शनिवार, 24 अगस्त 2019

अरुण जेटली के इन फैसलों को हमेशा रखेगी याद

 भाजपा के कद्दावर नेता अरुण जेटली का शनिवार को निधन हो गया. अरुण जेटली ने दोपहर 12.07 मिनट पर AIIMS में अंतिम सांस ली, वे 9 अगस्त से यहां भर्ती थे।


पेशे से सफल वकील अरुण जेटली भारतीय राजनीति में अपने पीछे कई यादें छोड़ गये हैं। वित्त मंत्री रहते हुए जेटली ने देश की अर्थव्यवस्था, कालाधन, भ्रष्टाचार, नोटबंदी, डिजिटल ट्रांजैक्शन, जीएसटी, एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा में कई बैंकों का विलय जैसे कई बड़े फैसले लिये थे। नोटबंदी (Demonetisation) और जीएसटी (GST) जैसे बड़े फैसला सबसे अहम है।

गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (GST)

GST यानी गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स को अब तक का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म माना जाता है। देश में जीएसटी के रूप में 'एक देश, एक कर' देने में जेटली ने अहम भूमिका महत्‍वपूर्ण निभायी थी। पूरे देश में 1 जुलाई 2017 को आधी रात से जीएसटी लागू हो गया था। GST लागू होने के बाद शुरुआत में तमाम अड़चनें आयीं लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री जेटली ने धैर्य के साथ काम लिया और जीएसटी फाइलिंग प्रक्रिया को आसान बनाने के साथ-साथ टैक्स दरों को संशोधित कर आम उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाने वाला बनाया।

नोटबंदी (Demonetisation)

8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चलन में मौजूद 500 और एक हजार रुपये के नोट को बंद कर दिया था। जेटली के वित्त मंत्री रहते हुए नोटबंदी का ऐतिहासिक फैसला लिया गया था। नोटबंदी करने का फैसला लेने में जेटली की अहम भूमिका रही थी। सरकार के इस अभूतपूर्व कदम की जानकारी पीएम के अलावा केवल जेटली और कुछ चुनिंदा लोगों को ही थी। 

इंसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड (IBC)

कर्ज न चुकाने वाले बकायेदारों से निर्धारित समय के अंदर बकाये की वसूली के लिए अरुण जेटली इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड (Insolvency and Bankruptcy Code, 2016) लेकर आये। पहली बार यह बिल 21 दिसंबर 2015 को प्रकाशित हुआ था। लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद 28 मई 2016 को यह बिल लागू हुआ था। इस बिल के लागू होने के बाद बैंकों और अन्य लेनदारों को दिवालिया कंपनियों से वसूली में मदद मिल रही है। पिछले दो सालों में इंसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड के तहत प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर लगभग तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की फंसी हुई संपत्तियों का निस्तारण किया गया है।

बैंकों का एकीकरण (Bank Consolidation)

बैंकों का एकीकरण बेशक जेटली के महत्वपूर्ण फैसलों में शामिल है. स्टेट बैंक में उसके पांच असोसिएट बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय हो, चाहे देना बैंक और विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय, इन फैसलों से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सेहत में सुधार हुआ. पहले की लगभग सभी सरकारों ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाने की जरूरत बतायी, लेकिन यह काम जेटली के नेतृत्व में ही शुरू हुआ।

एफडीआई का उदारीकरण (FDI Liberalization)

अरुण जेटली ने वित्त मंत्री रहते हुए निवेशकों को लुभाने और निवेश की रफ्तार को बढ़ाने के लिए FDI के नियमों को आसान किया. FDI नियमों में ढील के पक्षधर जेटली की कोशिशों से डिफेंस, इंश्योरेंस और एविएशन जैसे सेक्टर भी FDI के लिए खोले गए। FIPB (फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड) को भंग किया गया। इसका उल्लेखनीय असर भी दिखा। 2014 में जहां भारत में 24.3 अरब डॉलर की FDI आयी थी, जो साल दर साल लगातार बढ़ते हुए 2019 में 44.4 अरब डॉलर तक पहुंच गई। इसका श्रेय जेटली को ही जाता है।

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