जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने संबंधी कदम की पटकथा केन्द्र सरकार ने बहुत ही गोपनीय ढंग से रची थी और पर्दे के पीछे इसमें संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी समेत कुछ केन्द्रीय मंत्रियों की अहम भूमिका रही। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह की निगरानी में इस पटकथा के अनुसार ही राज्यसभा में अनुच्छेद 370 को हटाने के काम को मूर्तरूप दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि सोची समझी रणनीति के तहत आरटीआई संशोधन और तीन तलाक विधेयक को कुछ दिन पहले लाया गया और सरकार ने भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के ऊपरी सदन में बहुमत नहीं होने के बावजूद इन विधेयकों को सफलातपूर्वक पारित करा लिया। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले इस विधेयक के कुछ प्रावधानों को वापस लेने और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटने वाले ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019’ को पेश करने वाले शाह के नेतृत्व में यह सब हुआ था।
इस अनुच्छेद को लेकर बनाई गई गोपनीय पटकथा के अनुसार कई क्षत्रपों को इस फैसले के साथ लाने के लिए फोन किए गए। इन क्षत्रपों में वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी, बीजद प्रमुख एवं ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ-साथ टीआरएस के संस्थापक और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि बसपा प्रमुख मायावती से उनकी पार्टी के नेता सतीश चन्द्र मिश्रा के जरिए संपर्क साधा गया। संसदीय कार्य मंत्री जोशी के अलावा ऊपरी सदन में संसदीय प्रबंधन में केन्द्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल और धर्मेन्द्र प्रधान ने भी अहम भूमिका निभाई। इसके बाद हाल में तेदेपा से भाजपा में शामिल हुए सी एम रमेश ने भी इसमें मदद की।
सदन के नेताओं से बात करने और प्रस्ताव के समर्थन में संख्या सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी इन नेताओं के पास थी और विधेयक की प्रति इन चार नेताओं के बीच वितरित की गई। सूत्रों ने बताया कि इस कदम को लेकर योजना इतनी विस्तृत और गोपनीय ढंग से बनाई गई थी कि इन चारों नेताओं को वाईएसआर कांग्रेस, बसपा, बीजद या टीआरएस समेत प्रत्येक पार्टी के एक-एक सांसद से बात करने का काम सौंपा गया था।
उन्होंने बताया कि इस कार्य में शामिल केवल तीन से चार मंत्रियों को इस बात की जानकारी थी कि जम्मू कश्मीर से संबंधित कोई बड़ा फैसला होने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि जहां तक इस कानून के प्रारूप को बनाने का सवाल था तो उसमें केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और शाह ही शामिल थे। आरटीआई और तीन तलाक विधेयकों के आसानी से पारित होने के बाद सरकार को पूरी तरह से विश्वास था कि वह जम्मू कश्मीर से संबंधित बड़े फैसलों को लागू करने में सफल हो जाएगी। राज्यसभा में अनुच्छेद 370 पर प्रस्ताव के लिए, 125 मत इसके पक्ष में जबकि 61 मत इसके विरोध में पड़े।

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