महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी को विपक्ष द्वारा उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के साथ ही उनके खिलाफ अभियान शुरू हुआ है। बताया जा रहा है कि उन्होंने कुख्यात आतंकवादी याकूब को फांसी दिए जाने का विरोध किया था। यह सब देख कर मुझे इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए लिए मजबूर हो जाना पड़ा कि अगर महात्मा गांधी जीवित होते और यदि उन्हें देश का पहला राष्ट्रपति बनाने की कोशिश की जाती तो क्या होता? जब उनकी 1948 में हत्या हुई तब तक तो देश का संविधान भी नहीं बना था न ही भारत गणतंत्र बना था। पर वे जीवित रहते, संविधान बनने के बाद चुनाव होते और सोशल मीडिया होता व कांग्रेंस पार्टी महात्मा गांधी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाती तो उस समय उनके बारे में खबरों में क्या चल रहा होता?
यह कहना गलत होगा कि गांधी की कुछ बनने में रूचि ही नहीं होती क्योंकि वे तो किंगमेकर थे। यह सोचने वाले भूल जाते हैं कि वे लंबे अरसे तक कांग्रेंस के अध्यक्ष रहे थे और जब सुभाष चंद्र बोस अध्यक्ष पद का चुनाव जीते थे तो उन्हें हराने के लिए गांधीजी आमरण अनशन पर बैठ गए थे व उनकी इस जिद को देखते हुए ही नेताजी को कांग्रेंस छोड़ कर अपना संघर्ष अपने तरीके से शुरू करने का मन बनाना पड़ा।
अब तो यह चर्चा भी होने लगी है कि गांधीजी ने भगतसिंह, सुखदेव व राजगुरू को फांसी के फंदे से बचाने की कोशिश नहीं की थी। तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन के मुताबिक गांधीजी ने उनसे यही कहा था कि कराची का कांग्रेंस अधिवेशन होने तक उनकी सजा टाल दी जाए। उन्होंने कभी भी उनकी फांसी की सजा समाप्त करने की मांग नहीं की थी।
यह मामला तो कुछ भी नहीं है। महात्मा गांधी को लेकर पिछले कुछ साल से जो कुछ जानिकारियां आ रही हैं उन्हें पढ़ने सुनने के बाद लगता है कि अगर आज की तारीख में वे जिंदा होते व चुनाव लड़ रहे होते तो उनके बारे में सोशल मीडिया ऐसी जानकारियों से भर जाता कि लोग सुरेश राम-सुषमा कांड को भी भूल जाते।
महात्मा गांधी की आदतों के बारे में जो कुछ कहा जाता है उसकी पुष्टि उनके तथाकथित प्रयोगों में उनके साथी सहयोगी या गिनीपिग रहे लोग करते आए हैं। ब्रह्मचर्य पर गांधीजी ने जितने प्रयोग किए व जितने लोगों पर किए उसकी दुनिया में मिसाल मिलना मुश्किल है। गांधीजी ने 37 साल की उम्र में ब्रह्मचर्य अपना लिया था मगर सैक्स के प्रति अपनी जिज्ञासा को मिटा न पाने के कारण प्रयोग जारी रखे। यह ठीक वैसा ही था जैसा कि शराब पीना छोड़ देने के बाद कोई अपने सामने पैग बना कर रखे और उसे देखता रहे।
मेरी मोटी बुद्धि में यह बात समझ में नहीं आती है कि जिस चीज को कोई त्याग चुका हो उसके प्रति अपनी अनाशक्ति साबित करने के लिए प्रयोग करने की क्या जरूरत हैं? पिछले कुछ वर्षों में पहली बार दो तथ्यात्मक ग्रंथ सामने आए हैं जो कि यह साबित करते है कि गांधीजी एक सामान्य सोच वाले व्यक्ति नहीं थे। उन्हें ब्रह्मचार्य को लेकर इतना पागलपन सवार था कि वे अपने आश्रम में रहने वाली तमाम दंपत्तियों से इसका पालन करने को कहते थे मगर खुद अपनी सहनशक्ति का परीक्षण करने के लिए युवतियों को साथ लेकर सोते थे।
ऐसा करते समय वे संबंधों को भी भूल जाते थे। उनके भाई की पोती मनु गांधी जब उनके संपर्क में आई तो वह महज 17 साल की थी। उसे बीमार कस्तूरबा की देख रेख के लिए लाया गया था पर बाद में वह उनकी सबसे विश्वासपात्र प्रयोगशाला बन गई। दूसरी महिला आभा थी जो कि काफी युवा थी व उनके भतीजे कनु गांधी की पत्नी थी। गांधीजी चलते समय इन्हीं दो युवतियो के कंधे पर हाथ रखते थे। जब उनकी हत्या हुई तो उस समय ये दोनों युवतियां उनके साथ थी। गोडसे ने तो गोली चलाने के पहले मनु को धक्का मार कर वहां से हटा दिया था। गांधीजी के भतीजे ने उनसे कहा था कि वे उसकी पत्नी की जगह उसे अपने साथ सुलाना शुरू कर दे मगर गांधी ने कहा कि यह प्रयोग तो सिर्फ महिलाओं के साथ किया जा सकता है।
