शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

तीनों टॉप पदों पर पहली बार भाजपा!

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ, जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि भारत के तीन शीर्ष संवैधानिक पदों पर उनके लोग आसीन होंगे। राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तीनों भाजपा के हैं और संघ की पृष्ठभूमि के होंगे। आजाद भारत के इतिहास में यह भी संभवतः पहली बार हो रहा है कि राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानंमत्री कांग्रेस का या उसके समर्थन का नहीं है। इससे पहले या तो तीनों पद कांग्रेस के पास होते थे या किसी न किसी पद पर उसकी पसंद का व्यक्ति होता था। 
अटल बिहारी वाजपेयी छह साल प्रधानमंत्री रहे, लेकिन उस दौरान भी राष्ट्रपति या उप राष्ट्रपति पद पर कांग्रेस समर्थित व्यक्ति ही रहा। अटल बिहारी वाजपेयी गठबंधन की मजबूरी के कारण आरएसएस के किसी स्वंयसेवक को राष्ट्रपति नहीं बना सके थे। उनको मुलायम सिंह की पसंद के एपीजे अब्दुल कलाम को चुनना पड़ा था और कांग्रेस ने भी उनको समर्थन दिया था। उस समय प्रधानमंत्री वाजपेयी और उप राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत तो संघ की पृष्ठभूमि के थे, लेकिन राष्ट्रपति नहीं थे। 
उससे पहले वाजपेयी सरकार के चार साल के कार्यकाल में उप राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति दोनों कांग्रेस की मदद से चुने गए थे। 1997 से 2002 तक राष्ट्रपति केआर नारायणन थे और उप राष्ट्रपति कृष्णकांत। तभी इस बार जब भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में आई और एक के बाद एक राज्यों में उसने जीत हासिल की तो यह तय हो गया था कि वह देश के पहले और दूसरे नागरिक को चुनने में कोई समझौता नहीं करने वाली है। 
कई जानकार मान रहे थे कि प्रधानमंत्री मोदी किसी अराजनीतिक व्यक्ति को राष्ट्रपति या उप राष्ट्रपति बना सकते हैं। लेकिन ऐसा कभी सोचा भी नहीं गया। सो, अब तीनों शीर्ष पदों पर संघ के स्वंयसेवक हैं और कांग्रेस के हाथ में कुछ नहीं है। इस बार खास यह है कि लोकसभा स्पीकर का पद भी भाजपा के पास है। वाजपेयी के राज में यह पद टीडीपी और शिवसेना के सांसदों के हाथ में रहा। वेंकैया नायडू के उप राष्ट्रपति चुने जाने के बाद दोनों सदनों की कमान भाजपा के हाथ में होगी। कुछ राज्यों में राज्यपाल जरूर अब भी कांग्रेस के नियुक्त किए हुए हैं लेकिन अगले एक साल में वहां भी भाजपा और संघ से जुड़े लोगों की नियुक्ति हो जाएगी। 

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