ऐसा लग रहा है कि इस देश में विपक्ष की राजनीति खत्म हो गई है। कोई भी नेता विपक्ष में नहीं रहना चाहता है। जिसको जैसे मौका मिल रहा है वह वैसे ही सत्तारूढ़ दल में शामिल हो रहा है। इसमें सबसे हैरान करने वाली मिसाल सिक्किम के विधायकों ने कायम की है। सिक्किम डेमोक्रेटिक पार्टी का राज्य में 30 साल तक शासन था। पवन कुमार चामलिंग के नेतृत्व में एसडीएफ लगातार तीन दशक सरकार में रही। पर चुनाव हारने के बाद उनकी पार्टी के विधायकों को तीन महीने भी विपक्ष में रहना गवारा नहीं हुआ।
मई में लोकसभा के साथ सिक्किम विधानसभा के चुनाव हुए थे। और नतीजों के तीन महीने पूरे होने से पहले एसडीएफ के दस विधायक पाला बदल कर भाजपा के साथ चले गए। भाजपा राज्य की सत्ता में नहीं है पर केंद्र में उसकी सरकार है और पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्यों में उसकी सरकार है। साथ ही एसडीएफ छोड़ कर गए विधायकों को लग रहा है कि सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा की सरकार ज्यादा नहीं चलने वाली है। बहरहाल, तीन महीने पहले विपक्ष में आई पार्टी एसडीएफ के दो विधायक सत्तारूढ़ सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा में चले गए हैं।
उधर आंध्र प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी टीडीपी के चार राज्यसभा सांसदों को तोड़ने के बाद भाजपा ने दावा किया है कि राज्य में पार्टी के अनेक नेता उसके संपर्क में हैं। ऐसा लग रहा है कि विपक्षी पार्टियों ने मान लिया है कि अब देश में भाजपा की सत्ता स्थायी है। तभी कांग्रेस, टीडीपी, आप, सपा, एसडीएफ सबके नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं।

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