भारतीय जनता पार्टी के कई बुजुर्ग नेताओं का इंतजार अब लंबा होता जा रहा है। सांसद रहते हुए केंद्र में मंत्री नहीं बन पाए और सांसद बनने से वंचित रह गए भाजपा नेताओं का इंतजार तीन साल का हो गया है। आधा दर्जन से ज्यादा नेता राज्यपाल बनने की उम्मीद में हैं। जो केंद्र में मंत्री नहीं बन पाए वे भी अब मंत्री पद की आस छोड़ कर इस इंतजार में हैं कि उनको राज्यपाल बना दिया जाए। कहा जा रहा है कि उप राष्ट्रपति चुनाव और संसद का चालू सत्र खत्म होने के बाद आधा दर्जन राजभवनों में भाजपा के नए चेहरे बैठेंगे।
गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल का नाम सबसे प्रमुखता से लिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि वे आंध्र प्रदेश की राज्यपाल बन सकती हैं। मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद से ही उनका नाम चर्चा में है। पहले कहा जा रहा था कि वे तमिलनाडु की राज्यपाल बनेंगी। लेकिन राष्ट्रपति या उप राष्ट्रपति पद की उम्मीद में वे इनकार करती रही थीं। अब कहा जा रहा है कि वे आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया जाएगा। गुजरात चुनाव से पहले नाराज पाटीदार समुदाय को भी इसके सहारे खुश किया जाएगा।
भाजपा के जानकार सूत्रों का कहना है कि बिहार के राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर को भी राज्यपाल बनाया जा सकता है। वे मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज थे। कहा जा रहा है कि उनको राज्यपाल बना कर उनकी नाराजगी दूर की जाएगी, साथ ही राज्यसभा की एक सीट भी खाली हो जाएगी, जिसकी पार्टी को जरूरत है। अगर महागठबंधन की सरकार होती तो भाजपा उनकी सीट नहीं खाली कराती, लेकिन अब एनडीए की सरकार बनने के बाद भाजपा को सीट खाली कराने में दिक्कत नहीं है। ध्यान रहे अगले साल रिटायर हो रहे छह राज्यसभा सांसदों में से दो भाजपा के हैं। मौजूदा गणित के हिसाब से भाजपा सिर्फ एक सीट जीत सकती है, लेकिन पार्टी को दोनों नेताओं धर्मेंद्र प्रधान और रविशंकर प्रसाद को फिर से राज्यसभा में लाना है। अगर सीपी ठाकुर की सीट खाली हो जाती है तो ये दोनों आसानी से फिर राज्यसभा में आ जाएंगे।
बहरहाल, आनंदी बेन पटेल और सीपी ठाकुर के अलावा कई और दिग्गत नेता प्रतीक्षा सूची में हैं। उत्तर प्रदेश से ही दो बड़े नेताओं के नाम की चर्चा है। लालजी टंडन और लक्ष्मीकांत वाजपेयी को राज्यपाल बनाने की चर्चा चल रही है। दिल्ली के दिग्गज नेता विजय कुमार मल्होत्रा कई बरसों से राज्यपाल बनने का इंतजार कर रहे हैं। इस समय तमिलनाडु, बिहार, मध्य प्रदेश, तेलंगाना सहित कई बड़े राज्यों में प्रभारी राज्यपाल से काम चल रहा है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें