शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

घर वापसी अभियान चलाए कांग्रेस



 कांग्रेस पार्टी को यह सलाह हर कोई दे सकता है कि वह अपने को रिइन्वेंट करे। वैसे ही जैसे टोनी ब्लेयर ने लेबर पार्टी का किया था। पर उसके लिए कांग्रेस को क्या क्या करना चाहिए उसकी सूची बहुत लंबी चौड़ी है। कांग्रेस को वैचारिक स्तर पर अपनाव कायाकल्प करना चाहिए। टुकड़ों-टुकड़ों में सरकार के फैसलों की आलोचना करने की बजाय अपना एक ठोस एजेंडा जनता के सामने पेश करना चाहिए। उसमें हर मुद्दे पर कांग्रेस बेबाकी से अपनी राय रख दे। अभी यह बता दे कि उसकी सरकार जब भी कभी बनेगी तो किस मामले में क्या करेगी। इसमें साथ ही यह भी ध्यान रहे कि इन वादों में निंरतरता दिखे। ऐसा न हो कि अब तक की कांग्रेस सरकारों ने कुछ और किया है और आगे के लिए उससे उलट वादे किए जाएं। कांग्रेस पारंपरिक रूप से जो राजनीति करती रही है उसकी निरंतरता में उसे आगे का एजेंडा पेश करना चाहिए। वैचारिक रूप से एजेंडा पेश करने के बाद कांग्रेस को संगठन को मजबूत करने का काम करना चाहिए।


कांग्रेस को यह ध्यान रखना चाहिए कि भाजपा आज जिस मुकाम पर है उसके पीछे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की 95 साल की तपस्या है। संघ के पदाधिकारी और भाजपा के नेता भी हमेशा कहते रहे थे कि सफल राजनीति के लिए चार ‘क’ यानी कार्यालय, कार्यकर्ता, कार्यक्रम और कोष जरूरी होता है। आज भाजपा के पास ये सब कुछ है और कांग्रेस खाली हाथ है। उसका राष्ट्रीय कार्यालय भी खाली होने की कगार पर है और कोष तो खाली हो ही गया है। कांग्रेस अमीर नेताओं की गरीब पार्टी बन गई है। बहरहाल, कांग्रेस को अभी कम से कम कार्यकर्ता और कार्यक्रम का इंतजाम करना चाहिए और वह वैचारिक एजेंडा देने और मजबूत नेताओं को संगठन में आगे बढ़ाने से होगा। इसके बाद जैसा कि ऊपर बताया गया है प्रादेशिक पार्टियों को साथ लेकर, अपना स्वार्थ कुछ हद तक छोड़ कर और राज्यों में प्रादेशिक पार्टियों के एजेंडे के अनुरूप काम करके विपक्ष की मजबूत ताकत बनाने का प्रयास करना चाहिए।


इसके बाद आखिरी काम कांग्रेस को करना चाहिए कि वह कांग्रेस या यूपीए से निकले तमाम नेताओं या सहयोगियों की घर वापसी का आह्वान करे। जगन मोहन रेड्डी से लेकर के चंद्रशेखर राव तक को समझाए कि कैसे उनका भविष्य कांग्रेस ब्रांड राजनीति में ही सुरक्षित है। ये सारे नेता भाजपा की राजनीति से हिले तो होंगे। उनको लग रहा होगा कि अयोध्या की राजनीति कब तक उत्तर प्रदेश तक सिमटी रहेगी, जिस तरह वह कर्नाटक तक पहुंची है उस तरह से उसे तेलंगाना और आंध्र प्रदेश पहुंचने में कितना समय लगेगा या केरल में जनसंख्या की स्थिति ऐसी है कि कभी भी सांप्रदायिक राजनीति का बीज अंकुरित हो सकता है। लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में जैसे नतीजे आए हैं वो देश के तमाम प्रादेशिक क्षत्रपों को हैरान-परेशान करने वाले हैं।


सो, कांग्रेस अपने उन तमाम नेताओं की सूची बनाए, जो पार्टी छोड़ कर गए हैं। उनमें से कई तो खूब सफल हैं लेकिन अनेक नेता सफल नहीं हैं या दूसरी पार्टियों में जाकर उनको अपनी गलतियों का अहसास हो रहा है। कांग्रेस के अनेक नेता भाजपा में गए और उनमें से कुछ ने घर वापसी की। पर अब भी बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता दूसरी पार्टियों में हैं या अपनी पार्टी बना कर अलग राजनीति कर रहे हैं। यह कांग्रेस के लिए उनको मना कर उनकी घर वापसी कराने और भूल सुधार करने का समय है। कांग्रेस चाहे तो इसकी शुरुआत पूर्वोत्तर के राज्यों से कर सकती है। पिछले कुछ सालों में अनेक नेता कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए हैं। अरुणाचल प्रदेश असम में हिमंता बिस्वा सरमा से लेकर अरुणाचल प्रेदश में पेमा खांडू और मेघालय में कोनरेड संगमा तक ऐसे नेताओं की लंबी सूची है। इसी तरह झारखंड में कांग्रेस के अनेक बड़े नेता पिछले एक साल में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा या दूसरी पार्टियों में गए हैं। इनमें से ज्यादातर या लगभग सभी घर वापसी कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी कांग्रेस छोड़ने वालों को मना कर वापस लाया जा सकता है।


जिन लोगों ने अपनी पार्टी बनाई है उन्हें पहले तो पार्टी का विलय कांग्रेस में करने के लिए तैयार किया जाए और अगर वे इसके लिए तैयार नहीं होते हैं तो उन्हें कम से कम कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए का हिस्सा बनने के लिए तैयार किया जाए। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी नें कांग्रेस से अलग होकर तृणमूल कांग्रेस बनाई, आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी ने वाईएसआर कांग्रेस बनाई, तमिलनाडु में जीके वासन ने तमिल मनीला कांग्रेस बनाई, महाराष्ट्र में शरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस बनाई इन सबसे बात करके इन्हें कांग्रेस में वापसी के लिए या यूपीए में वापसी के लिए तैयार किया जा सकता है। आखिर शरद पवार के साथ पार्टी छोड़ कर गए तारिक अनवर वापस आ चुके हैं और हरियाणा जनहित कांग्रेस बनाने वाले भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने भी कांग्रेस में वापसी की है। कांग्रेस को इसके लिए ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए।

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