रविवार, 9 अगस्त 2020

गहलोत सरकार के सियासी संकट से आईएएस कैडर रिव्यू प्रक्रिया अधर में


 

जयपुर। राज्य में चल रहे सियासी संकट  का असर सरकारी कामकाज पर भी साफ दिखाई देने लगा है। गहलोत सरकार ने राजस्थान कैडर के आईएएस अफसरों का पद बढ़ाने के प्रस्ताव पर अभी तक केंद्र को कोई जवाब नहीं भेजा है। आईएएस अफसरों की संख्या बढ़ाने के लिए जरूरी कैडर रिव्यू  की प्रक्रिया धीमी पड़ने से आईएएस के नए पदों की स्वीकृति में मुश्किलें आ सकती हैं। हालांकि, सरकार के पास मौजूदा वर्ष के अंत तक प्रस्ताव भेजने का समय है, लेकिन यदि सियासी उथल पुथल लंबी चलती है तो कैडर रिव्यू स्ट्रेंथ का मामला खटाई में पड़ सकता है।


राज्य के कार्मिक विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक कैडर रिव्यू के लिए जल्द ही उच्चस्तरीय बैठक कर प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा। हालांकि, इसको लेकर मुख्य सचिव के स्तर पर बैठकें हुईं, लेकिन उनमें कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। राज्य में चल रहे सियासी संकट के कारण शासन सचिवालय में सन्नाटा पसरा हुआ है और कामकाज ठप है।


हर पांच साल में होता है कैडर रिव्यू


उल्लेखनीय है कि कैडर रिव्यू की प्रक्रिया केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक पांच साल में एक बार की जाती है। वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने राजस्थान में आईएएस का कैडर स्ट्रेंथ बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी और प्रदेश में आईएएस की संख्या 296 से बढ़ाकर 313 हो गई थी। डीओपीटी के गजट नोटिफिकेशन के अनुसार 170 IAS राज्य सरकार में ड्यूटी देंगे। 68 आईएएस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात रहेंगे। 42 अफसर राज्य प्रतिनियुक्ति पर रहेंगे। 5 आईएएस प्रशिक्षण के लिए और 28 छुट्टी के लिए रिजर्व रहेंगे।


RAS के प्रमोशन पर पड़ेगा असर


मौजूदा वर्ष में यदि कैडर स्ट्रेंथ की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है तो इसका सबसे ज्यादा खामियाजा राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को भुगतना पड़ सकता है, क्योंकि राज्य का कैडर स्ट्रेंथ नहीं बढ़ने से प्रमोशन के अवसर कम हो जाएंगे। कैडर रिव्यू समय पर किया जाता है तो इसका सीधा फायदा राजस्थान प्रशासनिक सेवा में प्रमोट होने वाले अफसरों को होता है।

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