज्यों में संयुक्त रूप से ऐसे अपराध 14.8 फीसदी या 19 हजार से ज्यादा दर्ज किए गए हैं। झारखंड में जहां 73.9 फीसदी के साथ सबसे ज्यादा बढ़ोतरी (73.9 फीसदी) देखी गई। वहीं, मणिपुर में इस मामले में 18.7 फीसदी के साथ बड़ी गिरावट आई है। क्राई के मुताबिक, 2016 में प्रति लाख पर बच्चों के खिलाफ संज्ञेय अपराध के 24 मामले दर्ज हुए, वहीं 2017 में यह संख्या प्रति लाख पर 28.9 तक जा पहुंची है। वहीं, नाबालिग लड़कियों के प्रति ऐसे अपराधों में 2016 के मुकाबले 37 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई।

एक दशक में 1.8 से 28.9 फीसदी बढे़ बच्चों के खिलाफ अपराध

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, अगर दशक की बात करें तो बच्चों के खिलाफ अपराध बेहद तेजी से बढ़ा है। यह 2007 से 2017 के दौरान 1.8 से बढ़कर 28.9 फीसदी तक जा पहुंचा है। यह बेहद भयावह स्थिति है।

अप्रत्याशित तौर पर बढ़ रहा अपराध

एनसीआरबी आंकड़ों के मुताबिक बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले में 2016 में 1,06,958 अपराध दर्ज किए गए तो वहीं, 2017 में 1,29,032 अपराध के मामले दर्ज हुए। क्राई के मुताबिक, बच्चों के खिलाफ अप्रत्याशित रूप से अपराध बढ़ रहे हैं। यह खतरे की घंटी है।

बाल विवाह अब भी बड़ी चुनौती 

क्राई ने एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि बाल विवाह देश में अब भी सबसे बड़ी चुनौती है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में करीब 1.2 करोड़ शादीशुदा बच्चे हैं। इनमें से करीब 75 फीसदी लड़कियां हैं। 2017 के एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, बाल विवाह प्रतिबंध कानून, 2006 के तहत 395 मामले दर्ज किए गए। इन अपराधों को दर्ज किए जाने में 21.17 फीसदी का इजाफा हुआ। वहीं, 2017 में ही किशोरों के खिलाफ अपराधों के 2,452 मामले दर्ज किए गए।

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