त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार के आरोप पर प्रसार भारती के स्पष्टीकरण का इंतजार है। सफाई ऐसी होनी चाहिए, जो विश्वसनीय लगे। वरना, माणिक सरकार की बातों पर लोग भरोसा करेंगे। तब सवाल उठेगा कि एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को आखिर कितनी आजादी है? क्या वह स्वतंत्रता दिवस पर भी अपनी बात नहीं कह सकता? इसी संदर्भ में माणिक सरकार के दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का ये सवाल भी प्रासंगिक हो जाएगा कि क्या देश में आपातकाल लगा हुआ है? त्रिपुरा के मुख्यमंत्री का आरोप है कि दूरदर्शन और आकाशवाणी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उनके भाषण को प्रसारित करने से इनकार कर दिया। मुख्यमंत्री से भाषण में बदलाव करने की मांग की।
माणिक सरकार ने इसे 'अलोकतांत्रिक, निरंकुश और असहिष्णु कदम' करार दिया है। त्रिपुरा सरकार के बयान के मुताबिक दूरदर्शन और आकाशवाणी ने विगत 12 अगस्त को मुख्यमंत्री का भाषण रिकॉर्ड किया। उसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय को एक पत्र के जरिए सूचित किया गया कि भाषण को नया रूप नहीं देने की जरूरत है। जब तक ऐसा नहीं होता, इसे प्रसारित नहीं किया जाएगा। इस पर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि वे अपने भाषण में एक शब्द भी नहीं बदलेंगे। ये भाषण स्वतंत्रता दिवस पर प्रसारित होना था। ऐसे भाषण प्रसारित होने की पुरानी परंपरा है। इसके पहले कभी ऐसा नहीं सुना गया कि किसी मुख्यमंत्री के संबोधन को रोका गया हो। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने इस कथित घटना पर आक्रोश जताते हुए कहा कि दूरदर्शन आरएसएस-भाजपा की निजी संपत्ति नहीं हैं। आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर विपक्ष की आवाज को दबाई जा रही है, जिसमें एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को भी शामिल कर लिया गया है। माकपा ने सवाल उठाया है कि क्या प्रधानमंत्री इसी प्रकार के “सहयोगात्मक संघवाद” की बात करते हैं? पार्टी ने इस कदम को 'गैर कानूनी' भी ठहराया है। जाहिर है, य़ह एक ऐसा विवाद है, जिससे बचा जा सकता था।
संसदीय, संघीय और बहुलवादी लोकतंत्र में अलग-अलग विचारों की पार्टियां सत्ता में आती-जाती रहती हैं। उनके नेताओं की टिप्पणियों में उनके विचारों का असर दिखे, तो उसमें कोई अस्वाभाविक बात नहीं है। सभी लोग एक भाषा बोलें, वे एक ही बात कहें- लोकतांत्रिक नजरिए से ये सोच समस्याग्रस्त है। इसीलिए प्रसार भारती को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। भाषण सचमुच रोका गया, तो उसके कारण बताए जाने चाहिए। साथ ही यह भी कि ये निर्णय किस स्तर पर लिया गया?
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