देश के नए राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति को लेकर चौतरफा उत्सुकता और जिज्ञासा है तो पत्रकारों की बिरादरी में चिंता भी है। यह चिंता कई तरह की है। संसद भवन में चर्चा का एक अहम मुद्दा यह भी है कि नए राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति अपने पूर्ववर्तियों के नक्शे कदम पर चलेंगे या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नक्शे कदम पर चलेंगे। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी अपने साथ पत्रकारों को विदेश दौरे पर नहीं ले जाते हैं। उनकी देखादेखी ज्यादातर केंद्रीय मंत्री भी पत्रकारों को साथ नहीं ले जाते हैं।
प्रधानमंत्री के साथ सिर्फ आकाशवाणी और दूरदर्शन की टीम जाती है और बाकी पत्रकार अपने संस्थान की ओर से भेजे जाते हैं। लेकिन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी इस मामले में बहुत उदार रहे हैं। वे अपने साथ पत्रकारों को ले जाते रहे हैं। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनका तौर तरीका नहीं बदला। लेकिन अब इन दोनों शीर्ष पदों पर भाजपा के नेता आ रहे हैं। रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति और वेंकैया नायडू का उप राष्ट्रपति बनना तय हो गया है। ऐसे में पत्रकारों को चिंता इस बात की है कि कहीं ये दोनों भी प्रधानमंत्री की तरह पत्रकारों को साथ ले जाना न बंद कर दें।
एक दूसरी चिंता राज्यसभा टीवी के पत्रकारों को है। हामिद अंसारी के उप राष्ट्रपति रहते राज्यसभा टीवी का एक सा नजरिया रहा और घटनाओं की कवरेज और वैचारिक स्तर पर भी यह अलग ही रहा। लोकसभा टीवी की तरह राज्यसभा सरकारी टीवी नहीं बना। देश के तमाम सेकुलर और उदार पत्रकारों को किसी न किसी रूप में राज्यसभा टीवी में जगह मिली। लेकिन अब वहां का निजाम बदल रहा है। दस साल बाद हामिद अंसारी की विदाई हो रही है और आठ अगस्त के बाद वेंकैया नायडू कमान संभालेंगे। सो, वहां बड़ा बदलाव तय माना जा रहा है। इसलिए राज्यसभा से जुड़े पत्रकार और के कार्यक्रमों में बतौर गेस्ट जाने वाले विशेषज्ञ सब चिंतित हैं।
एक पहलू इफ्तार की दावतों का है, जिसकी चर्चा पत्रकारों से लेकर नेता बिरादरी में भी हो रही है। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद इफ्तार की दावतों का चलन खत्म कर दिया। लेकिन राष्ट्रपति भवन और उप राष्ट्रपति आवास में यह परंपरा जारी रही थी। भले प्रधानमंत्री और सरकार के मंत्री इन दावतों में नहीं जाते थे। पर अब चर्चा है कि नए राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति इफ्तार दावतों की परंपरा खत्म कर सकते हैं।
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