सोमवार, 19 अगस्त 2019

सीजेआई यौन उत्पीड़न मामले की जांच से असंतुष्ट लॉ टॉपर ने सीजेआई से मेडल लेने से किया इनकार

सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप को लेकर कोर्ट द्वारा अपनाए गए रवैये का उल्लेख करते हुए दिल्ली के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की लॉ टॉपर सुरभी करवा ने कहा कि वह दीक्षांत समारोह में इसलिए शामिल नहीं हुईं क्योंकि वह सीजेआई के हाथों पुरस्कार नहीं लेना चाहती थीं।
दिल्ली के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की एलएलएम क्लास की टॉपर सुरभी करवा सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सीजेआई रंजन गोगोई से अपना मेडल लेने शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में नहीं गईं।

 उन्हें पता था कि उन्हें मेडल से सम्मानित किया जाएगा लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि यह मेडल उन्हें सीजेआई गोगोई से लेना है तो उन्होंने कार्यक्रम में न शामिल होने का फैसला किया।

दीक्षांत समारोह के दौरान नाम बुलाने पर जब वह नहीं आईं तब यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रोफेसर डॉ. जीएस बाजपाई ने कहा, ‘दुर्भाग्य से वह यहां नहीं हैं। हम उन्हें अनुपस्थिति में मेडल से सम्मानित कर रहे हैं।’

करवा ने कहा, ‘क्लासरूम में मैंने जो कुछ भी सीखा था उसने पिछले कुछ हफ्तों में मुझे इस नैतिक दुविधा में डाल दिया था कि मैं सीजेआई गोगोई से पुरस्कार लूं या नहीं। वे जिस संस्थान के प्रमुख हैं वह तब फेल हो गया जब उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगे।’

उन्होंने कहा, ‘मैं यह जवाब अपने लिए चाहती हूं कि संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए वकीलों को कैसी भूमिका निभानी चाहिए, जिसका जिक्र सीजेआई ने अपने भाषण में भी किया है।’

सीजेआई गोगोई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप को लेकर कोर्ट द्वारा अपनाए गए रवैये का उल्लेख करते हुए करवा ने सीजेआई से पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया।

दीक्षांत समारोह में उपस्थित न होने के बावजूद करवा ने साफ कर दिया कि उन्होंने पुरस्कार लेने से इनकार नहीं किया है।

अपनी मास्टर्स डिग्री के लिए करवा ने संवैधानिक कानून में विशेषज्ञता हासिल की है और उनका शोध संविधान सभा की बहस की एक नारीवादी आलोचना है। अपने शोध में करवा इस सवाल की पड़ताल कर रही हैं कि ‘क्या संविधान एक नारीवादी दस्तावेज है?’।

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मचारी ने शीर्ष अदालत के 22 जजों को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने अक्टूबर 2018 में उनका यौन उत्पीड़न किया था। 35 वर्षीय यह महिला अदालत में जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के पद पर काम कर रही थीं।

उनका कहना था कि चीफ जस्टिस द्वारा उनके साथ किए ‘आपत्तिजनक व्यवहार’ का विरोध करने के बाद पहले तो उनका स्थानांतरण कर दिया गया और बाद में एक प्रशासनिक जांच के बाद नौकरी से निकाल दिया गया।

इसके बाद मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक आंतरिक जांच समिति का गठन किया था, जिसका पीड़िता ने बहिष्कार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की इस समिति ने पीड़िता के आरोपों में कोई तथ्य नहीं पाए। वहीं, समिति के सामने कोई कानूनी प्रतिनिधित्व मिलने का दावा करते हुए शिकायतकर्ता ने खुद को कार्यवाही से अलग कर लिया था।

शनिवार को दिए गए अपने भाषण में सीजेआई गोगोई ने ग्रेजुएट करने वाले छात्रों को याद दिलाया था कि कानून की डिग्री संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए कर्तव्य निभाने की मांग करती है।

गोगोई ने कहा था, ‘आपके दिमाग में आने वाली हर उस चीज को सिर्फ और सिर्फ न कहें जो कि नैतिक और वास्तविक से पीछे ले जाने वाली हो। हर ऐसी चीज को हां कहें जिससे आपको लगता हो कि किसी को कुछ दिया जा सकता है।’

सीजेआई दिल्ली के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के संरक्षक हैं और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चांसलर हैं। पिछले साल सीजेआई दीपक मिश्रा को दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।

इस बार, सीजेआई गोगोई के अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी मुख्य अतिथि थे। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल के भाषण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। प्रोफेसर उपेंद्र बक्शी के साथ कई वरिष्ठ वकील, जज और शिक्षाविद पहली पंक्ति में बैठे थे।

करना ने कहा, ‘गोल्ड मेडल पाना अपने आप में एक सम्मान है और मैं अपने माता-पिता और शिक्षकों की शुक्रगुजार हूं कि उन्हें यहां तक आने में उन्होंने मेरी मदद की। किसी एक व्यक्ति से इसे पाना उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि इसे पाना।’

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