रविवार, 4 अगस्त 2019

कांग्रेस फंसी राष्ट्रीय सुरक्षा के जाल में

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस केंद्र सरकार और भाजपा की ओर से फैलाए राष्ट्रीय सुरक्षा के जाल में फंस गई है। भाजपा ने इस तरह से यह जाल फैलाया है कि उसके फैसले का विरोध करने वाले अपने आप राष्ट्रविरोधी माने जाने लगे हैं। कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां इस जाल की काट नहीं निकाल पाई हैं। तभी संसद में सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर जो विधेयक पेश किए उसके समर्थन की कांग्रेस की मजबूरी बन गई। कांग्रेस के नेता अपना चेहरे बचाने के लिए कुछ इधर उधर की बातें करते रहे पर सवाल है कि जिस बात का उन्होंने विरोध किया और सरकार उसे बदलने पर राजी नहीं हुई तो फिर वे उसका समर्थन कैसे कर सकते हैं। इस प्रतीकात्मक विरोध का क्या मतलब है?

असल में कांग्रेस नेताओं को समझ में नहीं आय़ा कि वे एनआईए को ज्यादा अधिकार देने या यूएपीए बिल में संशोधन करके किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के प्रावधान का किस तरह से विरोध करें। ऊपर से बिल पेश करने के समय की मत विभाजन की मांग करके एमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कांग्रेस को और धर्मसंकट में डाल दिया। इन दोनों विधेयकों के समय दोनों सदनों में मौजूद रहे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी बहुत होशियारी से यह मैसेज दिया कि बिल पर वोटिंग से पता चलेगा कि कौन राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर किस साइड है। इस जाल में कांग्रेस फंसी और उसे दोनों विधेयकों पर सरकार का साथ देना पड़ा। कांग्रेस नेताओं ने मानवाधिकार के लिए जिस बिल को बेहद खतरनाक बताया उसका भी समर्थन किया। 

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