जानें, क्या है 700 करोड़ का सृजन घोटाला, जिसके आरोपों में फंसी है नीतीश सरकार ? 9 एफआईआर और 12 अरेस्ट लेटर जारी होने के बाद बिहार सरकार ने एक एनजीओ के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। आरोप है कि भागलपुर के एक एनजीओ ने पिछले दस सालों में बिहार सरकार की नाक के नीचे से करोड़ों रुपए का घोटाला कर दिया। इन दस सालों में एनजीओ ने बिहार की बीजेपी-जेडीयू और आरजेडी-जेडीयू सरकार को तकरीबन 700 करोड़ का चूना लगाया लेकिन दोनों ही सरकारों को इसकी कानों-कान खबर तक नहीं लगी।
बिहार सरकार को लगाया 700 करोड़ का चूना
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक एक एनजीओ ने पिछले 10 सालों में मिलीभगत से बिहार सरकार को तकरीबन 700 करोड़ का चूना लगाया है। एनजीओ के इस घोटाले का खुलासा पुलिस रिकॉर्ड, बैंक स्टेटमेंट और अधिकारियों से बातचीत के बाद हुआ। भागलपुर के इस एनजीओ का नाम सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड है जो महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने और अचार बेचने का काम करती है। सृजन एनजीओ पर आरोप है कि उसने तकरीबन आधा दर्जन वेलफेयर स्कीम के नाम पर भागलपुर जिला प्रसाशन के अलग-अलग अकाउंट्स से करोड़ों रुपए का गबन किया। एनजीओ के इस घोटाले में सरकारी अधिकारियों, बैंक के कर्मचारियों और श्रीजन के स्टाफ ने सहयोग किया।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक एक एनजीओ ने पिछले 10 सालों में मिलीभगत से बिहार सरकार को तकरीबन 700 करोड़ का चूना लगाया है। एनजीओ के इस घोटाले का खुलासा पुलिस रिकॉर्ड, बैंक स्टेटमेंट और अधिकारियों से बातचीत के बाद हुआ। भागलपुर के इस एनजीओ का नाम सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड है जो महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने और अचार बेचने का काम करती है। सृजन एनजीओ पर आरोप है कि उसने तकरीबन आधा दर्जन वेलफेयर स्कीम के नाम पर भागलपुर जिला प्रसाशन के अलग-अलग अकाउंट्स से करोड़ों रुपए का गबन किया। एनजीओ के इस घोटाले में सरकारी अधिकारियों, बैंक के कर्मचारियों और श्रीजन के स्टाफ ने सहयोग किया।
जानें कैसे हुआ खुलासा ?
इस चोरी का खुलासा तब हुआ जब पैसे ट्रांसफर करने की एक के बाद एक तीन घटनाएं सामने आई। एफआईआर के मुताबिक इन तीनों ही केस में चोरी के सबसे अनोखे तरीके का इस्तेमाल किया गया था।
इनमें पहला मामला 27 सितंबर 2014 का है। जब भागलपुर की ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने 12.20 करोड़ रुपए का एक चेक जारी किया। इस चेक को मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के तहत पटेल बाबू रोड पर स्थित इंडियन बैंक में जमा किया जाना था लेकिन बैंक ने इस चेक को सृजन एनजीओ के एकाउंट में जमा किया। आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि चेक जारी होने के चीन दिन बाद ही सृजन एक कॉपरेटिव सोसाइटी के रूप में रजिस्टर्ड हुआ था। साल 2008 में इस एमाउंट को थर्ड पार्टी डिपॉजिट के रूप में पेश किया गया लेकिन बाद में मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इसे अवैध घोषित कर दिया गया।
डीएम के फर्जी हस्ताक्षर करके चेक के जरिए ट्रांसफर
तो वहीं दूसरे केस में भागलपुर प्रशासन ने 1, 3 और 6 सितंबर 2016 को 5.5 करोड़ की कीमत का चेक मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के तहत इंडियन बैंक में जमा करने के लिए किया गया। हालांकि उस समय यह फंड सही एकाउंट में जमा हुआ लेकिन बाद में इसे सृजन एनजीओ के एकाउंट में कथित तौर पर डीएम के फर्जी हस्ताक्षर से चेक के जरिए ट्रांसफर कर दिया गया। तीसरा केस 10 नवंबर 2016 का है, जब भागलपुर के चीफ मेडिकल ऑफिसर ने 43.52 लाख रुपए के तीन चेक घंटा घर पर स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा के नाम से जारी किए, जिन्हें सरकारी खाते में जमा करना था। यह चेक रिजेक्ट होकर 22 दिसंबर 2016 को वापस हो गया। लेकिन आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि इससे पहले ही उस चेक की राशि सृजन एनजीओ के एकाउंट में ट्रांसफर हो गई थी।
कुछ ऐसे ही हुआ था चारा घोटाला
बिहार में एक के बाद एक करके इस तरह के केस जैसे ही सामने आए, लोगों के जेहन में चारा घोटाले की याद ताजा हो गई। बता दें कि चारा घोटाले में ट्रेजरी ऑफिस से चारा के नाम पर नकली बिल के जरिए घोटाला किया गया था। एफआईआर के मुताबिक सृजन घाटेल में भी इसी तरह पब्लिक फंड्स को प्राइवेट अकाउंट में ट्रांसफर करने का मामला सामने आया है।
घोटाले को दबाने का आरोप
आपको बता दें कि भागलपुर में 700 करोड़ के सृजन घोटाले को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कमार ने गुरुवार को सीबीआई जांच की निर्देश दे दिए । नीतीश कुमार ने ये सिफारिश उस वक्त की, जब उन पर घोटाले को दबाने का आरोप लगने लगा।
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