साल 2018-19 में टिकट बिक्री से मिलने वाला राजस्व एक साल में 78.66 फीसदी घटा।वित्तीय वर्ष 2017-18 में डाक विभाग ने टिकट बेचकर कमाए थे 366.69 करोड़ रुपये। वित्तीय वर्ष 2016-17 में डाक विभाग ने टिकट बिक्री से कमाए थे 470.90 करोड़ रुपये।
जिस दौर में सोशल मीडिया या स्मार्टफोन का जमाना नहीं था, उस समय एक-दूसरे से संपर्क करने और हाल-चाल लेने के लिए लोग चिट्ठियों का इस्तेमाल किया करते थे। मगर 21वीं सदी में तकनीक ने जैसे ही उन्नति की चिट्ठियों का दौर कम होता गया। अब लोग व्हाट्सअप, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया के जरिए बातें कर लेते हैं। ऐसे में चिट्ठी भेजना काफी कम हो चुका है। हालत अब यह हो गई है कि डाक टिकटों की बिक्री में भी भारी गिरावट आई है।
साल दर साल आती गई डाक टिकटों की बिक्री में गिरावट
सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत मिले डाक विभाग के आधिकारिक आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं। जिनके मुताबिक टिकटों की बिक्री में साल दर साल गिरावट आती जा रही है। मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा हासिल इन आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2018-19 में डाक विभाग को टिकटों की बिक्री से मिलने वाला राजस्व इसके पिछले साल के मुकाबले 78.66 प्रतिशत घटकर 78.25 करोड़ रुपये रह गया। वित्तीय वर्ष 2017-18 में डाक विभाग ने टिकट बेचकर 366.69 करोड़ रुपये कमाए थे। वित्तीय वर्ष 2016-17 में डाक विभाग ने टिकट बिक्री से अपने खजाने में 470.90 करोड़ रुपये जमा किए थे। डाक विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यह महकमा आम डाक टिकटों के अलावा राजस्व टिकट, फिलैटली (डाक टिकटों का शौकिया संग्रह) के टिकट और अन्य टिकट भी बेचता है। हालांकि महकमे के सकल टिकट राजस्व में सबसे बड़ा हिस्सा डाक टिकटों का ही होता है।
वो जमाना गया जब डाकियों का थैला चिट्ठियों से भरा रहता था
इंदौर के तिलक नगर स्थित डाकघर में पदस्थ एक वरिष्ठ पोस्टमैन ने बताया, 'एक जमाना था, जब हमारा थैला चिट्ठियों से ठसाठस भरा रहता था। इसमें निजी और सरकारी सब तरह की ढेरों चिट्ठियां होती थीं, लेकिन अब निजी पत्र कम ही देखने को मिलते हैं। इन दिनों हमारे थैले में अलग-अलग सरकारी विभागों और निजी कंपनियों की चिट्ठियों की भरमार होती है।' जन मानस पर संचार के आधुनिक साधनों के प्रभावों को लेकर मनोविज्ञानियों की भी नजर बनी हुई है।
पेशेवर मनोविज्ञानी डॉ. स्वाति प्रसाद ने कहा, 'यह सच है कि हाथों से लिखी चिट्ठी पढ़कर मन में अपनेपन की अनुभूति होती है और अक्सर ऐसे पत्र से एक भावनात्मक याद जुड़ जाती है। लेकिन इस तेज रफ्तार दौर में सोशल मीडिया और तुरंत संदेश भेजने वाली सेवाओं का भी अपना महत्व है। सवाल बस इतना है कि आप संचार के साधनों का इस्तेमाल किस तरह करते हैं?'
मानवीय रिश्तों पर भी प्रभाव डाल रहा है सोशल मीडिया
उन्होंने कहा, 'अक्सर देखा गया है कि सोशल मीडिया के कई उपयोगकर्ता किसी पोस्ट पर खासकर नकारात्मक प्रतिक्रिया देने में बड़ी जल्दबाजी करते हैं। यह अधीरता उनके लिए बाद में तनाव और भावनात्मक उथल-पुथल का सबब बन जाती है, क्योंकि हर बात पर फौरन प्रतिक्रिया देने की आदत से मानवीय रिश्ते प्रभावित हो रहे हैं।'
गौरतलब है कि डाक टिकटों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए डाक विभाग 'माय स्टांप' योजना चला रहा है। 'माय स्टांप', निजी पसंद पर आधारित (पर्सनलाइज्ड) डाक टिकटों की शीट है। इस योजना के जरिए ग्राहक निर्धारित शुल्क चुकाकर डाक टिकट पर अपनी या अपने प्रियजन की तस्वीर अथवा धरोहर भवनों, उनके प्रतीक चिह्नों आदि की फोटो छपवा सकते हैं।

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