गांधीजी न केवल युवा व विवाहित महिलाओं के साथ सोते थे बल्कि उनसे मसाज करवाते थे व उनके साथ नहाते भी थे। इन महिलाओं की बहुत लंबी सूची है जिनमें उनके पीए प्यारे लाल नय्यर की बहन व देश की स्वास्थ्य मंत्री व दिल्ली विधानसभा की पहली अध्यक्ष सुशीला नय्यर भी शामिल थी। मनु गांधी की डायरी के मुताबिक गांधीजी ने खुद उससे यह बात स्वीकारी थी कि सुशीला नैयर के साथ वे नहाते थे। उनका कहना था कि ऐसा करते समय वे अपनी आंख बंद रखते थे जिससे कि वे उस समय उनके चेहरे पर आए भावों को नहीं देख सकते थे।
मनु बेन ने इन तमाम बातों का 2000 पृष्ठो की 10 डायरियों में जिक्र किया है। गुजराती में लिखी इन डायरियों का हिंदी अनुवाद जाने माने गुजराती साहित्यकार रिजवान कादरी ने किया है और ये डायरियां अब राष्ट्रीय अभिलेखागार का हिस्सा बन चुकी है। मनु के अनुसार महात्मा गांधी ने उससे कहा था कि तुम इन डायरियो के बारे में किसी को मत बताना।
मनु बेन ने अपनी डायरियों में तमाम महिलाओं के नाम का जिक्र किया है। यह दर्शाता है कि आश्रम में रहने वाली तमाम महिलाओं के बीच गांधीजी के करीबी होने को लेकर प्रतिद्वंद्वता चलती थी। कुछ महिलाओं ने उनके साथ इसलिए दूरी बना ली थी क्योंकि गांधीजी की कुछ हरकते उन्हें पसंद नहीं आती थी। मनु बेन ने लिखा कि जब गांधीजी की हत्या हो गई तो उनके बेटे देवदास गांधी उनके पास आए और उनसे अनुरोध किया कि वे अपनी डायरियों के बारे में किसी को कुछ न बताए और न ही इस बारे में कुछ लिखे।
गांधीजी के मानसिक सैक्स प्रयोग का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब नोआखली में सांप्रदायिक दंगे चल रहे थे तो वहां भी उन्होंने अपना युवतियों के साथ नंगे होकर सोने का प्रयोग जारी रखा। मनु के मुताबिक वह तो महायज्ञ जैसा होता था। उनकी इस हरकत से नाराज होकर उनके दो अनुयायी उन्हें वहां छोड़कर वापस आ गए। सरदार पटेल से लेकर उनकी करीबी किशोरीलाल मशरूवाला तक ने उन्हें इन हरकतो से दूर रहने को कहा था मगर उन्होंने किसी की भी नहीं सुनी। बल्कि वे तो मनु से कहा करते थे कि ये लोग तुम्हारी व मेरी निकटता देखकर जलते हैं। मैं तो तुम्हारी मां की तरह हूं।
मनु ने खुद भी कहा है कि गांधी उसके यलोम (कृष्ण) थे व वह उनकी मीरा थी। जाने-माने पत्रकार जैड एडम्स ने अपनी पुस्तक गांधी की मन इच्छा में खुलासा किया है कि वे तो दोनों तरह का प्रयोग करते थे। उनके अपने जर्मन आर्किटेक्ट दोस्त हरमन केलने बैक के साथ भी शारीरिक संबंध थे। उसमें लिखे पन्नो में खुद को अपर हाउस व उसे लोअर हाउस लिख कर संबोधित करते थे। वे दोनों दक्षिण अफ्रीका में लंबे अरसे तक साथ रहे थे। न्यूयार्क टाइम्स के पूर्व संपादक व महात्मा गांधी पर लिखी पुस्तक ‘ग्रेट सोल महात्मा गांधी एंड हिज स्ट्रगल विद इन इंडिया” के लेखक जोसेफ लेली वैल्डस ने तो ऐसी महिलाओं के बीच की तफसील से जानकारी भी दी।
प्यारे लाल, मनुबेन को पसंद करते थे व उनसे शादी करना चाहते थे। यह बात सुशीला नैयर ने मनुबेन से कही। मनुबेन ने पूरी बात महात्मा गांधी को बात दी। मनुबेन का कहना था कि प्यारे लाल मेरे सामने कुछ भी नहीं है न ही उसके व्यक्तित्व में कुछ ऐसा है जिससे मैं प्रभावित हो सकूं। गांधीजी ने उसके इस आकलन से सहमति जताते हुए उसे मानवता के लिए किए जा रहे अपने प्रयोग को जारी रखने को कहा।
जवाहर लाल नेहरू तक महात्मा गांधी की इन हरकतों से परेशान हो चुके थे। उन्होंने एक बार सरदार पटेल से कहा कि मेरी समझ में यह नहीं आता है कि इस उम्र में भी बापू के दिलो-दिमाग पर सैक्स इतना क्यों छाया रहता है? वे उसे लेकर ही क्यों सोचते रहते हैं। इस आयु में ब्रह्मचार्य परीक्षण करने के लिए युवतियों के साथ ऐसा प्रयोग करना कहां तक उचित है?
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